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Updated: 15 फरवरी, 2021 03:20 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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वैलेंटाइन डे (Valentine Day) के मौके पर ओटीटी प्लेटफॉर्म इरोज नाउ (Eros Now) ने एक फिल्म रिलीज की है बावरी छोरी (Bawri Chhori). जैसा कि नाम से ही प्रतीत हो रहा है कि ये फिल्म एक 'क्रेजी गर्ल’ राधिका (अहाना कुमरा) के इर्द-गिर्द घूमती है. इस फिल्म के जरिए 'प्रेम दिवस' पर प्यार की एक नई परिभाषा पेश की गई है, जिसमें एक महिला अपने पति को भूलना नहीं चाहती. उसके द्वारा ठुकराए और छले जाने के बावजूद उसे पाना चाहती है. उसके मन में अपने पति के प्रति नफरत है, लेकिन वो उसकी तलाश में भारत से लंदन चली जाती है.

राधिका अपने पति को सबक सीखाना चाहती है. यहां तक की उसके मर्डर की प्लानिंग तक बना लेती है. इंटरनेट से मर्डर के तरीके सर्च करती है. पति और प्यार की तलाश में घूम रही राधिका के साथ कुछ लोगों के नए रिश्ते बनते हैं. दोस्ती होती है. देश से दूर परदेस में अपनापन मिलता है. प्यार, दोस्ती, तलाश और नफरत के बीच फिल्म की कहानी जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण पेश करते हुए अपने आकर्षक चरित्र के साथ, दर्शकों के दिमाग पर एक स्थायी छाप छोड़ जाती है. याद दिला जाती है, 'कितने अजीब रिश्ते हैं यहां पे, दो पल मिलते हैं, साथ-साथ चलते हैं, जब मोड़ आये तो, बच के निकलते हैं.'

kumra-650_021521022417.jpgफिल्म एक्ट्रेस अहाना कुमरा तो एक बहुमुखी कलाकार हैं.

अहाना कुमरा (Aahana Kumra) अभिनीत इस फिल्म बावरी छोरी का लेखन और निर्देशन अखिलेश जायसवाल ने किया है. ये वही अखिलेश हैं, जिन्होंने अनुराग कश्यप के साथ 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' फिल्म की कहानी लिखी थी. पिछले साल रिलीज हुई वेब सीरीज मस्तराम (Mastram) के भी लेखक और निर्देशक रह चुके हैं. अहाना कुमरा तो एक बहुमुखी कलाकार हैं ही, इसमें कोई दो राय नहीं है. इस अभिनेत्री को ऐसे पात्रों को चुनने की आदत है, जो उनके व्यक्तित्व का आंतरिक विस्तार करते हैं. यहां तक कि पर्दे पर उनकी सहजता देखकर ऐसा लगता ही नहीं है कि वह अभिनय कर रही हैं.

फिल्म बावरी छोरी (Bawri Chhori) को मोहित छाबड़ा, अजय राय, सुदीप्तो सरकार और अंकुर बी ने प्रोड्यूस किया है, जबकि सरैया इसके एग्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर हैं. निखिल परिहार ने इसका संपादन और सिनेमैटोग्राफी अमरजीत सिंह ने किया है. संगीत कार्तिक रामलिंगम द्वारा तैयार किया गया है. अहाना के अलावा विक्रम कोचर, रूमाना मोला, सोहैला कपूर और निकी वालिया ने भी अपने हिस्से का काम बखूबी किया है. लेकिन फिल्म अहाना कुमरा के मजबूत कंधों पर टिकी हुई है. कमजोर पटकथा के बीच सशक्त अभिनय ने फिल्म को बचा लिया है. फिल्म की कहानी शुरू होती है भारत से, जहां सबसे पहले राधिका से परिचय कराया जाता है. राधिका एक शादीशुदा महिला है, लेकिन उसका पति उसके गहने बेंचने के बाद पैसे लेकर लंदन भाग जाता है. राधिका को धोखा देकर वहीं सेटल हो जाता है. राधिका अपने पति को पाने के लिए लंदन जाने की योजना बनाती है. उसके मन में अपने पति के प्रति नफरत होता है. वह उसे सबक सीखाना चाहती है. इसके लिए उसके टुकड़े-टुकड़े करके अचार बनाकर वापस अपने देश लाने की योजना बनाती है. राधिका लंदन पहुंच जाती है. अपने पति की तलाश में बहुत भटकती है.

इसी दौरान उसकी मुलाकात कुछ अन्य भारतीयों से होती है. वे उसके दोस्त बन जाते हैं. राधिका अपना दर्द अपने दोस्तों के साथ बांटती है. उनकी मदद से अपने पति की तलाश में लगी रहती है. लेकिन दोस्तों का प्यार उसके मन में भरे नफरत को कम कर देता है. देश से दूर उसे ऐसा अपनापन मिलता है, जिसकी तलाश में वो भटक रही होती है. उधर, आखिरकार उसका पति भी मिल जाता है. पति के जाने से लेकर मिलने तक की बस कहानी नहीं है बावरी छोरी, इसमें तो जीवन के कई आयामों को बहुत सहजता और संप्रेषण के साथ दिखाने की कोशिश की गई है.

अहाना कुमरा एक नैसर्गिक कलाकार हैं. वो जिस किरदार को करती हैं, वैसी ही दिखती हैं. उनकी इस खूबी का फायदा राधिका को भी मिला है. फिल्म में बाकी कलाकारों के बीच विक्रम कोचर की मौजूदगी कहानी के कैटलिस्ट का काम करती है. नानी के किरदार में सोहैला कपूर का स्क्रीन स्पेस बहुत कम है, लेकिन अभिनय यादगार है. रूमाना मोला के किरदार से कहानी को उतनी मदद नहीं मिलती जितनी मिलनी चाहिए थी. उनको भारतीय मूल का ब्रिटिश नागरिक दिखाया गया है, जो अंग्रेजी स्टाइल में हिन्दी बोलती है. राधिका की अच्छी दोस्त होती है.

वैसे फिल्म का म्यूजिक नोटिस करने लायक है. कार्तिक रामालिंगम ने मौजूदा हिंदी सिने संगीत से अलग हटकर कुछ बनाने का प्रयास किया. इसमें वो सफल भी रहे हैं. अमरजीत सिंह की सिनेमैटोग्राफी बढ़िया है, लेकिन फिल्म का संपादन और भी बेहतर हो सकता था. सबसे ज्यादा उम्मीद थी फिल्म के लेखक और निर्देशक अखिलेश जायसवाल से, उनका पिछला रिकॉर्ड देखकर लगा था कि कहानी दमदार होगी. हालांकि, कहानी तो ठीक है, लेकिन पटकथा पर और ज्यादा काम किया जाना चाहिए था. कुल मिलाकर फिल्म अहाना के अच्छे अभिनय के लिए देखी जानी चाहिए.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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