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Updated: 21 फरवरी, 2022 06:20 PM
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कंगना रनौत के कुछ बयानों को देखें तो लगता है कि उन्हें बॉलीवुड में हर किसी से बैर है. बॉलीवुड के ज्यादातर ए लिस्टर्स की नई फिल्म आने पर आलोचना का कोई मौका नहीं छोड़तीं. आलोचना क्या कहें- उनके बयानों को देखते हुए एक तरह से लगता है कि वे शायद निजी दुश्मनी निकाल रही हैं. हालांकि निजी दुश्मनी की कोई वाजिब वजह नजर नहीं आती. अभी हाल ही में अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हुई गहराइयां के बहाने दीपिका पादुकोण पर तीखा तंज कसने के बाद अब उन्होंने इशारों में गंगूबाई काठियावाड़ी पर बेहद तीखे बोल बोले हैं. उनके निशाने पर आलिया भट्ट और उनके पिता हैं. जितना संभव था कंगना ने आलिया और गंगूबाई काठियावाड़ी की आलोचना की.

कंगना ने अलग-अलग इंस्टाग्राम स्टोरी में बिना अलिया भट्ट का नाम लिए लिखा- इस शुक्रवार को बॉक्स ऑफिस पर 200 करोड़ रुपये खाक में मिल जाएंगे. एक पापा (मूवी माफिया डैडी) की परी (जो ब्रिटिश पासपोर्ट रखती है) के लिए... क्योंकि पापा यह साबित करना चाहता है कि रॉमकॉम बिंबो ऐक्टिंग भी कर सकती है. इस फिल्म की सबसे बड़ी खामी इसमें की गई गलत कास्टिंग है... ये नहीं सुधरेंगे. कोई ताज्जुब नहीं कि सिनेमाघर साउथ और हॉलीवुड फिल्मों की तरफ जा रहे हैं. जब तक मूवी माफिया पावर में हैं तब तक बॉलीवुड की किस्मत में यही सब लिखा है. आलिया ने एक दूसरी इंस्टाग्राम स्टोरी में आलिया, उनके पिता और फिल्म क्षेत्र के दूसरे दिग्गजों पर निशाना साधा.

kangana-650_022022092735.jpgकंगना रनौत.

स्तरहीन आलोचना कंगना की आदत

आलिया के निशाने पर कौन सी अभिनेत्री और कौन सी फिल्म है- इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. शुक्रवार यानी 25 फरवरी को संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी पीरियड ड्रामा गंगूबाई काठियावाड़ी रिलीज हो रही है. फिल्म में आलिया ने गंगूबाई का मुख्य किरदार निभाया है. फिल्म को बड़े स्केल पर बनाया गया है और ट्रेलर के बाद आलिया के काम की तारीफ़ भी हो रही है. हालांकि कंगना को लग रहा है कि गंगूबाई के रूप में आलिया की कास्टिंग बहुत घटिया है और उन्हें यह भूमिका सिर्फ अपने पिता (महेश भट्ट) की वजह से मिली. बॉलीवुड सितारों पर तंज कसना और बहुत निचले स्तर पर जाकर किसी का माखौल उड़ाना कंगना की आदत बनती जा रही है. कई बार वे कमाल खान का फीमेल वर्जन नजर आती हैं. जबकि राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री से संवेदनशीलता की अपेक्षा की जाती है.

अभी कुछ दिन पहले ही उन्होंने गहराइयां के बहाने दीपिका पादुकोण पर निशाना साधा था. गहराइयां को लेकर दीपिका ने पता नहीं क्या-क्या कह डाला. अगर बॉलीवुड सितारों पर कंगना के तीखे बोल की लिस्ट बनाई जाए तो लिखने के लिए शायद कागज़ भी कम पड़ जाएंगे. थलाइवी फेम एक्ट्रेस पिछले कई सालों से बॉलीवुड में कथित भाई-भतीजावाद को लेकर खुलेआम निशाना साधते नजर आती हैं. इन्हें देखते हुए लगता है कि यह उनकी आदत बन चुकी है. बॉलीवुड के तमाम सितारों के उनकी अदावत अपनी जगह है, मगर कई बार दिखा है जब आलोचना के दौरान वो सीमाओं का उल्लंघन कर गई हैं. भंसाली या कोई और अपनी फिल्म में किसे लेगा या किसे नहीं- भला यह सलाह देने वाली कंगना रनौत कौन हैं?

alia-gangubai-650_022022092811.jpgआलिया भट्ट.

आलिया भट्ट का अपना वजूद है और वे कंगना से किसी मामले में कम नहीं

बेशक आलिया भट्ट एक निर्देशक की बेटी हैं. लेकिन बतौर अभिनेत्री उनका अपना वजूद हैं. उन्होंने एक बार नहीं बल्कि कई बार दमदार भूमिकाओं से इसे साबित भी किया है. गली बॉय, राजी, उड़ता पंजाब और हाइवे आलिया की बेहतरीन फिल्मों में यूं ही शुमार नहीं की जाती. उनकी अदाकारी को किसी भी पैमाने पर खारिज नहीं किया जा सकता. हो सकता है कि पिता के संपर्कों की वजह से अभिनेत्री के रूप में वे लॉन्च हुई हों, मगर उनका मुकाम बताता है कि उन्होंने हर तरह की भूमिकाओं में खुद के चयन को साबित किया है. वे उतनी ही प्रतिभाशाली और मेहनती हैं जितना कंगना.

हां, फिल्म उद्योग में कंगना की तुलना में आलिया को जरूर आसानी से मौके मिले. पर सिर्फ मौका ही बड़ी बात होता तो ना जाने कितने सितारों के बेटा बेटी आज की तारीख में गुमनाम जिंदगी नहीं जी रहे होते. जहां तक बात सफलता की ही है तो छोटा करियर होने के बावजूद आलिया के खाते में कंगना से किसी मामले में कम सक्सेस नहीं है. जबकि कंगना की पिछली फिल्म जो एक पॉलिटिकल ड्रामा थी बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई. ये दूसरी बात है कि जयललिता के किरदार में एक्ट्रेस के काम ने प्रभावित किया.

आलोचनाओं से साबित क्या करना चाहती हैं कंगना रनौत

अब सवाल है कि कंगना, आलिया या फिल्म उद्योग के दूसरे सितारों की आलोचना के जरिए आखिर साबित क्या करना चाहती हैं? कंगना हिंदुत्व और भाई-भतीजावाद के मुद्दे पर मुखर रहती हैं. खुलकर भाजपा के समर्थन का ढिंढोरा पीटती हैं. गंगूबाई काठियावाड़ी की आलोचना करते हुए कंगना भूल जाती हैं कि फिल्म में अजय देवगन और विजय राज जैसे एक्टर्स भी हैं. अजय देवगन ने तो कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से नरेंद्र मोदी और भाजपा के समर्थन की बात बार-बार दोहराई है. उन्होंने भाजपा के मंचों से कई मर्तबा प्रचार भी किया है लेकिन कभी अपने राजनीतिक चयन को किसी पर हमले का औजार नहीं बनाया. उन्होंने कभी किसी पर टिप्पणियां नहीं कीं. जबकि इंडस्ट्री में कई लोगों से उनकी अदावत छिपी बात नहीं जो इत्तेफाक से हिंदी सिनेमा में बादशाहत भी रखते थे. ठीक इसी तरह अक्षय कुमार भी नजर आते हैं. फिर कंगना क्या जताना या दिखाना चाहती हैं.

जहां तक भाई भतीजावाद की बात है 100 साल की इंडस्ट्री में ज्यादातर लोग पहली पीढ़ी के ही हैं. कुछ परिवारों की दूसरी या तीसरी पीढ़ी सक्रिय है. और कंगना की अपनी बहन भी तो कंगना की वजह से ही फिल्म उद्योग में सक्रिय हैं. क्या इसे भाई भतीजावाद नहीं कहा जाएगा? कंगना के भी अपने सम्बन्ध हैं. तो क्या इसे भी 'किसी गैंग के नाम से पुकारा' जाए.

क्या सुर्ख़ियों में रहने के लिए ऐसे बयान देती हैं कंगना रनौत

कंगना की आलोचनाओं को देखते हुए अब लगता है कि वे शायद कमाल खान की तरह सुर्ख़ियों में रहने का बहाना खोजती रहती हैं. कभी भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों के खिलाफ मोर्चा खोलती हैं, कभी फिल्म उद्योग के गैर हिंदू कलाकारों पर टिप्पणियां करती हैं और ज्यादातर मौकों पर भाई भतीजावाद के बहाने स्तरहीन टीका-टिप्पणियां करती हैं. जबकि कंगना जिस कद और प्रतिष्टा की राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त अभिनेत्री हैं, उनसे संवेदनशीलता की अपेक्षा की जाती है. पर उनके बयान एक जिम्मेदार कलाकार के ना होकर बदजुबानी करने वाले स्तरहीन नेता के नजर आते हैं. हो सकता है कि कंगना की टिप्पणियों से एक वर्ग खुश होता हो, लेकिन यह सब व्यापक रूप से उनकी छवि को बट्टा ही लगा रहा है. कंगना इससे बचें तो ठीक रहेगा. किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती.

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