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Updated: 10 सितम्बर, 2022 07:52 PM
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लाल सिंह चड्ढा पर इस विश्लेषण में स्पॉइलर हैं. अपनी जरूरत के हिसाब से आगे बढ़ें.

आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा फॉरेस्ट गंप का बॉलीवुड रीमेक है. मूल फिल्म की तरह रीमेक में भी एक मंदबुद्धि व्यक्ति को केंद्र में रखकर कहानी दिखाई गई है. इसमें भारत के कई संदर्भों को उठाया गया है जिसने भारतीय समाज और राजनीति पर गहरा असर डाला. फॉरेस्ट गंप में वियतनाम युद्ध का प्रसंग है. लाल सिंह चड्ढा में वियतनाम युद्ध की जगह कारगिल युद्ध को लिया गया है. जबकि कारगिल जंग एक छद्म लड़ाई थी. देश को बहुत बाद में समझ आया कि असल में यह आतंकियों से संघर्ष नहीं बल्कि पाकिस्तान से एक युद्ध ही था. बस दूसरे युद्धों की तरह प्रकृति अलग थी. वियतनाम युद्ध ने अमेरिकी समाज को झकझोर कर रख दिया था. अमेरिका की शर्मनाक पराजय हुई थी. उस युद्ध की वजह से अमेरिकी समाज आर्थिक और सामजिक दोनों मोर्चों पर टूटा नजर आ रहा था.

भारत के इतिहास में वियतनाम जैसे अनुभव नहीं मिलते. पहली बात तो यही कि भारत ने किसी भी देश के खिलाफ आगे बढ़कर जंग का ऐलान नहीं किया बल्कि उसे थोपी गई चीजों का सामना करना पड़ा. बावजूद भारतीय समाज में कुछ कुछ वियतनाम जैसा असर चीन के साथ हुए युद्ध में नजर आता है. ना चाहते हुए भी देश को अपने शांतिप्रिय और गुट निरपेक्ष सिद्धांत से परे जाकर मुश्किल हालात में युद्ध लड़ना पड़ा. शर्मनाक पराजय झेलनी पड़ी थी. उस पराजय ने भारतीय समाज को झकझोर दिया था. चूंकि फॉरेस्ट गंप की कहानी में वियतनाम युद्ध की वजह से एक देश की दिशा और उसके पड़ाव की समझाइश मिलती है वैसी समझाइश लाल सिंह चड्ढा में कारगिल युद्ध का प्रसंग देने में सक्षम नहीं है. कारगिल की बजाए 'चीन युद्ध' कहीं बेहतर और कहानी को प्रभावी बना सकता था.

LSC aamir khanआमिर खान.

लाल सिंह चड्ढा में चीन से युद्ध और गुजरात दंगों को आमिर ने क्यों नहीं दिखाया?

एक देश के रूप में भारत के पिछले 60 साल में शायद ही कोई ऐसा दिन बीता हो जब चीन से पराजय की चुभन ना महसूस की गई हो. उस हार के बाद समझ में आया कि एक ताकतवर राष्ट्र की जरूरतें असल में क्या-क्या होती हैं. बाद में हमारी कच्ची-पक्की सामूहिक कोशिशें उसी दिशा में आगे बढीं. खैर, फिल्म मेकर को निजी आजादी है कि वह अपनी कहानी- कहां से, कैसे और किसे-किसे दिखाना चाहता है. चीन युद्ध ही क्यों, आमिर ने गुजरात दंगों के संदर्भ को भी छोड़ दिया है. जबकि पूरी फिल्म में वह साम्प्रदायिकता और धार्मिक झगड़े के साथ प्रेम को लेकर ही संदेश देते नजर आते हैं. गुजरात दंगों का जिक्र संभवत: आमिर ने किसी राजनीतिक विवाद से बचने की कोशिश में किया होगा.

अब सवाल है कि क्या लाल सिंह चड्ढा की कहानी के लिए आमिर का फैसला सहज था या फिर उन्होंने किसी कारोबारी गणित के सूत्रों को हल करने की कोशिश की. पहली बात यही कि आमिर का फैसला सहज होता तो लाल सिंह चड्ढा में कारगिल की बजाए चीन युद्ध का प्रसंग आता. जो कहानी आपातकाल के बाद शुरू हुई उसे दस साल और पीछे खिसकाया जा सकता था. अब आमिर ने ऐसा नहीं किया तो इसका सबसे बड़ा कारण उनकी कारोबारी रणनीतियां ही हैं.

चीन में आमिर की फिल्मों ने रिकॉर्डतोड़ कमाई की है

आमिर सिर्फ भारत के लिए फ़िल्में नहीं बनाते. चीन में उनकी फिल्मों को पसंद करने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है. आप उन्हें चीन में भारत का इकलौता सुपरस्टार भी कह सकते हैं. लोग उनके काम की वजह से ही उन्हें पहचानते हैं. इसका सबूत चीन में उनकी फिल्मों के कारोबार में नजर आता है. चीनी बॉक्स ऑफिस पर सर्वाधिक कमाई करने वाली भारतीय फिल्म दंगल है. दंगल ने चीन में 2100 करोड़ से ज्यादा कमाए हैं. दंगल समेत सर्वाधिक कमाई करने वाली टॉप 10 फिल्मों में अकले आमिर की ही तीन फ़िल्में हैं. दंगल के अलावा सीक्रेट सुपरस्टार (912 करोड़) और पीके (792 करोड़). जायरा वसीम और आमिर खान स्टारर सीक्रेट सुपरस्टार तो भारत में 100 करोड़ भी नहीं कमा पाई थी जिसने चीन में जाकर कीर्तिमान बनाए.

लाल सिंह चड्ढा को खुद आमिर और उनकी पूर्व पत्नी किरण राव ने वायकॉम 18 के साथ मिलकर प्रोड्यूस किया है. जहां तक भारत में फिल्म का बिज़नेस खराब होने की बातें हैं उसके पीछे की कई वजहें हैं. बावजूद इसमें इफ बट की गुंजाइश ही नहीं कि आमिर ने लाल सिंह चड्ढा को चीन में रिलीज करने की योजना ना बनाई हो. आमिर ने भारत से बाहर भी बेहतर कारोबारी योजनाओं के लिए पैरामाउंट पिक्चर्स को डिस्ट्रीब्यूशन राइट बेंचे थे. पैरामाउंट पिक्चर्स ने फॉरेस्ट गंप को भी डिस्ट्रीब्यूट किया था. इसके अलावा कंपनी ने हॉलीवुड की ना जाने कितनी फिल्मों को ग्लोबली मार्केट में बेंचा है.

आमिर चीन युद्ध दिखाते तो उन्हें क्या नुकसान झेलना पड़ता

पैरामाउंट के जरिए आमिर की कोशिश लाल सिंह चड्ढा को पाकिस्तान में भी बेंचने की थी. पाकिस्तान में 2019 से ही भारतीय फ़िल्में बैन हैं. पाकिस्तान के एक मीडिया ग्रुप ने फिल्म रिलीज के लिए अनुमति मांगी है. हालांकि बहुत मुश्किल है कि कारगिल के संदर्भ की वजह से उन्हें इजाजत मिले. लेकिन चीन के साथ यह दिक्कत नहीं होगी. और इसकी इकलौती वजह फिल्म में ऐसे किसी प्रसंग का नहीं होना है कि चीन आपत्ति करे. हां, अगर चीन युद्ध का प्रसंग होता तो वहां लाल सिंह चड्ढा के प्रीमियर की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी.

आमिर को अपनी पीढ़ी में बॉलीवुड का सबसे हुनरमंद फिल्म मेकर यूं ही नहीं कहे जाते हैं. फिल्म कारोबार को लेकर उनका व्यक्तित्व बहु आयामी है. वह चाहे फिल्म का विषय हो, कहानी हो, कास्टिंग हो, निवेशकों के साथ ट्रीटी हो, प्रमोशन हो या दूसरी चीजें. वे कारोबारी मुनाफे को फुल प्रूफ कर ही किसी प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ते हैं. निश्चित ही लाल सिंह चड्ढा के लिए भी उन्होंने बेहतर तैयारियां की होंगी. भारतीय बॉक्स ऑफिस पर फिल्म के खिलाफ जारी निगेटिव कैम्पेनिंग लाल सिंह चड्ढा के लिए पनौती साबित हो गई. चीन में अगर फिल्म को रिलीज होती है तो वहां इसे लेकर भारत में हुई निगेटिव कैम्पेनिंग की भी चर्चा होगी. आमिर की फिल्म को इसका फायदा जरूर मिलेगा.

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