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विश्व रिकॉर्ड बनाने की कोशिश में इसरो- एक साथ 83 उपग्रह भेजेगा अंतरिक्ष में

    • अरिंदम डे
    • Updated: 29 अक्टूबर, 2016 02:41 PM
  • 29 अक्टूबर, 2016 02:41 PM
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इसरो एक ही रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में 83 उपग्रह भेजेगी, जिसमें 2 उपग्रह भारतीय होंगे और 81 विदेशी

2017 के शुरुआत में इसरो एक और रिकॉर्ड की कोशिश करेगी. इसरो के पीएसएलवी रॉकेट एक साथ 83 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजेगी. इसमें दो उपग्रह भारतीय होंगे और 81 विदेशी. इनमें कुछ नैनो उपग्रह भी होंगे. पीएसएलवी अब तक लगभग 35 सफल प्रक्षेपण कर चुका है, यानि करीब 95% सफलता, और 113 उपग्रहों को सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचाया है.

 83 उपग्रह का वजन करीब 1600 किलो होगा

याद करें इसी पीएसएलवी पे सवार होकर चंद्रयान- 1 और मार्स ऑर्बिटर मिशन को अंतरिक्ष में पहुंचाया था. यह एक चार स्तरीय रॉकेट है जिसके पहले स्तर में 138 टन ईंधन होता है जो इसको 105 सेकंड तक चलाती है. दूसरे स्तर 41.5 टन ईंधन 158 सेकंड तक इसको चलाती है. तीसरे स्तर में 7 टन ईंधन होता है जो इस रॉकेट को 83 सेकंड तक चलाता है और चौथे चरण में सिर्फ 2500 किलो ईंधन होता है जो प्रक्षेपण यान को अंतरिक्ष तक पहुंचाता है- लगभग 425 सेकंड में. इंजन के अलावा इस रॉकेट में 6 बूस्टर लगे हुए होते हैं जो इसको अतिरिक्त शक्ति प्रदान करते हैं.

ये भी पढ़ें- इसरो की शरण में पहुंचा नासा...

इसरो ने कई बार एक साथ एक से ज्यादा उपग्रह सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में भेजे हैं. सितंबर 2016 में ही इसरो के पीएसएलवी ने 8 उपग्रहों को सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया था. और इसके पहले जून 2016 में पीएसएलवी ने एक साथ 20 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया था.

रिकॉर्ड ब्रेकिंग मिशन के लिए 44 मीटर...

2017 के शुरुआत में इसरो एक और रिकॉर्ड की कोशिश करेगी. इसरो के पीएसएलवी रॉकेट एक साथ 83 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजेगी. इसमें दो उपग्रह भारतीय होंगे और 81 विदेशी. इनमें कुछ नैनो उपग्रह भी होंगे. पीएसएलवी अब तक लगभग 35 सफल प्रक्षेपण कर चुका है, यानि करीब 95% सफलता, और 113 उपग्रहों को सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचाया है.

 83 उपग्रह का वजन करीब 1600 किलो होगा

याद करें इसी पीएसएलवी पे सवार होकर चंद्रयान- 1 और मार्स ऑर्बिटर मिशन को अंतरिक्ष में पहुंचाया था. यह एक चार स्तरीय रॉकेट है जिसके पहले स्तर में 138 टन ईंधन होता है जो इसको 105 सेकंड तक चलाती है. दूसरे स्तर 41.5 टन ईंधन 158 सेकंड तक इसको चलाती है. तीसरे स्तर में 7 टन ईंधन होता है जो इस रॉकेट को 83 सेकंड तक चलाता है और चौथे चरण में सिर्फ 2500 किलो ईंधन होता है जो प्रक्षेपण यान को अंतरिक्ष तक पहुंचाता है- लगभग 425 सेकंड में. इंजन के अलावा इस रॉकेट में 6 बूस्टर लगे हुए होते हैं जो इसको अतिरिक्त शक्ति प्रदान करते हैं.

ये भी पढ़ें- इसरो की शरण में पहुंचा नासा...

इसरो ने कई बार एक साथ एक से ज्यादा उपग्रह सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में भेजे हैं. सितंबर 2016 में ही इसरो के पीएसएलवी ने 8 उपग्रहों को सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया था. और इसके पहले जून 2016 में पीएसएलवी ने एक साथ 20 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया था.

रिकॉर्ड ब्रेकिंग मिशन के लिए 44 मीटर लंबी पीएसएलवी XL का इस्तेमाल किया जाएगा और 83 उपग्रह का वजन करीब 1600 किलो होगा.

 पीएसएलवी अभी 1800 किलो का वजन ले जा सकता है

पीएसएलवी अपने तरह का सबसे सस्ता प्रक्षेपण यान है. इसके एक प्रक्षेपण का खर्च करीब 20 मिलियन डॉलर तक होता है जो कि दुनियाभर में सबसे सस्ता है. आरिआने 5 का प्रक्षेपण खर्च करीब 100 मिलियन डॉलर है और इलोन मास्क के कंपनी सप्स एक्स 9 में करीब 60 मिलियन डॉलर का खर्च आता है.

ये भी पढ़ें- RLV-TD: अंतरिक्ष विज्ञान की लागत कम करने की ओर इसरो का बडा कदम!

प्रक्षेपण का बाजार करीब करीब 300 बिलियन डॉलर का है. इसरो को कुछ काम और करना है. जैसे पीएसएलवी अभी 1800 किलो का वजन ले जा सकता है. जीएसएलवी करीब 3 टन का वजन अंतरिक्ष में पहुंचा सकता है और अगला मॉडल करीब 5 टन वजन ढो पाएगा. तो अभी इसरो बहुत वजनी उपग्रह अंतरिक्ष तक पहुंचा नहीं पाता है, लेकिन ऐसे भी कस्टमर हैं जो छोटे उपग्रह, कम खर्चे में अंतरिक्ष में भेजना चाहते हैं. इसी बात का फायदा उठाकर इसरो अबतक करीब 640 करोड़ कमा चुकी है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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