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आजादी नहीं... कुछ और ही चाहती हैं ये 'पत्थरबाज' लड़कियां

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 26 अप्रिल, 2017 04:59 PM
  • 26 अप्रिल, 2017 04:59 PM
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कश्मीर में लड़कियों ने पत्थरबाजी क्यों की... बता दें, ये लड़कियां आजादी नहीं चाह रही हैं. पीछे की स्टोरी कुछ अलग ही है...

कश्मीर में पत्थरबाजी करते हुए आपने लड़कों की तस्वीरें देखी होंगी. लेकिन, कुछ दिन पहले ऐसी तस्वीर आई जो काफी शॉकिंग थी. कश्मीर के पुलवामा डिग्री कॉलेज की लड़कियों ने जब जवानों पर पत्थरबाजी की.

कश्मीर में खराब हालात को देखते हुए सरकार ने कॉलेज और स्कूल बंद रखे थे. सोमवार को जब हफ्ते भर की बंदी के बाद कश्मीर घाटी के स्कूल और कॉलेज दोबारा खुले तो सड़कों पर एक अलग ही तरह का नजारा देखने को मिला. कॉलेज खुलते ही फिर पत्थरबाजी शुरू हो गई.

आपको बता दें, जिन लड़कियों ने पत्थरबाजी की उनमें फुटबॉल खिलाड़ी भी थीं. जो बताती हैं कि वह भारत के लिए फुटबॉल खेलना चाहती हैं. इसके बावजूद वो आर्मी पर पत्थरबाजी क्यों कर रही थीं. ऐसी क्या थी नराजगी... आइए आपको बताते हैं...

क्या है पीछे की कहानी

पुलवामा डिग्री कॉलेज के पास कुछ लड़किया वहां से गुजर रही थीं. जो फुटबॉल ग्राउंड में प्रैक्टिस करने जा रही थीं. कोच अफशां के साथ 20 फुटबॉल खिलाड़ी वहां मौजूद थीं. अफशां कश्मीर की पहली महिला फुटबॉल कोच हैं. अफशां गवर्नमेंट वीमिंज कॉलेज में बीए सेकेंड ईयर की स्टूडेंट भी हैं.

उनकी टीम में कोठी बाग के गवर्नमेंट हायर सेकंडरी स्कूल की 20 लड़कियां हैं. सोमवार को जब वे प्रैक्टिस के लिए मैदान में पहुंचने वाली थीं, वहां कुछ जवान वहां खड़े थे. उनको लगा कि ये लड़कियां पत्थरबाजी की फिराक में यहां आई हैं.

लड़कियां भी डरी हुई थीं. जैसे ही आर्मी के जवान पास आए तो वह सहम गईं. कोच ने कहा कि जवान आया और एक स्टूडेंट को थप्पड़ जड़ दिया. इसपर हमें गुस्सा आ गया. मैं उस लड़की का साथ देना चाहती थी और हम सबने पत्थरबाजी करनी शुरू कर दी.'

कश्मीर में पत्थरबाजी करते हुए आपने लड़कों की तस्वीरें देखी होंगी. लेकिन, कुछ दिन पहले ऐसी तस्वीर आई जो काफी शॉकिंग थी. कश्मीर के पुलवामा डिग्री कॉलेज की लड़कियों ने जब जवानों पर पत्थरबाजी की.

कश्मीर में खराब हालात को देखते हुए सरकार ने कॉलेज और स्कूल बंद रखे थे. सोमवार को जब हफ्ते भर की बंदी के बाद कश्मीर घाटी के स्कूल और कॉलेज दोबारा खुले तो सड़कों पर एक अलग ही तरह का नजारा देखने को मिला. कॉलेज खुलते ही फिर पत्थरबाजी शुरू हो गई.

आपको बता दें, जिन लड़कियों ने पत्थरबाजी की उनमें फुटबॉल खिलाड़ी भी थीं. जो बताती हैं कि वह भारत के लिए फुटबॉल खेलना चाहती हैं. इसके बावजूद वो आर्मी पर पत्थरबाजी क्यों कर रही थीं. ऐसी क्या थी नराजगी... आइए आपको बताते हैं...

क्या है पीछे की कहानी

पुलवामा डिग्री कॉलेज के पास कुछ लड़किया वहां से गुजर रही थीं. जो फुटबॉल ग्राउंड में प्रैक्टिस करने जा रही थीं. कोच अफशां के साथ 20 फुटबॉल खिलाड़ी वहां मौजूद थीं. अफशां कश्मीर की पहली महिला फुटबॉल कोच हैं. अफशां गवर्नमेंट वीमिंज कॉलेज में बीए सेकेंड ईयर की स्टूडेंट भी हैं.

उनकी टीम में कोठी बाग के गवर्नमेंट हायर सेकंडरी स्कूल की 20 लड़कियां हैं. सोमवार को जब वे प्रैक्टिस के लिए मैदान में पहुंचने वाली थीं, वहां कुछ जवान वहां खड़े थे. उनको लगा कि ये लड़कियां पत्थरबाजी की फिराक में यहां आई हैं.

लड़कियां भी डरी हुई थीं. जैसे ही आर्मी के जवान पास आए तो वह सहम गईं. कोच ने कहा कि जवान आया और एक स्टूडेंट को थप्पड़ जड़ दिया. इसपर हमें गुस्सा आ गया. मैं उस लड़की का साथ देना चाहती थी और हम सबने पत्थरबाजी करनी शुरू कर दी.'

पुलिस बोली- लड़कियों ने की थी पत्थरबाजी

पुलिस ने कहा कि सड़क पर खड़ी लड़कियों ने सोचा कि पुलिस पीछे हट चुकी है और कोई कार्रवाई नहीं करेगी. फिर उन्होंने पत्थरबाजी शुरू कर दी. पुलिस ने तक कहा कि उन्होंने लड़कियों पर कोई कार्रवाई नहीं की और लड़कियां उन पत्थर से हमला करती रहीं. ये बात तो पुलिस ने बताई... लेकिन जैसा कश्मीरी लड़कियों ने बताया कि जवान ने उनको थप्पड़ मारा था क्या वो गलत है ? ये कहना मुश्किल है क्योंकि दोनों की बातें अलग हैं और कहना मुश्किल...

लड़की बोली- महिलाओं के रक्त से मिलेगी आजादी

जिस लड़की ने थप्पड़ मारने का आरोप पुलिस और सेना पर लगाया है. उसने बताया कि- 'मैंने एक वीडियो देखा है जहां सेना के जवान एक महिला को बेदर्दी से पीट रहे हैं. जिसको देखकर मुझे इनसे काफी डर और नफरत से हो गई. मैं आगे भी पत्थर फेंकने के लिए तैयार हूं.'

वहीं उसी की एक दोस्त का कहना है- 'मुझे पुलिस, सीआरपीएफ और आर्मी से डर है. मैं आगे भी पत्थर फेंकूंगी'. वहीं उसी की एक दोस्त ने कहा- 'लड़कों के खून से आजादी नहीं मिली, शायद अब लड़कियों के खून से आजादी मिलेगी. मेरे कुछ दोस्तों ने यही सोचकर पत्थरबाजी की'

वहीं कोच अफशां का कहना है कि उनके दिमाग में ये साफ है कि वो भारत के साथ ही रहना चाहती हैं और उनकी ये कोशिश भी है कि जो लड़कियां ये गलत सोच लेकर पत्थर फेंक रही हैं वो ग्राउंड पर उतरकर प्रैक्टिस करें और देश के लिए खेलें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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