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पत्थरबाजों की खैर नहीं ! मोदी नहीं उनके 'गुरू' करेंगे काम तमाम

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 24 अप्रिल, 2017 08:04 PM
  • 24 अप्रिल, 2017 08:04 PM
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मोदी सरकार ने पत्थरबाजों को सबक सिखाने के लिए 3 प्लान तैयार किए हैं. पैलेट गन और इंटरनेट सेवा बंद करने के बाद अब तीसरा प्लान की तैयारी कर रही है सरकार...

मोदी सरकार ने पत्थरबाजों को सबक सिखाने के लिए 3 प्लान तैयार किए हैं. पहला तो पत्थरबाजों पर काबू पाने के लिए पैलेट गन की जगह रबर बुलेट का इस्तेमाल, दूसरा कश्मीर में इंटरनेट सेवा बंद और तीसरा अटल की कश्मीर नीति.... इन तीन प्लान से मोदी सरकार कश्मीर में बिगड़े हालात ठीक करना चाह रही है.

पहले दो प्लान तो मोदी सरकार के हिट हुए क्योंकि रबर बुलेट से पत्थरबाज डर गए हैं तो वहीं इंटरनेट बंद करके पत्थरबाजों के दरवाजे बंद कर दिए हैं. जी हां, आइए जानते हैं कैसे...

इंटरनेट सेवा बंद का दिखा असर

कश्मीर में इंटरनेट सेवा को बंद करने के बाद जवानों पर पत्थरबाजी की वारदातों में कमी आई है. घाटी में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में बाधा डालने और जवानों पर पत्थरबाजी के लिए युवाओं को वॉट्सएप ग्रुप के जरिए उकसाया जाता था. यही नहीं 300 वॉट्सएप ग्रुप रेल पटरियों से पत्थर जमा इकट्ठा करने का काम करते थे. प्रत्येक ग्रुप में 250 पत्थरबाज होते थे जो पत्थरों का ढेर लगाते थे.

अब इनमें से 90 फीसदी से ज्यादा वॉट्सएप ग्रुप बंद हो गए हैं. इसका नतीजा शनिवार को बडगाम में आतंकी मुठभेड़ में सामने आया है. जहां मुठभेड़ में कोई पत्थरबाज बाहर नहीं निकला. नहीं तो, घाटी में सेना की आतंकियों से मुठभेड़ को बाधित करने के दौरान पत्थरबाज अपनी गतिविधियों को शुरू कर देते थे.

पत्थरबाजों से निपटने के लिए प्लास्टिक बुलेट

कश्मीर घाटी में पत्थरबाजों से निपटने के लिए अब प्लास्टिक बुलेट्स यानी रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया जाएगा. मंत्रालय ने सुरक्षाबलों से कहा है कि पेलेट गन का इस्तेमाल...

मोदी सरकार ने पत्थरबाजों को सबक सिखाने के लिए 3 प्लान तैयार किए हैं. पहला तो पत्थरबाजों पर काबू पाने के लिए पैलेट गन की जगह रबर बुलेट का इस्तेमाल, दूसरा कश्मीर में इंटरनेट सेवा बंद और तीसरा अटल की कश्मीर नीति.... इन तीन प्लान से मोदी सरकार कश्मीर में बिगड़े हालात ठीक करना चाह रही है.

पहले दो प्लान तो मोदी सरकार के हिट हुए क्योंकि रबर बुलेट से पत्थरबाज डर गए हैं तो वहीं इंटरनेट बंद करके पत्थरबाजों के दरवाजे बंद कर दिए हैं. जी हां, आइए जानते हैं कैसे...

इंटरनेट सेवा बंद का दिखा असर

कश्मीर में इंटरनेट सेवा को बंद करने के बाद जवानों पर पत्थरबाजी की वारदातों में कमी आई है. घाटी में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में बाधा डालने और जवानों पर पत्थरबाजी के लिए युवाओं को वॉट्सएप ग्रुप के जरिए उकसाया जाता था. यही नहीं 300 वॉट्सएप ग्रुप रेल पटरियों से पत्थर जमा इकट्ठा करने का काम करते थे. प्रत्येक ग्रुप में 250 पत्थरबाज होते थे जो पत्थरों का ढेर लगाते थे.

अब इनमें से 90 फीसदी से ज्यादा वॉट्सएप ग्रुप बंद हो गए हैं. इसका नतीजा शनिवार को बडगाम में आतंकी मुठभेड़ में सामने आया है. जहां मुठभेड़ में कोई पत्थरबाज बाहर नहीं निकला. नहीं तो, घाटी में सेना की आतंकियों से मुठभेड़ को बाधित करने के दौरान पत्थरबाज अपनी गतिविधियों को शुरू कर देते थे.

पत्थरबाजों से निपटने के लिए प्लास्टिक बुलेट

कश्मीर घाटी में पत्थरबाजों से निपटने के लिए अब प्लास्टिक बुलेट्स यानी रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया जाएगा. मंत्रालय ने सुरक्षाबलों से कहा है कि पेलेट गन का इस्तेमाल अंतिम उपाय के रूप में किया जाए. बता दें, पेलेट गन्स की वजह से कश्मीर में सैकडों लोग अपनी आंखों की रोशनी गंवा चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट भी इसका विकल्प तलाशने को कह चुका है. बताया गया कि प्लास्टिक की बुलेट्स शरीर में नहीं धंसती हैं. इन्हें इंसास राइफल्स से फायर किया जाता है.

पानी की बौछार कामयाब नहीं

भीड़ पर नियंत्रण पाने के लिए जवानों ने पानी की बौछार, लेजर रोशनी से आंखों पर तेज रोशनी डालना और तेज शोर करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल भी किया था, लेकिन वो असरदार साबित नहीं हुए.

महबूबा को याद आए पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पीएम मोदी से मुलाकात की. मुलाकात के बाद जब वो बाहर आईं तो उन्होंने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया. उन्होंने कहा कश्मीर समस्या का हल वाजपेयी के रास्ते पर चलकर ही निकल सकता है। कश्मीर के मामले में बार-बार वाजपेयी के फार्मूले की बात होती है.

क्या है वाजपेयी फॉर्मूला

अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर समस्या के हल के लिए बातचीत को सबसे उपयुक्त माध्यम बताया था. उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र, मानवता और कश्मीरियत को बचाने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा.' अटल बिहारी वाजपेयी कश्मीर समस्या का हल इंसानियत, जम्‍हूरियत और कश्‍मीरियत के रास्ते पर चलते हुए करना चाहते थे. पीएम मोदी की ओर से उनकी इसी नीति का कई बार अपने भाषणों में जिक्र किया गया.

इंटरनेट सेवा बंद करने के बाद पत्थरबाजों पर थोड़ी बहुत लगाम लगाने में सफल तो हो गए हैं, लेकिन आगे कभी भी कुछ भी हो सकता है ऐसे में मोदी सरकार के पास अटल नीती एक ऑप्शन बचता है जिसका कश्मीरी भी सपोर्ट करते हैं. अब ये देखने वाली बात होगी कि आगे क्या होगा.

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पत्थरबाजों का उपचार पत्थर से ही संभव

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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