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पाक की नापाक बर्बरता: क्या पाकिस्तान का आखिरी इलाज युद्ध ही है?

    • जगत सिंह
    • Updated: 30 अक्टूबर, 2016 09:19 AM
  • 30 अक्टूबर, 2016 09:19 AM
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एक बार फिर पाकिस्तान की तरफ से हेमराज हत्याकांड को दोहराया गया है और एक सैनिक के शव को क्षत-विक्षत कर दिया. क्या अब पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए युद्ध ही एक रास्ता बचा है?

वर्ष 2016 में अक्टूबर  28,  तक 74 भारतीय सैनिक शहीद हो चुके हैं . गौरतलब है कि एक बार फिर से पाकिस्तान की ओर से हेमराज कांड दोहराया गया. यह सर्वविदित है कि वर्ष 2013 में भी पाक आतंकियों ने कश्मीर के मेंढर सेक्टर में एक शहीद जवान कंस नायक हेमराज सिंह का सर काट दिया था और दूसरे शहीद के शव को क्षत-विक्षत किया गया था.

बार-बार मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान बाज नहीं आ रहा है. पाकिस्तान के कुपवाड़ा जिले के माछिल सेक्टर में  पाक आतंकियों ने पाकिस्तानी सेना के साथ  मिलकर  एक भारतीय जवान की हत्या कर जवान के शव के साथ बर्बरता की.  भारतीय सेना के मुताबिक हमले के वक्त पाकिस्तानी सेना कवर फायरिंग से आतंकियों की मदद कर रही थी.

अचानक हुए हमले की जवाबी कार्रवाई में लोहा लेते हुए सेना के जांबाज जवान मनदीप सिंह और नितिन सुभाष शहीद हो गए. पाकिस्तानी सेना की कवर फायरिंग का फायदा उठाकर आतंकी शहीद मनदीप के शव तक पहुंच गए और उनके शव के साथ बर्बरता करते हुए वापस पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में भाग गए. हालांकि इस दौरान एक आतंकवादी को भारतीय सेना ने मार गिराया.

ये भी पढ़ें- आखिर क्या बदला सर्जिकल स्ट्राइक के बाद

यह घटना ठीक उसी दिन हुई है जब बीएसएफ ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से लगातार संघर्षविराम की घटनाओं के जवाब में की गई फायरिंग में 15 पाकिस्तानी जवान मारे गए. इस कार्रवाई में पाकिस्तानी सेना के बॉर्डर एक्शन टीम का हाथ माना जा रहा है. इस बर्बरता का भारतीय सेना ने बदला लेने की भी बात की है.

वर्ष 2016 में अक्टूबर  28,  तक 74 भारतीय सैनिक शहीद हो चुके हैं . गौरतलब है कि एक बार फिर से पाकिस्तान की ओर से हेमराज कांड दोहराया गया. यह सर्वविदित है कि वर्ष 2013 में भी पाक आतंकियों ने कश्मीर के मेंढर सेक्टर में एक शहीद जवान कंस नायक हेमराज सिंह का सर काट दिया था और दूसरे शहीद के शव को क्षत-विक्षत किया गया था.

बार-बार मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान बाज नहीं आ रहा है. पाकिस्तान के कुपवाड़ा जिले के माछिल सेक्टर में  पाक आतंकियों ने पाकिस्तानी सेना के साथ  मिलकर  एक भारतीय जवान की हत्या कर जवान के शव के साथ बर्बरता की.  भारतीय सेना के मुताबिक हमले के वक्त पाकिस्तानी सेना कवर फायरिंग से आतंकियों की मदद कर रही थी.

अचानक हुए हमले की जवाबी कार्रवाई में लोहा लेते हुए सेना के जांबाज जवान मनदीप सिंह और नितिन सुभाष शहीद हो गए. पाकिस्तानी सेना की कवर फायरिंग का फायदा उठाकर आतंकी शहीद मनदीप के शव तक पहुंच गए और उनके शव के साथ बर्बरता करते हुए वापस पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में भाग गए. हालांकि इस दौरान एक आतंकवादी को भारतीय सेना ने मार गिराया.

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यह घटना ठीक उसी दिन हुई है जब बीएसएफ ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से लगातार संघर्षविराम की घटनाओं के जवाब में की गई फायरिंग में 15 पाकिस्तानी जवान मारे गए. इस कार्रवाई में पाकिस्तानी सेना के बॉर्डर एक्शन टीम का हाथ माना जा रहा है. इस बर्बरता का भारतीय सेना ने बदला लेने की भी बात की है.

 सांकेतिक फोटो

क्या युद्ध ही पाकिस्तान का इलाज है?

जिस तरह से पाकिस्तान लगातार फायरिंग कर रहा है उससे लग रहा है कि सिर्फ युद्ध ही पाकिस्तान का इलाज है क्योंकि पाकिस्तान न सुधरने की अपनी इतिहास दोहरा रहा है.

पीओके में भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से बौखलाया पाकिस्तान हर दिन संघर्ष विराम तोड़ रहा है और जानबूझकर रिहायशी इलाकों में गोलाबारी कर रहा है. इसमें युद्ध वाले हथियार इस्तेमाल किए जा रहे हैं. आलम ये है कि सीमा के पास के लोग सुरक्षित ठिकानों पर जाने लगे हैं और पाकिस्तान जानबूझकर युद्ध जैसे हालात पैदा कर रहा है.

शहीद मनदीप की पत्नी प्रेरणा ने बिलखते हुए कहा है कि पाकिस्तान को अब सरकार और सेना अच्छी तरह सबक सिखाए. उन्होंने कहा कि पूरे पाकिस्तान को ही अब खत्म कर देना चाहिए.

मनदीप सिंह के अलावा इन शहीदों का शव भी क्षत-विक्षत किया गया था -

हालांकि यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान ने भारतीय शहीद सैनिकों के शव क्षत-विक्षत किए गए हों.

शहीद हेमराज सिंह का मामला:  8 जनवरी 2013 को पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम और आतंकवादियों के दल ने पुंछ सीमा में दाखिल होकर लांसनायक हेमराज सिंह और सुधाकर सिंह की नृशंस हत्या कर दी थी. लौटते समय पाकिस्तानी सैनिक हेमराज का सिर भी साथ ले गए थे.

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शहीद जयपाल सिंह और देवेंदर सिंह: 30 जुलाई 2011 को पाकिस्तान की तरफ से कुपवाड़ा के गुगालदार चोटी पर किए गए हमले में राजपूत और कुमाऊं रेजिमेंट के 6 जवान शहीद हुए थे. हमला करने वाला दल 20 कुमाऊं के हवलदार जयपाल सिंह और लांस नायक देवेंदर सिंह का सिर अपने साथ लेकर चले गए थे.

रास्ता भूले जवान का मामला:  जून 2008 में  गोरखा राइफल का एक जवान अपना रास्ता भूल गया था. इस जवान को पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम ने केल सेक्टर में पकड़ लिया था और कुछ दिन बाद शहीद जवान का शरीर बिना सिर के मिला था.

शहीद सौरभ कालिया का मामला:  करगिल में घुसपैठ के दौरान 5 मई 1999 को कैप्टन सौरभ कालिया और उनके 5 साथियों को पाकिस्तानी फौजियों ने बंदी बना लिया था. जब 20 दिन बाद इन जवानों के शव सीमा पार से वापस आए तब पाकिस्तानी फौजियों की बर्बरता की कहानी सामने आई  थी.

ये सारी घटनाएं ये दिखाती है कि पाकिस्तान में आधिकारिक और अनाधिकारिक संगठन कितने बर्बर हैं और लगता है कि अब पाकिस्तान को शबक सिखाने का समय आ चुका है.  

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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