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इन 7 तरीकों से फिर भी सफेद होता रहेगा काला धन

    • अरिंदम डे
    • Updated: 17 नवम्बर, 2016 03:37 PM
  • 17 नवम्बर, 2016 03:37 PM
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सरकार काले धन से निपटने के लिए कितनी ही कोशिश कर ले, लेकिन ऐसे कई तरीके हैं जिनसे काले धन को आसानी से सफेद किया जा रहा है और आगे भी किया जाता रहेगा.

अपने अकाउंट में डालें

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि काले धन पर जुर्माना होगा लेकिन यह 200 % जुर्माना करना आसान नहीं होगा. कोई भी 33% टैक्स अदा करके अपने अकाउंट में पैसा जमा कर सकता है. उसको काला धन साबित करने की जिम्मेदारी सरकार की होगी. उनको साबित करना पड़ेगा कि यह पैसा आप ने इसी साल नहीं कमाया.

कृषि से आमदनी

इस पर टैक्स नहीं लगता है. कोई भी अलग धनराशि कृषि कार्य से प्राप्त धन के रूप में दिखाया जा सकता है. यह साबित करना बेहद कठिन होगा कि जो पैसा जमा किया गया है वह कृषि कार्य से नहीं आया. कई अर्थशास्त्रियों ने ये कहा है कि इस साल कृषि आमदनी में बहुत बढ़ोत्तरी होगी- चाहे फसल अच्छी हो या नहीं.

राजनितिक दल को चंदा

राजनितिक दल 20,000 रुपए तक बगैर कोई सबूत के डोनेशन ले सकते हैं. बाद में वह पुराने करेंसी को नए में बदल सकेंगे. दरअसल, पार्टियों के लिए ये मनी लॉड्रिंग का बेहद आसान मौका दिखाई देता है. जब तक पार्टियों के डोनेशन लेने पर कोई पारदर्शी नियमावली न हो तब तक या रास्ता हमेशा खुला रहेगा.

ये भी पढ़ें- 5 बातें जो मोदी के फैसले पर शक पैदा करती हैं

इन जगहों पर भी सरकार को रखनी होगी पैनी...

अपने अकाउंट में डालें

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि काले धन पर जुर्माना होगा लेकिन यह 200 % जुर्माना करना आसान नहीं होगा. कोई भी 33% टैक्स अदा करके अपने अकाउंट में पैसा जमा कर सकता है. उसको काला धन साबित करने की जिम्मेदारी सरकार की होगी. उनको साबित करना पड़ेगा कि यह पैसा आप ने इसी साल नहीं कमाया.

कृषि से आमदनी

इस पर टैक्स नहीं लगता है. कोई भी अलग धनराशि कृषि कार्य से प्राप्त धन के रूप में दिखाया जा सकता है. यह साबित करना बेहद कठिन होगा कि जो पैसा जमा किया गया है वह कृषि कार्य से नहीं आया. कई अर्थशास्त्रियों ने ये कहा है कि इस साल कृषि आमदनी में बहुत बढ़ोत्तरी होगी- चाहे फसल अच्छी हो या नहीं.

राजनितिक दल को चंदा

राजनितिक दल 20,000 रुपए तक बगैर कोई सबूत के डोनेशन ले सकते हैं. बाद में वह पुराने करेंसी को नए में बदल सकेंगे. दरअसल, पार्टियों के लिए ये मनी लॉड्रिंग का बेहद आसान मौका दिखाई देता है. जब तक पार्टियों के डोनेशन लेने पर कोई पारदर्शी नियमावली न हो तब तक या रास्ता हमेशा खुला रहेगा.

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इन जगहों पर भी सरकार को रखनी होगी पैनी नजर

मनी लॉड्रिंग कंपनियां

साधारणतः चार्टर्ड एकाउंटेंट्स द्वारा बनाई गयी ये कंपनियां कोलकाता में 'जमा-खर्ची' फर्म और मुम्बई में 'पाड़-पेड़ी' के नाम से जानी जाती हैं. काले धन को सफेद करने के लिए इनके द्वारा बहुत सारे हथकंडे अपनाये जाते हैं. एक तरीका है हाईवे ट्रांसपोर्ट बिजनेस. यहां लगभग सारा लेन-देन कैश में होता है और इसी का लाभ उठाते हुए ये कंपनियां बैक-डेटेड कच्ची रसीद से काले धन को सफेद करती हैं. आसार हैं कि ऐसी कम्पनियां 30 दिसम्बर तक काफी व्यस्त रहेंगी.

रेलवे टिकट बुकिंग और कैंसलेशन

दिल्ली में रोजाना करीब 2000 एसी क्लास के टिकट बुक किए जाते हैं. प्रधानमंत्री मोदी जी के भाषण के 24 घंटे के आस-पास 27,000 टिकट बुक किये गए थे. हालांकि इसके बाद सरकार ने यह कहा है कि टिकट रिफंड ऑनलाइन ट्रांसफर या चेक से किया जायेगा लेकिन इसके बावजूद बुकिंग एजेंट काफी काला धन सफेद कर पाएंगे. देखना है कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है.

ये भी पढ़ें- काले धन को लेकर कुछ सुझाव मोदी के काम आ सकते हैं

एडवांस सैलरी

कई कंपनियों ने अपने यहां काम करने वालों को 3 से 8 महीने की सैलरी एडवांस में दे दी है. रिपोर्ट यह आई है कि देश के कई हिस्सों में कई कम्पनियां फर्जी सैलरी अकाउंट खुलवा कर उसमें पैसा जमा कर रही हैं. इस पर भी इनकम टैक्स वालों की नजर पड़ना जरूरी है.

मंदिरों में दान

दान पेटियों में करोड़ों रपए डाले जा रहे हैं. एक न्यूज चैनल ने तो स्टिंग ऑपरेशन करके यह तक दिखा दिया कि महंत और पुजारी 50 लाख तक काले धन को सफेद करने का आश्वासन दे रहे हैं- सिर्फ 20% कमीशन पर.

इसके इलावा जन-धन अकाउंट में कैश जमा करने की कोशिश का खेल चल ही रहा है. कोऑपरेटिव बैंकों में बैक-डेटेड फिक्स्ड डिपाजिट किया जा रहा होगा. सरकार को चाहिए कि इन सब बेनामी रास्तों पर कड़ी नजर बनाए रखे और उचित करवाई करे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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