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गुजरात के सहकारी बैंक ही तोड़ रहे मोदी सरकार का सपना!

    • गोपी मनियार
    • Updated: 15 नवम्बर, 2016 08:15 PM
  • 15 नवम्बर, 2016 08:15 PM
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नोटबंदी के फैसले को सार्वजनिक करने के बाद से ही गुजरात के सहकारी बैंकों में पिछले 5 दिनों में कुछ ऐसा हुआ कि रिजर्व बैंक को जांच करवानी पड़ रही है. जो पैसा आया है क्या वो गरीब किसानों का है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालाधन दूर करने के लिए जहां एक तरफ 500 और 1000 के नोट बंद करने का फैसला लिया है वहीं, गुजरात में मोदी का ये सपना खुद यहां के राजनेता ही चकनाचूर कर रहे हैं. अहमदाबाद के बाद अब सौराष्ट्र के जिला बैंकों में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका रिजर्व बैंक जाता रहा है. रिजर्व बैंक ने पुराने नोट के बदले में नए नोट बदलने की सत्ता फिलहाल सहकारी बैंक से छीन ली है. दरअसल, कारण ये है कि पिछले पांच दिन में करोड़ों रुपए के शंकास्पद ट्रांजैक्शन सौराष्ट्र के जिला बैंक और सहकारी बैंकों से हुए हैं.

ये भी पढ़ें- सेल्फी लेने के बाद क्‍या काम आएगा 2000 का नोट !

सौराष्ट्र के राजकोट जिला बैंक, अमरेली जिला बैंक और मोरबी जिला बैंक में पिछले पांच दिनों में कुल 1100 करोड़ रुपए जमा हुए हैं. इसकी जांच शुरु हो चुकी है. सौराष्ट्र के जूनागढ़, जामनगर, सुरेंद्रनगर, भावनगर, सहित अन्य कई बैंकों के आंकड़े सामने नहीं आए हैं. गुजरात के ज्यादातर बड़े सहकारी बैंक भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं की अध्यक्षता में चल रहे हैं.

सांकेतिक फोटो.

ऐसे में मोरबी जिला बैंक में पिछले 5 दिनों में 250 करोड़ रुपए जमा हुए हैं, जबकि राजकोट जिला सहकारी बैंक में 680 करोड़ रुपए आए हैं. इसके अलावा, बनास डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक में 260 करोड़ रुपए, अमरेली जिला सहकारी बैंक में पांच दिन में 149 करोड़ रुपए जमा हुए.  राजकोट जिला सहकारी बैंक के अध्य़क्ष, बीजेपी के सांसद और सौराष्ट्र के नेता विठ्ठल रादड़िया हैं, जबकि अमरेली जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन भाजपा के नेता और NAFSCOB के चेयरमैन दिलीप संधानी हैं. बनास डिस्ट्रिक्ट को-ओपरेटिव बैंक के चेयरमैन गुजरात सरकार के मंत्री शंकर चौधरी हैं. इन सभी में रिजर्व बैंक ने पुराने नोट बदलने प्रतिबंद...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालाधन दूर करने के लिए जहां एक तरफ 500 और 1000 के नोट बंद करने का फैसला लिया है वहीं, गुजरात में मोदी का ये सपना खुद यहां के राजनेता ही चकनाचूर कर रहे हैं. अहमदाबाद के बाद अब सौराष्ट्र के जिला बैंकों में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका रिजर्व बैंक जाता रहा है. रिजर्व बैंक ने पुराने नोट के बदले में नए नोट बदलने की सत्ता फिलहाल सहकारी बैंक से छीन ली है. दरअसल, कारण ये है कि पिछले पांच दिन में करोड़ों रुपए के शंकास्पद ट्रांजैक्शन सौराष्ट्र के जिला बैंक और सहकारी बैंकों से हुए हैं.

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सौराष्ट्र के राजकोट जिला बैंक, अमरेली जिला बैंक और मोरबी जिला बैंक में पिछले पांच दिनों में कुल 1100 करोड़ रुपए जमा हुए हैं. इसकी जांच शुरु हो चुकी है. सौराष्ट्र के जूनागढ़, जामनगर, सुरेंद्रनगर, भावनगर, सहित अन्य कई बैंकों के आंकड़े सामने नहीं आए हैं. गुजरात के ज्यादातर बड़े सहकारी बैंक भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं की अध्यक्षता में चल रहे हैं.

सांकेतिक फोटो.

ऐसे में मोरबी जिला बैंक में पिछले 5 दिनों में 250 करोड़ रुपए जमा हुए हैं, जबकि राजकोट जिला सहकारी बैंक में 680 करोड़ रुपए आए हैं. इसके अलावा, बनास डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक में 260 करोड़ रुपए, अमरेली जिला सहकारी बैंक में पांच दिन में 149 करोड़ रुपए जमा हुए.  राजकोट जिला सहकारी बैंक के अध्य़क्ष, बीजेपी के सांसद और सौराष्ट्र के नेता विठ्ठल रादड़िया हैं, जबकि अमरेली जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन भाजपा के नेता और NAFSCOB के चेयरमैन दिलीप संधानी हैं. बनास डिस्ट्रिक्ट को-ओपरेटिव बैंक के चेयरमैन गुजरात सरकार के मंत्री शंकर चौधरी हैं. इन सभी में रिजर्व बैंक ने पुराने नोट बदलने प्रतिबंद लगा दिया है.

ये भी पढ़ें- हमें हजम क्यों नहीं हो रहा मोदी का यह फैसला ?

बीजेपी के सांसद विठ्ठल रादड़िया ने आज इस मामले में बयान देते हुए कहा कि अगर सहकारी बैंक पर आरबीआई का प्रतिबंद नहीं हटाया गया तो आरबीआई के इस फैसले को वो कोर्ट में चुनौती देंगे. आरबीआई के इस फैसले से ग्रामीण अर्थतंत्र और किसानों पर भारी असर पड़ रहा है सभी किसानों का खाता डिस्ट्रिक्ट बैंक में है ऐसे में किसान काफी परेशान हैं, अगर आरबीआई को कहीं शक है तो वो अपने अधिकारी को सहकारी बैंक में बैठा सकते हैं.

गौरतलब है कि गुजरात में अगर बड़े सहकारी बैंको को देखें तो हर एक बैंक में राजनेता या किसी पार्टी के लोग ही अध्यक्ष पद पर बैठे हैं. मसलन राजकोट डिस्ट्रिक्ट सहकारी बैंक में बीजेपी के सांसद विठ्ठल रादड़िया, सुरेंद्रनगर जिला सहकारी बैंक में भाजपा नेता हरदेवसिंह, भावनगर जिला सहकारी बैंक में गुजरात सरकार के मंत्री नानुभाई वानानी, जूनागढ़ जिला सहकारी बैंक में बीजेपी के नेता जसा बारड़, अमरेली जिला सहकारी बैंक में दिलीप संधानी, अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और अजय पटेल, वड़ोदरा जिला सहकारी बैंक में भाजपा नेता अतुल पटेल, सुरत जिला सहकारी बैंक में कांग्रेस के नरेश पटेल,  भरुच जिला सहकारी बैंक में भाजपा नेता अरुणसिंह राणा,  कच्छ जिला सहकारी बैंक में भाजपा नेता देवराज गढ़वी और बनास जिला सहकारी बैंक में गुजरात सरकार के मंत्री शंकर चौधरी हैं.

ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या गुजरात के सहकारी बैंक ही मोदी का सपना तोड़ रहे हैं. ये सभी आंकड़े देखें तो लगता है कि कहीं कुछ तो गड़बड़ है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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