• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

मैं नहीं करती करवा चौथ का व्रत, मुझे बख्श दो!

    • बबिता पंत
    • Updated: 19 अक्टूबर, 2016 07:01 PM
  • 19 अक्टूबर, 2016 07:01 PM
offline
व्रत रखने से पति की उम्र लंबी होती है तो साल भर रखने से तो वो अमर हो जाएंगे. तो फिर 365 दिन व्रत रखने के बारे में उनके क्या विचार हैं?

रोज की तरह आज सुबह भी मुझे ऑफिस जाने की जल्दी थी. सब कुछ सामान्य था. मैं सब काम वैसे ही जल्दी-जल्दी निपटा रही थी जैसे कि रोज उठकर ऑफिस जाने से पहले करती हूं. पहले अपनी एक साल की बेटी को तैयार किया और फिर खुद अपनी फेवरेट जींस और कुर्ता पहनकर तैयार हो गई. अपना लैपटॉप बैग पीठ पर टांगा, बेटी को गोद में उठाया और उसका बैग दाहिने हाथ में पकड़कर घर से बाहर निकली. बिल्ड‍िंग की सीढ़ियां उतर ही रही थी कि पड़ोस में रहने वाली कुछ उम्रदराज़ महिलाओं की चहकती आंखें अचानक मुझे घूरने लगी. मुझे थोड़ा अजीब लगा लेकिन ध्यान देने का समय नहीं था.

ऑटो लेने के लिए सोसाइटी के गेट तक पैदल जाना था. करीब 50 मीटर की दूरी पर ऑटो स्टैंड था. धूप तेज थी और मैं बड़े-बड़े कदम लेकर आगे बढ़ने लगी. दूर से ही गेट पर मुझे तीन-चार गार्ड और पड़ोस के कुछ लोग नजर आ रहे थे. गेट के पास पहुंचते ही मुझे ऐसा लगा कि हर कोई मुझे ही देख रहा है. मैं मन ही मन सोचने लगी कि कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं है? मेरे कपड़े तो ठीक हैं न? कहीं मैंने कुर्ता उल्टा तो नहीं पहन लिया? कहीं बैग की चेन तो नहीं खुली हुई है? बेटी को तो सही से पकड़ा है न? वगैरह, वगैरह... ये सब सोच ही रही थी कि मैंने ऑटो वाले को इशारा करके बुलाया. ऑटो वाला जैसे ही नजदीक आया वो भी मुझे घूरने लगा. अब मुझसे रहा नहीं गया. मैंने पूछ ही लिया, क्या बात है? कोई प्रॉब्लम है क्या? मेरी आवाज में तल्खी थी. ऑटो वाला थोड़ा सा घबराकर बोला, 'नहीं, मैडम. कुछ नहीं. आप बताओ कहां जाना है?' मैंने कहा, 'पहले बेटी को क्रेच छोड़ना और फिर ऑफिस.'

ये भी पढ़ें- एक वर्किंग वुमन कैसे रखे करवाचौथ ?

ऑटो वाले ने देरी किए बिना मुझे क्रेच छोड़ दिया. अंदर घुसते ही देखा कि क्रेच की तमाम महिलाएं सजी-धजी नजर आ रही थीं. मांग में सिंदूर, माथे पर...

रोज की तरह आज सुबह भी मुझे ऑफिस जाने की जल्दी थी. सब कुछ सामान्य था. मैं सब काम वैसे ही जल्दी-जल्दी निपटा रही थी जैसे कि रोज उठकर ऑफिस जाने से पहले करती हूं. पहले अपनी एक साल की बेटी को तैयार किया और फिर खुद अपनी फेवरेट जींस और कुर्ता पहनकर तैयार हो गई. अपना लैपटॉप बैग पीठ पर टांगा, बेटी को गोद में उठाया और उसका बैग दाहिने हाथ में पकड़कर घर से बाहर निकली. बिल्ड‍िंग की सीढ़ियां उतर ही रही थी कि पड़ोस में रहने वाली कुछ उम्रदराज़ महिलाओं की चहकती आंखें अचानक मुझे घूरने लगी. मुझे थोड़ा अजीब लगा लेकिन ध्यान देने का समय नहीं था.

ऑटो लेने के लिए सोसाइटी के गेट तक पैदल जाना था. करीब 50 मीटर की दूरी पर ऑटो स्टैंड था. धूप तेज थी और मैं बड़े-बड़े कदम लेकर आगे बढ़ने लगी. दूर से ही गेट पर मुझे तीन-चार गार्ड और पड़ोस के कुछ लोग नजर आ रहे थे. गेट के पास पहुंचते ही मुझे ऐसा लगा कि हर कोई मुझे ही देख रहा है. मैं मन ही मन सोचने लगी कि कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं है? मेरे कपड़े तो ठीक हैं न? कहीं मैंने कुर्ता उल्टा तो नहीं पहन लिया? कहीं बैग की चेन तो नहीं खुली हुई है? बेटी को तो सही से पकड़ा है न? वगैरह, वगैरह... ये सब सोच ही रही थी कि मैंने ऑटो वाले को इशारा करके बुलाया. ऑटो वाला जैसे ही नजदीक आया वो भी मुझे घूरने लगा. अब मुझसे रहा नहीं गया. मैंने पूछ ही लिया, क्या बात है? कोई प्रॉब्लम है क्या? मेरी आवाज में तल्खी थी. ऑटो वाला थोड़ा सा घबराकर बोला, 'नहीं, मैडम. कुछ नहीं. आप बताओ कहां जाना है?' मैंने कहा, 'पहले बेटी को क्रेच छोड़ना और फिर ऑफिस.'

ये भी पढ़ें- एक वर्किंग वुमन कैसे रखे करवाचौथ ?

ऑटो वाले ने देरी किए बिना मुझे क्रेच छोड़ दिया. अंदर घुसते ही देखा कि क्रेच की तमाम महिलाएं सजी-धजी नजर आ रही थीं. मांग में सिंदूर, माथे पर बिंदी, गले में मंगल सूत्र, हथेलियों में मेहंदी, कलाइयों में चूड़ियां, पैरों में पायल-बिछिए. तभी वहां की एक टीचर ने आगे बढ़कर मेरी बेटी को गोद लिया और कहने लगी, 'आज शाम जल्दी आ जाइएगा. वो क्या है न आज करवा चौथ है और हम सब का व्रत है.' मैंने कहा, 'ठीक है.' फिर वो टीचर बोलीं, 'वैसे आपको भी तो आज शाम को घर टाइम पर पहुंचना होगा?'. मैंने कहा, 'नहीं, क्यों?' मेरे इस जवाब पर वो हैरान हो गईं और कहने लगीं, 'क्यों आपका व्रत नहीं है क्या?' मैंने कहा, 'नहीं'. मेरी न सुनते ही वहां मौजूद हर किसी का मुंह खुला खुला रह गया. खैर मुझे देर हो रही थी तो मैं गेट से बाहर आकर ऑटो मैं बैठ गई.

अब मुझे समझ आया कि सोसाइटी के लोग मुझे क्यों अजीब तरह से देख रहे थे. खैर, ऑफिस पहुंची तो देखा कि वहां भी करवा चौथ के रंग दिख रहे थे. ज्यादातर लड़कियां और महिलाएं खूब सज-धज कर आईं थीं. लिफ्ट से लेकर फ्लोर तक मुझे जितने भी लोग दिखाई दिए हर कोई मुझे ऊपर से नीचे तक देख रहा था. मैं अपनी सीट पर जाकर काम करने लगी. तभी आसपास बैठे लोगों ने पूछा, 'आज तो व्रत होगा?' मैंने कहा, 'नहीं'. इसके बाद तो जो भी मिला हर कोई यही पूछने लगा' 'व्रत है न?' जो भी मेरे मुंह से न सुनता वो मुझे ऐसे देखता जैसे मैंने कोई पाप कर दिया हो.

ये भी पढ़ें- पति परमेश्वर...अपने बुढ़ापे के सहारे के लिए पत्नी की उम्र नहीं बढ़ाओगे?

किसी ने मुझसे ये भी कह दिया कि अरे आपके पति बुरा नहीं मानते? किसी ने कहा कि अगर व्रत रखने से पति की उम्र लंबी होती है तो इसमें बुराई क्या है? कोई कहने लगा कि ये तो परंपरा है, हम अपने बच्चों को कुछ तो विरासत में देंगे. किसी ने कहा कि घर के बड़े लोग खासकर सासू मां को खुशी मिलती है तो रख लो, क्या जाता है?

करवाचौथ का व्रत न करना कोई पाप नहीं

आज जितने भी लोगों ने करवा चौथ की महिमा पर जो भी ज्ञान दिया उनमें से किसी से भी मैंने कोई बहस नहीं की. वैसे अकसर मैं अपनी बात बहुत मजबूती से रखती हूं. लेकिन पता नहीं क्यों इस बार मुझे किसी से कुछ कहने का मन नहीं किया. मैं उन सभी लोगों से बस यही कहना चाहती हूं कि करवा चौथ में मेरा विश्वास है या नहीं यह मेरी सोच है. व्रत रखना या नहीं रखना मेरा निजी मामला है. मैं जानना चाहती हूं कि अगर व्रत रखूं तो मैं सच्ची जीवन संगिनी और न रखूं तो खुद से प्यार करने वाली एक स्वर्थी स्त्री कैसे हो सकती हूं? यह तो ठीक वैसी ही बात हो गई कि अगर मैंने भारत माता की जय बोला तो मैं सच्ची हिंदुस्तानी नहीं तो गद्दार.

ये भी पढ़ें- देखिए करवाचौथ कैसे बन गया बाजार का त्यौहार

करवा चौथ पर जो महिलाएं व्रत रखती हैं मैं उन्हें कोई ज्ञान नहीं देना चाहती. मैं उन्हें नारीवादी सिद्धांत नहीं समझाना चाहती. मैं उन्हें नहीं बताना चाहती कि ये सब दकियानूसी बातें हैं. मैं उन्हें यह तर्क नहीं देना चाहती कि अगर एक दिन व्रत रखने से पति की उम्र लंबी होती है तो साल भर रखने से तो वो अमर हो जाएंगे. तो फिर 365 दिन व्रत रखने के बारे में उनके क्या विचार हैं? मैं उनकी आस्था का सम्मान और पति के लिए उनके प्यार की कद्र करती हूं. बदले में मैं बस इतना चाहती हूं कि जो करवा चौथ का व्रत नहीं करता या व्रत के प्रताप पर विश्वास नहीं रखता उसे बख्श दिया जाए. उसके सामने अजीबोगरीब सवालों की झड़ी लगाकर या तिरस्कार की नज़रों से देखकर उसे यह मानने पर मजबूर न किया जाए कि तुम तो घोर पापिन हो, पापिन ! कैसी पत्नी हो? पति के लिए एक व्रत भी नहीं रख सकती?

पति के लिए अपना प्यार साबित करने के लिए मुझे व्रत वाला सर्टिफिकेट नहीं चाहिए. मेरे लिए तो अपने जीवन साथी के साथ बुरे से बुरे वक्त में मजबूत स्तंभ बनकर खड़े रहना सच्च प्यार और खुशी के सावन में उसके साथ रोम-रोम तक भीग जाना ही प्यार का महापर्व है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲