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संस्कृति

देखिए करवाचौथ कैसे बन गया बाजार का त्यौहार

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 30 अक्टूबर, 2015 10:14 AM
  • 30 अक्टूबर, 2015 10:14 AM
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ये स्टोरी पढ़ेंगे तो भूल जाएंगे कि करवाचौथ महिलाओं का त्योहार है. अब यह पूरी तरह ब्रांडेड हो गया है. करवाचौथ बाजार का त्योहार है. महिलाओं को व्रत का फल मिले न मिले, बाजार को फायदा नकद है.

पचास-साठ साल पहले तक ये त्यौहार सिर्फ पंजाब और आसपास के इलाकों में मनाया जाता था. लेकिन ग्लोबलाइजेशन के दौर में करवाचौथ तेजी से ट्रेंड बनकर उभरा है. बाजार ने इस त्यौहार से जुड़ी भावनाओं को अच्छी तरह पहचाना और महिलाओं की नब्ज पकड़ी, और देखते ही देखते हमारे त्यौहार, संस्कृति और परंपराओं से निकलकर डिजाइनर बन गए. इस त्यौहार को इतने आलीशान तरीके से मनाने की सीख देने का श्रेय काफी हद तक जाता है हमारी फिल्म इंडस्ट्री को. करवा चौथ कैसे मनाते हैं, ये हमारी जेनरेशन ने दादी-नानी से नहीं, बल्कि यशराज की फिल्मों से ही सीखा है. नए कपड़े, चमचमाते गहने, मेकअप, मेहंदी, किसी में कोई समझौता नहीं, हर चीज 'बेस्‍ट' ही होनी चाहिए. 

कपड़ा बाजार- परंपरा थी कि शादीशुदा महिलाओं को करवाचौथ का पूजन अपनी शादी का जोड़ा पहनकर करना चाहिए, पर समय के साथ साथ शादी के जोड़े ओल्ड फैशन हो गए, और नए कपड़े पहनने का ट्रेंड शुरू हो गया. महिलाएं नए से नए फैशन की साडि़यां लेती हैं. हर साल फैशन बदलता है तो हर साल नए कपड़े (रिपीट किया तो लोग क्या कहेंगे??) इस बात का सबसे ज्यादा फायदा मिला कपड़ा बाजार को. भारत की अर्थव्यवस्था में कपड़ा बाजार सबसे पुराना बाजार रहा है. 2013 में भारतीय कपड़ा बाजार करीब 51 लाख करोड़ रुपए का रहा. 2010 में एथनिक वियर का बाजार 31,000 करोड़ का था जिसने 2013 में करीब 85,000 करोड़ का कारोबार किया. इसमें पुरुषों के परिधान 3%, बच्चों के परिधान 9% और महिलाओं के परिधान 88% हैं.

 

सराफा बाजार-  करवाचौथ पर पत्नियां पतियों से अक्सर तोहफों की डिमांड करती हैं, और ये तोहफे होते हैं गहने, जो सोना, चांदी, हीरे, मोती, और...

पचास-साठ साल पहले तक ये त्यौहार सिर्फ पंजाब और आसपास के इलाकों में मनाया जाता था. लेकिन ग्लोबलाइजेशन के दौर में करवाचौथ तेजी से ट्रेंड बनकर उभरा है. बाजार ने इस त्यौहार से जुड़ी भावनाओं को अच्छी तरह पहचाना और महिलाओं की नब्ज पकड़ी, और देखते ही देखते हमारे त्यौहार, संस्कृति और परंपराओं से निकलकर डिजाइनर बन गए. इस त्यौहार को इतने आलीशान तरीके से मनाने की सीख देने का श्रेय काफी हद तक जाता है हमारी फिल्म इंडस्ट्री को. करवा चौथ कैसे मनाते हैं, ये हमारी जेनरेशन ने दादी-नानी से नहीं, बल्कि यशराज की फिल्मों से ही सीखा है. नए कपड़े, चमचमाते गहने, मेकअप, मेहंदी, किसी में कोई समझौता नहीं, हर चीज 'बेस्‍ट' ही होनी चाहिए. 

कपड़ा बाजार- परंपरा थी कि शादीशुदा महिलाओं को करवाचौथ का पूजन अपनी शादी का जोड़ा पहनकर करना चाहिए, पर समय के साथ साथ शादी के जोड़े ओल्ड फैशन हो गए, और नए कपड़े पहनने का ट्रेंड शुरू हो गया. महिलाएं नए से नए फैशन की साडि़यां लेती हैं. हर साल फैशन बदलता है तो हर साल नए कपड़े (रिपीट किया तो लोग क्या कहेंगे??) इस बात का सबसे ज्यादा फायदा मिला कपड़ा बाजार को. भारत की अर्थव्यवस्था में कपड़ा बाजार सबसे पुराना बाजार रहा है. 2013 में भारतीय कपड़ा बाजार करीब 51 लाख करोड़ रुपए का रहा. 2010 में एथनिक वियर का बाजार 31,000 करोड़ का था जिसने 2013 में करीब 85,000 करोड़ का कारोबार किया. इसमें पुरुषों के परिधान 3%, बच्चों के परिधान 9% और महिलाओं के परिधान 88% हैं.

 

सराफा बाजार-  करवाचौथ पर पत्नियां पतियों से अक्सर तोहफों की डिमांड करती हैं, और ये तोहफे होते हैं गहने, जो सोना, चांदी, हीरे, मोती, और प्लैटिनम कोई भी सकते हैं, ये निर्भर करता है पतियों की जेब पर. सर्राफा बाजार भारत की अर्थव्यवस्था में अच्छा खासा दखल रखता है. दुनिया में सोने की खपत सबसे ज्यादा भारत में ही होती है. 1989 में केवल 402 टन सोने की खपत करने वाला देश 2009 में 810 टन खपत करने वाला देश बन गया. यानी पिछले दो दशकों में भारत में सोने की खपत दोगुनी हो गई. 2013 में रत्नों और आभूषणों का कारोबार 251,000 करोड़ का रहा 2018 तक इस कारोबार को 500,000–530,000 तक बढ़ने की उम्मीद है.

 

मेकअप- इस दिन हर महिला चाहती है कि वो सबसे खूबसूरत दिखे. इसी होड़ में महंगे से महंगे ब्यूटी प्रोटक्ट्स और ब्यूटी ट्रीटमेंट लेने में पीछे नहीं रहतीं. भारत के कॉस्मेटिक बाजार में हर साल 15 से 20% की वृद्धि होती है. 2013 में कॉस्मेटिक बाजार ने 29,000 करोड़ का कारोबार किया था. देश में 10 साल पहले जितने ब्यूटी पार्लर्स थे आज वो दोगुने हो चुके हैं. हर साल 35% की दर से सैलून और पार्लर्स में इजाफा हो रहा है.

 

मेहंदी- करवाचौथ पर मेहंदी लगाना हमारी परंपरा का हिस्सा है. पर मेंहदी लगाना अब सिर्फ रिवाज नहीं रहा, बल्कि अच्छा खासा बाजार बन चुका है. पहले महिलाएं घर पर ही मेहंदी लगाती थीं. पर आजकल समय कहां है. घर के बाहर हर मार्केट में मेहंदी वाले तैयार बैठे रहते हैं. सामान्य दिनों में जहां 50-100 रुपए में एक हाथ में मेहंदी लगती है वही करवाचौथ जैसे त्यौहार पर 250-500 रुपए में. लेकिन ये आपके इलाके पर भी निर्भर करता है. दिल्ली के लाजपत नगर और राजौरी गार्डन में तो पार्लर में एक हाथ पर मेहंदी लगवाने के 5000 रुपए देने होते हैं. ये जानकर आश्चर्य हो सकता है कि दिल्ली के पॉश इलाकों में सड़क पर बैठकर मेहंदी लगाने वाले एक हाथ का 1000 रुपए लेते हैं जो दो दिन में करीब दो लाख रुपए तक कमा लेते हैं.

 

पूजा की थाली- करवाचौथ की लोकप्रियता और देश में ऑनलाइन शॉपिंग का ट्रेंड, इन दोनों ने करवाचौथ की शॉपिंग को मॉर्डन विवाहित महिलाओं के लिए आसान कर दिया है. ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर 500 से 3000 तक की पूजा की थालियां उपलब्ध हैं. जिसमें पूजा का सारा सामान सलीके से सजा होता है. अपनी जेब के हिसाब से आप झट से आर्डर कर सकती हैं. करवाचौथ के करवों से लेकर छलनी तक सब डिजाइनर हो चुके हैं. 10 रुपए में मिलने वाला सादा करवा सज-धजकर 50-100 रुपए में मिलने लगा है.

 

जरा हिसाब लगाइए-

मेहंदी-      2000 कम से कम

पार्लर पैकेज- 5000 से 8000 तक

कपड़े-      5000

गहने-      5000

पतियों से तोहफा(महंगी साड़ी या गहने)- 10,000

कुल-      तकरीबन 30,000

तो इस त्यौहार में श्रद्धा, समर्पण, प्रेम की जगह अब सिर्फ बाजार नजर आने लगा है. और हैरानी की बात तो ये है कि करवाचौथ पर महिलाएं बार्गेनिंग करती भी नहीं दिखतीं. बाजार की रौनक ये भी बताती हैं कि देश में महंगाई पर रोने वाली महिलाएं करवाचौथ पर पैसा खर्च करने में बिलकुल पीछे नहीं रहतीं.

 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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