• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

कहीं शिवराज का ये उपवास राहुल को फाके की स्थिति में न डाल दे

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 11 जून, 2017 12:27 PM
  • 11 जून, 2017 12:27 PM
offline
किसान आंदोलन का हिंसक रूप अख्तियार किये जाने के बाद एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ठेठ गांधीवादी रास्ता अपनाते हुए अपनी पत्नी को साथ लेकर भोपाल के दशहरा मैदान पर अनश्चितकालीन उपवास शुरू कर दिया है.

राजनीति के अंतर्गत एक कुशल राजनीतिज्ञ के लिए ये बेहद जरूरी है कि वो लगातार दिखता रहे और शोर करता रहे. एक जननायक, जनाधार तभी जुटा सकता है जब वो हर ओर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता रहे. माना जाता है कि एक नेता जितना ज्यादा दिखेगा और जितनी तेज शोर करेगा वो उतनी ही तेजी से तरक्की कर ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकेगा. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने, एक जननायक के लिए अपना जनाधार जुटाना अपने आप में टेढ़ी खीर है.

हो सकता है उपरोक्त पंक्तियों ने आपको सोचने पर कर दिया हो कि आखिर माजरा क्या है. तो आपको बताते चलें कि हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के मंदसौर की जहाँ जो हो रहा है वो ये साफ दर्शाता है कि अब नेताओं को देश की जानता से नहीं बल्कि अपनी राजनीति चमकाने से मतलब है.

मंदसौर में अभी कुछ दिन पहले हमने राहुल गांधी को देखा था अब हम वहां शिवराज सिंह चौहान को देख रहे हैं. दोनों को एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ है, दोनों ही एक दूसरे को नीचा दिखाकर ये साबित करना चाहते हैं कि किसानों के असल हितैषी वही हैं. हालांकि दोनों की विचारधारा अलग है मगर दोनों का उद्देश्य एक ही है. चाहे पूर्व में राहुल गांधी हों या वर्तमान में शिवराज सिंह चौहान दोनों के बारे में ये कहना कहीं से गलत न होगा कि दोनों ही नेताओं को अगर किसी चीज़ से मतलब है तो वो केवल पब्लिसिटी है. साथ ही दोनों को ही मीडिया के कैमरे में कैद होने का शौक है.

उपवास पर बैठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

गौरतलब है कि जिस मंदसौर पर राजनीति करते हुए राहुल गांधी किसान परिवारों से मिलने गए हैं वहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उल्टा दाव खेल राहुल को ज़मीन चटा दी है. ज्ञात हो कि किसान आंदोलन का हिंसक रूप अख्तियार किये जाने के बाद एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ठेठ गांधीवादी रास्ता अपनाते हुए...

राजनीति के अंतर्गत एक कुशल राजनीतिज्ञ के लिए ये बेहद जरूरी है कि वो लगातार दिखता रहे और शोर करता रहे. एक जननायक, जनाधार तभी जुटा सकता है जब वो हर ओर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता रहे. माना जाता है कि एक नेता जितना ज्यादा दिखेगा और जितनी तेज शोर करेगा वो उतनी ही तेजी से तरक्की कर ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकेगा. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने, एक जननायक के लिए अपना जनाधार जुटाना अपने आप में टेढ़ी खीर है.

हो सकता है उपरोक्त पंक्तियों ने आपको सोचने पर कर दिया हो कि आखिर माजरा क्या है. तो आपको बताते चलें कि हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के मंदसौर की जहाँ जो हो रहा है वो ये साफ दर्शाता है कि अब नेताओं को देश की जानता से नहीं बल्कि अपनी राजनीति चमकाने से मतलब है.

मंदसौर में अभी कुछ दिन पहले हमने राहुल गांधी को देखा था अब हम वहां शिवराज सिंह चौहान को देख रहे हैं. दोनों को एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ है, दोनों ही एक दूसरे को नीचा दिखाकर ये साबित करना चाहते हैं कि किसानों के असल हितैषी वही हैं. हालांकि दोनों की विचारधारा अलग है मगर दोनों का उद्देश्य एक ही है. चाहे पूर्व में राहुल गांधी हों या वर्तमान में शिवराज सिंह चौहान दोनों के बारे में ये कहना कहीं से गलत न होगा कि दोनों ही नेताओं को अगर किसी चीज़ से मतलब है तो वो केवल पब्लिसिटी है. साथ ही दोनों को ही मीडिया के कैमरे में कैद होने का शौक है.

उपवास पर बैठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

गौरतलब है कि जिस मंदसौर पर राजनीति करते हुए राहुल गांधी किसान परिवारों से मिलने गए हैं वहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उल्टा दाव खेल राहुल को ज़मीन चटा दी है. ज्ञात हो कि किसान आंदोलन का हिंसक रूप अख्तियार किये जाने के बाद एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ठेठ गांधीवादी रास्ता अपनाते हुए अपनी पत्नी को साथ लेकर भोपाल के दशहरा मैदान पर अनश्चितकालीन उपवास शुरू कर दिया है.

बताया जा रहा है अपने इस उपवास से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जहां एक तरफ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के हाथ से किसानों को निकालना चाहते हैं तो दूसरी ओर इस उपवास का उद्देश प्रदेश में जगह-जगह चल रहे किसान आंदोलन से लोगों का ध्यान हटाकर अपने पर केंद्रित कराना भी है.ध्यान रहे कि मंदसौर में पुलिस की गोली से छह किसानों के मरने के बाद चौहान की किसान हितैषी सीएम की इमेज को जबरदस्त आघात लगा है.  

क्यों ये अनशन और किसानों को लुभाना, जरूरी है शिवराज के लिए

किसान विरोधी अपने रवैये से लगातार विपक्ष की आलोचना झेल रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए ये अनशन और किसानों को लुभाना बहुत ज़रूरी है. ज्ञात हो कि राज्य में अगले वर्ष चुनाव होने वाला है. इसके अलावा मुख्यमंत्री चौहान लोकप्रियता के मामले में जहां महिलाओं के फेवरेट हैं तो वहीं राज्य का किसान भी उनकी नीतियों के चलते उन्हें खासा पसंद करता था.

बताया जाता है कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस एक दशक से भी ज्यादा समय से जनता में बसी शिवराज की छवि तोड़ने का प्रयास कर रही है जिसका तोड़ वो अब तक नहीं खोज पाई थी. मंदसौर में जो हुआ और जिस तरह गोलीकांड में किसानों की मौत हुई उसके बाद शिवराज के किले को ध्वस्त करने के लिए कांग्रेस को एक बड़ा मुद्दा मिल गया है.

इस मुद्दे के बल पर खोया जनाधार ढूंढ रहे हैं राहुल

जिस तरह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मंदसौर मामले को राजनीतिक रंग दिया है, वो ये साफ दर्शा रहा है कि अब कांग्रेस का उद्देश्य सूबे में शिवराज की हनक कम करना है. ऐसे में ये शिवराज के लिए ये अनशन इसलिए भी जरूरी है कि उन्हें इससे लोगों की सहानुभूति मिल जायगी.

शिवराज का मास्टरस्ट्रोक

विशेषज्ञों की मानें तो शिवराज जहां एक तरफ कुशल राजनीतिज्ञ हैं तो वहीं दूसरी तरफ वो एक कुशल कूटनीतिज्ञ भी हैं. वो इस उपवास के जरिये किसानों के बीच अपना खोया विश्वास वापस लाने की भरसक कोशिश में हैं. बताया जा रहा है कि उन्होंने किसान संगठनों को खुले में बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया है. यदि शिवराज की ये रणनीति कामयाब हो गयी तो निश्चित तौर पर इसे शिवराज सिंह चौहान का मास्टरस्ट्रोक माना जाएगा.

पब्लिसिटी पाने के चलते, मुख्य मुद्दे से पीछे चले गए राहुल 

राहुल गांधी एक बड़े भोले और जज्बाती नेता हैं. मध्य प्रदेश के किसान मामले में उनका प्रयास अच्छा था मगर शायद इसे कूटनीति की कमी ही माना जायगा कि उन्होंने मुद्दा तो अच्छा पकड़ा था लेकिन मीडिया के कैमरों और बयानबाजी के चलते वो उसे भुनवा न सके और उन्होंने सब किये धरे पर पानी फेर दिया. ज्ञात हो कि पिछले 13 सालों में, मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता परिवर्तन का एक बड़ा मौका मिला था यदि राहुल इस पर सही ढंग से काम करते तो हाशिये पर आ चुकी पार्टी को वो थोड़ा ऊपर ला सकते थे.

अंत में हम अपनी बात खत्म करते हुए यही कहेंगे कि चाहे शिवराज हों या राहुल दोनों ही का असल उद्देश्य अपने को लाइम लाइट में लाना है. दोनों को ही इस बात से कोई मतलब नहीं है कि लोगों का क्या होगा, किसानों का क्या होगा. कहा जा सकता है कि मंदसौर मामले में राजनीति करके जहां शिवराज एक तरफ अपने गिरते किले को बचाना चाहते हैं तो वहीं दूसरी ओर राहुल इस बात की भरसक कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा क्या किया जाये जिससे उन्हें मध्यप्रदेश में अपना खोया जनाधार वापस मिल सके.  

ये भी पढ़ें -   

शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी रेत में धंस रही है !

तो क्या मान लिया जाए कि सही कर रहे हैं किसान

जानिए क्यों परेशान है देश का किसान ?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲