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नीतीश के शराबबंदी के नारों से क्यों उड़ी बीजेपी की नींद!

    • बालकृष्ण
    • Updated: 16 जुलाई, 2016 09:20 PM
  • 16 जुलाई, 2016 09:20 PM
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बीजेपी के नेताओं की नींद उड़ाने के लिए नीतीश कुमार अब उत्तरप्रदेश में घुस आए हैं. नीतीश कुमार सीधे बीजेपी के मुखिया के घर में घुसकर उसे चुनौती दे रहे हैं.

बिहार में नीतीश कुमार के हाथों बीजेपी की जैसी करारी हार हुई, उसके बाद बीजेपी के नेता शायद उसे एक बुरे सपने की तरह भूल जाना चाहेंगे. लेकिन मुश्किल यह है कि बीजेपी के नेताओं की नींद उड़ाने के लिए नीतीश कुमार अब उत्तरप्रदेश में घुस आए हैं. शुरुआत उन्होंने बिहार की सीमा से लगे पूर्वी उत्तर प्रदेश से की. लेकिन जब नीतीश कुमार की सभाओं में अच्छी भीड़ जुटने लगी तो उनके हौसले और मंसूबे दोनों बढ़ने लगे और अब उन्होंने पूरे उत्तर प्रदेश पर नजरें टिका दी है.

रविवार को नीतीश कुमार इलाहाबाद के करीब फूलपुर में अपनी जनसभा करेंगे. फूलपुर वही संसदीय क्षेत्र है जो एक जमाने में जवाहरलाल नेहरू की सीट हुआ करती थी और अब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य वहां के सांसद हैं. यानी नीतीश कुमार सीधे बीजेपी के मुखिया के घर में घुसकर उसे चुनौती दे रहे हैं.

 इलाहाबाद के करीब फूलपुर में अपनी जनसभा करेंगे नीतीश कुमार

इलाहाबाद की रैली को लेकर नीतीश कुमार इतने गंभीर है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता शरद यादव और के सी त्यागी, पहले से ही फूलपुर में डटकर रैली को सफल बनाने के लिए जी जान लगा रहे हैं. बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार तो 12 जुलाई से ही इलाहाबाद में बैठे हुए हैं और नीतीश कुमार के लिए माहौल बनाने की खातिर कई जनसभाएं और कार्यकर्ता सम्मेलन कर चुके हैं.

ये भी पढ़ें- बनारस में नीतीश ने...

बिहार में नीतीश कुमार के हाथों बीजेपी की जैसी करारी हार हुई, उसके बाद बीजेपी के नेता शायद उसे एक बुरे सपने की तरह भूल जाना चाहेंगे. लेकिन मुश्किल यह है कि बीजेपी के नेताओं की नींद उड़ाने के लिए नीतीश कुमार अब उत्तरप्रदेश में घुस आए हैं. शुरुआत उन्होंने बिहार की सीमा से लगे पूर्वी उत्तर प्रदेश से की. लेकिन जब नीतीश कुमार की सभाओं में अच्छी भीड़ जुटने लगी तो उनके हौसले और मंसूबे दोनों बढ़ने लगे और अब उन्होंने पूरे उत्तर प्रदेश पर नजरें टिका दी है.

रविवार को नीतीश कुमार इलाहाबाद के करीब फूलपुर में अपनी जनसभा करेंगे. फूलपुर वही संसदीय क्षेत्र है जो एक जमाने में जवाहरलाल नेहरू की सीट हुआ करती थी और अब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य वहां के सांसद हैं. यानी नीतीश कुमार सीधे बीजेपी के मुखिया के घर में घुसकर उसे चुनौती दे रहे हैं.

 इलाहाबाद के करीब फूलपुर में अपनी जनसभा करेंगे नीतीश कुमार

इलाहाबाद की रैली को लेकर नीतीश कुमार इतने गंभीर है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता शरद यादव और के सी त्यागी, पहले से ही फूलपुर में डटकर रैली को सफल बनाने के लिए जी जान लगा रहे हैं. बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार तो 12 जुलाई से ही इलाहाबाद में बैठे हुए हैं और नीतीश कुमार के लिए माहौल बनाने की खातिर कई जनसभाएं और कार्यकर्ता सम्मेलन कर चुके हैं.

ये भी पढ़ें- बनारस में नीतीश ने फूंका चुनावी बिगुल - संघमुक्त भारत, शराबमुक्त समाज

इलाहाबाद के बाद नीतीश कुमार का अगला ठिकाना कानपुर होगा. अभी से एलान किया जा चुका है कि अगले महीने नीतीश कुमार कानपुर के घाटमपुर में जनसभा करेंगे. इससे पहले नीतीश कुमार पूर्वांचल के बनारस व मिर्जापुर में सभाएं करके यह दिखा चुके हैं कि उत्तर प्रदेश को लेकर उनके इरादे क्या हैं.नीतीश कुमार शराबबंदी के जुमले के साथ यूपी में घुसे हैं और इसी के नाम पर यहां के वोटरों, खास तौर पर महिलाओं को रिझाने में लगे हैं. बिहार में नीतीश कुमार यह देख चुके हैं कि शराब बंदी के नाम पर उनको महिलाओं से जबरदस्त समर्थन मिला.

लेकिन शराब बंदी तो यूपी में घुसने का महज एक बहाना है, नीतीश कुमार की नजर दरअसल कुर्मी वोट बैंक पर है जो इस बार के चुनाव में किसी का खेल बना और बिगाड़ सकती है.

उत्तर प्रदेश में कुर्मी, पटेल, शाक्य, राजभर, कुशवाहा और  मौर्य लगभग एक सी जातियां हैं और यह पूरे उत्तर प्रदेश में फैले हुए हैं. लेकिन यूपी के 16 जिलों में इनकी आबादी 6 प्रतिशत से लेकर 11 प्रतिशत तक है.

इस बार के विधानसभा चुनाव में इन जातियों को एक अहम वोट बैंक माना जा रहा है और हर पार्टी इन को लुभाने में लगी है. कुर्मी वोट बैंक को अपना बनाने की गरज से ही बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य को यूपी बीजेपी की कमान सौंप दी और अनुप्रिया पटेल को मोदी के मंत्रिमंडल में जगह मिली.

ये भी पढ़ें- फिर तो चुनाव आते आते यूपी-पंजाब में भी शराबबंदी की बात होने लगेगी

समाजवादी पार्टी ने भी मौके की नजाकत को समझा और पुरानी दुश्मनी भूलकर मुलायम सिंह यादव ने बेनी प्रसाद वर्मा को गले से लगाया और राज्यसभा भेज दिया. इसी जाति से संबंध रखने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य जब मायावती से बगावत करके अलग हो गए तो बीजेपी से लेकर समाजवादी पार्टी दोनों ने उन्हें चारा डाला.

पिछले हफ्ते मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा ने भी स्वामी प्रसाद मौर्या से मुलाकात की और उन्हें एनडीए में आने का न्योता भी दिया. लेकिन अभी तक स्वामी प्रसाद मौर्या ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं और वह फिलहाल 22 सितंबर को लखनऊ में अपनी शानदार रैली करने की तैयारियों में जुटे हुए हैं.

बीजेपी में अमित शाह और उनकी टीम ने पूरी ताकत लगा रखी है कि किसी तरह से कुशवाहा, कुर्मी, पटेल वोट बैंक को अपने साथ जोड़ा जाए. लेकिन नीतीश कुमार देश में कुर्मियों के सबसे कद्दावर नेता हैं और उनका इस तरह से यूपी में सक्रिय होना बीजेपी की कोशिशों में  पलीता लगा सकता है.

कानपुर, इलाहाबाद, फतेहपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, जालौन, उन्नाव, प्रतापगढ़ कौशांबी और श्रावस्ती के इलाकों में कुर्मियों की आबादी बहुत है और इसीलिए नीतीश कुमार इन्हीं इलाकों में पूरी ताकत लगा रहे हैं.

बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा चिंता की बात यह भी है की नीतीश कुमार अपनी ताकत बढ़ाने के लिए छोटी-छोटी पार्टी और नेताओं को साथ जोड़ने में भी लग गए हैं. बहुजन समाज पार्टी से अलग हुए आर के चौधरी ने नीतीश कुमार से हाथ मिला लिया है और 26 जुलाई को लखनऊ में होने वाली होने वाली उन उनकी रैली में नीतीश कुमार मंच पर मौजूद रहेंगे.

ये भी पढ़ें- ये है नीतीश कुमार का गेम प्लान..

नरेंद्र मोदी ने अनुप्रिया पटेल को मंत्री बनाकर पटेल वोट बैंक को रिझाने की कोशिश की, तो नीतीश कुमार दे अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल को ही साथ मिला लिया जिनकी अपनी बेटी के साथ अनबन हो चुकी है. बिहार के कुछ मंत्री और यूपी में जनता दल यूनाइटेड के नेता लगातार पूर्वांचल में मेहनत करके नीतीश कुमार की जमीन तैयार करने में लगे हैं.

बीजेपी बिहार से सबक सीख चुकी है कि नीतीश कुमार को हल्के में नहीं लिया जा सकता. इसलिए यूपी में घुसकर नीतीश के शराब बंदी के नारों ने बीजेपी को चौकन्ना कर दिया है.

समाजवादी पार्टी, बीएसपी, बीजेपी और कांग्रेस के मैदान में होने से यूपी का दंगल पहले से ही जबरदस्त माना जा रहा है. ऐसे में, नीतीश कुमार के भी अखाड़े में उतरकर ताल ठोकने से मुकाबला और भी रोचक हो गया है. लेकिन शराबबंदी की आड़ में नीतीश कुमार के इस चाल से सबसे ज्यादा चिंतित अगर कोई है तो वह है बीजेपी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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