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बनारस में नीतीश ने फूंका चुनावी बिगुल - संघमुक्त भारत, शराबमुक्त समाज

    • आईचौक
    • Updated: 12 मई, 2016 07:55 PM
  • 12 मई, 2016 07:55 PM
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नीतीश का भाषण सुन कर ऐसा लगा जैसे वो भी वही स्क्रिप्ट पढ़ रहे हों जो राहुल गांधी पढ़ा करते हैं. लेकिन नीतीश तो भाषण पढ़ते नहीं, तो क्या राहुल गांधी मोदी के खिलाफ नीतीश का ही स्क्रिप्ट पढ़ा करते हैं.

ऐलान तो लालू प्रसाद ने किया था - लालटेन लेकर बनारस पहुंचने का, मगर पहले नीतीश कुमार ने ही धावा बोल दिया. और नीतीश से भी पहले उनका रथ बनारस पहुंच चुका था. दरअसल, नीतीश को एक पोस्टर में रथ पर सवार दिखाया गया था. बनारस में लगे इस पोस्टर में नीतीश को अर्जुन और शरद यादव को उनके सारथी कृष्ण के रूप में दिखाया गया था.

काशी से महाभारत

नीतीश के आने से पहले ही कार्यकर्ताओं ने पूरे शहर में पोस्टर लगा रखा था और उन पर कई स्लोगन लिखे हुए थे -

1. "अब दिल्ली में सरकार हो, नेता नीतीश कुमार हो."

2. "समाजवाद की धार हो, तब भारत की जय-जयकार हो."

3. "बिहार ने दिया है संदेश, नशा मुक्त हो उत्तर प्रदेश."

तो क्या काशी से नीतीश कुमार राजनीतिक के नये महाभारत का बिगुल फूंक दिया है. जी हां, वही काशी जहां गंगा के बुलाने पर नरेंद्र मोदी गुजरात से सीधे पहुंचे और सांसद बन कर देश के प्रधानमंत्री बने. नीतीश कुमार ने भी हाल ही में, बहाने से ही सही, प्रधानमंत्री पद के लिए अपना नाम आगे बढ़ाया था. लगे हाथ लालू ने उनके नाम को एनडोर्स किया - और कुछ दिन बाद ही शरद पवार ने बात और आगे बढ़ा दी है. कांग्रेस अपनी नाराजगी पहले ही जाहिर कर चुकी है.

इसे भी पढ़ें: नीतीश कुमार कांग्रेस को यूज कर रहे हैं, उसकी मदद नहीं

मोदी के नये गढ़ बनारस में पिंडरा के इंटर कॉलेज में नीतीश ने एक सभा को संबोधित किया. नीतीश ने इस दौरान संघ और शराब दोनों को एक ही पैमाने में रख उनके खिलाफ अपने इरादे आम कर दिया.

संघ और शराब

नीतीश लोगों से उसी अंदाज में बात कर रहे थे जैसे बिहार चुनाव के दौरान. नीतीश ने कहा बीजेपी की कथनी और करनी में अंतर हैं - ये कहते कुछ और है, करते कुछ और.

फिर...

ऐलान तो लालू प्रसाद ने किया था - लालटेन लेकर बनारस पहुंचने का, मगर पहले नीतीश कुमार ने ही धावा बोल दिया. और नीतीश से भी पहले उनका रथ बनारस पहुंच चुका था. दरअसल, नीतीश को एक पोस्टर में रथ पर सवार दिखाया गया था. बनारस में लगे इस पोस्टर में नीतीश को अर्जुन और शरद यादव को उनके सारथी कृष्ण के रूप में दिखाया गया था.

काशी से महाभारत

नीतीश के आने से पहले ही कार्यकर्ताओं ने पूरे शहर में पोस्टर लगा रखा था और उन पर कई स्लोगन लिखे हुए थे -

1. "अब दिल्ली में सरकार हो, नेता नीतीश कुमार हो."

2. "समाजवाद की धार हो, तब भारत की जय-जयकार हो."

3. "बिहार ने दिया है संदेश, नशा मुक्त हो उत्तर प्रदेश."

तो क्या काशी से नीतीश कुमार राजनीतिक के नये महाभारत का बिगुल फूंक दिया है. जी हां, वही काशी जहां गंगा के बुलाने पर नरेंद्र मोदी गुजरात से सीधे पहुंचे और सांसद बन कर देश के प्रधानमंत्री बने. नीतीश कुमार ने भी हाल ही में, बहाने से ही सही, प्रधानमंत्री पद के लिए अपना नाम आगे बढ़ाया था. लगे हाथ लालू ने उनके नाम को एनडोर्स किया - और कुछ दिन बाद ही शरद पवार ने बात और आगे बढ़ा दी है. कांग्रेस अपनी नाराजगी पहले ही जाहिर कर चुकी है.

इसे भी पढ़ें: नीतीश कुमार कांग्रेस को यूज कर रहे हैं, उसकी मदद नहीं

मोदी के नये गढ़ बनारस में पिंडरा के इंटर कॉलेज में नीतीश ने एक सभा को संबोधित किया. नीतीश ने इस दौरान संघ और शराब दोनों को एक ही पैमाने में रख उनके खिलाफ अपने इरादे आम कर दिया.

संघ और शराब

नीतीश लोगों से उसी अंदाज में बात कर रहे थे जैसे बिहार चुनाव के दौरान. नीतीश ने कहा बीजेपी की कथनी और करनी में अंतर हैं - ये कहते कुछ और है, करते कुछ और.

फिर नीतीश ने संघ और शराब दोनों से निजात पाने की बात कही. नीतीश ने कहा, "इनके जो वैचारिक पुरखे हैं आरएसएस के लोग उनका आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं. हम संघ मुक्‍त भारत चाहते हैं और शराब मुक्‍त समाज."

नीतीश कुमार ने बीजेपी से शराब पर पांबदी को लेकर अपनी राय स्पष्ट करने के लिए कहा, लेकिन निशाने पर मोदी थे, "मैं प्रधानमंत्री ने पूछता हूं कि वो भाजपा शासित राज्यों में शराबबंदी क्यों नहीं लागू करते हैं."

काशी से महाभारत की घोषणा

नीतीश ने प्रधानमंत्री मोदी को उन्हीं मुद्दों पर घेरा जो मुद्दे राहुल गांधी उठाते हैं. नीतीश ने भी काले धन के जुमले, वादे पूरे नहीं करने और अब तक कोई रोजगार नहीं उपलब्ध कराने के मोदी सरकार पर आरोप लगाए. नीतीश का भाषण सुन कर ऐसा लगा जैसे वो भी वही स्क्रिप्ट पढ़ रहे हों जो राहुल गांधी पढ़ा करते हैं. लेकिन नीतीश तो भाषण पढ़ते नहीं, तो क्या राहुल गांधी मोदी के खिलाफ नीतीश का ही स्क्रिप्ट पढ़ा करते हैं.

इसे भी पढ़ें: बिहार के शराबियों का नया ठिकाना 'मयखाना एक्सप्रेस'!

जिस हिसाब से नीतीश ने शराबबंदी का मुद्दा उठाया, ऐसा लगता है, अगर कोई यूपी में महागठबंधन खड़ा हुआ तो घोषणा पत्र में शराब पर पाबंदी की बात जरूर होगी. इसे उस रेफरेंस में भी जरूर देखा जाना चाहिए कि हाल ही में समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार ने यूपी में शराब लगने वाली एक्साइज ड्यूटी को 25 फीसदी कम कर दिया था. उधर, तमिलनाडु से केरल तक शराबबंदी चुनावी मुद्दा बन चुका है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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