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लालू ने यूपी में चुनाव प्रचार तो किया लेकिन वो 'समधी जी' मुलायम नहीं!

    • आईचौक
    • Updated: 08 फरवरी, 2017 07:01 PM
  • 08 फरवरी, 2017 07:01 PM
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नावी परिस्थितियों ने इतनी करवटें बदली कि लालू प्रसाद ने 'समधी जी' के लिए प्रचार तो किया लेकिन उनके लिए नहीं जिनके बारे में घोषणा कर रखी थी.

नीतीश कुमार चाहते थे कि जेडीयू भी यूपी चुनाव में अहम भागीदार बने, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बल्कि, नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार से भी दूर रहने का फैसला कर लिया.

दूसरी तरफ, लालू प्रसाद ने पहले ही साफ कर दिया था कि चुनाव में उनकी पार्टी हिस्सा नहीं लेगी. हां, कैंपेन को लेकर उन्होंने जरूर कहा था कि समधी जी के लिए जोरदार प्रचार करेंगे. चुनावी परिस्थितियों ने इतनी करवटें बदली कि लालू ने 'समधी जी' के लिए प्रचार तो किया लेकिन उनके लिए नहीं जिनके बारे में घोषणा कर रखी थी.

ऐसे बदल गये समधी जी!

बिहार चुनाव में महागठबंधन को खड़ा करते करते हालत ये हो गई कि मुलायम सिंह यादव ने पटना को तत्काल अलविदा कह दिया. कह दिया था इसलिए जीत के जश्न और लालू प्रसाद के बेटों के शपथग्रहण में भी नहीं पहुंचे. जैसे को तैसा वाले अंदाज में लालू ने भी मुलायम के बर्थ डे प्रोग्राम से दूरी बना ली. जब चुनावों की बात चली तो नीतीश कुमार की सक्रियता से महागठबंधन में तल्खियां बढ़ने लगीं. जब लालू ने जेडीयू के चुनाव लड़ने की तैयारियां करते नीतीश को देखा तो कह दिया कि आरजेडी को चुनाव नहीं लड़ना, लेकिन प्रचार में हिस्सा लेंगे. लालू ने कहा - समधी जी के लिए प्रचार जरूर करेंगे. वादे के पक्के लालू प्रसाद 'समधी जी' के लिए चुनाव प्रचार करने निकले तो लेकिन लखनऊ रुकने की बजाय दिल्ली से सीधे बुलंदशहर पहुंचे. चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के लिए वोट भी मांगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सूट और मेक इन इंडिया का खूब माखौल भी उड़ाया.

इस वादे को क्या समझें, पूरा या अधूरा...

दिलचस्प बात ये रही कि लालू ने जिस समधी जी के लिए चुनाव प्रचार किया वो मुलायम सिंह यादव नहीं हैं, बल्कि उनका नाम जितेंद्र यादव है.

दामाद के लिए मांगा...

नीतीश कुमार चाहते थे कि जेडीयू भी यूपी चुनाव में अहम भागीदार बने, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बल्कि, नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार से भी दूर रहने का फैसला कर लिया.

दूसरी तरफ, लालू प्रसाद ने पहले ही साफ कर दिया था कि चुनाव में उनकी पार्टी हिस्सा नहीं लेगी. हां, कैंपेन को लेकर उन्होंने जरूर कहा था कि समधी जी के लिए जोरदार प्रचार करेंगे. चुनावी परिस्थितियों ने इतनी करवटें बदली कि लालू ने 'समधी जी' के लिए प्रचार तो किया लेकिन उनके लिए नहीं जिनके बारे में घोषणा कर रखी थी.

ऐसे बदल गये समधी जी!

बिहार चुनाव में महागठबंधन को खड़ा करते करते हालत ये हो गई कि मुलायम सिंह यादव ने पटना को तत्काल अलविदा कह दिया. कह दिया था इसलिए जीत के जश्न और लालू प्रसाद के बेटों के शपथग्रहण में भी नहीं पहुंचे. जैसे को तैसा वाले अंदाज में लालू ने भी मुलायम के बर्थ डे प्रोग्राम से दूरी बना ली. जब चुनावों की बात चली तो नीतीश कुमार की सक्रियता से महागठबंधन में तल्खियां बढ़ने लगीं. जब लालू ने जेडीयू के चुनाव लड़ने की तैयारियां करते नीतीश को देखा तो कह दिया कि आरजेडी को चुनाव नहीं लड़ना, लेकिन प्रचार में हिस्सा लेंगे. लालू ने कहा - समधी जी के लिए प्रचार जरूर करेंगे. वादे के पक्के लालू प्रसाद 'समधी जी' के लिए चुनाव प्रचार करने निकले तो लेकिन लखनऊ रुकने की बजाय दिल्ली से सीधे बुलंदशहर पहुंचे. चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के लिए वोट भी मांगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सूट और मेक इन इंडिया का खूब माखौल भी उड़ाया.

इस वादे को क्या समझें, पूरा या अधूरा...

दिलचस्प बात ये रही कि लालू ने जिस समधी जी के लिए चुनाव प्रचार किया वो मुलायम सिंह यादव नहीं हैं, बल्कि उनका नाम जितेंद्र यादव है.

दामाद के लिए मांगा वोट

जितेंद्र यादव समाजवादी पार्टी के एमएलसी रह चुके हैं. जितेंद्र यादव के ही बेटे राहुल यादव से लालू की बेटी रागिनी यादव की शादी हुई है. राहुल यादव इस बार बुलंदशहर की सिकंदराबाद विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं. जब राहुल का टिकट मिला तब भी इस बात की चर्चा रही कि किस तरह लालू ने पूर्व मंत्री का टिकट कटवा कर दामाद को टिकट दिलाया.

लालू प्रसाद समाजवादी पार्टी के दूसरे उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार करेंगे या नहीं अभी साफ नहीं है. दरअसल, समाजवादी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन हो जाने के बाद लालू के चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ अखिलेश ही नहीं, राहुल गांधी की हरी झंडी की जरूरत होगी.

कम ही संभावना है कि राहुल गांधी स्टार प्रचारक के तौर पर लालू के नाम पर हामी भरेंगे. बाकी बातों के अलावा राहुल के लालू से खफा होने की एक वजह ये भी है कि बिहार चुनाव के दौरान राहुल की रैली में उन्हें लाने की काफी कोशिशें हुईं, लेकिन वो नहीं माने. आरजेडी के प्रतिनिधित्व के लिए लालू ने बेटे तेजस्वी को जरूर भेजा था. तब कांग्रेस नेताओं ने लालू को मनाने के लिए हरियाणा कांग्रेस के एक नेता की मदद भी ली लेकिन कोशिश नाकाम रही. ये संयोग ही रहा कि जिस नेता की मदद ली गई वो भी लालू के समधी जी ही हैं.

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नोटबंदी पर प्रधानमंत्री मोदी से लालू प्रसाद के 12 सवाल...

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कृपया ध्यान दें - नीतीश ने कमल में लाल रंग भरा है, भगवा नहीं!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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