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सियासी यदुवंशियों की लोकप्रियता में जबरदस्त गिरावट

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 26 अक्टूबर, 2016 04:26 PM
  • 26 अक्टूबर, 2016 04:26 PM
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उत्तर भारत की राजनीति के दो दिग्गजों के परिवारों में सबकुछ ठीक नहीं है. नई पीढ़ी को सत्ता सुपुर्द करने की कवायद से उठे कोहराम में कहीं बिरादरी छिटक न जाए!

समाजवादी पार्टी में अंदरूनी कलह का नया चैप्टर सोमवार से शुरू हुआ, मंगलवार तक जारी रहा और बुधवार को भी रुकने का नाम नहीं ले रहा. प्रेस कांफ्रेस पर कांफ्रेस हो रही है, कहा जा रहा है कि सबकुछ ठीक है. फिर किसी न किसी खेमे से नया बवाल खड़ा हो जा रहा है. तीन दिन से जारी इस ड्रामे से इतना तो तय है कि चुनाव से ठीक पहले यदुवंश के चहेतों को यह झगड़ा रास नहीं आ रहा है. जाहिर है सभी कंफ्यूज्ड हैं. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा कि बीते दो दशकों से पूरे राज्य में यदुवंश का नारा बुलंद करने वाले यदुवंशी एक परिवार की कलह को नहीं साध पा रहे हैं. इनके ऊपर तो प्रदेश के समूचे यदुवंश का बोझ है.

अब बात जब यदुवंश की हो तो पड़ासी राज्य बिहार में भी देखने की जरूरत है. लखनऊ में जारी ड्रामे के मद्देनजर पटना में लालू-नीतीश गठबंधन के विरोधी भी दावा कर रहे हैं कि वहां भी यादव परिवार में सबकुछ ठीक नहीं है. मुलायम की तरह लालू भी सत्ता के बाहर चाभी लेकर बैठे हैं. एक बेटा डिप्टी मुख्यमंत्री और दूसरा मंत्री. लेकिन दोनों में काबिल कौन पर बहस जारी है.

इसे भी पढ़ें: यूपी के मुसलमान क्या सपा का विकल्‍प ढूंढ रहे हैं ?

24 अक्टूबर, मंगलवार तक यदुवंशियों के फेसबुक पर सबकुछ सामान्य चल रहा था. लेकिन 24 की सुबह तस्वीर बदलना शुरू हो गई. एक तरफ से वंश के सभी दिग्गज चेहरों के फेसबुक पर आंकड़े गिरने लगे. लाइक कम होने लगे. यह गिरावट 25 तारीख से लेकर 26 तारीख तक जारी है.

 

उत्तर प्रदेश...

समाजवादी पार्टी में अंदरूनी कलह का नया चैप्टर सोमवार से शुरू हुआ, मंगलवार तक जारी रहा और बुधवार को भी रुकने का नाम नहीं ले रहा. प्रेस कांफ्रेस पर कांफ्रेस हो रही है, कहा जा रहा है कि सबकुछ ठीक है. फिर किसी न किसी खेमे से नया बवाल खड़ा हो जा रहा है. तीन दिन से जारी इस ड्रामे से इतना तो तय है कि चुनाव से ठीक पहले यदुवंश के चहेतों को यह झगड़ा रास नहीं आ रहा है. जाहिर है सभी कंफ्यूज्ड हैं. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा कि बीते दो दशकों से पूरे राज्य में यदुवंश का नारा बुलंद करने वाले यदुवंशी एक परिवार की कलह को नहीं साध पा रहे हैं. इनके ऊपर तो प्रदेश के समूचे यदुवंश का बोझ है.

अब बात जब यदुवंश की हो तो पड़ासी राज्य बिहार में भी देखने की जरूरत है. लखनऊ में जारी ड्रामे के मद्देनजर पटना में लालू-नीतीश गठबंधन के विरोधी भी दावा कर रहे हैं कि वहां भी यादव परिवार में सबकुछ ठीक नहीं है. मुलायम की तरह लालू भी सत्ता के बाहर चाभी लेकर बैठे हैं. एक बेटा डिप्टी मुख्यमंत्री और दूसरा मंत्री. लेकिन दोनों में काबिल कौन पर बहस जारी है.

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24 अक्टूबर, मंगलवार तक यदुवंशियों के फेसबुक पर सबकुछ सामान्य चल रहा था. लेकिन 24 की सुबह तस्वीर बदलना शुरू हो गई. एक तरफ से वंश के सभी दिग्गज चेहरों के फेसबुक पर आंकड़े गिरने लगे. लाइक कम होने लगे. यह गिरावट 25 तारीख से लेकर 26 तारीख तक जारी है.

 

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायय सिंह के बेटे अखिलेश यादव के फेसबुक अकाउंट पर बीते तीन दिनों से गिरावट जारी है. फेसबुक पर मौजूद पार्टी नेताओं में अखिलेश के सबसे ज्यादा चाहने वाले हैं. बीते तीन दिनों से जारी कलह के दौरान इन चाहने वालों के बीच अखिलेश की सोशल मीडिया पर लोकप्रियता गिरी है. ऐसी ही गिरावट उनकी पत्नी और पार्टी सांसद डिंपल यादव के फेसबुक पर भी दर्ज हो रही है.

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सोशल मीडिया के इस प्लैटफॉर्म पर खास बात यह है कि अखिलेश और डिंपल के सबसे ज्यादा चाहने वाले हैं. दोनों के फेसबुक अकाउंट को कंपनी की तरफ से वेरिफाई भी किया जा चुका है. दोनों ने राज्य में अपने समर्थकों को सोशल मीडिया पर जोड़ने में सफलता पाई है. लेकिन, सवाल अखिलेश से है कि क्या बीते तीन दिनों से जारी इस गिरावट को समझने की कोशिश करेंगे.

 

सोशल मीडिया पर हालांकि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह औऱ उनके भाई शिवपाल सिंह की अखिलेश के मुकाबले पकड़ कमजोर है. लेकिन बीते तीन दिनों से इन दोनों के फेसबुक चाहने वालों को मौजूदा कलह कम रास आ रही है. मुलायम सिंह यादव का फेसबुक बयान करता है कि सोशल मीडिया या तो उन्हें रिटायर मान रहा है या फिर पार्टी की तरफ से इस प्लैटफॉर्म पर उनकी पहुंच बनाने की कवायद में ढ़ील बरती गई है. ऐसा ही कुछ हाल भाई शिवपाल यादव का भी है. उनके चाहने वालों को भी पार्टी में जारी पारिवारिक कलह रास नहीं आ रही है. दोनों, मुलायम और शिवपाल का फेसबुक अकाउंट अभी तक कंपनी द्वारा वेरिफाइड भी नहीं कराया गया है.

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बिहार में भी कलह की सुगबुगाहट से गिरावट तो नहीं

तीन दिन से लखनऊ में जारी कलह के बाद बिहार में लालू के विरोधी एक बार फिर अलाप रहे हैं कि बिहार के यादव परिवार में भी सबकुछ ठीक नहीं है. आपको याद होगा कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनते वक्त लालू के परिवार में बेटों को दिए जाने वाले पद से मतभेद पैदा हुए थे. जहां लखनऊ में कलह से अखिलेश, डिंपल, मुलायम और शिवपाल सोशल मीडिया पर कमजोर पड़ रहे हैं वहीं बिहार में इन तीन दिनों के दौरान लालू और तेजस्वी भी लोकप्रियता बटोरने में विफल हो रहे हैं.

 

क्या उत्तर प्रदेश और बिहार में पारिवारिक कलह इनके चाहने वालों पर भारी पड़ रहा है? क्या सोशल मीडिया पर दिखाई दे रही यह गिरावट भविष्य की किसी चुनौती की सुगबुगाहट है? या फिर इनके चाहने वालों को समझ आ रहा है कि यहां राजनीति जातिवाद की उतनी नहीं है जितना परिवारवाद की है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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