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राहुल गांधी को कैसे पता चला कि गठबंधन को 50 सीटें कम मिलेंगी?

    • आईचौक
    • Updated: 02 मार्च, 2017 09:06 PM
  • 02 मार्च, 2017 09:06 PM
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राहुल ने यूपी में गठबंधन की सरकार बनने का दावा तो बड़े आत्मविश्वास से किया, लेकिन सीटों की संख्या कम क्यों बतायी, ये समझ में नहीं आया.

दो बार टलने के बाद संभावित 'वाराणसी रोड शो' से दो दिन पहले राहुल गांधी पिंडरा पहुंचे - और जब तक रहे सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके निशाने पर रहे. उसी पिंडरा में जहां लालू प्रसाद ने मोदी के लिए अपशब्द कहे थे, राहुल गांधी ने गब्बर बताया. राहुल पहले भी मोदी से सतर्क रहने के लिए आगाह कर चुके हैं - पैसे छुपा लो नहीं तो गब्बर आ जाएगा.

राहुल ने यूपी में गठबंधन की सरकार बनने का दावा तो बड़े आत्मविश्वास से किया, लेकिन सीटों की संख्या 50 कम क्यों बतायी, ये समझ में नहीं आया.

पता लग जाता है...

पहले तो राहुल गांधी ने यूपी के मशहूर चीजों की लिस्ट वैसे ही गिनायी जैसे सामान्य ज्ञान की किताबों में होता, लेकिन फिर उन्हें ध्यान आया कि बनारस में तो बनारस की बात करनी चाहिये.

"बनारस में आप साड़ी बनाते थे," इसमें राहुल का पूरा जोर 'थे' पर रहा. लगे हाथ उन्होंने अमेठी के टमाटर की भी याद दिलायी. फिर बोले - "हमारी सरकार आएगी."

मन की बात बता देता है असली...

पुराने प्रसंगों की तरह राहुल ने ये तो नहीं कहा कि ये बात उन्हें किसी खुफिया अफसर से मालूम हुई, लेकिन चेहरे के भाव से बताने की कोशिश की, जैसे उनका दिल कह रहा हो. बोले भी, "पता चल जाता है."

राहुल ने लोगों के मन में उठ रहे सवालों को भी फौरन ही भांप लिया और जीत की वजह भी बता दी, "मोदी जी के चेहरे को देखो. कैसे मुहं लटका हुआ है." इटावा में अखिलेश यादव के वोट डालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भी ऐसी ही टिप्पणी की थी. राहुल ने लोगों को ये भी समझाया कि सरकार बनने पर उनके काम करने का तरीका कैसा होगा? वादों की ढेर लगाते राहुल गांधी ने यहां तक यकीन दिला दिया कि वे लोग यूपी को दुनिया की फैक्ट्री बना देंगे.

रैली में वो अखिलेश यादव का नाम...

दो बार टलने के बाद संभावित 'वाराणसी रोड शो' से दो दिन पहले राहुल गांधी पिंडरा पहुंचे - और जब तक रहे सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके निशाने पर रहे. उसी पिंडरा में जहां लालू प्रसाद ने मोदी के लिए अपशब्द कहे थे, राहुल गांधी ने गब्बर बताया. राहुल पहले भी मोदी से सतर्क रहने के लिए आगाह कर चुके हैं - पैसे छुपा लो नहीं तो गब्बर आ जाएगा.

राहुल ने यूपी में गठबंधन की सरकार बनने का दावा तो बड़े आत्मविश्वास से किया, लेकिन सीटों की संख्या 50 कम क्यों बतायी, ये समझ में नहीं आया.

पता लग जाता है...

पहले तो राहुल गांधी ने यूपी के मशहूर चीजों की लिस्ट वैसे ही गिनायी जैसे सामान्य ज्ञान की किताबों में होता, लेकिन फिर उन्हें ध्यान आया कि बनारस में तो बनारस की बात करनी चाहिये.

"बनारस में आप साड़ी बनाते थे," इसमें राहुल का पूरा जोर 'थे' पर रहा. लगे हाथ उन्होंने अमेठी के टमाटर की भी याद दिलायी. फिर बोले - "हमारी सरकार आएगी."

मन की बात बता देता है असली...

पुराने प्रसंगों की तरह राहुल ने ये तो नहीं कहा कि ये बात उन्हें किसी खुफिया अफसर से मालूम हुई, लेकिन चेहरे के भाव से बताने की कोशिश की, जैसे उनका दिल कह रहा हो. बोले भी, "पता चल जाता है."

राहुल ने लोगों के मन में उठ रहे सवालों को भी फौरन ही भांप लिया और जीत की वजह भी बता दी, "मोदी जी के चेहरे को देखो. कैसे मुहं लटका हुआ है." इटावा में अखिलेश यादव के वोट डालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भी ऐसी ही टिप्पणी की थी. राहुल ने लोगों को ये भी समझाया कि सरकार बनने पर उनके काम करने का तरीका कैसा होगा? वादों की ढेर लगाते राहुल गांधी ने यहां तक यकीन दिला दिया कि वे लोग यूपी को दुनिया की फैक्ट्री बना देंगे.

रैली में वो अखिलेश यादव का नाम भी लेते रहे हैं और बताया कि कैसे दोनों मिल कर काम करेंगे. ये सब तो ठीक रहा, लेकिन जब सीटों की संख्या बतायी तो उनका आकलन अखिलेश के दावे से मैच नहीं किया.

सिर्फ 250 क्यों?

कांग्रेस से गठबंधन होने से पहले और उसके बाद भी अखिलेश यादव हर मौके पर खुद के बूते बहुमत पाने के जिक्र करते रहे हैं. साथ ही, कांग्रेस का हाथ साइकिल के हैंडल पर हो जाने के बाद तीन सौ प्लस की बात करते हैं.

सोनिया गांधी के खुले पत्र और वीडियो मैसेज के उलट राहुल गांधी ने कांग्रेस के साथ साथ लोगों से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को भी वोट देने के लिए कहा. वैसे वो पिंडरा में अजय राय के लिए वोट मांग रहे थे, जो 2014 में मोदी के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर वाराणसी लोक सभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं.

राहुल गांधी की पिंडरा रैली में बस एक बात समझ में नहीं आयी - "कम से कम 250 सीटें आनी हैं." क्या ये राहुल गांधी को मिले नोट्स पर प्रूफ की गलती रही, या फिर राहुल गांधी को इस बात का भी पता लग चुका है!

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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