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संस्कृति

एक गांव की महिलाओं ने लंबे बालों से बुन डाला एक रिकॉर्ड!

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 14 अप्रिल, 2016 07:47 PM
  • 14 अप्रिल, 2016 07:47 PM
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चीन के एक गांव में महिलाओं के बालों की लंबाई औसतन 2 मीटर होती है. यहां बाल बढ़ाने की परंपरा रही है और इसी वजह से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में इस गांव का नाम दर्ज है.

लंबे बालों को महिलाओं की खूबसूरती से जोड़ा जाता है. कहते हैं पुरुष भी लंबे बाल वाली महिलाओं की ओर ही ज्यादा आकर्षित होते हैं. पर नजर दौड़ाकर देखने पर भी ये लंबे बालों वाली महिलाएं देखने नहीं मिलतीं.पर एक गांव ऐसा है जिसमें जहां नजर दौड़ाएंगे लंबे बाल ही नजर आएंगे. यहां एक नहीं बल्कि सारी महिलाओं के बाल अच्छे खासे लंबे हैं.

 याओ समाज में करीब 120 महिलाएं है जिनके बाल इतने लंबे हैं

चीन के दक्षिण-पश्चिम में स्थित गुइलिन प्रांत में बसा है हुआंग्लुओ गांव. यहां के याओ समाज की महिलाओं में लंबे बाल रखने की सदियों पुरानी परंपरा है. और इसी प्रथा की वजह से इस गांव का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. अब इस गांव को 'दुनिया के पहले लंबे बाल वाले गांव' के रूप में जाना जाता है.

 
 लंबे बालों का उत्सव मनाया जाता है

याओ महिलाएं अपने पूरे जीवन में सिर्फ एक ही बार बाल कटवाती हैं, अपनी शादी से पहले. याओ समाज की महिलाओं के बालों की औसत लंबाई 2.3 मीटर होती है. और हर साल इन महिलाओं के बालों की खूबसूरती का जश्न एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान समाज की महिलाएं जिंजियांग नदी पर आकर अपने बाल धोती हैं, उन्हें संवारती हैं और स्कार्फ बांधती हैं.

लंबे बालों को महिलाओं की खूबसूरती से जोड़ा जाता है. कहते हैं पुरुष भी लंबे बाल वाली महिलाओं की ओर ही ज्यादा आकर्षित होते हैं. पर नजर दौड़ाकर देखने पर भी ये लंबे बालों वाली महिलाएं देखने नहीं मिलतीं.पर एक गांव ऐसा है जिसमें जहां नजर दौड़ाएंगे लंबे बाल ही नजर आएंगे. यहां एक नहीं बल्कि सारी महिलाओं के बाल अच्छे खासे लंबे हैं.

 याओ समाज में करीब 120 महिलाएं है जिनके बाल इतने लंबे हैं

चीन के दक्षिण-पश्चिम में स्थित गुइलिन प्रांत में बसा है हुआंग्लुओ गांव. यहां के याओ समाज की महिलाओं में लंबे बाल रखने की सदियों पुरानी परंपरा है. और इसी प्रथा की वजह से इस गांव का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. अब इस गांव को 'दुनिया के पहले लंबे बाल वाले गांव' के रूप में जाना जाता है.

 
 लंबे बालों का उत्सव मनाया जाता है

याओ महिलाएं अपने पूरे जीवन में सिर्फ एक ही बार बाल कटवाती हैं, अपनी शादी से पहले. याओ समाज की महिलाओं के बालों की औसत लंबाई 2.3 मीटर होती है. और हर साल इन महिलाओं के बालों की खूबसूरती का जश्न एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान समाज की महिलाएं जिंजियांग नदी पर आकर अपने बाल धोती हैं, उन्हें संवारती हैं और स्कार्फ बांधती हैं.

ये भी पढ़ें- कैटरीना के 55 लाख के बालों पर लाल पीला होने की क्या जरूरत?

 नदी पर बाल धोने और संवारने की परंपरा है
इस उत्सव में भाग लेने वाली ये महिलाएं एक जैसे वस्त्र भी पहनती है

याओ समाज में मान्यता थी कि महिलाओं के बाल केवल उनके पति और बच्चे ही देख सकते हैं. अगर धोखे से किसी अन्य पुरुष ने किसी महिला के बाल बिना स्कार्फ के देख लिए तो पुरुष को लड़की के घर 3 साल तक पति की तरह रहना पड़ता था. लेकिन 1987 में ये प्रथा समाप्त कर दी गई. तब से हर साल यहां की करीब 120 महिलाएं गर्व से अपने बाल हवा में लहराती हैं. 

 अब महिलाएं किसी को भी अपने बाल दिखा सकती हैं

यहां बाल लंबे रखने की प्रथा के पीछे एक कारण भी है. लोगों का मानना है कि महिलाओं के बाल जितने ज्यादा लंबे होंगे वो अपने परिवार के लिए उतनी ही भाग्यशाली होंगी. लंबे बाल दीर्घायु, संपन्नता और अच्छे सौभाग्य को दर्शाते हैं.

ये महिलाएं अपने बालों को जोर से अमेठकर जूड़ा बना लेती हैं जिसकी वजह से बाल तेजी से बढ़ते हैं

ये भी पढ़ें- गजब की ये महिलाएं और अजीब इनकी दुनिया...

भारत में भी यही माना जाता है कि महिलाओं को बाल नहीं कटवाने चाहिए, बाल कटेंगे तो दुर्भाग्य आएगा. लेकिन अगर ऐसा है तो इन महिलाओं के बारे में क्या कहा जाये जिनके बाल हमेशा से छोटे थे.

 इंदिरा गांधी, एनी बीसेंट, किरण बेदी और प्रिंसेस डायना आदि ऐसी ही महिलाओं के उदारहण हैं जिनके बाल छोटे थे, लेकिन वो कितनी सौभाग्यशाली रही हैं सब जानते हैं

एक और खास बात...हेयरस्टाइल और बिहेवियर पर हुई रिसर्च के मुताबिक पुरुषों को महिलाओं के लंबे बाल(कंधे तक) ज्यादा भाते हैं. जिन महिलाओं के बाल लंबे होते हैं, पुरुष उनको अच्छे स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता के तौर पर देखते हैं.

तो बाल कैसे भी रखिए लेकिन स्वस्थ रहिए, और रही बात खूबसूरत दिखने की, तो खूबसूरती तो देखने वालों की निगाह में होती है.. समझे?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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