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Updated: 18 जनवरी, 2020 03:34 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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दिल्ली चुनाव (Delhi Assembly Election) सिर पर हैं और तमाम पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के जरिए अपने हित साधने में लगी हुई हैं. सबसे बड़ी लड़ाई हो रही है अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और नरेंद्र मोदी के बीच. दरअसल, भाजपा (BJP) ने दिल्ली चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को नहीं उतारा है, बल्कि ये चुनाव पीएम मोदी (Narendra Modi) के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा और बाद में इस बात का फैसला किया जाएगा कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन बनेगा (Who will become Delhi CM). अब जब चुनाव आ गए हैं तो हर मुद्दे को उठाया जाएगा. केजरीवाल फ्री बिजली-पानी, बेहतर सरकारी स्कूल और स्वास्थ्य को मुद्दा बना रहे हैं और लोगों से उनके वोट मांग रहे हैं. वहीं दूसरी ओर भाजपा की ओर से ये कहा जा रहा है कि केजरीवाल ने दिल्ली में काम नहीं किया है. ऊपर से सीएए (CAA), एनआरसी (NRC) और एनपीआर (NPR) जैसे मुद्दों पर भी भाजपा को फायदा मिलता दिख रहा है. इस पूरी कवायद में दो ऐसे मुद्दे हैं, जो अरविंद केजरीवाल के गले ही हड्डी बन गए हैं. पहला है निर्भया केस (Nirbhaya Case) और दूसरा है कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar).

Delhi Election Nirbhaya Case Kanhaiya Kumar Arvind Kejriwalअरविंद केजरीवाल चुनाव में कितने भी काम गिना लें, निर्भया केस और कन्हैया कुमार का मामला उनके खिलाफ ही जाता दिख रहा है.

पहले बात निर्भया मामले की

निर्भया की मां ने हाल ही में बयान दिया है कि केजरीवाल सरकार ही निर्भया के दोषियों की फांसी में देरी होने के लिए जिम्मेदार है. उनका कहना है कि सरकार की गलती की वजह से वह एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट भाग रही हैं. बता दें कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में सुनवाई के दौरान कहा है कि 22 जनवरी को फांसी नहीं दी जा सकती. दरअसल, निर्भया के दोषियों में से एक मुकेश सिंह ने राष्ट्रपति के समझ दया याचिका दायर कर दी है और उसी की वजह से फांसी में देरी हो रही है.

भाजपा की ओर से प्रकाश जावड़ेकर ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया है और केजरीवाल पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि निर्भया के दोषियों को फांसी देने में देरी (Delay in Nirbhaya Convicts Execution) दिल्ली सरकार की लापरवाही की वजह से हुई है. न्याय में देरी के लिए दिल्ली सरकार ही दोषी है. केजरीवाल सरकार ने पिछले 2.5 सालों में दोषियों को दया याचिका दाखिल करने के लिए नोटिस क्यों नहीं दिया?

जावड़ेकर (Prakash Javdekar Statement) का जवाब देने आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजय सिंह (Sanjay Singh Statement) मैदान में उतरे तो, लेकिन बिना तैयारी और आधी-अधूरी जानकारी के साथ. उन्होंने कहा कि भाजपा लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है. दिल्ली में कानून-व्यवस्था तो केंद्र सरकार के हाथ में है, तो फिर आम आदमी पार्टी देरी के लिए जिम्मेदार कैसे हो गई. भाजपा की वजह से ही देरी हुई है और जावड़ेकर को आरोप लगाने के बजाए माफी मांगनी चाहिए. यहां एक बात ध्यान देने की है कि तिहाड़ जेल प्रशासन की तरफ से दया याचिका दाखिल करने का नोटिस दोषी को भेजा जाता है और तिहाड़ जेल दिल्ली सरकार के अधीन है. यानी दिल्ली सरकार माने या ना माने, उसकी लापरवाही तो दिख ही रही है.

इतना ही नहीं, मुकेश की दया याचिका की वजह से चारों की फांसी रुक गई है. इसकी वजह भी तिहाड़ जेल का एक नियम है, जिसके अनुसार अगर किसी एक मामले में चार लोगों को फांसी हुई है तो सबको फांसी एक साथ ही दी जाएगी या सबकी फांसी की तारीख आगे बढ़ेगी. आपको बता दें कि दया याचिका खारिज होने के बाद कानून दोषियों को 14 दिन का वक्त देना होता है. यानी अब सबकी फांसी की तारीख आगे बढ़ेगी. इसीलिए दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा था कि 22 जनवरी को फांसी नहीं हो सकती. हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर दिल्ली सरकार को लताड़ा भी था कि ये कैसा कानून है, ऐसा लगता है कि इस कानून को बनाते समय दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया गया है.

अब आम आदमी पार्टी पर एक आरोप तो ये लग रहा है कि उसकी वजह से फांसी में देरी हुई, वहीं दूसरा आरोप ये भी लग गया कि दिल्ली सरकार की ओर से बनाए गए एक नियम की वजह से एक नहीं, बल्कि सब की फांसी टल रही है. वहीं दूसरी ओर भाजपा ने भी अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. फांसी में देरी होने की वजह से निर्भया की मां ने भी केजरीवाल को कोसना शुरू कर दिया है. वैसे भी निर्भया केस से अब पूरे देश की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि निर्भया केस केजरीवाल के खिलाफ जाता दिख रहा है, जिसका नुकसान दिल्ली चुनाव में देखने को मिल सकता है.

अब बात कन्हैया कुमार के देशद्रोह की

संसद हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद 9 फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. पुलिस के मुताबिक इस कार्यक्रम में कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाए गए. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 10 छात्रों के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किया, जिसमें 7 कश्मीरी आरोपी भी शामिल हैं. इन 10 आरोपियों में ही एक नाम है कन्हैया कुमार का, जिन पर देश विरोधी नारेबाजी का आरोप है. गवाहों के मुताबिक नारेबाजी वाली जगह पर कन्हैया कुमार भी थे और वहां प्रदर्शनकारियों के हाथों में आतंकी अफजल के पोस्टर थे.

इस मामले में दिल्ली पुलिस ने जेएनयू छात्र संघ के पूर्व नेता कन्हैया कुमार के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज करते हुए भारत विरोधी नारे लगाने और नफरत और असंतोष फैलाने के आरोप में चार्जशीट भी फाइल की थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने अपनी मंजूरी नहीं दी. हाल ही में जेएनयू में हुई हिंसा के बाद भी कई मौकों पर कन्हैया कुमार के खिलाफ बातें उठीं. हर बार यही कहा गया कि दिल्ली सरकार ने कन्हैया कुमार को बचाने का काम किया है.

कैसे दिल्ली सरकार बचा रही है कन्हैया को?

अक्सर एक बात माथा ठनकाती है कि दिल्ली पुलिस तो केंद्र के अधीन है, तो फिर दिल्ली सरकार यानी केजरीवाल सरकार इसमें रोड़ा कैसे बन सकती है? कुछ लोग ये बातें भी करते हैं कि ये सब सिर्फ दिल्ली सरकार को बदनाम करने के लिए कहा जा रहा है. यहां आपके लिए ये जानना जरूरी है कि अगर दिल्ली पुलिस देशद्रोह के किसी मामले में किसी शख्स के खिलाफ चार्जशीट दायर करती है तो उसे पहले दिल्ली सरकार के कानून विभाग की मंजूरी लेनी होती है. इस मंजूरी के बाद फाइल लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास भेजी जाती है, जिसके बाद पुलिस को मामले को आगे बढ़ाने के लिए हरी झंडी मिलती है. अगर दिल्ली सरकार की इजाजत ना हो तो भले ही दिल्ली पुलिस चार्जशीट दायर कर दे, लेकिन कोर्ट उस पर कोई संज्ञान नहीं लेगा. पिछली बार यही हुआ. दिल्ली पुलिस ने तो चार्जशीट दायर कर दी, लेकिन केजरीवाल सरकार ने मंजूरी नहीं दी और मामला लटका रह गया.

समय-समय पर कन्हैया कुमार केंद्र सरकार और पीएम मोदी के खिलाफ हमले बोलते रहे हैं और विपक्षी पार्टियों का भी उन्हें समर्थन मिलता रहा है. दिल्ली सरकार द्वारा कन्हैया कुमार का बचाव किए जाने को भाजपा भी समय-समय पर भुनाती रही है और इस चुनाव में भी वह इस मुद्दे को भुना रही है. इस तरह दिल्ली सरकार की छवि देशद्रोहियों को पनाह देने वाली बन रही है. और ये तो आप भी समझते हैं कि अगर बात देशभक्ति और देशद्रोह की होगी, तो चुनाव वो जीतेगा, जो देशभक्ति की बात करेगा. बस इसीलिए दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल के लिए कन्हैया को बचाना गले की हड्डी बन गया है.

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