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क्या भारतीय टीम के लिए फिर लकी साबित होगा लॉर्ड्स का मैदान ?

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 10 अगस्त, 2018 09:43 PM
  • 10 अगस्त, 2018 09:43 PM
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क्रिकेट के इतिहास में लॉर्ड्स के मैदान का अपना महत्व है. टीम इंडिया, इंग्लैंड के साथ मैच खेल रही है. सवाल ये है कि क्या कोहली इस ग्राउंड पर कुछ तूफानी कर पाएंगे?

क्रिकेट और लॉर्ड्स का ऐतेहासिक मैदान एक दूसरे के पूरक हैं यह कहना गलत नहीं होगा. क्रिकेट का मक्का माने जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर वैसे तो भारतीयों की भी कई बेमिसाल यादें जुड़ी हुई हैं चाहे वो 1983 में भारतीय कप्तान कपिल देव का पहली बार विश्वकप उठाना हो. या 2002 में भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली का जीत के बाद का अनोखा जश्न. लॉर्ड्स के बालकनी में गांगुली का टी शर्ट उतार कर हवा में लहराने की तस्वीर आज भी हर क्रिकेट प्रेमी के जहन में ताजा होगी. सफेद कपड़ों यानी कि टेस्ट क्रिकेट में भारत का रिकॉर्ड लॉर्ड्स के मैदान पर कुछ खास नहीं रहा है, टीम ने यहां खेले 17 टेस्ट मैचों में केवल दो में जीत दर्ज की है जबकि 11 में उसे हार का सामना करना पड़ा है.

विदेशी जमीन पर टीम इंडिया का प्रदर्शन बहुत संतोषजनक नहीं रहा है

भारत के लिए अच्छी बात यह है कि भारतीय टीम जब इस दौरे से पहले 2014 में इंग्लैंड दौरे पर थी तब भारत ने इंग्लैंड को 95 रन से हराया था. अब भारत को ऐसे ही नतीजे की उम्मीद लॉर्ड्स के मैदान पर कल से शुरू हुए दूसरे टेस्ट मैच से होगी, हालांकि टेस्ट मैच के पहले दिन बारिश के कारण पूरे दिन का खेल नहीं हो सका, और साथ ही अभी तक मैच का टॉस भी नहीं हो सका है.

बहरहाल एजबेस्टन में नजदीकी मुकाबला हारने के बाद भारतीय टीम लॉर्ड्स टेस्ट को जीत सीरीज बराबर करना चाहेगी. लॉर्ड्स की पिच भी भारतीय टीम के मिजाज को सूट करती है, साथ ही इस पिच पर ऐसा माना जाता है कि जैसे जैसे टेस्ट आगे बढ़ता है वैसे यह पिच स्पिनरों के लिए मददगार हो जाती है और चौथी पारी में स्पिनर काफी कारगर साबित हो सकते हैं. ऐसे में बहुत संभव है कि भारतीय टीम इस मैच में दो स्पिनरों के साथ मैदान में उतरे.

वैसे इस मैदान पर इंग्लैंड का पिछले कुछ सालों का खराब रिकॉर्ड भी भारतीय टीम के लिए...

क्रिकेट और लॉर्ड्स का ऐतेहासिक मैदान एक दूसरे के पूरक हैं यह कहना गलत नहीं होगा. क्रिकेट का मक्का माने जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर वैसे तो भारतीयों की भी कई बेमिसाल यादें जुड़ी हुई हैं चाहे वो 1983 में भारतीय कप्तान कपिल देव का पहली बार विश्वकप उठाना हो. या 2002 में भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली का जीत के बाद का अनोखा जश्न. लॉर्ड्स के बालकनी में गांगुली का टी शर्ट उतार कर हवा में लहराने की तस्वीर आज भी हर क्रिकेट प्रेमी के जहन में ताजा होगी. सफेद कपड़ों यानी कि टेस्ट क्रिकेट में भारत का रिकॉर्ड लॉर्ड्स के मैदान पर कुछ खास नहीं रहा है, टीम ने यहां खेले 17 टेस्ट मैचों में केवल दो में जीत दर्ज की है जबकि 11 में उसे हार का सामना करना पड़ा है.

विदेशी जमीन पर टीम इंडिया का प्रदर्शन बहुत संतोषजनक नहीं रहा है

भारत के लिए अच्छी बात यह है कि भारतीय टीम जब इस दौरे से पहले 2014 में इंग्लैंड दौरे पर थी तब भारत ने इंग्लैंड को 95 रन से हराया था. अब भारत को ऐसे ही नतीजे की उम्मीद लॉर्ड्स के मैदान पर कल से शुरू हुए दूसरे टेस्ट मैच से होगी, हालांकि टेस्ट मैच के पहले दिन बारिश के कारण पूरे दिन का खेल नहीं हो सका, और साथ ही अभी तक मैच का टॉस भी नहीं हो सका है.

बहरहाल एजबेस्टन में नजदीकी मुकाबला हारने के बाद भारतीय टीम लॉर्ड्स टेस्ट को जीत सीरीज बराबर करना चाहेगी. लॉर्ड्स की पिच भी भारतीय टीम के मिजाज को सूट करती है, साथ ही इस पिच पर ऐसा माना जाता है कि जैसे जैसे टेस्ट आगे बढ़ता है वैसे यह पिच स्पिनरों के लिए मददगार हो जाती है और चौथी पारी में स्पिनर काफी कारगर साबित हो सकते हैं. ऐसे में बहुत संभव है कि भारतीय टीम इस मैच में दो स्पिनरों के साथ मैदान में उतरे.

वैसे इस मैदान पर इंग्लैंड का पिछले कुछ सालों का खराब रिकॉर्ड भी भारतीय टीम के लिए अच्छी खबर हो सकती है. इंग्लैंड इस मैदान पर पिछले 4-5 सालों में किसी भी भारतीय उपमहाद्वीप (भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका)की टीम को हरा नहीं सकी, और इन देशों के खिलाफ पांच मैचों में 3 में उसे हार का सामना करना पड़ा है जबकि 2 ड्रा रहें हैं. मतलब साफ है कि इंग्लैंड स्पिनरों को मदद करती पिच पर बेबस नजर आती है.

ऐसे में विराट कोहली की टीम इस मैच को जीत कर इंग्लैंड पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे. साथ ही जबरदस्त फॉर्म में चल रहे विराट इस ऐतेहासिक मैदान पर शतक जरूर लगाना चाहेंगे, जहां भारत के महानतम बल्लेबाज माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर शतक नहीं लगा सके. ऐसे में दूसरा टेस्ट मैच भारतीय टीम के लिए चुनौतियों के साथ कई मौके लेकर आ रहा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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