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बस यह टीम जीतना भूल गयी है

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 15 सितम्बर, 2018 11:58 AM
  • 15 सितम्बर, 2018 11:58 AM
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पहले आमतौर पर यह माना जाता था कि भारत के बल्लेबाज तेज पिचों पर तेज गेंदबाजी के आगे संघर्ष करती है, मगर हालिया वर्षों में टीम की ताकत रही स्पिन गेंदबाजी भी अब टीम की कमजोरी बन गयी है.

भारतीय टीम का एक और निराशाजनक इंग्लैंड दौरा आखिरकार खत्म हो गया. तमाम उम्मीदों के बावजूद टीम इंग्लैंड की धरती पर सीरीज जीत के सपने को पूरा नहीं कर सकी और इसके विपरीत टीम 1-4 से सीरीज गंवा बैठी. हालांकि पांचवे टेस्ट मैच के पांचवे दिन भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन बहुत हद तक सुकून देने वाला रहा जब भारतीय बल्लेबाजों ने आखिरी दिन जीत का माद्दा दिखाते हुए बल्लेबाजी की. वैसे जीत के लिए लक्ष्य इतना ज्यादा था जो असंभव नहीं मगर बहुत ही मुश्किल था. बावजूद इसके के एल राहुल और ऋषभ पंत ने जिस प्रकार की बल्लेबाजी की उससे इंग्लैंड के गेंदबाजों के पसीने छूट गए और एक बार के लिए लगा कि टीम इस असंभव से लग रहे लक्ष्य को भी पा लेगी. कुल मिलाकर यह भारतीय टीम का ऐसा प्रदर्शन था जो बाकी के मैचों में देखने को नहीं मिला. भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन इसलिए भी खास कहा जा सकता क्योंकि दूसरी पारी में कप्तान विराट कोहली के शून्य पर आउट होने के बावजूद टीम 300 से ज्यादा का स्कोर बनाने में सफल रही जो कम ही मौकों पर देखने को मिलता है.

 टीम इंडिया 1-4 से सीरीज गंवा बैठी

हालांकि बल्लेबाजों के इस धाकड़ प्रदर्शन के बावजूद सीरीज का नतीजा 1-4 ही रहा, मगर यह प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया दौरे के पहले टीम के मनोबल को कुछ ऊंचा जरूर कर सकती है. वैसे सीरीज के नतीजे देखकर सहज ही इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि भारतीय टीम का इंग्लैंड दौरा एकतरफा ही रहा. मगर सही मायनों में कहानी इसके उलट है. यह जरूर है भारत पांच टेस्ट मैचों में एक में ही जीत दर्ज कर सका और बाकी चार में उसे हार का सामना करना पड़ा, मगर लॉर्ड्स में हुए दूसरे टेस्ट मैच को छोड़कर टीम ने बाकी के सारे मैचों में मौके बनाये थे, बस टीम मौकों को नतीजों में तब्दील नहीं कर सकी.

भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट मैच...

भारतीय टीम का एक और निराशाजनक इंग्लैंड दौरा आखिरकार खत्म हो गया. तमाम उम्मीदों के बावजूद टीम इंग्लैंड की धरती पर सीरीज जीत के सपने को पूरा नहीं कर सकी और इसके विपरीत टीम 1-4 से सीरीज गंवा बैठी. हालांकि पांचवे टेस्ट मैच के पांचवे दिन भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन बहुत हद तक सुकून देने वाला रहा जब भारतीय बल्लेबाजों ने आखिरी दिन जीत का माद्दा दिखाते हुए बल्लेबाजी की. वैसे जीत के लिए लक्ष्य इतना ज्यादा था जो असंभव नहीं मगर बहुत ही मुश्किल था. बावजूद इसके के एल राहुल और ऋषभ पंत ने जिस प्रकार की बल्लेबाजी की उससे इंग्लैंड के गेंदबाजों के पसीने छूट गए और एक बार के लिए लगा कि टीम इस असंभव से लग रहे लक्ष्य को भी पा लेगी. कुल मिलाकर यह भारतीय टीम का ऐसा प्रदर्शन था जो बाकी के मैचों में देखने को नहीं मिला. भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन इसलिए भी खास कहा जा सकता क्योंकि दूसरी पारी में कप्तान विराट कोहली के शून्य पर आउट होने के बावजूद टीम 300 से ज्यादा का स्कोर बनाने में सफल रही जो कम ही मौकों पर देखने को मिलता है.

 टीम इंडिया 1-4 से सीरीज गंवा बैठी

हालांकि बल्लेबाजों के इस धाकड़ प्रदर्शन के बावजूद सीरीज का नतीजा 1-4 ही रहा, मगर यह प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया दौरे के पहले टीम के मनोबल को कुछ ऊंचा जरूर कर सकती है. वैसे सीरीज के नतीजे देखकर सहज ही इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि भारतीय टीम का इंग्लैंड दौरा एकतरफा ही रहा. मगर सही मायनों में कहानी इसके उलट है. यह जरूर है भारत पांच टेस्ट मैचों में एक में ही जीत दर्ज कर सका और बाकी चार में उसे हार का सामना करना पड़ा, मगर लॉर्ड्स में हुए दूसरे टेस्ट मैच को छोड़कर टीम ने बाकी के सारे मैचों में मौके बनाये थे, बस टीम मौकों को नतीजों में तब्दील नहीं कर सकी.

भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में जीत के काफी करीब पहुंच गई थी, मगर टीम के बल्लेबाजों ने गैरजिम्मेदाराना खेल दिखाकर इंग्लैंड को बढ़त बनाने का मौका दे दिया. ऐसा ही नज़ारा चौथे टेस्ट मैच में भी देखने को मिली जब भारतीय टीम इंग्लैंड के ऊपरी क्रम के बल्लेबाजों को सस्ते में आउट करने के बावजूद निचली क्रम के बल्लेबाजों से रन खा बैठी. यानी टीम कई मैचों में जीत के करीब होने के बावजूद हार गई. भारतीय टीम की ऐसी ही कहानी दक्षिण अफ्रीका दौरे पर भी देखने को मिली जब टीम मौकों को जीत में तब्दील नहीं कर सकी.

कमजोरी जो ताकत बन गई है और ताकत कमजोरी

हालांकि मौके चूकने के बावजूद टीम में जो अच्छी बात दिखी वह यह कि भारत के तेज गेंदबाज अब अनुकूल परिस्थितियों का भरपूर लाभ उठाते दिख रहे हैं. इंग्लैंड के खिलाफ ही पूरे सीरीज में भारतीय तेज गेंदबाज जबरदस्त लय में दिखे और इंग्लैंड के बल्लेबाजों को खुल कर खेलने का मौका नहीं दिया. इशांत शर्मा, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी की तिकड़ी किसी भी मायने में इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों से कमतर नहीं दिखी. कह सकते हैं कि कभी तेज गेंदबाजी जो कमजोरी मानी जाती थी अब वो ताकत बन गयी है.

तेज गेंदबाजी जो कमजोरी मानी जाती थी अब वो ताकत बन गयी है

वहीं इसके विपरीत बल्लेबाजी में भारत के लिए चिंता खत्म होने का नाम नहीं ले रही और टीम की हार के लिए पूरी तरह बल्लेबाज ही दोषी रहे. पहले आमतौर पर यह माना जाता था कि भारत के बल्लेबाज तेज पिचों पर तेज गेंदबाजी के आगे संघर्ष करती है, मगर हालिया वर्षों में टीम की ताकत रही स्पिन गेंदबाजी भी अब टीम की कमजोरी बन गयी है. कुछ वर्ष पहले भारत के दौरे पर गयी इंग्लैंड की टीम के स्पिन गेंदबाज मोंटी पानेसर और ग्रीम स्वान की जोड़ी ने भारतीय बल्लेबाजों को भारत के ही पिचों पर धूल चटा दी थी तो लगा कि यह मात्र एक खराब सीरीज है, मगर इसके बाद से कई मैचों में भारतीय बल्लेबाज स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ घुटने टेकती नजर आई. इंग्लैंड के खिलाफ समाप्त हुए सीरीज में भी इंग्लैंड के स्पिनर मोइन अली ने भारतीय बल्लेबाजों को काफी परेशान किया और इंग्लैंड की जीत में अहम भूमिका निभाई. कह सकते है कि कभी शेन वार्न और मुथैया मुरलीधरन जैसे स्पिन गेंदबाजों को विकेटों के लिए तरसाने वाली टीम अब स्पिन के आगे भी काफी लाचार नजर आ रही है.

अब भारतीय टीम नवंबर में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जा रही है, यह दौरा कप्तान विराट कोहली के लिए एक चक्कर पूरा होने जैसा भी है क्योंकि टीम के पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ही दो मैचों के बाद महेंद्र सिंह धोनी ने टेस्ट से संन्यास ले लिया था जिसके बाद कोहली को आखिरी दो मैचों में कप्तान बनाया गया था. अब दोबारा जब कोहली ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जाएंगे तो कोहली की मंशा सीरीज जीत की होगी. भारतीय टीम इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर जीत के करीब भी पहुंची है मगर जीत से दूर रही है. ऐसे में कोहली एंड कंपनी को ऑस्ट्रेलिया में मौकों को जीत में बदलना होगा मगर इससे पहले इन दो दौरों की गलतियों से सीखना होगा और गेंदबाज बल्लेबाज को साथ में अच्छा प्रदर्शन करना होगा, तभी टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया की धरती पर जीत कर इतिहास रच सकती है और अगर ऐसा नहीं हुआ तो टीम का वही हश्र होगा जो अफ्रीका और इंग्लैंड में हुआ.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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