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डोप टेस्ट क्या है? जिसकी बदौलत मीराबाई चानू का रजत पदक स्वर्ण में बदलने की उम्मीद है

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 28 जुलाई, 2021 11:12 PM
  • 28 जुलाई, 2021 11:12 PM
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भारोत्तोलन की जिस स्पर्धा में मीराबाई चानू ने रजत पदक जीता है, उसमें स्वर्ण जीतने वाली चीनी एथलीट होउ जिहूई पर डोपिंग का शक है. एंटी डोपिंग एजेंसी ने उन्हें सैंपल-B टेस्टिंग के लिए बुलाया है. ऐसी बात सामने आ रही है कि उनका सैंपल-A क्लीन नहीं है.

टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympics 2020) में जब मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने सिल्वर मेडल जीता तो सभी भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. वहीं जब से यह खबर सामने आई है कि मीराबाई का मेडल गोल्ड में बदल सकता है तब से लोगों की उम्मीद बढ़ गई है. अब आप भी सोचेंगे कि ये कैसे संभव है? असल में पहले नंबर पर रहीं चीनी एथलीट होउ जिहूई पर डोपिंग का शक है. एंटी डोपिंग एजेंसी ने उन्हें सैंपल-B टेस्टिंग के लिए बुलाया है. ऐसी बात सामने आ रही है कि उनका सैंपल-A क्लीन नहीं है.

ऐसी खबरें सामने आईं कि चीनी एथलिट होउ जिहूई अपने देश लौटने वाली थीं, लेकिन उन्हें रोक दिया गया. उनका डोपिंग टेस्ट कभी भी किया जा सकता है. ओलिंपिक्स के इतिहास में ऐसा कई बार हो चुका है. लोगों की उम्मीद का यही कारण भी है. पहले भी डोपिंग में फेल होने पर खिलाड़ियों का पदक छीन कर दूसरे नंबर पर मौजूद खिलाड़ी को दे दिया गया.

ओलिंपिक खेल में डोपिंग टेस्ट का प्रॉसेस क्या है

हम यह नहीं कह सकते हैं कि ऐसा होगा ही क्योंकि यह पूरी तरह डोपिंग टेस्ट और उसके परिणाम पर निर्भर करता है. हमारे लिए रजत पदक भी छोटी बात हरगिज नहीं है. अब इसका स्वर्ण पदक में बदलने का कितना चांस है यह तो तब समझ आएगा जब डोपिंग टेस्ट होगा और कोई अधिकारिक बयान समाने आएगा.

ओलंपिक में किन-किन खिलाड़ियों से छीना जा चुका है मेडल

डोपिंग टेस्ट की बात करें तो साल 1972 ओलंपिक में पहली बार अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने प्रतिबंधित दवाओं के सेवन को रोकने के लिए ड्रग परीक्षण शुरू किए थे. लेकिन इस परीक्षण से होने वाली सबसे सनसनीखेज कार्रवाई 1988 के सोल ओलंपिक में हुई. कनाडा के बेन जॉन्सन ने तबके फेवरेट कार्ल लुईस को हराकर 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतने के साथ विश्व रिकार्ड बनाया....

टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympics 2020) में जब मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने सिल्वर मेडल जीता तो सभी भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. वहीं जब से यह खबर सामने आई है कि मीराबाई का मेडल गोल्ड में बदल सकता है तब से लोगों की उम्मीद बढ़ गई है. अब आप भी सोचेंगे कि ये कैसे संभव है? असल में पहले नंबर पर रहीं चीनी एथलीट होउ जिहूई पर डोपिंग का शक है. एंटी डोपिंग एजेंसी ने उन्हें सैंपल-B टेस्टिंग के लिए बुलाया है. ऐसी बात सामने आ रही है कि उनका सैंपल-A क्लीन नहीं है.

ऐसी खबरें सामने आईं कि चीनी एथलिट होउ जिहूई अपने देश लौटने वाली थीं, लेकिन उन्हें रोक दिया गया. उनका डोपिंग टेस्ट कभी भी किया जा सकता है. ओलिंपिक्स के इतिहास में ऐसा कई बार हो चुका है. लोगों की उम्मीद का यही कारण भी है. पहले भी डोपिंग में फेल होने पर खिलाड़ियों का पदक छीन कर दूसरे नंबर पर मौजूद खिलाड़ी को दे दिया गया.

ओलिंपिक खेल में डोपिंग टेस्ट का प्रॉसेस क्या है

हम यह नहीं कह सकते हैं कि ऐसा होगा ही क्योंकि यह पूरी तरह डोपिंग टेस्ट और उसके परिणाम पर निर्भर करता है. हमारे लिए रजत पदक भी छोटी बात हरगिज नहीं है. अब इसका स्वर्ण पदक में बदलने का कितना चांस है यह तो तब समझ आएगा जब डोपिंग टेस्ट होगा और कोई अधिकारिक बयान समाने आएगा.

ओलंपिक में किन-किन खिलाड़ियों से छीना जा चुका है मेडल

डोपिंग टेस्ट की बात करें तो साल 1972 ओलंपिक में पहली बार अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने प्रतिबंधित दवाओं के सेवन को रोकने के लिए ड्रग परीक्षण शुरू किए थे. लेकिन इस परीक्षण से होने वाली सबसे सनसनीखेज कार्रवाई 1988 के सोल ओलंपिक में हुई. कनाडा के बेन जॉन्सन ने तबके फेवरेट कार्ल लुईस को हराकर 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतने के साथ विश्व रिकार्ड बनाया. जब जॉनसन का डोप टेस्ट किया गया तो पता चला कि उन्होंने स्टेरॉयड्स का सेवन किया था. इसके बाद उनसे पदक छीन लिया गया और तुरंत ही उनके देश भेज दिया गया.

वहीं 2000 के सिडनी ओलंपिक खेलों में मारियन जोंस से तीन स्वर्ण और दो कांस्य पदक छीन लिए गए थे. यह फैसला मारियन जोंस का ड्रग परीक्षण के बाद किया गया था. इतना ही नहीं उनके बीजिंग ओलंपिक में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. भारत के पहलवान नरसिंह यादव को भी ड्रग टेस्ट में फेल होने के बाद खेल में भाग नहीं लेने दिया गया था.

इसके अलावा 2012 लंदन ओलंपिक में कजाकिस्तान की तीन महिला भारोत्तोलन खिलाड़ियों जुल्फिया चिंशान्लो, माइया मानेजा और स्वेत्लाना पोदोबेदोवा ने गोल्ड मेडल जीता था. जब ये डोप टेस्ट में फेल हो गईं तो इनसे गोल्ड मेडल वापिस ले लिया गया. साथ ही बेलारूस की कांस्य पदक वेटलिफ्टर से भी उनका पदक वापिस ले लिया गया था.

कैसे होता है डोप टेस्ट?

-पहले टेस्ट में खिलाड़ी के यूरीन को सैंपल को ए और बी बोतलों में रखा जाता है.

-ए सैंपल के टेस्ट से ही खिलाड़ी के निगेटिव और पॉजीटिव का पता लगता है. वहीं जब कभी खिलाड़ी अपील करते हैं तो बी सैंपल का भी टेस्ट किया जाता है.

-दूसरे टेस्ट में खिलाड़ी के खून का ए और बी सैंपल लिए जाते हैं. इसका टेस्ट भी पहले की भांति ही किया जाता है.

-अगर खिलाड़ी पॉजीटिव पाया जाता है तो उसे प्रतिबंधित कर दिया जाता है. साथ ही उससे मेडल ले लिया जाता है.

-ताकत बढ़ाने वाली दवाओं के इस्तेमाल को पकड़ने के लिए डोप टेस्ट किया जाता है. किसी भी खिलाड़ी का कभी भी डोप टेस्ट किया जा सकता है.

-भारत में ये टेस्ट नाडा (नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी) और विश्व भर में वाडा (वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी) की तरफ से करवाए जाते हैं.

-डोपिंग में आने वाली दवाओं को पांच श्रेणियों में बांटा गया है. स्टेरॉयड, पेप्टाइड हॉर्मोन, नार्कोटिक्स, डाइयूरेटिक्स और ब्लड डोपिंग.

-खिलाड़ी इन दवाओं को मासपेशियां बनाने, ताकत देने, दर्द को रोकने और वजन कम करने के लिए करते हैं.    

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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