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Aus Vs India hockey match: भारतीय महिला हॉकी टीम का ये ओलंपिक मैच क्यों इतिहास में दर्ज होगा

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 02 अगस्त, 2021 01:56 PM
  • 02 अगस्त, 2021 01:07 PM
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भारतीय महिला हॉकी टीम (Indian Women Hockey Team) ने गुरजीत कौर (Gurjeet Kaur) के गोल के बाद बेहतरीन डिफेंस का प्रदर्शन करते हुए टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) में ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर इतिहास रच दिया है. भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक के इतिहास में पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई है.

बादल पे पांव है, या छूटा गांव है, अब तो भई चल पड़ी अपनी यह नाव है.... फिल्म 'चक दे इंडिया' का ये गाना आज हर भारतीय गुनगुना रहा है. भारतीय महिला हॉकी टीम (Indian Women Hockey Team) ने गुरजीत कौर (Gurjeet Kaur) के गोल के बाद बेहतरीन डिफेंस का प्रदर्शन करते हुए टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) में स्वर्ण पदक की दावेदार ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर इतिहास रच दिया है. भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक के इतिहास में पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई है. हालांकि, 1980 में हुए ओलंपिक में भी भारतीय महिला हॉकी टीम ने शीर्ष चार में जगह बनाई थी. लेकिन, तब हॉकी के मुकाबले में सेमीफाइनल नहीं होता था. सेमीफाइनल में टीम इंडिया का मुकाबला अर्जेंटीना से होना है और इस टीम के जोश ने भारतीयों की उम्मीदों को कई गुना बढ़ा दिया है. भारतीय महिला हॉकी टीम की ये जीत कई मायनों में खास है...

भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक के इतिहास में पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई है.

आसान नहीं रही सेमीफाइनल की राह

ओलंपिक में इतिहास रचने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम के पूल मैचों में तीन मुकाबले हारने के बाद उसके लिए सेमीफाइनल की राह आसान नही थी. तीन मुकाबले हारने के बाद भारत के सामने दो बड़ी चुनौतियां थी. भारतीय महिला हॉकी टीम को 'करो या मरो' के मुकाबले में आयरलैंड और फिर दक्षिण अफ्रीका को मात देनी ही थी. इसके साथ ही उसे अपनी किस्मत पर भी भरोसा करना था. मतलब भारतीय महिला हॉकी टीम की सिर्फ दक्षिण अफ्रीका पर जीत से क्वार्टर फाइनल में जगह पक्की नहीं होनी थी. टीम इंडिय़ा को ये दुआ भी करनी पड़ी कि आयरलैंड के साथ होने वाले मुकाबले में ग्रेट ब्रिटेन जीते या ड्रॉ खेले. अगर ग्रेट ब्रिटेन की टीम ये मुकाबला हार जाती, तो भारतीय महिला हॉकी टीम की उम्मीदों को झटका लग सकता था. लेकिन, टोक्यो ओलंपिक में इस बार भाग्य ने भी भारतीय महिला हॉकी टीम का भरपूर साथ दिया. ग्रेट ब्रिटेन ने जीत दर्ज की और आयरलैंड पूल मैचों के दौरान ही बाहर हो गया. जिससे टीम इंडिया क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर गई.

बादल पे पांव है, या छूटा गांव है, अब तो भई चल पड़ी अपनी यह नाव है.... फिल्म 'चक दे इंडिया' का ये गाना आज हर भारतीय गुनगुना रहा है. भारतीय महिला हॉकी टीम (Indian Women Hockey Team) ने गुरजीत कौर (Gurjeet Kaur) के गोल के बाद बेहतरीन डिफेंस का प्रदर्शन करते हुए टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) में स्वर्ण पदक की दावेदार ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर इतिहास रच दिया है. भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक के इतिहास में पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई है. हालांकि, 1980 में हुए ओलंपिक में भी भारतीय महिला हॉकी टीम ने शीर्ष चार में जगह बनाई थी. लेकिन, तब हॉकी के मुकाबले में सेमीफाइनल नहीं होता था. सेमीफाइनल में टीम इंडिया का मुकाबला अर्जेंटीना से होना है और इस टीम के जोश ने भारतीयों की उम्मीदों को कई गुना बढ़ा दिया है. भारतीय महिला हॉकी टीम की ये जीत कई मायनों में खास है...

भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक के इतिहास में पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई है.

आसान नहीं रही सेमीफाइनल की राह

ओलंपिक में इतिहास रचने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम के पूल मैचों में तीन मुकाबले हारने के बाद उसके लिए सेमीफाइनल की राह आसान नही थी. तीन मुकाबले हारने के बाद भारत के सामने दो बड़ी चुनौतियां थी. भारतीय महिला हॉकी टीम को 'करो या मरो' के मुकाबले में आयरलैंड और फिर दक्षिण अफ्रीका को मात देनी ही थी. इसके साथ ही उसे अपनी किस्मत पर भी भरोसा करना था. मतलब भारतीय महिला हॉकी टीम की सिर्फ दक्षिण अफ्रीका पर जीत से क्वार्टर फाइनल में जगह पक्की नहीं होनी थी. टीम इंडिय़ा को ये दुआ भी करनी पड़ी कि आयरलैंड के साथ होने वाले मुकाबले में ग्रेट ब्रिटेन जीते या ड्रॉ खेले. अगर ग्रेट ब्रिटेन की टीम ये मुकाबला हार जाती, तो भारतीय महिला हॉकी टीम की उम्मीदों को झटका लग सकता था. लेकिन, टोक्यो ओलंपिक में इस बार भाग्य ने भी भारतीय महिला हॉकी टीम का भरपूर साथ दिया. ग्रेट ब्रिटेन ने जीत दर्ज की और आयरलैंड पूल मैचों के दौरान ही बाहर हो गया. जिससे टीम इंडिया क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर गई.

दक्षिण अफ्रीका के साथ मैच में भी रचा इतिहास

टोक्यो ओलंपिक में दक्षिण अफ्रीका के साथ 'करो या मरो' की स्थिति वाले रोमांचक मुकाबले में भी भारतीय महिला हॉकी टीम ने जीत के साथ इतिहास रचा. टीम इंडिया की स्ट्राइकर वंदना कटारिया (Vandana Katariya) ने इस मैच में गोल की हैट्रिक लगाकर ओलंपिक इतिहास गोल की हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी होने का गौरव हासिल किया. नेहा गोयल ने भी भारतीय महिला हॉकी टीम की ओर से एक गोल दागा था. जिसकी बदौलत भारतीय महिला हॉकी टीम ने दक्षिण अफ्रीका की टीम को 4-3 से शिकस्त देकर क्वार्टर फाइनल में जगह पक्की कर ली.

ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराना छोटी बात नहीं

भारतीय महिला हॉकी टीम ने क्वार्टर फाइनल के मुकाबले में मजबूत टीम कही जाने वाली ऑस्ट्रेलिया को मात देकर सेमीफाइनल में जगह बना ली है. लेकिन, भारत के लिए ये मैच उतना आसान नहीं था, जितना नजर आ रहा है. ऑस्ट्रेलिया की महिला हॉकी टीम वर्ल्ड नंबर 4 की टीम थी, जो दो बार ओलंपिक गोल्ड जीत चुकी है. वैसे, इस मैच में भारतीय महिला हॉकी टीम ने शुरुआती मिनटों में ही ऑस्ट्रेलिया पर 1-0 से बढ़त बना ली थी. लेकिन, हमेशा बढ़त के सहारे मैच नहीं जीते जाते है, उसे बरकरार भी रखना पड़ता है. ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि क्वार्टर फाइनल मुकाबले में भारतीय महिला हॉकी टीम की जीत का जितना श्रेय गुरजीत कौर को जाता है. उससे कहीं ज्यादा महिला हॉकी टीम की ओर से शानदार डिफेंस का प्रदर्शन करने वाली 'द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया' सविता पुनिया (Savita Punia) को जाता है. सविता पुनिया ऑस्ट्रेलिया को मिले 7 पेनाल्टी कॉर्नर के सामने जिस तरह से दीवार बनकर खड़ी हो गईं. इसे भारतीय महिला हॉकी टीम के डिफेंस का सर्वोच्च प्रदर्शन कहा जा सकता है.

कैसा रहा सेमीफाइनल तक का सफर

भारतीय महिला हॉकी टीम को पूल मैचों में तीन हार का सामना करना पड़ा. लेकिन, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले गए 'करो या मरो' के मुकाबले में 4-3 से जीत दर्ज करने के बाद उसने आयरलैंड को 2-0 से पटखनी दी. भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए भारतीयों द्वारा की गई प्रार्थनाएं भी इस दौरान रंग लाईं और ग्रेट ब्रिटेन ने आयरलैंड को हराकर भारत के लिए क्वार्टर फाइनल में जगह पक्की कर दी. सेमीफाइनल में जगह बनाने के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से पछाड़ दिया. इस मैच में टीम इंडिया की गुरजीत कौर ने गोल दागा और सविता पुनिया ने 7 पेनाल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने से रोका.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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