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'नीलामी' की बात कर पीएम मोदी नीरज, सिंधू लवलीना के अलावा देश का भी दिल जीत चुके हैं!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 21 अगस्त, 2021 08:40 PM
  • 21 अगस्त, 2021 08:40 PM
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नीरज चोपड़ा के भाले, सिंधू के रैकेट और लवलीना के ग्लव्स की नीलामी करवाने की बात कहकर एक बार फिर पीएम मोदी दिल जीतते नजर आ रहे हैं. साफ़ है कि उन्होंने खिलाड़ियों को इतिहास रचने का मौका दिया है और कहीं न कहीं ऐसा करके वो खिलाड़ियों के और नजदीक आ गये हैं.

15 अगस्त बीते अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं. लालकिले की प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो ओलंपिक 2021 में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों की शान में जमकर कसीदे पढ़े थे. अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि एथलीट्स पर विशेष तौर पर हम ये गर्व कर सकते हैं कि उन्होंने केवल दिल ही नहीं जीता, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने का बहुत बड़ा काम किया है. फिर अगले दिन पीएम ने अपने आवास पर खिलाड़ियों को नाश्ते पर आमंत्रित किया और उसी प्रोग्राम में पीएम द्वारा खिलाड़ियों को सम्मानित भी किया गया. चाहे वो लवलीना और विनेश रहीं हों या फिर ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा और पीवी सिंधू आवास पर जिस आत्मीयता से पीएम मोदी खिलाड़ियों से मिले, लगा ही नहीं कि देश का मुखिया, देश की धरोहरों से संवाद स्थापित कर रहा है. ऐसा लगा कि घर का कोई बुजुर्ग घर बच्चों से मिल रहा है और उन्हें बता रहा है कि कैसे भविष्य में चुनैतियों को उन्हें पार लगाना है और जीत को अपने नाम करना है.

देश अभी पीएम मोदी की इस आत्मीयता पर ढंग से चर्चा कर भी नहीं पाया था ऐसे में पीएम मोदी ने ओलंपियन नीरज चोपड़ा के भाले, पीवी सिंधू के रैकेट और लवलीना के ग्लव्स की नीलामी की घोषणा कर खिलाड़ियों के दिल में और बड़ी जगह बना ली है. अपने बेशकीमती सामान की नीलामी से खिलाड़ियों को कैसे ख़ुशी मिलेगी? कैसे पीएम ने खिलाड़ियों के दिल में और बड़ी जगह बनाई है? सवालों का उठना लाजमी है.

पीएम मोदी जल्द ही ओलंपिक पदक विजेताओं के उपकरणों की नीलामी कराने वाले हैं यदि ऐसा हो गया तो ये खिलाड़ियों के लिए बड़ी बात होगी

ऐसे में इन सवालों का जवाब बस इतना है कि इस नीलामी से जो भी फंड इकट्ठा होगा उसका इस्तेमाल अच्छे कामों के लिए किया जाएगा. बताते चलें कि आवास पर मुलाकात के दौरान पीएम...

15 अगस्त बीते अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं. लालकिले की प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो ओलंपिक 2021 में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों की शान में जमकर कसीदे पढ़े थे. अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि एथलीट्स पर विशेष तौर पर हम ये गर्व कर सकते हैं कि उन्होंने केवल दिल ही नहीं जीता, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने का बहुत बड़ा काम किया है. फिर अगले दिन पीएम ने अपने आवास पर खिलाड़ियों को नाश्ते पर आमंत्रित किया और उसी प्रोग्राम में पीएम द्वारा खिलाड़ियों को सम्मानित भी किया गया. चाहे वो लवलीना और विनेश रहीं हों या फिर ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा और पीवी सिंधू आवास पर जिस आत्मीयता से पीएम मोदी खिलाड़ियों से मिले, लगा ही नहीं कि देश का मुखिया, देश की धरोहरों से संवाद स्थापित कर रहा है. ऐसा लगा कि घर का कोई बुजुर्ग घर बच्चों से मिल रहा है और उन्हें बता रहा है कि कैसे भविष्य में चुनैतियों को उन्हें पार लगाना है और जीत को अपने नाम करना है.

देश अभी पीएम मोदी की इस आत्मीयता पर ढंग से चर्चा कर भी नहीं पाया था ऐसे में पीएम मोदी ने ओलंपियन नीरज चोपड़ा के भाले, पीवी सिंधू के रैकेट और लवलीना के ग्लव्स की नीलामी की घोषणा कर खिलाड़ियों के दिल में और बड़ी जगह बना ली है. अपने बेशकीमती सामान की नीलामी से खिलाड़ियों को कैसे ख़ुशी मिलेगी? कैसे पीएम ने खिलाड़ियों के दिल में और बड़ी जगह बनाई है? सवालों का उठना लाजमी है.

पीएम मोदी जल्द ही ओलंपिक पदक विजेताओं के उपकरणों की नीलामी कराने वाले हैं यदि ऐसा हो गया तो ये खिलाड़ियों के लिए बड़ी बात होगी

ऐसे में इन सवालों का जवाब बस इतना है कि इस नीलामी से जो भी फंड इकट्ठा होगा उसका इस्तेमाल अच्छे कामों के लिए किया जाएगा. बताते चलें कि आवास पर मुलाकात के दौरान पीएम ने नीरज चोपड़ा, पीवी सिंधू और लवलीना बोरगोहेन से इस बात का जिक्र किया था कि वो टोक्यो ओलंपिक में उनके द्वारा इस्तेमाल किये गए उपकरणों की नीलामी करवाएंगे. इससे मिलने वाले फंड से कुछ उपयोगी और अच्छे कार्य किये जाएंगे.

गौरतलब है कि खुद पीएम ने नीरज चोपड़ा से पूछा था कि 'आपने यहां अपने हस्ताक्षर किए हैं? मैं इसकी नीलामी करूंगा. कोई परेशानी तो नहीं है? पीएम के इस सवाल पर नीरज चोपड़ा भी मुस्कुरा कर रह गए और उन्होंने अपना भाला पीएम को सौंप दिया. इसी तरह पीवी सिंधू ने अपना रैकेट और लवलीना बोरगोहेन ने अपने ग्लव्ज पीएम को भेंट किये.

नीलामी की ये बात सुनने में भले ही एक पल के लिए बहुत साधारण लगे लेकिन इसे खिलाड़ियों की नजर से देखिये. क्या ये बात उनके गर्व का पर्याय नहीं होगी? क्या उन खिलाड़ियों का सीना चौड़ा नहीं होगा जिनके उपकरणों की नीलामी से प्राप्त पैसे किसी अच्छे काम में खर्च होंगे?

टोक्यो से वापसी के बाद और टोक्यो जाने से पहले भी जिस तरह प्रधानमंत्री लगातार खिलाड़ियों से बात करके उनका मनोबल बढ़ा रहे थे उसने एक नई बहस को पंख दे दिए थे. 70 साल के इतिहास में ये पहली बार हुआ था कि किसी पीएम ने खिलाड़ियों से संवाद फॉर्मेलिटी के नाते नहीं बल्कि आत्मीयता के नाते किया.

खुद बताइये क्या पीएम मोदी का ये रवैया खिलाड़ियों को प्रभावित नहीं करेगा? साफ है कि टोक्यो ओलंपिक के बाद खेल के मद्देनजर पीएम मोदी ने एक बड़ी लकीर खींचीं है और हालिया दौर में मुश्किल ही है कि कोई दूसरा प्रधानमंत्री इससे बड़ी लकीर खींच पाए.

बात पीएम मोदी की तारीफ की नहीं है मगर इस बार टोक्यो से आने के बाद जो खिलाड़ियों के दल के साथ पीएम मोदी ने किया है हम उसकी तारीफ से खुद को रोक भी नहीं पा रहे हैं. ध्यान रहे चाहे वो नीरज चोपड़ा , पीवी सिंधू लवलीना हों या फिर विनेश फोगाट, सोनम मलिक, रवि दहिया, बजरंग पुनिया इन तमाम लोगों को आज देश का एक बहुत बड़ा वर्ग विशेषकर युवा अपना आइडियल मान रहे हैं और इनके जीवन में क्या चल रहा है उसपर पैनी नजर रखे हुए हैं.

खुद कल्पना कीजिये इस बात की कि जब लोग प्रधानमंत्री का ये स्नेहपूर्ण रवैया देख रहे होंगे तो क्या इससे पीएम मोदी की छवि को फायदा नहीं पहुंचा होगा? ध्यान रहे ये एक ऐसा दौर है जब राजनीति में इमेज बिल्डिंग बहुत जरूरी है. इसके दम पर चुनाव लड़े जाते हैं और जीते तथा हारे जाते हैं.

भले ही हमारे अधिकांश खिलाड़ी टोक्यो से हारकर आए हैं और स्वयं अपने प्रदर्शन से नाखुश हैं ऐसे में अगर बतौर प्रधानमंत्री उनसे बात कर रहे हैं. उनका हाल चाल ले रहे हैं भविष्य में बेहतर करने के लिए मोटिवेट कर रहे हैं तो क्या वो खिलाड़ियों के दिल में नहीं उतरेंगे.

बहरहाल बात नीरज चोपड़ा के भाले, पीवी सिंधू के रैकेट और लवलीना के ग्लव्ज की नीलामी से शुरू हुई थी. तो एक बात समझ लीजिए हर खिलाड़ी यही चाहता है कि लोग उसे और उसकी परफॉरमेंस को याद रखें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बदौलत खिलाड़ियों को मौका मिला है इतिहास में दर्ज होने का. स्थिति जब ऐसी हो तो सोचिये कौन नहीं चाहेगा कि लोग उसे बरसों बरस याद रखें. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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