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2 Hockey Semi Finals Analysis और पता चल गया क्यों 'Gold' लाने में नाकाम रहा भारत!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 08 अगस्त, 2021 11:32 AM
  • 06 अगस्त, 2021 01:35 PM
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Tokyo Olympic 2021 : अर्जेंटीना के साथ हुए भारतीय महिला हॉकी टीम के मुकाबले और टर्की से भारत की लवलीना की हार के वो तीन कारण जिनके चलते भारत को महिला हॉकी और बॉक्सिंग में गोल्ड मिलते मिलते रह गया.

Tokyo Olympic 2021 को शुरू हुए हफ्ते से ऊपर हो चुका है. तमाम देशों की तरह इसमें भारत ने भी दस्तक दी. देश को उम्मीद थी कि भारत बैडमिंटन, कुश्ती, आर्चरी जैसे खेलों की बदौलत गोल्ड पर कब्जा कर लेगा और वो करिश्मा कर दिखाने में कामयाब होगा, जो भारत के खेल इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज होगा. लेकिन उम्मीदें और कयास हर बार सही साबित नहीं होते. कभी कभी ऐसे मौके आते हैं, जो हमारी सोच और कल्पना से परे होते हैं. भारतीय महिला हॉकी टीम का अभूतपूर्व प्रदर्शन और बॉक्सिंग में लवलीना बोरगोहेन का सधा हुआ खेल ऐसे ही दो मौके थे. जिसपर सोचने की फुरसत शायद ही किसी भारतीय खेल प्रेमी को मिली हो. ओलंपिक में बॉक्सिंग के अंतर्गत भारत को पदक की उम्मीद थी. ये बात सच है. मगर ये पदक उसे वर्तमान में बॉक्सिंग लीजेंड मैरी कॉम नहीं लवलीना दिलवाएंगी ये लोगों की कल्पना से परे था. 12 वें दिन हुए मुकाबले में लवलीना विश्व चैंपियन टर्की की बुसेनाज सुरमेनेली के खिलाफ अपना 69 किलोग्राम महिला मुक्केबाजी सेमीफाइनल बाउट हार गईं हैं और उन्हें गोल्ड की जगह ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ रहा है.

चाहे लवलीना का टर्की से हुआ मैच हो या भारत का अर्जेंटीना से मुकाबला भारत आसानी से ओलंपिक के दो जरूरी सेमीफाइनल जीत सकता था

ज़िक्र भारतीय महिला हॉकी टीम का हुआ है. उसके अभूतपूर्व खेल का हुआ है. रूढ़ियों को अपनी हॉकी स्टिक की नोक पर रखने और इतिहास रचने वाली लड़कियों का हुआ है. तो जान लीजिए टोक्यो की जमीन पर हिंदुस्तान की बेटियां भले ही अर्जेंटीना से हारी हों. लेकिन जैसा इन्होंने खेला है, इस बात के साफ़ संकेत मिलते हैं कि महिला हॉकी के अंतर्गत भारत का भविष्य उज्ज्वल है.

बात एकदम सीधी और साफ है. हम परंपरागत रूप से ये बिल्कुल नहीं कहेंगे कि चाहे वो टर्की के बॉक्सर से हारी...

Tokyo Olympic 2021 को शुरू हुए हफ्ते से ऊपर हो चुका है. तमाम देशों की तरह इसमें भारत ने भी दस्तक दी. देश को उम्मीद थी कि भारत बैडमिंटन, कुश्ती, आर्चरी जैसे खेलों की बदौलत गोल्ड पर कब्जा कर लेगा और वो करिश्मा कर दिखाने में कामयाब होगा, जो भारत के खेल इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज होगा. लेकिन उम्मीदें और कयास हर बार सही साबित नहीं होते. कभी कभी ऐसे मौके आते हैं, जो हमारी सोच और कल्पना से परे होते हैं. भारतीय महिला हॉकी टीम का अभूतपूर्व प्रदर्शन और बॉक्सिंग में लवलीना बोरगोहेन का सधा हुआ खेल ऐसे ही दो मौके थे. जिसपर सोचने की फुरसत शायद ही किसी भारतीय खेल प्रेमी को मिली हो. ओलंपिक में बॉक्सिंग के अंतर्गत भारत को पदक की उम्मीद थी. ये बात सच है. मगर ये पदक उसे वर्तमान में बॉक्सिंग लीजेंड मैरी कॉम नहीं लवलीना दिलवाएंगी ये लोगों की कल्पना से परे था. 12 वें दिन हुए मुकाबले में लवलीना विश्व चैंपियन टर्की की बुसेनाज सुरमेनेली के खिलाफ अपना 69 किलोग्राम महिला मुक्केबाजी सेमीफाइनल बाउट हार गईं हैं और उन्हें गोल्ड की जगह ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ रहा है.

चाहे लवलीना का टर्की से हुआ मैच हो या भारत का अर्जेंटीना से मुकाबला भारत आसानी से ओलंपिक के दो जरूरी सेमीफाइनल जीत सकता था

ज़िक्र भारतीय महिला हॉकी टीम का हुआ है. उसके अभूतपूर्व खेल का हुआ है. रूढ़ियों को अपनी हॉकी स्टिक की नोक पर रखने और इतिहास रचने वाली लड़कियों का हुआ है. तो जान लीजिए टोक्यो की जमीन पर हिंदुस्तान की बेटियां भले ही अर्जेंटीना से हारी हों. लेकिन जैसा इन्होंने खेला है, इस बात के साफ़ संकेत मिलते हैं कि महिला हॉकी के अंतर्गत भारत का भविष्य उज्ज्वल है.

बात एकदम सीधी और साफ है. हम परंपरागत रूप से ये बिल्कुल नहीं कहेंगे कि चाहे वो टर्की के बॉक्सर से हारी लवलीना हों. या फिर अर्जेंटीना के हाथों ओलंपिक के सेमी फाइनल में मात खाई भारतीय टीम. इन्होंने 'दिल जीत' लेने वाला खेला. ऐसा इसलिए क्योंकि स्पोर्ट्स कोई भी हो, अगर भारत के किसी खिलाड़ी ने टोक्यो की भूमि पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है, तो वो वहां हारकर 'दिल जीतने' नहीं बल्कि जीतकर पदक लाने गया था.

क्योंकि बात भारतीय महिला हॉकी टीम की हुई है और उस हार की हुई है जो उसे अर्जेंटीना के हाथों मिली. तो हम ये जरूर कहेंगे कि भारत ने वैसा ही खेला जैसे क्वार्टर फाइनल खेल रही किसी मजबूत टीम को खेलना चाहिए था.

जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. आलोचना या फिर 'दिल गुर्दा' जीत लेने से इतर अर्जेंटीना से 2-1 से मुकाबला हारी भारतीय टीम को देखकर कहीं से भी ये नहीं लगा कि अर्जेंटीना किसी अंडर डॉग टीम के साथ मैच खेल रही है.

मैच का गहनता से विश्लेषण किया जाए तो भारतीय लड़कियों का अंदाज बिल्कुल चैंपियन वाला था. मगर चूंकि हारना मुकद्दर में दर्ज था. भारतीय टीम हार गई. लवलीना को कांस्य पदक मिल चुका है. कांस्य पदक के लिए भारतीय महिला टीम का मुकाबला ग्रेट ब्रिटेन से है. जैसा टीम का अंदाज और तेवर हैं हमें यकीन है टीम कांस्य पदक जीतने में कामयाब होगी.

जिक्र अर्जेंटीना से भारत की हार और टर्की की खिलाड़ी बुसेनाज सुरमेनेली से बाउट हारी लवलीना का हुआ है. तो आइए चर्चा करें उन कारणों पर जिसके बाद इस बात की तस्दीख हो जाएगी कि अगर भारत उन कारणों पर विजय प्राप्त कर लेता, तो आज स्थिति दूसरी होती. पदक तालिका में गोल्ड वाले पाले पर शायद भारत का भी नाम होता.

ओवर कॉन्फिडेंस में शुरुआत और हड़बड़ाहट बनी भारत के गले की हड्डी

चाहे लवलीना का टर्की के खिलाफ मैच देख लिया जाए. या फिर उस मुकाबले पर नजर डाल ली जाए जहां भारतीय महिला हॉकी टीम हॉकी वर्ल्ड चैंपियंस में शुमार अर्जेंटीना के सामने थी. चूंकि दोनों ही सेमीफाइनल में थे और खेल के लिहाज से ये एक बड़ी उपलब्धि होती है. इसलिए लवलीना और भारतीय महिला हॉकी टीम ओवर कॉन्फिडेंस का शिकार हुए. परिणामस्वरूप एक हड़बड़ाहट थी जो इन दोनों पर हावी हुई और पदक भारत की झोली में आते आते रह गया.

ओवर कॉन्फिडेंस के चलते लवलीना और हॉकी टीम न तो अपनी प्रतिद्वंदी टीम के मूव्स ही समझ पाए और न ही रणनीति.

हॉकी में गेंद जब हवा में होती भारतीय प्लेयर उसे मिस कर देते. इसी तरह बॉक्सिंग में टर्की की मुक्केबाज ने अपने पंच टारगेट पर मारकर लवलीना को निढाल कर दिया. इन सब का कारण वही था हड़बड़ाहट और ओवर कॉन्फिडेंस.

दूसरे राउंड में लवलीना को मिला एक अंक वहीं पहले क्वार्टर में लीड लेने के बावजूद भारत नाकाम

लवलीना का जो सेमी फाइनल मैच हुआ है. यदि उसपर गौर किया जाए और उसका पूरी गहनता और तल्लीनता के साथ अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि शुरुआत से ही टर्की की खिलाड़ी बुसेनाज सुरमेनेली उन पर हावी रहीं. सुरमेनेली के मुक्के एक के बाद एक अपने टारगेट पर पड़ रहे थे. क्योंकि टर्की की खिलाड़ी लवलीना को पूरे रिंग में दौड़ा रही थीं इस चीज ने भी खेल में असर डाला और वो हुआ जिसकी उम्मीद किसी भी भारतीय प्रशंसक को नहीं थी.

एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगाने के बावजूद लवलीना दूसरे राउंड में भी कुछ खास नहीं कर पाईं. टर्की के खिलाड़ी के आगे लवलीना के सभी दांव फीके पड़ गए. वहीं हॉकी में पहले क्वार्टर में ही गोल मारकर भारत ने बड़ी कामयाबी को अंजाम दिया था. इस गोल का मनोवैज्ञानिक असर हमें मैदान पर दिखा और फिर अर्जेंटीना का डिफेंस देखने लायक था.

पहले गोल के बाद जिस हिसाब से अर्जेंटीना ने न केवल अपने आप को संभाला. बल्कि हमला किया. ये बताने के लिए काफी है कि हॉकी में किसी टीम द्वारा सिर्फ गोल मार देना ही काफी नहीं है. भारत द्वारा पहले गोल के 3 मिनट बाद जिस तरह Maria Jose Granato लेफ्ट फ्लेंक से होते हुए बॉल लेकर सर्किल में आईं. तमाम लोगों को इस बात का अंदाजा हो गया था कि एक बेहतरीन मैच दुनिया देखेगी.

टर्की की बॉक्सर सुरमेनेली और अर्जेंटीना के डिफेंस का सामना करने में नाकाम था भारत

खेल में तुक्का नहीं चलता. फिर चाहे वो हॉकी हो या मुक्केबाजी दोनों ही मैच देखकर ये बात हम बखूबी समझ गए हैं. चाहे वो भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन हों या फिर भारतीय महिला हॉकी टीम दोनों ही अपने अपोनेंट का मुकाबला करने में विफल रहे हैं. आइये पहले जिक्र हॉकी का कर लें. जैसा कि हम बता चुके हैं भारत को 1 गोल के बाद पहले क्वार्टर में लीड मिली थी.

मगर जब हम दूसरे, तीसरे फिर चौथे क्वार्टर का रुख करते हैं तो स्थिति बहुत अलग थी. दूसरे क्वार्टर में अर्जेंटीना ने अपनी पोजिशन बदल ली थी. तीसरे मिनट में पेनल्टी कार्नर के जरिये उसे फायदा मिला और दुनिया ने अर्जेंटीना की कप्तान Maria का गोल देखा. भारत दूसरे क्वार्टर में लीड लेने में नाकाम साबित हुआ.

दूसरे क्वार्टर में वंदना कटारिया ने राइट फ्लेंक से बेहतरीन मूव तो लिया. मगर इसका कोई खास फायदा भारत को नहीं मिला. हालांकि दूसरे के मुकाबले तीसरे क्वार्टर में भारत थोड़ा आक्रामक हुआ. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. इस क्वार्टर में भी अर्जेंटीना को एक पेनाल्टी कार्नर मिला. जिसका पूरा फायदा कप्तान मारिया ने उठाया और दुनिया को बता दिया अर्जेंटीना टोक्यो 'दिल जीतने' नहीं बल्कि गोल्ड मेडल लेने आई है. भारत 2-1 से मुकाबला हार गया.

अब आते हैं बॉक्सिंग पर गेम के तीसरे राउंड में टर्की की खिलाड़ी कहीं ज्यादा डिफेंसिव नजर आईं. वो अपनी लीड को बरकरार रखना चाहती थीं इसलिए कहीं से भी वो हल्की नहीं पड़ी. टर्की की खिलाड़ी लगातार भारतीय मुक्केबाज लवलीना को डॉज कर रहीं थीं जिससे लवलीना अपने मुक्के टारगेट पर जड़ने में नाकाम हुईं. इस रणनीति के तहत टर्की की खिलाड़ी ने लवलीना को समय गंवाने के लिए बाध्य किया और इसके बाद जो हुआ वो इतिहास में दर्ज हो गया है.

अंत में बस इतना ही कि भारत को यदि भविष्य में बॉक्सिंग और हॉकी में बाजी मारनी है. तो सबसे पहले उसे धैर्य रखना सीखना होगा. साथ ही स्टेमिना पर काम करते हुए अपने डिफेंस को मजबूत करना होगा. अगला ओलंपिक 2024 में पेरिस में होना है. हमें उम्मीद है भारतीय महिला हॉकी टीम और लवलीना दोनों ही हमारे द्वारा बताई बातों को अमली जामा पहनाएंगे और दिल नहीं बल्कि पदक जीत कर घर आएंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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