• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
स्पोर्ट्स

5 कारण, Olympic में हॉकी टीम की हार पर भारतीयों को आहत नहीं होना चाहिए

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 04 अगस्त, 2021 12:00 PM
  • 04 अगस्त, 2021 12:00 PM
offline
Tokyo Olympic 2021 के सेमीफाइनल में भारत की पुरुष हॉकी टीम हार गई है. वहीं भारतीय महिला हॉकी टीम से उम्मीद बनी हुई है. लेकिन, हमें इन नतीजों से ज्यादा उत्साहित या आहत होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि, एक देश के रूप में हमने इन खिलाड़ियों से, और इनके खेल से ज्यादा जुड़ाव महसूस नहीं किया है.

दुनिया का दस्तूर है. इंसान को कभी भी किसी से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. उम्मीदें जब टूटती हैं तो दर्द होता है. उम्मीदों के मद्देनजर विज्ञान तो यहां तक कहता है कि इंसान अवसाद तक में जा सकता है. एक तरफ ये बातें हैं दूसरी तरफ खेल है. कोई अगर किसी खेल के तहत उस खेल से जुड़े खिलाड़ियों से बहुत ज्यादा उम्मीदें कर रहा है और साथ ही वो उम्मीदें पूरी नहीं हो पाती हैं तो तकलीफ और उसक स्तर क्या होगा इसका अंदाजा Tokyo ओलंपिक 2021 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम को मिली शिकस्त देखकर आसानी से लगाया जा सकता है. ग्रेट ब्रिटेन से हुए मैच और उस मैच में मिली जीत के बाद पूरे देश ने इंडियन हॉकी टीम से उम्मीदें लगा ली थीं. देश बिल्कुल कन्फर्म था कि बरसों का सूखा दूर होगा और ओलंपिक का स्वर्ण भारत आएगा. मगर चूंकि शायर की कल्पना थी कि हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता... बेल्जियम ने भारत का सपना चकनाचूर कर दिया है.

तमाम भारतीयों को उम्मीद थी कि ब्रिटेन को हराने के बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम बेल्जियम को भी हरा देगी

Tokyo Olympic 2021 के 11 वें दिन भारतीय मेंस हॉकी टीम सेमीफाइनल में बेल्जियम से हार गई और गोल्ड की रेस से बाहर हो गई है. टीम बेल्जियम ने टीम इंडिया को छोटे मोटे नहीं बल्कि हॉकी के लिहाज से बड़े अंतर 5-2 से हराया है. बात गोल्स की हो तो हरमनप्रीत और मंदीप सिंह वो दो लोग ही थे जिनसे भारत की उम्मीदें जागीं थीं.

भारत और बेल्जियम का मैच तमाम तरह के ट्विस्ट और टर्न लिए हुए था. पहले तीनों क्वार्टर में दोनों टीमों का स्कोर 2-2 की बराबरी पर था फिर लास्ट के 15 मिनट में वो हुआ जिसने भारतीयों की उम्मीदों का गला घोंट दिया. इसमें बेल्जियम की टीम भारत पर हावी पड़ी और 15 मिनट के अंतराल में 3 गोल मारकर बता दिया कि टीम इंडिया और टीवी/ इंटरनेट पर मैच का...

दुनिया का दस्तूर है. इंसान को कभी भी किसी से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. उम्मीदें जब टूटती हैं तो दर्द होता है. उम्मीदों के मद्देनजर विज्ञान तो यहां तक कहता है कि इंसान अवसाद तक में जा सकता है. एक तरफ ये बातें हैं दूसरी तरफ खेल है. कोई अगर किसी खेल के तहत उस खेल से जुड़े खिलाड़ियों से बहुत ज्यादा उम्मीदें कर रहा है और साथ ही वो उम्मीदें पूरी नहीं हो पाती हैं तो तकलीफ और उसक स्तर क्या होगा इसका अंदाजा Tokyo ओलंपिक 2021 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम को मिली शिकस्त देखकर आसानी से लगाया जा सकता है. ग्रेट ब्रिटेन से हुए मैच और उस मैच में मिली जीत के बाद पूरे देश ने इंडियन हॉकी टीम से उम्मीदें लगा ली थीं. देश बिल्कुल कन्फर्म था कि बरसों का सूखा दूर होगा और ओलंपिक का स्वर्ण भारत आएगा. मगर चूंकि शायर की कल्पना थी कि हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता... बेल्जियम ने भारत का सपना चकनाचूर कर दिया है.

तमाम भारतीयों को उम्मीद थी कि ब्रिटेन को हराने के बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम बेल्जियम को भी हरा देगी

Tokyo Olympic 2021 के 11 वें दिन भारतीय मेंस हॉकी टीम सेमीफाइनल में बेल्जियम से हार गई और गोल्ड की रेस से बाहर हो गई है. टीम बेल्जियम ने टीम इंडिया को छोटे मोटे नहीं बल्कि हॉकी के लिहाज से बड़े अंतर 5-2 से हराया है. बात गोल्स की हो तो हरमनप्रीत और मंदीप सिंह वो दो लोग ही थे जिनसे भारत की उम्मीदें जागीं थीं.

भारत और बेल्जियम का मैच तमाम तरह के ट्विस्ट और टर्न लिए हुए था. पहले तीनों क्वार्टर में दोनों टीमों का स्कोर 2-2 की बराबरी पर था फिर लास्ट के 15 मिनट में वो हुआ जिसने भारतीयों की उम्मीदों का गला घोंट दिया. इसमें बेल्जियम की टीम भारत पर हावी पड़ी और 15 मिनट के अंतराल में 3 गोल मारकर बता दिया कि टीम इंडिया और टीवी/ इंटरनेट पर मैच का अपडेट लेते इंडियंस बेवजह की उम्मीदें पाले बैठे हैं. अब मेंस हॉकी टीम के लिए करो या फिर मरो वाली स्थिति है. ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के बीच हुए मैच में जर्मनी हार गयी है इसलिए ब्रॉन्ज मेडल के लिए भारत का मुकाबला अब जर्मनी से है. 

तो ये तो बात हो गयी इंडियन मेंस हॉकी टीम की अब बात भारतीय महिला हॉकी पर. भारतीय महिला हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया है. बीते दिन हुए मैच में हॉकी के स्वर्ण पदक की सबसे दमदार टीम मानी जा रही ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से शिकस्त देकर लड़कियों ने ये बता दिया है कि उन्हें हल्के में लेना बड़ी भूल है.

भारतीय महिला टीम का अगला मुकाबला फ़िल्म चक दे इंडिया में अपने आक्रामक खेल के लिए पहचान रखने वाली अर्जेंटीना से है. इस मैच का नतीजा क्या निकलेगा इसपर कुछ कहना अभी जल्दबाजी हो सकता है. भारतीय महिला हॉकी टीम जीत गयी तो बहुत अच्छी बात और यदि हारी तो भी हमें बहुत ज्यादा लोड लेने और आहत होकर सिर पकड़ने की कोई जरूरत नहीं है.

भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक में कमाल करके रख दिया है

हो सकता है उपरोक्त पैरा में कुछ ऐसी बातें हों जो देश की एक बड़ी आबादी को भावुक कर दे तो हमारे पास 5 ऐसे माकूल कारण हैं जो इस बात की तस्दीख कर देंगे कि आखिर क्यों हमें मेन/ वीमेन इंडियन हॉकी टीम की हार पर दुख प्रकट करने का कोई हक नहीं है.

हमारा हॉकी प्रेम बस ओलंपिक, कॉमन वेल्थ और एशियाई खेलों तक सीमित है.

बात बहुत बचकानी लगेगी. लोग नाराज भी होंगे. हमारी लानत मलामत भी होगी लेकिन साच को आंच नहीं. इंडिया इस लैंड ऑफ क्रिकेट. अब आप खुद बताइए कि क्रिकेट के देश में हॉकी को लेकर बहुत ज्यादा स्कोप बचता ही कहां है. आज ओलंपिक आ रहा है. न्यूज़ में है. ट्विटर पर ट्रेंडिंग है तो हम थोड़ी बहुत हॉकी देख सुन भी रहे हैं वरना साल के 350 दिन टीम कहां है? क्या कर रही है?

टीम की रैंकिंग कितनी घटी कितनी बढ़ी इससे हमें रुपए में एक आने बराबर मतलब नहीं है. तो अब ख़ुद इस बात का फैसला कर लीजिए कि क्या वाकई टीम की हार पर अफसोस मनाने या आलोचनात्मक टिप्पणी करने का हक़ है? सीधा जवाब है नहीं.

दुख मनाइए लेकिन पहले टीम का तो पता करिये जनाब!

इंडियन मेंस हॉकी टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को हराया. इसी तरह भारतीय महिला हॉकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया को मात दी. सवाल ये है कि हममें से कितने लोग ऐसे थे जिन्होंने अपनी ज़िंदगी से 60 मिनट निकाले और अपनी टीम का मैच देखने की जहमत उठाई? हममें से ऐसे कितने लोग थे जिन्हें खेलने के लिए टोक्यो गयी अपनी हॉकी टीम के खिलाड़ियों का नाम मालूम था.

ये बात झटका दे सकती है लेकिन खुद बताइए अगर भारतीय टीम कोई सीरीज खेलने कहीं गयी होती तो क्या आप इतने जहमत नहीं उठाते? खिलाड़ियों के नाम छोड़िये क्रिकेट के प्रति हम भारतीयों की दीवानगी कुछ ऐसी है कि क्रिकेट खिलाड़ियों की प्रेमिका और पत्नी तक का नाम हमारी जुबान पर होता.

बेल्जियम के खिलाड़ी से गेंद छीनता भारतीय खिलाड़ी

ध्यान रहे हम वो लोग हैं जिन्हें अपनी महिला पुरूष हॉकी टीम के खिलाड़ियों का नाम तक नहीं पता है. अब जब स्थिति ऐसी हो तो हार या जीत पर कुछ कहना कोरी लफ्फाजी ही तो है भाईसाहब!

क्या हमें पता है कि हम कैसे देख सकते हैं ओलंपिक और उसमें भी हॉकी का मैच

आप फिर वही बात दोहराएंगे कि हम बचकानी बात कर रहे हैं और एक से एक 'लेम' कारणों का जिक्र कर रहे हैं. तो ऐसा है कि यही छोटी छोटी वो मोटी बातें हैं जो हॉकी के प्रति हम भारतीयों की गंभीरता को दर्शाती है. सोनी लिव ऐप और दूरदर्शन पर टोक्यो ओलंपिक 2021 का सीधा प्रसारण हो रहा है.

ऐसे में सवाल ये उठता है कि हममें से कितने लोग ऐसे थे जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में हॉकी का मैच देखने के लिए ऐप को डाउनलोड किया ? मैच देखने के लिए अपने डेटा को खर्च किया? हम फिर कह रहे हैं कि यदि हम कुछ कर नहीं सकते तो हमें अलोचना का अधिकार तो है ही नहीं.

मेहनत की कद्र करना सीखिए

टीम इंडिया ओलंपिक में बेल्जियम से हार गई है. खेल जबरदस्त हुआ है. पहले तीन क्वार्टर तक कुछ भी कहना मुश्किल था. इसी तरह बात यदि महिलाओं की हो तो टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया से 1-0 से जीती है. आलोचक इसे 'तुक्का' मान रहे हैं. उनका कहना है कि भारत के साथ मुकद्दर था तो जीत मिल गयी वरना महिला टीम कोई बहुत बड़े अंतर से नहीं जीती है.

साफ है कि हमें स्कोर तो दिख गया मगर वो मेहनत नहीं दिखी जो 60 मिनट के अंतराल में खिलाड़ियों ने मैदान पर की थी. बात शीशे की तरह साफ है यदि हम अपने खिलाड़ियों की तारीफ और उनकी मेहनत की कद्र नहीं कर सकते तो हमें वाक़ई कोई हक नहीं है कि हम उनकी हार पर कोई बात करें.

सिर्फ किताबों में 'छपने' के लिए नहीं कहा गया है राष्ट्रीय खेल

जीएस की कोई भी किताब उठा लीजिये. खेल वाले पोर्शन पर आइये और देखिए. किताब यही कहेगी कि भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है. तो जब ऐसा है तो आखिर एक खेलप्रेमी के रूप में हम अपने घर के सदस्यों को हॉकी से क्यों नहीं जोड़ते हैं? ऐसा क्यों होता है कि जब बात खेलने की आती है तो हम हॉकी से अपने करीबियों की दूरी बनाने में पीछे नहीं हटते.

तो इतनी बातें ये बताने के लिए काफी है कि एक खेल के रूप में हमारे देश में एक खेल के रूप में हॉकी की असली स्थिति क्या है? जो चल रहा है, जैसे चल रहा है चलने देना चाहिए कि तर्ज पर हमें हॉकी चाहे वो पुरुष हॉकी हो या फिर महिला उसे उसके हाल पर छोड़ देना चाहिए.

ये भी पढ़ें -

वाह Mary Kom, तुमने भारत ही नहीं पूरे विश्व को जय हिंद बोलने पर मजबूर कर दिया!

Tokyo Olympics में भारतीय हॉकी टीमों के रचे इतिहास पर फ़िल्म बनना मुश्किल है

Aus Vs Ind Hockey Match: कौन हैं गुरजीत कौर और सविता पूनिया? भारत की नई सुपरस्टार

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    महेंद्र सिंह धोनी अपने आप में मोटिवेशन की मुकम्मल दास्तान हैं!
  • offline
    अब गंभीर को 5 और कोहली-नवीन को कम से कम 2 मैचों के लिए बैन करना चाहिए
  • offline
    गुजरात के खिलाफ 5 छक्के जड़ने वाले रिंकू ने अपनी ज़िंदगी में भी कई बड़े छक्के मारे हैं!
  • offline
    जापान के प्रस्तावित स्पोगोमी खेल का प्रेरणा स्रोत इंडिया ही है
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲