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श्रीलंकाई T20 टीम ने बताया कैसे अपमान और अभाव की आग इतिहास रच देती है!

    • prakash kumar jain
    • Updated: 12 सितम्बर, 2022 08:44 PM
  • 12 सितम्बर, 2022 08:44 PM
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भारतवासियों की बात करें तो एक बार फिर पाकिस्तान की हार में ही खुशियां मिल गई, लेकिन इस बार खुशियों का डबल डोज है. ना केवल श्रीलंका ने हमारे चिर प्रतिद्वंदी को हराया बल्कि अपनी जिन परिस्थितियों में उन्होंने ऐसा कर दिखाया, वो ज्यादा महत्वपूर्ण है.

कोई क्रिकेट टूर्नामेंट शारजाह और दुबई में हो तो फेवरेट टीमें भारत और पाकिस्तान ही होती हैं. आयोजकों की सारी योजनाएं भारत-पाक की भिड़ंत के लिए ही होती है और उनका वश चले तो क्या लीग मैच हो , या सेमी हो और अंततः फाइनल हो , भारत-पाक ही आमने सामने हों! फिर एशिया कप का फॉर्मेट ही ऐसा है कि दोनों पारंपरिक प्रतिद्वंदियों के मध्य तीन मैचों के होने की रणनीति सोची जा सकती थी और ऐसा सोचा भी था आयोजकों ने! तदनुसार ही खेल तिथि निर्धारण हुए थे.

एशिया कप में श्रीलंका की जीत कई मायनों में स्पेशल है

अफ़सोस, अंडरडॉग श्रीलंकाई टीम के जज्बे ने आयोजकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. क्या खूब डिस्क्राइब किया श्रीलंका की जीत को बृजेश मिश्रा ने अपने ट्विटर हैंडल पर- 'एक देश श्रीलंका; जहां सब कुछ बर्बाद हो गया, सरकार कंगाल हो चुकी हो, ईंधन, बिजली, डॉलर , संसाधन सब खत्म! 15 युवा एशिया जीतने का सपना लिए कोलंबो से दुबई पहुँचते हैं! सामने बेहद ताकतवर देशों की टीमें! सबको पटक कर ,रौंद कर एशिया कप पर कब्जा कर लेते हैं! अपमान और अभाव की आग इतिहास लिखती है !'

भारत ने टूर्नामेंट से अर्ली एग्जिट ले लिया, ना किसी ने सोचा था और ना ही किसी के समझ भी आया.  वजहों में जाएं तो शायद वजह हर पोजीशन के लिए ज्यादा ऑप्शन होना है. जिस कारण टीम मैनेजमेंट ने वेरिएबल्स को लेकर खूब ट्रायल किये. और ट्रायल्स एरर ही साबित हुए. या फिर कहें कि पाक पर पहली जीत भारी पड़ गई. पाक टीम ने दूसरे मैच को 'करो या मरो' की तर्ज पर लिया. लेकिन श्रीलंका की टीम तो मानो सिर पे कफ़न बांधकर आई थी.

पांचों मैच जीत लिए. पाक टीम जब श्रीलंका से पहला मैच हार गई, कहा गया एक ख़राब दिन किसी का भी हो सकता है. सो लोगों का जोश हाई था कि अब तो फाइनल पाक ही जीतेगी और शायद टीम भी बेतकल्लुफ हो गई....

कोई क्रिकेट टूर्नामेंट शारजाह और दुबई में हो तो फेवरेट टीमें भारत और पाकिस्तान ही होती हैं. आयोजकों की सारी योजनाएं भारत-पाक की भिड़ंत के लिए ही होती है और उनका वश चले तो क्या लीग मैच हो , या सेमी हो और अंततः फाइनल हो , भारत-पाक ही आमने सामने हों! फिर एशिया कप का फॉर्मेट ही ऐसा है कि दोनों पारंपरिक प्रतिद्वंदियों के मध्य तीन मैचों के होने की रणनीति सोची जा सकती थी और ऐसा सोचा भी था आयोजकों ने! तदनुसार ही खेल तिथि निर्धारण हुए थे.

एशिया कप में श्रीलंका की जीत कई मायनों में स्पेशल है

अफ़सोस, अंडरडॉग श्रीलंकाई टीम के जज्बे ने आयोजकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. क्या खूब डिस्क्राइब किया श्रीलंका की जीत को बृजेश मिश्रा ने अपने ट्विटर हैंडल पर- 'एक देश श्रीलंका; जहां सब कुछ बर्बाद हो गया, सरकार कंगाल हो चुकी हो, ईंधन, बिजली, डॉलर , संसाधन सब खत्म! 15 युवा एशिया जीतने का सपना लिए कोलंबो से दुबई पहुँचते हैं! सामने बेहद ताकतवर देशों की टीमें! सबको पटक कर ,रौंद कर एशिया कप पर कब्जा कर लेते हैं! अपमान और अभाव की आग इतिहास लिखती है !'

भारत ने टूर्नामेंट से अर्ली एग्जिट ले लिया, ना किसी ने सोचा था और ना ही किसी के समझ भी आया.  वजहों में जाएं तो शायद वजह हर पोजीशन के लिए ज्यादा ऑप्शन होना है. जिस कारण टीम मैनेजमेंट ने वेरिएबल्स को लेकर खूब ट्रायल किये. और ट्रायल्स एरर ही साबित हुए. या फिर कहें कि पाक पर पहली जीत भारी पड़ गई. पाक टीम ने दूसरे मैच को 'करो या मरो' की तर्ज पर लिया. लेकिन श्रीलंका की टीम तो मानो सिर पे कफ़न बांधकर आई थी.

पांचों मैच जीत लिए. पाक टीम जब श्रीलंका से पहला मैच हार गई, कहा गया एक ख़राब दिन किसी का भी हो सकता है. सो लोगों का जोश हाई था कि अब तो फाइनल पाक ही जीतेगी और शायद टीम भी बेतकल्लुफ हो गई. इसीलिए श्रीलंका का फाइनल जीतना स्पेशल है, इस जीत के मायने ही अलग हैं. और भारतवासियों की बात करें तो एक बार फिर पाकिस्तान की हार में ही खुशियां मिल गई. लेकिन इस बार खुशियों का डबल डोज है ; ना केवल श्रीलंका ने हमारे चिर प्रतिद्वंदी को हराया बल्कि अपनी जिन परिस्थितियों में उन्होंने ऐसा कर दिखाया, वो ज्यादा महत्वपूर्ण है!

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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