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सचिन तेंडुलकर 2008 में बनाई सेंचुरी को सबसे कीमती क्‍यों मानते हैं

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 16 नवम्बर, 2019 01:34 PM
  • 16 नवम्बर, 2019 01:32 PM
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यूं तो क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर ने एक से एक पारियां खेली हैं. मगर बात जब उनकी सर्वश्रेष्ठ सेंचुरी की हो तो 2008 में चेन्नई में इंग्लैंड के साथ खेला गया मैच सचिन का यादगार मैच है. ये मैच भारत ने उन परिस्थितियों में खेला था जो भारत के लिए कहीं से भी सुखद नहीं थीं.

बात 2008 की है. मुंबई में बड़ा आतंकी हमला हुआ था जिसमें तमाम लोगों की मौत हुई थी. घटना झकझोर कर रख देने वाली थी. सारा देश स्तब्ध था. टीम इंडिया चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट खेल रही थी. टीम में सचिन तेंडुलकर घटना भी शामिल थे जो घटना को काफी क्रोधित थे. घटना के प्रति सचिन का क्रोध ही इस मैच की जान था. सचिन ने जिस तरह की पारी खेली सारा देश टकटकी लगाए अपनी टीवी स्क्रीन की तरफ देख रहा था. जिस सधी हुई पारी के साथ मैदान पर खेल का प्रदर्शन कर रहे थे महसूस हो रहा था कि वो राष्ट्र से संबोधित हैं. भारत ने टेस्ट जीता और उसके बाद जो सचिन ने कहा वो इतिहास में दर्ज हो गया. मैच जीतने से उत्साहित सचिन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि घटना (मुंबई हमले) को लेकर पूरा देश शोक में था और मैं उनके चेहरे पर ख़ुशी देखना चाहता था. हालांकि वो एक बुरा दिन था मगर टीम की जीत के साथ उनके (स्टेडियम में बैठे लोगों और देशवासियों के) चेहरे पर ख़ुशी आई जो कि सुखद थी. सचिन ने ये भी कहा था कि मैं भारत के लिए खेलता है और अब मैं भारत के प्रति और ज्यादा जुड़ाव महसूस कर रहा हूं.

2008 में ऐसा बहुत कुछ है जिसे सचिन शायद ही कभी भूल पाएं

इंग्लैंड जिसे महसूस हो रहा था कि इन परिस्थितियों में (भारत में बड़ा आतंकी हमला हुआ था) भारत की भूमि पर आकर आसानी ने ये टेस्ट मैच जीत लेगी मगर सचिन की आतिशी पारी ने उसके सभी मंसूबों पर पानी फेर दिया. भारत ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और इस मैच में सचिन ने अपना 41 वां शतक जड़ा. भारत ने ये मैच 6 विकेटों से जीता था. जिन हालात में ये मैच हुआ था इसे शायद ही कोई क्रिकेट प्रेमी कभी भूल पाए.

सवाल होगा कि 2008 की ये कहानी आज 11 साला बाद क्यों दोहराई जा रही है? तो कारण हैं मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर. इंटरनेशनल क्रिकेट में आज सचिन के...

बात 2008 की है. मुंबई में बड़ा आतंकी हमला हुआ था जिसमें तमाम लोगों की मौत हुई थी. घटना झकझोर कर रख देने वाली थी. सारा देश स्तब्ध था. टीम इंडिया चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट खेल रही थी. टीम में सचिन तेंडुलकर घटना भी शामिल थे जो घटना को काफी क्रोधित थे. घटना के प्रति सचिन का क्रोध ही इस मैच की जान था. सचिन ने जिस तरह की पारी खेली सारा देश टकटकी लगाए अपनी टीवी स्क्रीन की तरफ देख रहा था. जिस सधी हुई पारी के साथ मैदान पर खेल का प्रदर्शन कर रहे थे महसूस हो रहा था कि वो राष्ट्र से संबोधित हैं. भारत ने टेस्ट जीता और उसके बाद जो सचिन ने कहा वो इतिहास में दर्ज हो गया. मैच जीतने से उत्साहित सचिन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि घटना (मुंबई हमले) को लेकर पूरा देश शोक में था और मैं उनके चेहरे पर ख़ुशी देखना चाहता था. हालांकि वो एक बुरा दिन था मगर टीम की जीत के साथ उनके (स्टेडियम में बैठे लोगों और देशवासियों के) चेहरे पर ख़ुशी आई जो कि सुखद थी. सचिन ने ये भी कहा था कि मैं भारत के लिए खेलता है और अब मैं भारत के प्रति और ज्यादा जुड़ाव महसूस कर रहा हूं.

2008 में ऐसा बहुत कुछ है जिसे सचिन शायद ही कभी भूल पाएं

इंग्लैंड जिसे महसूस हो रहा था कि इन परिस्थितियों में (भारत में बड़ा आतंकी हमला हुआ था) भारत की भूमि पर आकर आसानी ने ये टेस्ट मैच जीत लेगी मगर सचिन की आतिशी पारी ने उसके सभी मंसूबों पर पानी फेर दिया. भारत ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और इस मैच में सचिन ने अपना 41 वां शतक जड़ा. भारत ने ये मैच 6 विकेटों से जीता था. जिन हालात में ये मैच हुआ था इसे शायद ही कोई क्रिकेट प्रेमी कभी भूल पाए.

सवाल होगा कि 2008 की ये कहानी आज 11 साला बाद क्यों दोहराई जा रही है? तो कारण हैं मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर. इंटरनेशनल क्रिकेट में आज सचिन के 30 साल पूरे हुए हैं. आज ही के दिन 30 साल पहले सचिन ने अपने क्रिकेट के सफ़र की शुरुआत की थी. ध्यान रहे कि 15 नवंबर 1989 को पाकिस्‍तान के खिलाफ कराची टेस्‍ट से अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने वाले सचिन भले ही आज संन्‍यास ले चुके हों मगर वो ऐसा बहुत कुछ कर चुके हैं उसे इतिहास तब तक याद रखेगा जब तक ये दुनिया कायम हैं.

क्रिकेट में आज जैसा कद सचिन का है हर व्यक्ति उसे हासिल करना चाहता है. चाहे वो टेस्ट मैच रहे हों. या फिर वन डे इंटरनेशनल. सचिन तेंडुलकर ने सूझ बूझ के साथ जिस खेल का प्रदर्शन किया है और जिस तरह कई मौकों पर उन्होंने भंवर में फंसी टीम इंडिया को अपने लाजवाब शतकों की बदौलत निकाला क्रिकेट और देश दोनों ही शायद कभी उनका एहसान भूल पाए. 16 साल की उम्र में अपना पहला अंतरराष्‍ट्रीय टेस्ट मैच खेलने वाले सचिन उन तमाम खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा हैं जो मेहनत के बल बूते आगे जाना चाहते हैं.

ध्यान रहे कि जिस वक़्त पाकिस्तान के खिलाफ सचिन मैदान में उतरे थे उस वक़्त टीम में वकार यूनुस, वसीम अकरम, इमरान खान और अब्‍दुल कादिर जैसे लोग थे. सचिन ने भले ही अपनी पहली पारी में 15 रन बनाए हों मगर पाकिस्तान के स्टार खिलाड़ियों के सामने डंटे रहकर उन्होंने 30 साल पहले ही इस बात का आभास करा दिया था कि क्रिकेट के इस तारे ने अस्त होने के लिए जन्म नहीं लिया है यह आया है तो इतिहास बनाकर जाएगा.

बात क्योंकि चेन्नई में हुए इस टेस्ट मैच से शुरू हुई है. साथ ही हमने सचिन कि 103 रनों की पारी का भी जिक्र किया है तो बताना जरूरी हो जाता है कि यूं तो सचिन ने सैकड़ों पारियां खेली हैं मगर जब जब बात इस पारी या फिर ये कहें कि इस मैच की आएगी तो इसे इसलिए भी याद किया जाएगा क्योंकि मुंबई हमले से पूर्ती टीम का मनोबल टूट गया था.

चेन्नई के उस ग्राउंड पर जब मैच शुरू हुआ तो क्रिकेट एक्सपर्ट्स भी इस बात को मान चुके थे कि इस तनावपूर्ण समय में इंडिया मैच नहीं जीतने वाली. मैदान में सचिन थे और उनका साथ दे रहे थे युवराज सिंह. तब हुए उस मैच पर अगर आज भी गौर किया जाए तो सचिन की एक एक शॉट अपने में क्लास लिए हुए थी.

टीम ये मैच जीत गई थी और आज भी जब जब सचिन से सवाल होता है कि उनकी सबसे कीमती सेंचुरी कौन सी है तो खुद ब खुद 2008 की वो यादें और चेन्नई का वो स्टेडियम उनके जहन में आ जाता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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