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Zoya factor हो न हो, क्रिकेटरों का तो अंध-विश्‍वास पर पूरा विश्‍वास है

    • आईचौक
    • Updated: 15 सितम्बर, 2019 07:37 PM
  • 15 सितम्बर, 2019 07:37 PM
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क्या सच में हमारे भारतीय क्रिकेटर्स शुभ और अशुभ को मानते हैं? खेलने जाने से पहले वो किसपर विश्वास करते होंगे? क्या उनका भी कोई टोटका है जो खेल में काम कर जाता है? अगर सवाल ये हैं जो जवाब है- हां !

ये तो सभी जानते हैं कि Sonam Kapoor की फिल्म The Zoya Factor जल्द ही रिलीज होने वाली है. जैसा कि फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है, ये फिल्म क्रिकेट और शुभ-अशुभ के ताने बाने से सजी फिल्म है जो 20 सितंबर को रिलीज होने वाली है. फिल्म का प्रमोशन जोरों पर है. इसी सिलसिले में सोनम कपूर ने सोशल मीडिया पर एक प्रमोशनल वीडियो शेयर किया है. जो काफी सुर्खियां बटोर रहा है.

वीडियो में दिखाया गया है कि टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली पिच पर जाने से पहले ग्रीन रूम में बैठे हैं और जाने से ठीक पहले वो अपने गले में पड़े लॉकेट को चूमते हैं. ये मानते हुए कि वो उनका लकी चार्म है और ऐसा करने से सब कुछ अच्छा होगा.

इस वीडियो में जो दिखाई दे रहे हैं वो विराट कोहली नहीं. टिक-टॉक के विराट कोहली हैं. यानी विराट की तरह दिखाई देने वाले Gaurav Arora. जो टिकटॉक सेंसेशन हैं.

ये भले ही असली विराट कोहली न हों पर इस वीडियो को देखकर एक बात तो दिमाग में आती है कि अगर यहां असली विराट होते तो क्या करते? क्या सच में हमारे भारतीय क्रिकेटर्स शुभ और अशुभ को मानते हैं? खेलने जाने से पहले वो किसपर विश्वास करते होंगे? क्या उनका भी कोई टोटका है जो खेल में काम कर जाता है?

क्या क्रिकेटर्स भी अंधविश्वासी हैं? जवाब है- हां

हमारे खिलाड़ी भले ही स्टार हों लेकिन हैं तो इंसान ही. वो भी आम लोगों की तरह जीते हैं और आम लोगों की तरह उनके भी कुछ विश्वास और अंधविश्वास हैं. जर्सी पर अपने जन्मदिन की तारीख लिखवाना, छक्के के बाद बल्ले को चूमना तो आपने देखा ही होगा. पर ये नहीं सुना होगा-

विराट कोहली-

बात कप्तान से ही शुरू करते हैं. विराट कोहली वही दस्ताने पहना करते थे जो वो अपने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन के दौरान पहनते थे. लेकिन काफी समय बाद उन्हें ये अहसास हुआ कि सफलता के लिए उनका हुनर और प्रतिबद्धता ही काफी है. लेकिन अब भी विराट की कलाई में एक काले रंग का बैंड और कलावा बंधा होता है. लकी चार्म के तौर पर वो अपने हाथ में एक...

ये तो सभी जानते हैं कि Sonam Kapoor की फिल्म The Zoya Factor जल्द ही रिलीज होने वाली है. जैसा कि फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है, ये फिल्म क्रिकेट और शुभ-अशुभ के ताने बाने से सजी फिल्म है जो 20 सितंबर को रिलीज होने वाली है. फिल्म का प्रमोशन जोरों पर है. इसी सिलसिले में सोनम कपूर ने सोशल मीडिया पर एक प्रमोशनल वीडियो शेयर किया है. जो काफी सुर्खियां बटोर रहा है.

वीडियो में दिखाया गया है कि टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली पिच पर जाने से पहले ग्रीन रूम में बैठे हैं और जाने से ठीक पहले वो अपने गले में पड़े लॉकेट को चूमते हैं. ये मानते हुए कि वो उनका लकी चार्म है और ऐसा करने से सब कुछ अच्छा होगा.

इस वीडियो में जो दिखाई दे रहे हैं वो विराट कोहली नहीं. टिक-टॉक के विराट कोहली हैं. यानी विराट की तरह दिखाई देने वाले Gaurav Arora. जो टिकटॉक सेंसेशन हैं.

ये भले ही असली विराट कोहली न हों पर इस वीडियो को देखकर एक बात तो दिमाग में आती है कि अगर यहां असली विराट होते तो क्या करते? क्या सच में हमारे भारतीय क्रिकेटर्स शुभ और अशुभ को मानते हैं? खेलने जाने से पहले वो किसपर विश्वास करते होंगे? क्या उनका भी कोई टोटका है जो खेल में काम कर जाता है?

क्या क्रिकेटर्स भी अंधविश्वासी हैं? जवाब है- हां

हमारे खिलाड़ी भले ही स्टार हों लेकिन हैं तो इंसान ही. वो भी आम लोगों की तरह जीते हैं और आम लोगों की तरह उनके भी कुछ विश्वास और अंधविश्वास हैं. जर्सी पर अपने जन्मदिन की तारीख लिखवाना, छक्के के बाद बल्ले को चूमना तो आपने देखा ही होगा. पर ये नहीं सुना होगा-

विराट कोहली-

बात कप्तान से ही शुरू करते हैं. विराट कोहली वही दस्ताने पहना करते थे जो वो अपने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन के दौरान पहनते थे. लेकिन काफी समय बाद उन्हें ये अहसास हुआ कि सफलता के लिए उनका हुनर और प्रतिबद्धता ही काफी है. लेकिन अब भी विराट की कलाई में एक काले रंग का बैंड और कलावा बंधा होता है. लकी चार्म के तौर पर वो अपने हाथ में एक कड़ा भी पहनते हैं जिसे वो 2012 से लगातार पहने हुए हैं.

कलावा और कड़ा हमेशा विराट कोहली के हाथों में होता है

सचिन तेंदुलकर-

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर दाएं के बजाए बाएं को अहमियत देते हैं. उनका ये मानना है कि दाएं पैर के बजाए बाएं पैर का पैड पहले पहनना उनके लिए लकी साबित होता है. वो अपने बैट को भी लकी मानते हैं. 2011 वर्ल्ड कप से पहले उन्होंने अपने लकी बैट की भी मरम्मत करवाई थी. इस जीत के लिए वो कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे. ग्वालियर में उनकी एक राखी बहन अर्चना पुरोहित भी हैं, जिन्हें सचिन अपने लिए बहुत लकी मानते हैं. ग्वालियर में अगर खेलना होता तो खेल से पहले सचिन बहन से जरूर मिलते थे.

बल्ला कितना ही पुराना क्यों न हो जाए, सचिन मरम्मत करवाकर खेलते थे

युवराज सिंह

युवराज सिंह का जन्मदिन 12 दिसंबर है और वो इस नंबर को अपने लिए लकी मानते हैं. उनकी जर्सी का नंबर भी 12 है. वो भी अपने हाथ की कलाई में काला धागा पहनते हैं.

वीरेंद्र सहवाग

वीरेंद्र सहवाग भी अपने विश्वास के चलते 44 नंबर की जर्सी पहनते थे. लेकिन बाद में वो किसी अंकशास्त्री से मिले और उन्होंने बिना नंबर की जर्सी पहनना शुरू कर दिया जो उनके लिए अच्छा साबित हुआ. इसके अलावा सहवाग अपनी जेब में एक लाल रंग का रुमाल भी रखा करते थे, जो उनके मुताबिक उनका लकी चार्म था.

महेंद्र सिंह धोनी

धोनी भी अंको पर विश्वास करते हैं. वो भी 7 जुलाई को जन्मे इसलिए वो 7 को ही अपना लकी नंबर मानते हैं. उनका जर्सी नंबर भी 7 ही है.

महेंद्र सिंह धोनी का जर्सी नंबर ही उनका लकी चार्म है

आर अश्विन

आर अश्विन 2011 के वर्ल्ड कप के दौरान एक बैग लेकर आते थे. जिसे वो न सिर्फ अपने लिए बल्कि पूरी टीम के लिए लकी मानते हैं. वर्ल्ड कप के दैरान भले ही उन्होंने दो मैच खेले, लेकिन वो हर मैच के लिए वो बैग लेकर आए थे और भारत को जीत मिली थी.

राहुल द्रविड

The wall कहे जाने वाले राहुल द्रविड हमेशा thigh pad पहले दाएं पैर में पहनते थे. और वो कभी भी नया बल्ला इस्तेमाल नहीं करते थे, चाहे कितनी ही अच्छी ब्रांड का क्यों न हो.

सौरव गांगुली

सौरव गांगुली जिस दिन खेलते थे वो शेविंग नहीं करते थे. साथ ही वो जब भी खेलते थे हमेशा अपनी जेब में अपने गुरू की तस्वीर रखते थे. इतना ही नहीं उनका भरोसा अंगूठियों और मालाओं पर भी था जिसे वो पहना करते थे. 2002 लॉर्ड्स के मैदान में जब भारत ने इंग्लैंड को हराया था तब खुशी के मारे गांगुली ने शर्ट उतार दी थी. उस वक्त उनके गले में पड़ी माला को देखकर अंदाजा लगाया सकता है कि वो उनपर कितना भरोसा करते थे.

2002 लॉर्ड्स के मैदान का ये ऐतिहासिक नजारा था.

जहीर खान

जहीर खान का लकी चार्म था पीले रंग का रुमाल जिसे वो खेल के दौरान हमेशा अपनी जेब में रखते थे.

मोहम्मद अजहरुद्दीन

मोहम्मद अजहरुद्दीन अपने गले में हमेशा ही एक काे रंग का ताबीज पहनते थे. खास बात ये थी कि बैटिंग के दौरान वो उस ताबीज को शर्ट के बाहर भी निकाल लेते थे जिससे ज्यादा फायदा हो.

मोहम्मद अजहरुद्दीन के गले में हमेशा ताबीज देखा जाता था

सुनील गावस्कर

सुनील गावस्कर करियर के शुरुआती दिनों में स्वेटर पहनना शुभ नहीं मानते थे. उनका कहना था- 'मैं कभी स्वेटर नहीं पहनता था- न स्कूल में पहना, न कॉलेज में और न ही किसी मैच में चाहे कितनी ही ठंड क्यों न हो. इसे मेरा अंधविश्वास कहा जा सकता है, लेकिन ये एक फैक्ट है कि मैंने कभी स्वेटर पहनकर बैटिंग नहीं की.'

अनिल कुंबले

पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हुए अनिल कुंबले ने एक रिकॉर्ड बनाया था जिसमें उन्होंने एक ही इनिंग में सभी 10 विकेट लिए थे. उस मैच के दौरान जब भी वो बॉलिंग के लिए गए उन्होंने हर बार उन्होंने अपनी कैप और स्वेटर सचिन को थमाया था.

मोहिंदर अमरनाथ

ये रुमाल रखना तो क्रिकेट की परंपरा ही लगती है. मोहिंदर अमरनाथ भी अपने साथ लाल रंग का रुमाल रखते थे. जो उनके लिए बहुत लकी था. इसी की बदौलत 1983 का वर्ल्ड कप भारत जीता था.

1983 वर्ल्डकप के दौरान कई टोटके काम आए थे

वर्लडकप 83 के दौरान एक टोटके ने खेल कर दिया था

भारत 17/5 पर था. 83 कपिल देव देव बैटिंग कर रहे थे. भारत को बचाने के लिए कपिल देव का ही सहारा था. कपिल बहुत मजबूती और विश्वास के साथ खेल रहे थे कि तभी मैनेजर मान सिंह ने भारत के सभी खिलाड़ियों को एक ही जगह पर रुक जाने के लिए कहा. जो बैठे उन्हें बैठे रहने दिया और जो खड़े थे उन्हें उसी position में रहने के लिए कहा. कपिल देव की बैटिंग तक हिलने तक के लिए मना कर दिया गया था. कपिल ने 175 का बड़ा स्कोर खड़ा किया और भारत वर्ल्ड कप जीता.

क्रिकेटर्स के कुछ ऐसे ही विश्वास और अंधविश्वास के देखाने वाली है सोनम कपूर की आने वाली फिल्म.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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