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एक हादसा... नहीं तो सचिन की जगह ये होते 'क्रिकेट के भगवान'

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 25 मई, 2017 05:44 PM
  • 25 मई, 2017 05:44 PM
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जैसे भाई की बदौलत सचिन को आज क्रिकेट का भगवान कहा जाता है. वैसे ही एक क्रिकेटर भी होता जिसे ये उपाधि दी जाती. लेकिन उसी के भाई ने उसका करियर चौपट कर दिया.

क्रिकेट में आपने कई ऐसी कहानियां सुनी होंगी जो काफी इंस्पिरेश्नल हों... चाहें वो युवराज की कैंसर से लड़कर वापिस आकर क्रिकेट में आना या फिर सचिन तेंदुलकर.. लेकिन कहते हैं ना किसमत ही खराब हो तो कुछ नहीं किया जा सकता... ऐसा ही हुआ एक क्रिकेटर के साथ.

जी हां, जैसे भाई की बदौलत सचिन को आज क्रिकेट का भगवान कहा जाता है. वैसे ही एक क्रिकेटर भी होता जिसे ये उपाधि दी जाती. लेकिन उसी के भाई ने उसका करियर चौपट कर दिया. वो भी महान बन सकता था लेकिन मुंबई का एक आम आदमी बनकर रह गया और वो है अनिल गौरव.

अनिल गौरव साभार: इंडियन एक्सप्रेस

कहा जाता था मुंबई का विवियन रिचर्ड्स

1980 की बात है... अनिल गौरव बेहतरीन क्रिकेट खेला करते थे. सचिन और कांबली जैसे ये भी रामाकांत आचरेकर की कोचिंग में क्रिकेट खेला करते थे. उस वक्त सचिन या कांबली नहीं अनिल रामाकांत के सबसे पसंदीदा स्टूडेंट थे. वो सचिन और कांबली को कहा करते थे कि अनिल से स्ट्रोक्स खेलना सीखें. उस वक्त उन्हें मुंबई का विवियन रिचर्ड्स (उस दौर से सबसे महान खिलाड़ी) कहा जाता था. सचिन अनिल को सर कहकर बुलाते थे.

अनिल उस वक्त मुंबई के अंडर 19 टीम में खेला करते थे. अनिल बताते हैं- "सचिन उस वक्त काफी शर्मीला था. उस वक्त मैं क्लब क्रिकेट टीम का कप्तान हुआ करता था. सचिन को मेरा बैट काफी पसंद था लेकिन वो शर्म के मारे बोल नहीं पाता था. मैच के दौरान सचिन को मैने अपना बैट दिया और कहा कि तुम्हें सेंचुरी बनाना है. सचिन बोले कि जरूर सर... जिसके बाद उन्होंने उसी बैट से सेंचुरी जड़ी थी."

अनिल गौरव साभार: इंडियन...

क्रिकेट में आपने कई ऐसी कहानियां सुनी होंगी जो काफी इंस्पिरेश्नल हों... चाहें वो युवराज की कैंसर से लड़कर वापिस आकर क्रिकेट में आना या फिर सचिन तेंदुलकर.. लेकिन कहते हैं ना किसमत ही खराब हो तो कुछ नहीं किया जा सकता... ऐसा ही हुआ एक क्रिकेटर के साथ.

जी हां, जैसे भाई की बदौलत सचिन को आज क्रिकेट का भगवान कहा जाता है. वैसे ही एक क्रिकेटर भी होता जिसे ये उपाधि दी जाती. लेकिन उसी के भाई ने उसका करियर चौपट कर दिया. वो भी महान बन सकता था लेकिन मुंबई का एक आम आदमी बनकर रह गया और वो है अनिल गौरव.

अनिल गौरव साभार: इंडियन एक्सप्रेस

कहा जाता था मुंबई का विवियन रिचर्ड्स

1980 की बात है... अनिल गौरव बेहतरीन क्रिकेट खेला करते थे. सचिन और कांबली जैसे ये भी रामाकांत आचरेकर की कोचिंग में क्रिकेट खेला करते थे. उस वक्त सचिन या कांबली नहीं अनिल रामाकांत के सबसे पसंदीदा स्टूडेंट थे. वो सचिन और कांबली को कहा करते थे कि अनिल से स्ट्रोक्स खेलना सीखें. उस वक्त उन्हें मुंबई का विवियन रिचर्ड्स (उस दौर से सबसे महान खिलाड़ी) कहा जाता था. सचिन अनिल को सर कहकर बुलाते थे.

अनिल उस वक्त मुंबई के अंडर 19 टीम में खेला करते थे. अनिल बताते हैं- "सचिन उस वक्त काफी शर्मीला था. उस वक्त मैं क्लब क्रिकेट टीम का कप्तान हुआ करता था. सचिन को मेरा बैट काफी पसंद था लेकिन वो शर्म के मारे बोल नहीं पाता था. मैच के दौरान सचिन को मैने अपना बैट दिया और कहा कि तुम्हें सेंचुरी बनाना है. सचिन बोले कि जरूर सर... जिसके बाद उन्होंने उसी बैट से सेंचुरी जड़ी थी."

अनिल गौरव साभार: इंडियन एक्सप्रेस

भाई की वजह से खत्म हुआ करियर

अनिल गौरव का भाई अजीत गौरव अंडरवर्ल्ड का मशहूर शार्पशूटर था. इसी वजह से अनिल का क्रिकेट करियर खत्म हो गया. अजीत की वारदातें ज्यादा होती गईं तो पुलिस ने अनिल और उनकी मां को पकड़ लिया और खूब पीटा. कि यह पूछने के लिए कि आखिर उसका भाई अजीत आखिर है कहां. जो अनिल या उसके परिवार को नहीं पता था. अजीत हमेशा घर से फरार रहता था और पुलिस अक्सर अनिल को पकड़कर ले जाती और पूछताछ करती. अनिल बताते हैं कि पुलिस ने 1993 तक उन्हें परेशान किया. जिसके बाद वापिस वो क्रिकेट ग्राउंड पर नहीं उतर पाए.

अनिल गौरव साभार: इंडियन एक्सप्रेस

एक तरफ सचिन का फोकस सिर्फ क्रिकेट पर था वहीं अनिल भाई के कारण पुलिस स्टेशन में पुलिस को जवाब देने में निकल गया. सचिन क्रिकेट के भगवान बन गए और ये क्रिकेट का चमकता सितारा एक कारखाने का मुलाजिम बनकर रह गया. अब वो मुंबई की एक चाल में रह रहे हैं और सचिन महल में...

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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