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PV Sindhu ने मेडल के लिए छोड़ दिया था मोबाइल और आइसक्रीम, जानिए कैसे हांसिल होता है शिखर...

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 02 अगस्त, 2021 10:38 PM
  • 02 अगस्त, 2021 10:38 PM
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इसे कहते हैं डेडिकेशन...ओलंपिक के लिए पीवी सिंधु ने मोबाइल और आइसक्रीम दोनों ही छोड़ दिया था. एक हम हैं जो हमसे कुछ भी नहीं छूटता. आलस और हर काम को कल पर टालने वाली हमारी आदत है जो जाती ही नहीं है.

पीवी सिंधु के बारे में जानकर दिल खुद ही बोल पड़ता है, इसे कहते हैं डेडिकेशन...ओलंपिक के लिए पीवी सिंधु ने मोबाइल और आइसक्रीम दोनों ही छोड़ दिया था. एक हम हैं जो हमसे कुछ भी नहीं छूटता. आलस और हर काम को कल पर टालने वाली हमारी आदत है जो जाती ही नहीं है. हमारा कल है जो कभी आता भी नहीं.

नहीं बुरा मत मानिए, हो सकता है कि आप ऐसे बिल्कुल ना हों, लेकिन पक्का आपके घर या आपके दोस्तो में कोई ना कोई ऐसे महाशय जरूर होगें जो हर काम पर यही बोलते होंगे कि, अबे छोड़ो यारों हो जाएगा...

कुछ सीखो दोस्तों, हम ये जो हर रोज कल से जिम जाने की बात करते हैं, कल से फास्ट फूड छोड़ने का फैसला करते हैं, कल से जल्दी जगने का वादा करते हैं... उनका कल तो आजतक नहीं आया. हम तो हर बात को कल पर टालते रहते हैं और खुद को तसल्ली देते रहते हैं.

पीवी सिंधु से सीखिए जीतने की लगन क्या होती है

असल में ये बात 2016 की है. जब मेडल जीतने के बाद पीवी सिंधु ने बताया था कि कोच पुलेला गोपीचंद ने ओलिंपिक से पहले उनसे मोबाइल छीन लिया था और आइसक्रीम खाने पर भी पाबंदी लगा दी थी. जब सिंधु ने सिल्वर मेडल जीता था तब जाकर उन्होंने आइसक्रीम खाई थी.

आपको तो पता ही होगा कि पीवी सिंधु ने टोक्यो ओलंपिक में चीनी खिलाड़ी बिंग जियाओ को 2-0 से हराने के साथ ही भारत की ऐसी पहली महिला खिलाड़ी बन गई जिसने ओलंपिक खेलों में देश के लिए लगातार दो पदक जीता है. ऐसा करके सिंधु ने इतिहास रच दिया.

शायद, यह खबर पढ़ने के बाद कल पर काम टालने वाली हमारी आदत सुधर जाए. थोड़ी शर्म तो आ ही जाती है अपनी आलसपन पर लेकिन क्या करें हम आदत से मजबूर जो हैं. अब समझ में आया मेडल जीतना कितना मुश्किल काम है. हमसे तो यहां फल खाए नहीं जा रहे. डॉक्टर ने बोल दिया भइया कोरोना काल है अपनी...

पीवी सिंधु के बारे में जानकर दिल खुद ही बोल पड़ता है, इसे कहते हैं डेडिकेशन...ओलंपिक के लिए पीवी सिंधु ने मोबाइल और आइसक्रीम दोनों ही छोड़ दिया था. एक हम हैं जो हमसे कुछ भी नहीं छूटता. आलस और हर काम को कल पर टालने वाली हमारी आदत है जो जाती ही नहीं है. हमारा कल है जो कभी आता भी नहीं.

नहीं बुरा मत मानिए, हो सकता है कि आप ऐसे बिल्कुल ना हों, लेकिन पक्का आपके घर या आपके दोस्तो में कोई ना कोई ऐसे महाशय जरूर होगें जो हर काम पर यही बोलते होंगे कि, अबे छोड़ो यारों हो जाएगा...

कुछ सीखो दोस्तों, हम ये जो हर रोज कल से जिम जाने की बात करते हैं, कल से फास्ट फूड छोड़ने का फैसला करते हैं, कल से जल्दी जगने का वादा करते हैं... उनका कल तो आजतक नहीं आया. हम तो हर बात को कल पर टालते रहते हैं और खुद को तसल्ली देते रहते हैं.

पीवी सिंधु से सीखिए जीतने की लगन क्या होती है

असल में ये बात 2016 की है. जब मेडल जीतने के बाद पीवी सिंधु ने बताया था कि कोच पुलेला गोपीचंद ने ओलिंपिक से पहले उनसे मोबाइल छीन लिया था और आइसक्रीम खाने पर भी पाबंदी लगा दी थी. जब सिंधु ने सिल्वर मेडल जीता था तब जाकर उन्होंने आइसक्रीम खाई थी.

आपको तो पता ही होगा कि पीवी सिंधु ने टोक्यो ओलंपिक में चीनी खिलाड़ी बिंग जियाओ को 2-0 से हराने के साथ ही भारत की ऐसी पहली महिला खिलाड़ी बन गई जिसने ओलंपिक खेलों में देश के लिए लगातार दो पदक जीता है. ऐसा करके सिंधु ने इतिहास रच दिया.

शायद, यह खबर पढ़ने के बाद कल पर काम टालने वाली हमारी आदत सुधर जाए. थोड़ी शर्म तो आ ही जाती है अपनी आलसपन पर लेकिन क्या करें हम आदत से मजबूर जो हैं. अब समझ में आया मेडल जीतना कितना मुश्किल काम है. हमसे तो यहां फल खाए नहीं जा रहे. डॉक्टर ने बोल दिया भइया कोरोना काल है अपनी लाइफस्टाइल सुधार लें, फिजिकल एक्टिविटी करें, योग करें, टहलने जाएं, लेकिन हम ऐसे हैं कि बीमारी है लेकिन चीनी नहीं छोड़ेंगे...

ऐसा नहीं है कि हमें अपने लापरवाही का अंदाजा नहीं है. हम तो सब जानकर भी बस जीए जा रहे वो भी भगवान भरोसे...जी हां, कल पर चीजें टालने वालों की जिंदगी अब भगवान भरोसे ही तो चलती है. वहीं जो लोग अपने बनाए हुए नियम पर चलते हैं वो कामयाब होते हैं.

एक बात और कल पर काम टालने वालों को इस सच्चाई का पता रहता है कि वो इस काम को कल भी नहीं कर पाएंगे या इससे उनका नुकसान होगा लेकिन इनकी हिम्मत भी गजबे होती है. सब जानकार भी अनजान बनते हैं और इस उम्मीद पर चैन की नींद सोते हैं जो होगा कल देखा जाएगा.

आलसी लोगों को काम टालने का बस बहाना चाहिए होता है. डाइटिंग करने की कोशिश करने वालों को देखा है कल से कुछ भी फालतू नहीं खाएंगे लेकिन जैसे की कल आता है वो दूसरे कल की बात करने लगते हैं. आइसक्रीम और मोबाइल छोड़ने के बाद पीवी सिंधु ने रियो में सिल्वर मेडल जीता था.

यही बात दिमाग में बिठाकर आप भी बुरी आदतों को छोड़े की कोशिश कीजिए. इतना ही नहीं सिंधु, ओलिंपिक सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं. अपनी कड़ी मेहनत की वजह से ही पीवी सिंधु ने बैडमिंटन में भारत को काफी कामयाबी दिलाई है.

टोक्यो ओलिंपिक खेलों के शुरु होने से पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु से बात की थी. तब मोदी ने कहा था कि ओलिंपिक से वापस आने के बाद वह साथ में आइसक्रीम खाएंगे. मेडल जीतने के बाद पीवी सिंधु की ट्रीट तो बनती है. अब देखिए ये दिन कब आता है.

दरअसल, पीवी सिंधु स्पोर्ट्स बैकग्राउंड से आती हैं. उनके पिता और माता दोनों वॉलीबॉल प्लेयर रहे हैं. वह वर्ल्ड चैंपियनशिप में पांच मेडल जीतने वाली भारत की इकलौती खिलाड़ी हैं. उन्होंने दो कांस्य, दो रजत और एक गोल्ड जीता है. सोचिए उनके घर का अनुशासन कितना तगड़ा होगा.

तो फिर देर किस बात की, हमें भी इस खिलाड़ी से कुछ सीखना चाहिए और अपनी मेहनत और अनुशासन से हमें हर काम को इमानदारी से करना चाहिए, जिसे हम कल पर टालते आए हैं. वरना हमारा कल कभी नहीं आएगा...

 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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