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माफ कीजिए, विश्वकप इंग्लैंड नहीं, न्यूज़ीलैंड जीता है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 15 जुलाई, 2019 07:42 PM
  • 15 जुलाई, 2019 07:42 PM
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इस मैच का नतीजा भले ही इंग्लैंड के हक में आया हो, लेकिन इस जीत का असल हकदार तो न्यूजीलैंड ही था. ऐसा नहीं है कि सिर्फ कुछ लोग ऐसा सोच रहे हैं, बल्कि पूरा ट्विटर यही कह रहा है. यहां तक कि क्रिकेट के दिग्गज भी आईसीसी के नियमों पर सवाल उठा रहे हैं.

विश्व कप (World Cup 2019 Finale) समाप्त हो चुका है और ट्रॉफी इंग्लैंड के नाम हो चुकी है. इस बार का विश्व कप इंग्लैंड की झोली में खुशियां तो डाल गया, लेकिन अपने पीछे छोड़ गया कई सवाल. ऐसे सवाल, जो क्रिकेट के खेल और आईसीसी के नियमों पर उंगली उठा रहे हैं. वैसे जिस तरह 14 जुलाई को हुए विश्व कप फाइनल में इंग्लैंड के हाथ ट्रॉफी लगी है, उसे देखते हुए नियमों पर सवाल उठना लाजमी भी है. मैच के आखिरी पलों में हर किसी को यही लग रहा था कि इस बार जीत का सेहरा न्यूजीलैंड के सिर सजेगा, लेकिन दोनों टीमों (England vs New Zealand) के बीच का खेल देखते ही देखते उस मोड़ पर जा पहुंचा, जहां हर किसी के चेहरे पर सिर्फ हैरानी के भाव थे. इंग्लैंड अपनी जीत को लेकर हैरान था और न्यूजीलैंड अपनी हार की वजह से.

इस मैच का नतीजा भले ही इंग्लैंड के हक में आया हो, लेकिन इस जीत का असल हकदार तो न्यूजीलैंड ही था. ऐसा नहीं है कि सिर्फ कुछ लोग ऐसा सोच रहे हैं, बल्कि पूरा ट्विटर इसी बात से पटा पड़ा है. यहां तक कि क्रिकेट की दुनिया के दिग्गज भी आईसीसी के नियमों पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं. वह भी यही मान रहे हैं कि विश्व कप की ट्रॉफी तो न्यूजीलैंड को मिलनी चाहिए थी. खैर, वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी- 'वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता.' न्यूजीलैंड पर ये कहावत सटीक बैठती है. अभी उसके जीतने का वक्त नहीं आया था, इसीलिए तो रन लेने के दौरान बेन स्टोक्स के बैट से बॉल टकराकर बाउंड्री पार चली गई. इन्हीं 4 रनों ने पूरा खेल पलट कर रख दिया.

इस मैच का नतीजा भले ही इंग्लैंड के हक में आया हो, लेकिन इस जीत का असल हकदार तो न्यूजीलैंड ही था.

इंग्लैंड के जीतने और न्यूजीलैंड के हारने पर जो सवाल उठ रहे हैं, वह सही भी हैं. वैसे भी, इस खेल में कुछ ऐसा नियम हैं, जिन्होंने...

विश्व कप (World Cup 2019 Finale) समाप्त हो चुका है और ट्रॉफी इंग्लैंड के नाम हो चुकी है. इस बार का विश्व कप इंग्लैंड की झोली में खुशियां तो डाल गया, लेकिन अपने पीछे छोड़ गया कई सवाल. ऐसे सवाल, जो क्रिकेट के खेल और आईसीसी के नियमों पर उंगली उठा रहे हैं. वैसे जिस तरह 14 जुलाई को हुए विश्व कप फाइनल में इंग्लैंड के हाथ ट्रॉफी लगी है, उसे देखते हुए नियमों पर सवाल उठना लाजमी भी है. मैच के आखिरी पलों में हर किसी को यही लग रहा था कि इस बार जीत का सेहरा न्यूजीलैंड के सिर सजेगा, लेकिन दोनों टीमों (England vs New Zealand) के बीच का खेल देखते ही देखते उस मोड़ पर जा पहुंचा, जहां हर किसी के चेहरे पर सिर्फ हैरानी के भाव थे. इंग्लैंड अपनी जीत को लेकर हैरान था और न्यूजीलैंड अपनी हार की वजह से.

इस मैच का नतीजा भले ही इंग्लैंड के हक में आया हो, लेकिन इस जीत का असल हकदार तो न्यूजीलैंड ही था. ऐसा नहीं है कि सिर्फ कुछ लोग ऐसा सोच रहे हैं, बल्कि पूरा ट्विटर इसी बात से पटा पड़ा है. यहां तक कि क्रिकेट की दुनिया के दिग्गज भी आईसीसी के नियमों पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं. वह भी यही मान रहे हैं कि विश्व कप की ट्रॉफी तो न्यूजीलैंड को मिलनी चाहिए थी. खैर, वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी- 'वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता.' न्यूजीलैंड पर ये कहावत सटीक बैठती है. अभी उसके जीतने का वक्त नहीं आया था, इसीलिए तो रन लेने के दौरान बेन स्टोक्स के बैट से बॉल टकराकर बाउंड्री पार चली गई. इन्हीं 4 रनों ने पूरा खेल पलट कर रख दिया.

इस मैच का नतीजा भले ही इंग्लैंड के हक में आया हो, लेकिन इस जीत का असल हकदार तो न्यूजीलैंड ही था.

इंग्लैंड के जीतने और न्यूजीलैंड के हारने पर जो सवाल उठ रहे हैं, वह सही भी हैं. वैसे भी, इस खेल में कुछ ऐसा नियम हैं, जिन्होंने सवालों को हवा दी है.

बेन स्टोक्स के बल्ले से लग कर गया चौक्का तो बनता ही नहीं

अगर क्रिकेट में टॉस को छोड़ दिया जाए, तो कुछ भी किस्मत पर निर्भर नहीं होता है. यानी जो टीम अच्छा प्रदर्शन करती है, जीत उसी की होती है. अच्छी बल्लेबाजी, अच्छी गेंदबाजी और साथ ही अच्छी फील्डिंग के कॉम्बिनेशन से एक टीम जीत के शिखर तक पहुंचती है, लेकिन विश्वकप के फाइनल में इन सभी बातों को दरकिनार करते हुए किस्मत ही जीत का पैमाना बन गई. मैच के आखिरी पलों में रन के लिए दौड़ते समय बेन स्टोक्स ने डाइव मारकर क्रीज कर पहुंचने की कोशिश की और इसी बीच उनके बैट से बॉल लगकर बाउंड्री के पार चली गई. यानी जिस गेंद में सिर्फ 2 रन मिलने थे, उसमें 4 अतिरिक्त रन मिलने की वजह से 6 रन मिल गए. यानी जो चौक्का इंग्लैंड का था ही नहीं, उसी ने उसे विश्व कप का खिताब जिता दिया.

बाउंड्री के हिसाब से हार-जीत तय करना गलत

दोनों टीमों के बीच मैच टाई रहा. ऐसे में सुपर ओवर खेला गया. यानी एक अतिरिक्त ओवर, जो तय करेगा कि कौन सी टीम जीतेगी. लेकिन वो भी टाई रहा, बावजूद इसके इंग्लैंड जीत गया. ऐसा इसलिए क्योंकि इंग्लैंड ने अधिक बाउंड्री यानी चौके-छक्के मारे थे. यहीं से आईसीसी के नियमों पर सवाल उठने शुरू हुए. अधिकतर लोग इस नियम को गलत कह रहे हैं. भले ही वह कोई आम क्रिकेट प्रशंसक हो या फिर क्रिकेट की दुनिया का दिग्गज. वैसे भी, हार-जीत तय करने का ये पैमाना तो यही दिखाता है कि व्यक्ति को अपने प्रदर्शन से नहीं, बल्कि किस्मत से हार-जीत मिलती है, जो खेल की दुनिया में गलत है.

भले ही वह कोई आम क्रिकेट प्रशंसक हो या फिर क्रिकेट की दुनिया का दिग्गज, वह आईसीसी के नियम पर सवाल उठा रहा है.

विकेट के हिसाब से तय की जा सकती थी हार-जीत

अगर किसी भी क्रिकेट मैच को देखें तो उसमें या तो जीतने वाली टीम कुछ रनों से जीतती है या फिर कुछ विकेट से. ऐसा कभी नहीं होता है कि हार-जीत इस बार से तय हो कि किसने ज्यादा चौके-छक्के मारे. लेकिन वर्ल्ड के फाइनल में ऐसा हुआ. उस टीम को जीत का खिताब मिला, जिसने बाउंड्री अधिक मारीं.

ऐसा कभी नहीं होता है कि हार-जीत इस बार से तय हो कि किसने ज्यादा चौके-छक्के मारे.

तो क्या क्रिकेट सिर्फ बल्लेबाजों का खेल है?

वैसे तो क्रिकेट में गेंदबाजी भी उतनी ही अहम होती है, जितनी कि बल्लेबाजी, लेकिन विश्व कप फाइनल में जिस तरह इंग्लैंड की जीत हुई, उसने तो जैसे क्रिकेट को सिर्फ बल्लेबाजों का खेल ही बना दिया. अगर ऐसा नहीं होता तो जीत का पैमाना बाउंड्री रखने के बजाय दोनों टीमों के विकेटों या फिर रन रेट जैसी चीजों की भी तुलना की जा सकती थी. यूं लग रहा है मानो आईसीसी खुद भी यही मानता है कि क्रिकेट बल्लेबाजों का खेल है.

यूं लग रहा है मानो आईसीसी खुद भी यही मानता है कि क्रिकेट बल्लेबाजों का खेल है.

दरअसल हारा तो आईसीसी है

आईसीसी ने क्रिकेट में सुपरओवर टाई होने पर बाउंड्रीज के हिसाब से जिस तरह इंग्लैंड को विजेता करार दिया है, वो दिखा रहा है कि दरअसल हार तो आईसीसी की हुई है. क्रिकेट फैन से लेकर पूर्व क्रिकेटर्स तक आईसीसी के इस नियम पर सवाल उठा रहे हैं. वैसे सवाल तो उठने ही थे, आईसीसी ने जब ये नियम बनाया था, तो न जाने क्या सोचा होगा, क्योंकि किसी भी लॉजिक से बाउंड्री अधिक मारने वाली टीम को जीता हुआ करार देना सही नहीं है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि आईसीसी पर उठ रहे सवालों का उनकी तरफ से क्या लॉजिक सामने आता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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