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'पूरा आईपीएल खत्‍म हो गया, तोहरा खून काहे नहीं खौला ए युवराज'

    • विवेक शुक्ला
    • Updated: 24 मई, 2018 02:39 PM
  • 24 मई, 2018 01:10 PM
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यदि युवराज सिंह के प्रदर्शन को देखें, तो कई ऐसे मौके आए हैं जब उनके प्रदर्शन में उतार चढ़ाव देखने को मिला. कह सकते हैं कि जिस तरह युवराज ने अपनी गलतियों से सीख ली और खड़े हुए यही बात उन्हें एक महान क्रिकेटर बनाती है.

2007 का पहला टी20 व‍िश्‍वकप साउथ अफ़्रीका में खेला जा रहा था. इंड‍िया का मुकाबला इंग्‍लैंड से था ये मैच किंग्समीड के मैदान में खेला जाना था. मैदान में दर्शकों को देखकर लग रहा था कि यह मैच भारत में ही हो रहा है. मैच शुरू हुआ और टीम इंडिया 159 रन पर 3 विकेट गवां चुकी थी, तब तक युवराज भी मैदान पर आ चुके थे. 18 गेंदें फेंकी जानी थी. फ़्लिंटॉफ़ का ओवर चल ही रहा था, ओवर समाप्‍त होते-होते फ़्लिंटॉफ़ और युवराज भिड़ गए. दोनों का बीच बचाव करने के ल‍िए धोनी और अम्‍पायर को आना पड़ा.

इस दौरान स्‍टेडि‍यम में मौजूद भारतीय दर्शकों ने युवराज-युवराज के नारे लगाने शुरू कर द‍िए. अगले ओवर में जो हुआ वो सभी को मालूम है. 19 वां ओवर स्टुअर्ट ब्रॉड लेकर आए, युवराज ने उनके इस ओवर की हर गेंद पर छक्का मारा और इंटरनेशनल टी20 में सबसे तेज हाफ़-सेंचुरी का रिकॉर्ड बनाया. ऐसा नहीं है कि युवराज स‍िंह की बस यही एक कहानी है.

युवराज सिंह के साथ ऐसा बहुत कुछ जुड़ा है जिसे उनके फैंस कभी भुला नहीं पाएंगे.

युवराज का इंटरनेशनल टीम में डेब्यू करने वाला मैच हो या कोई और मैच युवराज ने अपना जलवा हर जगह कायम रखा. इंड‍िया को 2007 के व‍िश्‍वकप को जिताने में इन्‍होंने अहम भूमिका न‍िभाई है. इसके अलावा युवराज भारत को साल 2000 का अंडर-19 विश्वकप जिताने में भी हीरो साबित हुए थे. जिसके लिए उन्हें मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट का ख़िताब भी मिला.

युवराज ने 2011 के क्रिकेट वर्ल्‍डकप को ज‍िताने में भी जान लगा दी थी. इन्‍होंने फाइनल मैच में गेंद और बल्ले दोनों से योगदान दिया. मैच में दो अहम विकेट चटकाने के साथ 24 रनों की अहम पारी भी खेली. वर्ल्ड कप के कुल नौ मैचों में युवराज ने 362 रन बनाए. उन्होंने 15 विकेट लिए, इसके...

2007 का पहला टी20 व‍िश्‍वकप साउथ अफ़्रीका में खेला जा रहा था. इंड‍िया का मुकाबला इंग्‍लैंड से था ये मैच किंग्समीड के मैदान में खेला जाना था. मैदान में दर्शकों को देखकर लग रहा था कि यह मैच भारत में ही हो रहा है. मैच शुरू हुआ और टीम इंडिया 159 रन पर 3 विकेट गवां चुकी थी, तब तक युवराज भी मैदान पर आ चुके थे. 18 गेंदें फेंकी जानी थी. फ़्लिंटॉफ़ का ओवर चल ही रहा था, ओवर समाप्‍त होते-होते फ़्लिंटॉफ़ और युवराज भिड़ गए. दोनों का बीच बचाव करने के ल‍िए धोनी और अम्‍पायर को आना पड़ा.

इस दौरान स्‍टेडि‍यम में मौजूद भारतीय दर्शकों ने युवराज-युवराज के नारे लगाने शुरू कर द‍िए. अगले ओवर में जो हुआ वो सभी को मालूम है. 19 वां ओवर स्टुअर्ट ब्रॉड लेकर आए, युवराज ने उनके इस ओवर की हर गेंद पर छक्का मारा और इंटरनेशनल टी20 में सबसे तेज हाफ़-सेंचुरी का रिकॉर्ड बनाया. ऐसा नहीं है कि युवराज स‍िंह की बस यही एक कहानी है.

युवराज सिंह के साथ ऐसा बहुत कुछ जुड़ा है जिसे उनके फैंस कभी भुला नहीं पाएंगे.

युवराज का इंटरनेशनल टीम में डेब्यू करने वाला मैच हो या कोई और मैच युवराज ने अपना जलवा हर जगह कायम रखा. इंड‍िया को 2007 के व‍िश्‍वकप को जिताने में इन्‍होंने अहम भूमिका न‍िभाई है. इसके अलावा युवराज भारत को साल 2000 का अंडर-19 विश्वकप जिताने में भी हीरो साबित हुए थे. जिसके लिए उन्हें मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट का ख़िताब भी मिला.

युवराज ने 2011 के क्रिकेट वर्ल्‍डकप को ज‍िताने में भी जान लगा दी थी. इन्‍होंने फाइनल मैच में गेंद और बल्ले दोनों से योगदान दिया. मैच में दो अहम विकेट चटकाने के साथ 24 रनों की अहम पारी भी खेली. वर्ल्ड कप के कुल नौ मैचों में युवराज ने 362 रन बनाए. उन्होंने 15 विकेट लिए, इसके अलावा उन्‍होंने चार बार मैन ऑफ द मैच का खिताब भी अपने नाम किया.

ये इतनी कहानी इसल‍िए बताई कि देख‍िए एक ख‍िलाड़ी अगर फार्म में है तो वो क्‍या-क्‍या कर सकता है. विश्वकप 2011 के बाद युवराज ने फेफड़ों में संक्रमण होने का हवाला देते हुए वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज से आराम लिया. इसके बाद खबर आई की युवी कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं. कैंसर की सूचना मिलने पर पूरा देश उनके स्‍वस्‍थ होने की कामना करता रहा.

युवराज ने अपने प्रदर्शन से कई बार लोगों को हैरत में डाला है

इलाज के लिए वे अमेरिका गए, जहां से करीब 4 महीने के उपचार के बाद उन्हें मार्च 2012 में छुट्टी मिल गई. उन्होंने अक्टूबर 2012 में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टी-20 मैच से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की. हालांकि कैंसर से वापसी के बाद उनका प्रदर्शन सामान्य ही रहा. एक ख‍िलाड़ी की असली पहचान यही होती है कि वो ज‍िंदगी का मैदान हो या खेल का, उसे बस जीतना आना चाह‍िए.

हालांकि युवराज आईपीएल में कभी भी हिट नहीं हुए. आईपीएल के 11 साल में युवराज ने 4 टीमों की ओर से खेला, जिसमें वे किंग्‍स इलेवन पंजाब, सहारा पुणे वॉरियर्स, रॉयल चैंलेंजर्स बैंगलोर, दिल्‍ली डेयरडेविल्‍स और सनराइजर्स हैदराबाद से खेलने के बाद अब फ‍िर पंजाब से खेल रहे हैं. इस सीजन में पंजाब ने उन्‍हें बेस प्राइज 2 करोड़ में खरीदा, हालांकि इससे पहले इनके ल‍िए टीमें बड़ी बोली लगाती आई हैं.

2015 में दिल्‍ली ने उन्‍हें 16 करोड़ और 2014 में बैंगलोर ने 14 करोड़ रुपये में खरीदकर सबको हैरान कर द‍िया था. आईपीएल में युवराज का सबसे अच्‍छा प्रदर्शन 2014 का है जब उन्‍होंने बैंगलोर की तरफ से खेलते हुए 376 रन बनाए थे. युवराज सिंह के लिए आईपीएल का 11वां सीजन भी काफी निराशाजनक रहा है. इस साल इन्‍होंने कुल 8 मुकाबलों की 6 पारियों में सिर्फ 65 रन ही बनाए हैं. आईपीएल एक ऐसा खेल है कि अगर आप टीम के स्‍टार ख‍िलाड़ी हैं तो आपको कभी भी बैंच पर बैठने की जरुरत नहीं पड़ेगी.

आईपीएल में युवराज के खराब प्रदर्शन को लेकर आलोचना भी खूब हुई

खैर, हो सकता है कि युवराज को इस आईपीएल में हम आख‍िरी बार खेलता हुआ देख रहे हों. जरूरी नहीं होता कि हर ख‍िलाड़ी हर जगह अच्‍छा प्रदर्शन करें. लेकिन हर ख‍िलाड़ी को ये सोचने की जरूरत होती है कि वो कहां पर फ‍िट बैठ रहा है. युवराज ने हर आईपीएल की तरह इस बार अपने प्रसंशकों को न‍िराश किया. युवराज के पास टीम इंड‍िया में वापसी करने का ये बढ़िया मौका था, लेकिन उन्‍होंने इसे गवां द‍िया.

पूरा भारत देश चाहता है कि युवराज टीम में वापसी करें, और लोग उम्‍मीद भी कर रहे हैं. ठीक वैसे ही जैसे गैंग्‍स ऑफ वासेपुर में भाई-बाप की मौत के बाद फैजल की मां बोलती है कि ''तोर खून कब खौलेगा रे फैजल.'' ठीक ऐसे ही दर्शक चाहते है कि युवराज फार्म में आए और बोले कि ''अब हर सीजन का बदला लेगा इ युवराज.'' खैर, अब आगे देखने वाली बात ये होगी कि युवराज अपने भविष्‍य के ल‍िए क्‍या करते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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