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इंडियन पिचों पर पिंक बॉल का 'टेस्ट' दिलचस्प होगा

    • आईचौक
    • Updated: 22 अप्रिल, 2016 04:43 PM
  • 22 अप्रिल, 2016 04:43 PM
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टीम इंडिया अक्टूबर में न्यूजीलैंड के खिलाफ संभवत: अपना पहला डे नाइट टेस्ट मैच खेल सकती है. इसलिए देखना होगा कि भारतीय मैदानों पर पिंक बॉल का प्रयोग कितना सफल होता है. क्या भारत में भी ज्यादा घास वाली पिच का इस्तेमाल होगा? अगर ऐसा है तो फिर स्पिनर्स का क्या होगा?

BCCI ने संकेत दे दिए हैं कि वह पिंक बॉल से डे-नाइट टेस्ट मैच के लिए तैयार है. टीम इंडिया अक्टूबर में भारत दौरे पर आ रही न्यूजीलैंड की टीम के खिलाफ संभवत: अपना पहला डे नाइट टेस्ट मैच खेल सकती है. ये खबर सच में उत्साहित करने वाली है. खासकर उन लोगों के लिए जो टेस्ट क्रिकेट को उसका पुराना रुतबा हासिल होते हुए देखना चाहते हैं.

यह जरूर है कि पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि ये प्रयोग टेस्ट क्रिकेट के सुनहरे दिन वापस ले ही आएगा. साथ ही ये भी सही है कि पिछले साल ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड के बीच पहला डे-नाइट टेस्ट खेला गया और दर्शकों की संख्या के मामले में अव्वल साबित हुआ. लेकिन फिर भी अब अगर भारत में यह होने जा रहा है तो इसके मायने खास हैं.

गौरतलब है कि क्रिकेट में जारी ये अब तक का सबसे बड़ा प्रयोग है. इस लिहाज से भारतीय दर्शक इसे कैसे लेते हैं, देखना होगा. क्योंकि क्रिकेट में कोई भी प्रयोग भारत के बिना शायद ही सफल हो. वैसे भी क्रिकेट का 80 फीसदी राजस्व भारतीय कॉरर्पोरेट जगत से आता है. साथ ही भारत में डे-नाइट टेस्ट के इस प्रयोग से कई दूसरे पहलू भी सामने आ सकते हैं.

पहली बार स्पिन पिच पर पिंक बॉल का टेस्ट!

पिछले साल एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच डे-नाइट टेस्ट मैच से पहले दोनों टीमों के कप्तानों स्टीव स्मिथ और ब्रेंडन मैक्लम से बात की गई. दोनों की रजामंदी से पिच और उसके आसपास जानबूझ कर घास छोड़ी गई. ऐसा इसलिए कि पिच घास से ढकी रहे और बार-बार गेंदबाजी करते समय गेंद को पटके जाने से गेंद का रंग जल्दी खराब न हो. मतलब वो बदरंग नहीं हो सके.

यह भी पढ़ें- पिंक बॉल से अलग आईसीसी के यह प्रयोग जो असफल रहे...

जाहिर सी बात है पिच पर ज्यादा हरी घास मतलब, तेज गेंदबाजों के लिए ज्यादा मदद. बाद में दोनों टीमों...

BCCI ने संकेत दे दिए हैं कि वह पिंक बॉल से डे-नाइट टेस्ट मैच के लिए तैयार है. टीम इंडिया अक्टूबर में भारत दौरे पर आ रही न्यूजीलैंड की टीम के खिलाफ संभवत: अपना पहला डे नाइट टेस्ट मैच खेल सकती है. ये खबर सच में उत्साहित करने वाली है. खासकर उन लोगों के लिए जो टेस्ट क्रिकेट को उसका पुराना रुतबा हासिल होते हुए देखना चाहते हैं.

यह जरूर है कि पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि ये प्रयोग टेस्ट क्रिकेट के सुनहरे दिन वापस ले ही आएगा. साथ ही ये भी सही है कि पिछले साल ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड के बीच पहला डे-नाइट टेस्ट खेला गया और दर्शकों की संख्या के मामले में अव्वल साबित हुआ. लेकिन फिर भी अब अगर भारत में यह होने जा रहा है तो इसके मायने खास हैं.

गौरतलब है कि क्रिकेट में जारी ये अब तक का सबसे बड़ा प्रयोग है. इस लिहाज से भारतीय दर्शक इसे कैसे लेते हैं, देखना होगा. क्योंकि क्रिकेट में कोई भी प्रयोग भारत के बिना शायद ही सफल हो. वैसे भी क्रिकेट का 80 फीसदी राजस्व भारतीय कॉरर्पोरेट जगत से आता है. साथ ही भारत में डे-नाइट टेस्ट के इस प्रयोग से कई दूसरे पहलू भी सामने आ सकते हैं.

पहली बार स्पिन पिच पर पिंक बॉल का टेस्ट!

पिछले साल एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच डे-नाइट टेस्ट मैच से पहले दोनों टीमों के कप्तानों स्टीव स्मिथ और ब्रेंडन मैक्लम से बात की गई. दोनों की रजामंदी से पिच और उसके आसपास जानबूझ कर घास छोड़ी गई. ऐसा इसलिए कि पिच घास से ढकी रहे और बार-बार गेंदबाजी करते समय गेंद को पटके जाने से गेंद का रंग जल्दी खराब न हो. मतलब वो बदरंग नहीं हो सके.

यह भी पढ़ें- पिंक बॉल से अलग आईसीसी के यह प्रयोग जो असफल रहे...

जाहिर सी बात है पिच पर ज्यादा हरी घास मतलब, तेज गेंदबाजों के लिए ज्यादा मदद. बाद में दोनों टीमों की ओर से कहा भी गया कि पिच पर जरूरत से ज्यादा घास मौजूद था और इसलिए भी वो मैच तीन दिन के अंदर समाप्त हो गया.

 ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड डे नाइट टेस्ट मैच (फाइल फोटो)

पाकिस्तान ने भी अपने घरेलू क्रिकेट में इसी साल जनवरी में पिंक बॉल से डे-नाइट टेस्ट मैच का प्रयोग किया और वहां भी करीब-करीब ऐसी ही तकनीक अपनाई गई. नतीजा ये रहा कि उस मैच में किसी बल्लेबाज ने शतक नहीं लगाया और पूरे मैच में जो 34 विकेट गिरे उसमें 27 तेज गेंदबाजों ने हासिल किए.

इस लिहाज से देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय मैदानों पर पिंक बॉल का प्रयोग कितना सफल होता है. क्या भारत में भी ज्यादा घास वाली पिच का इस्तेमाल होगा? अगर ऐसा होता है तो फिर स्पिनर्स का क्या होगा? और साथ ही अपने ही मैदान पर तेज पिचों को लेकर टीम इंडिया की प्रतिक्रिया क्या होगी? साथ ही ओस की भूमिका भी गौर करने लायक होगी. हालांकि BCCI न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट मैच से पहले प्रयोग के तौर पर दिलीप ट्रॉफी में एक मैच कराने की भी बात कह रही है. उम्मीद की जानी चाहिए कि दिलीप ट्रॉफी से ज्यादातर सवालों के जवाब मिल जाएंगे.

यह भी पढ़ें- डे-नाइट टेस्ट में पिंक बॉल क्या गुल खिलाएगी?

डे-नाइट टेस्ट को लेकर सभी एकमत नहीं ऐसा भी नहीं है कि दुनिया के सभी क्रिकेट बोर्ड डे-नाइट टेस्ट के पक्ष में हैं. अभी कुछ दिन पहले ये खबर आई कि दक्षिण अफ्रीका फिलहाल पिंक बॉल से डे-नाइट टेस्ट नहीं खेलना चाहता. दरअसल, दक्षिण अफ्रीका को नवंबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी है. पिछले साल न्यूजीलैंड के खिलाफ डे नाइट टेस्ट के सफल प्रयोग के बाद क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया चाहता था कि इस साल दक्षिण अफ्रीका के साथ भी वो इस प्रयोग को आगे बढ़ाए. लेकिन दक्षिण अफ्रीकी बोर्ड ने मना कर दिया. हालांकि, पाकिस्तानी टीम को साल के अंत में ऑस्ट्रेलिया का दौरा करना है और उसने डे-नाइट टेस्ट के लिए रजामंदी दे दी है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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