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खेलों में भारत का भविष्य क्यों उज्जवल है? ये दो बड़ी खबरें भरोसा जगाती हैं

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 28 अगस्त, 2022 07:21 PM
  • 28 अगस्त, 2022 07:21 PM
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भारत सरकार ने जूनियर लेवल से ही खिलाड़ियों को ओलंपिक (Olympic) खेलों में प्रदर्शन की तैयारी शुरू करा दी है. इसके लिए टारगेट ऑफ पोडियम स्कीम यानी टॉप्स कार्यक्रम (TOPS) चलाया जा रहा है. भारत के लिए वर्ल्ड कैडेट जूडो चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल करने वाले लिन्थोई चनंबम (Linthoi Chanambam) इसी टॉप्स स्कीम का हिस्सा हैं.

टोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता और भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने लुसाने डायमंड लीग में जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है. ट्रैक एंड फील्ड एथलीट नीरज चोपड़ा ऐसा करने वाले पहले भारतीय हैं. वहीं, 15 वर्षीय लिन्थोई चनंबम ने वर्ल्ड कैडेट जूडो चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल किया है. हाल ही में खत्म हुए कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Commonwealth Games 2022) में भारत मेडल टैली में चौथे नंबर पर रहा था. 22 गोल्ड, 16 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज समेत कुल 61 मेडल भारत के खाते में आए थे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारतीय खिलाड़ियों ने अपने शानदार प्रदर्शन से दर्शा दिया था कि खेलों में भारत का भविष्य उज्जवल होने वाला है. और, इस बात की तस्दीक इन दो खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन से हो भी रही है.

भारत सरकार टॉप्स कार्यक्रम के जरिये जूनियर लेवल पर ही खिलाड़ियों को ओलंपिक के लिए तैयार कर रही है.

चोट के चलते कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा नहीं थे बन पाए थे नीरज चोपड़ा

कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड के सबसे बड़े दावेदार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा चोटिल होने के चलते राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर हो गए थे. जबकि, वर्ल्ड चैंपियनशिप में नीरज चोपड़ा ने रजत पदक हासिल किया था. खैर, नीरज ने अब इसकी भरपाई स्विट्जरलैंड में हुई लुसाने डायमंड लीग में जीत हासिल करने के साथ ही कर दी है. और, इसी के साथ नीरज ने सितंबर में होने वाली ज्यूरिक डायमंड लीग और वर्ल्ड चैंपियनशिप 2023 के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है.

लुसाने डायमंड लीग में नीरज चोपड़ा ने अपने पहले ही प्रयास में 89.08 मीटर जैवलिन थ्रो किया था. और, उनके इसी थ्रो को पार कर पाना दूसरे खिलाड़ियों के लिए मुश्किल हो गया. हालांकि, उन्होंने दूसरे प्रयास में 85.18 मीटर का थ्रो फेंका. वहीं, नीरज ने तीसरे प्रयास...

टोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता और भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने लुसाने डायमंड लीग में जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है. ट्रैक एंड फील्ड एथलीट नीरज चोपड़ा ऐसा करने वाले पहले भारतीय हैं. वहीं, 15 वर्षीय लिन्थोई चनंबम ने वर्ल्ड कैडेट जूडो चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल किया है. हाल ही में खत्म हुए कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Commonwealth Games 2022) में भारत मेडल टैली में चौथे नंबर पर रहा था. 22 गोल्ड, 16 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज समेत कुल 61 मेडल भारत के खाते में आए थे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारतीय खिलाड़ियों ने अपने शानदार प्रदर्शन से दर्शा दिया था कि खेलों में भारत का भविष्य उज्जवल होने वाला है. और, इस बात की तस्दीक इन दो खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन से हो भी रही है.

भारत सरकार टॉप्स कार्यक्रम के जरिये जूनियर लेवल पर ही खिलाड़ियों को ओलंपिक के लिए तैयार कर रही है.

चोट के चलते कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा नहीं थे बन पाए थे नीरज चोपड़ा

कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड के सबसे बड़े दावेदार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा चोटिल होने के चलते राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर हो गए थे. जबकि, वर्ल्ड चैंपियनशिप में नीरज चोपड़ा ने रजत पदक हासिल किया था. खैर, नीरज ने अब इसकी भरपाई स्विट्जरलैंड में हुई लुसाने डायमंड लीग में जीत हासिल करने के साथ ही कर दी है. और, इसी के साथ नीरज ने सितंबर में होने वाली ज्यूरिक डायमंड लीग और वर्ल्ड चैंपियनशिप 2023 के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है.

लुसाने डायमंड लीग में नीरज चोपड़ा ने अपने पहले ही प्रयास में 89.08 मीटर जैवलिन थ्रो किया था. और, उनके इसी थ्रो को पार कर पाना दूसरे खिलाड़ियों के लिए मुश्किल हो गया. हालांकि, उन्होंने दूसरे प्रयास में 85.18 मीटर का थ्रो फेंका. वहीं, नीरज ने तीसरे प्रयास में हिस्सा नहीं लिया. चौथे प्रयास में चोपड़ा फाउल कर बैठे. लेकिन, तब तक कोई भी खिलाड़ी उनके पहले प्रयास को पछाड़ नहीं पाया था. पांचवें प्रयास में फिर से नीरज ने हिस्सा नहीं लिया. और, छठे प्रयास में केवल 80.04 मीटर का ही थ्रो किया. 

लुसाने डायमंड लीग में टोक्यो ओलिंपिक के रजत पदक विजेता जाकुब वादलेजक 85.88 मीटर के थ्रो के साथ दूसरे और अमेरिका के कुरतिस थांप्सन 83.72 मीटर के थ्रो के साथ तीसरे स्थान पर रहे. लेकिन, इन दोनों ही खिलाड़ियों को भी टॉप थ्री में शामिल होने की वजह से 6 प्रयास का मौका मिला था. लेकिन, कोई भी खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के थ्रो के आस-पास भी नजर नहीं आया. जीतने के बाद नीरज चोपड़ा ने कहा कि सभी लोग 90 मीटर के थ्रो की बात कर रहे हैं. लेकिन, जब समय आएगा, तो वो भी हो जाएगा. अभी मेरे ऊपर कोई प्रेशर नहीं है.

15 साल की लिन्थोई का वर्ल्ड कैडेट जूडो चैंपियनशिप में कमाल

वर्ल्ड कैडेट जूडो चैंपियनशिप में लिन्थोई चनंबम गोल्ड मेडल जीतकर ऐसा करने वाली भारत की पहली जुडोका बन गई हैं. लिन्थोई चनंबन ने 57 किग्रा वर्ग में गोल्ड मेडल जीता है. मणिपुर की रहने वाली 15 साल की लिन्थोई चनंबम ने ब्राजील की बियांका रेस को 1-0 से मात दी थी. वैसे, लिन्थोई चनंबम के नाम के आगे लगे जुडोका से भ्रमित मत होइएगा. यह उनके नाम में शामिल नहीं है. बल्कि, जूडो से जुड़े पेशेवर खिलाड़ियों को जुडोका कहा जाता है. लिन्थोई चनंबम जूडो में भारत की पहली अंडर-18 विश्व चैंपियन बनी हैं. 

15 साल की यह खिलाड़ी भारत सरकार के टॉप्स कार्यक्रम का हिस्सा हैं. 2017 में लिन्थोई ने सब-जूनियर नेशनल जूडो चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था. लिन्थोई चनंबम ने 2021 में नेशनल कैडेट जूडो चैंपियनशिप में स्वर्ण और लेबनान के बेरूत में एशिया-ओशिनिया कैडेट जूडो चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था. लिन्थोई चनंबम ने एशियाई कैडेट और जूनियर जूडो चैंपियनशिप 2022 में भी स्वर्ण पदक भारत के खाते में डाला था.

भारत सरकार का टॉप्स कार्यक्रम क्या है?

भारत सरकार ने जूनियर लेवल पर ही खिलाड़ियों की प्रतिभाओं को निखारने के लिए टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) लॉन्च की है. 2020 में टॉप्स स्कीम में 258 खिलाड़ियों को शामिल किया गया है. खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने इस टॉप्स स्कीम के बारे में कहा था कि 'भारत सरकार चाहती है कि जूनियर स्तर में भी टारगेट ऑफ पोडियम स्कीम को शुरू करने से कोई भी एथलीट 2028 में होने वाले ओलिंपिक खेलों की तैयारी अभी से कर सकेगा. जूनियर लेवल से किसी एथलीट को ओलंपिक खेलों की तैयारी करने में लगभग आठ साल लग जाते हैं. जिसकी वजह से भारत सरकार टॉप्स स्कीम के सहारे इन एथलीटों को अभी से प्रोत्साहन देने की कोशिश कर रही है.' बता दें कि टॉप्स स्कीम में शामिल एथलीटों का हर साल असेसमेंट होता है. और, प्रत्येक एथलीट को 25000 रुपये का मासिक भत्ता भी दिया जाता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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