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न Yuvraj Singh भुलाए जाएंगे और न उनके साथ ली हुई तस्वीर

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    • Updated: 12 जून, 2019 12:50 PM
  • 12 जून, 2019 12:50 PM
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मैंने युवराज को hello किया और पूछा कि क्या हम साथ-साथ एक फोटो ले सकते हैं? तो युवराज ने विनम्रता से कहा जरा हम लोग चश्में देख लें, फिर ले लीजियेगा.

Yuvraj Singh अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायर हो गए. हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट ने एक बहुत बेहतरीन क्रिकेटर और उससे भी बड़ा फाइटर खो दिया. वैसे वह अभी क्रिकेट की दुनिया में सक्रिय रहेगा, संभवतः विदेशी क्रिकेट लीग में कुछ साल खेल सकता है लेकिन अगले साल होने वाले IPL में दर्शक युवी को जरूर मिस करेंगे.

अब चाहे एक ओवर में छह छक्के मारना हो या फिर एक दिवसीय क्रिकेट विश्व कप में मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट हो, इन सब चीजों के लिए तो हमेशा ही युवराज को याद किया जाता रहेगा. लेकिन मेरे लिए युवराज को याद करने की एक और वजह है.

सन 2013 में मैं जब दक्षिण अफ्रीका में था, तब भारतीय टीम क्रिकेट मैच की श्रृंखला के लिए दक्षिण अफ्रीका में आयी थी. जोहानसबर्ग के जिस सैंडटन माल में भारतीय टीम एक पांच सितारा होटल में ठहरी थी, उसी माल के ऑफिस टावर में हमारा ऑफिस था. अब चूंकि क्रिकेट में दिलचस्पी थी और हिन्दुस्तान में इन खिलाडियों से मिल पाना बेहद कठिन काम है तो मुझे उम्मीद थी कि यहां पर भारतीय टीम के सदस्यों से मुलाकात हो ही जाएगी. वैसे भी विदेशों में यह खिलाड़ी आसानी से सुलभ रहते हैं, मुझे इस बात का भी अंदाजा था.

युवराज सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायर हो गए

एक दिन दोपहर में मेरे एक कलीग ने मुझे फोन किया कि नीचे मॉल में आ जाओ, युवराज और कोहली दोनों एक दुकान पर खड़े हैं. मैं भागता हुआ नीचे मॉल में पहुंचा तो मुझे एक चश्में की दुकान के सामने दोनों खड़े दिख गए. हम दोनों के अलावा वहां और कोई नहीं था जो उनको पहचानता था (एक तरह से यह उनके लिए अपमानजनक ही रहा होगा, वार्ना उनकी एक झलक देखने के लिए हजारों लोग टूट पड़ते हैं). खैर मैंने युवराज को hello किया और पूछा कि क्या हम साथ-साथ एक फोटो ले सकते हैं? तो युवराज ने विनम्रता से कहा...

Yuvraj Singh अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायर हो गए. हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट ने एक बहुत बेहतरीन क्रिकेटर और उससे भी बड़ा फाइटर खो दिया. वैसे वह अभी क्रिकेट की दुनिया में सक्रिय रहेगा, संभवतः विदेशी क्रिकेट लीग में कुछ साल खेल सकता है लेकिन अगले साल होने वाले IPL में दर्शक युवी को जरूर मिस करेंगे.

अब चाहे एक ओवर में छह छक्के मारना हो या फिर एक दिवसीय क्रिकेट विश्व कप में मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट हो, इन सब चीजों के लिए तो हमेशा ही युवराज को याद किया जाता रहेगा. लेकिन मेरे लिए युवराज को याद करने की एक और वजह है.

सन 2013 में मैं जब दक्षिण अफ्रीका में था, तब भारतीय टीम क्रिकेट मैच की श्रृंखला के लिए दक्षिण अफ्रीका में आयी थी. जोहानसबर्ग के जिस सैंडटन माल में भारतीय टीम एक पांच सितारा होटल में ठहरी थी, उसी माल के ऑफिस टावर में हमारा ऑफिस था. अब चूंकि क्रिकेट में दिलचस्पी थी और हिन्दुस्तान में इन खिलाडियों से मिल पाना बेहद कठिन काम है तो मुझे उम्मीद थी कि यहां पर भारतीय टीम के सदस्यों से मुलाकात हो ही जाएगी. वैसे भी विदेशों में यह खिलाड़ी आसानी से सुलभ रहते हैं, मुझे इस बात का भी अंदाजा था.

युवराज सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायर हो गए

एक दिन दोपहर में मेरे एक कलीग ने मुझे फोन किया कि नीचे मॉल में आ जाओ, युवराज और कोहली दोनों एक दुकान पर खड़े हैं. मैं भागता हुआ नीचे मॉल में पहुंचा तो मुझे एक चश्में की दुकान के सामने दोनों खड़े दिख गए. हम दोनों के अलावा वहां और कोई नहीं था जो उनको पहचानता था (एक तरह से यह उनके लिए अपमानजनक ही रहा होगा, वार्ना उनकी एक झलक देखने के लिए हजारों लोग टूट पड़ते हैं). खैर मैंने युवराज को hello किया और पूछा कि क्या हम साथ-साथ एक फोटो ले सकते हैं? तो युवराज ने विनम्रता से कहा "जरा हम लोग चश्में देख लें, फिर ले लीजियेगा".

हम दोनों वहीं खड़े हो गए और कुछ मिनटों बाद जब दोनों फ्री हुए तो युवराज हमारी तरफ बढ़ा लेकिन कोहली एकदम से वापस जाने लगा. जब युवराज ने कोहली को वापस जाते देखा तो बिना हमारे कुछ कहे उसने आवाज लगायी "अरे कोहली, इधर आओ. ये लोग हमारा वेट कर रहे हैं".फिर कोहली वापस आया और फिर हम लोगों ने साथ फोटो खिंचाया.

युवराज सिंह के साथ लिया गया फोटो

कुछ दिनों बाद युवराज का जन्मदिन था, मैं टीम के होटल जा रहा था कि युवराज को जन्मदिन पर एक बुके भेंट करूंगा. तभी मुझे मॉल में भुवनेश्वर कुमार दिख गया, मैंने उससे पूछा कि युवराज कहां है, उसे बर्थडे विश कर दिया जाए. तो भुवनेश्वर कुमार ने बताया कि युवराज तो रात की फ्लाइट से ही इंडिया चला गया और मेरा बुके देने का सपना अधूरा रह गया.

सबसे दिलचस्प वाकया तो तब हुआ जब एकाध साल बाद उसी मॉल में मेरी मुलाकात स्टुअर्ट ब्रॉड से हुई. कुछ देर की बातचीत में मेरे मन में कई बार आया कि मैं उससे उन छह छक्कों के बारे में पूछूं लेकिन फिर मैंने इरादा बदल दिया.    

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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