• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

ईरान में महिला होना किसी पाप से कम नही!

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 29 दिसम्बर, 2017 04:34 PM
  • 29 दिसम्बर, 2017 04:34 PM
offline
तेहरान में पहले महिलाओं को ज्यादा मेकअप करने, सिर पर ठीक से स्कार्फ न बांधने और नेलपॉलिश लगाने पर भी गिरफ्तार कर लिया जाता था. पुलिस का कहना है कि अब ऐसा नहीं होगा, लेकिन इस रियायत में भी एक पेंच है..

एक तरफ भारत में तीन तलाक को गैरकानूनी करार देने वाला बिल पास हो गया है. सऊदी अरब जैसा कट्टर इस्‍लामी मुल्‍क भी महिलाओं को लेकर उदार होता दिख रहा है. और दूसरी तरफ शिया बहुल इस्लामिक देश ईरान से भी महिलाओं के लिए अच्‍छी खबर आ रही है. ईरान की राजधानी तेहरान में अब महिलाओं को इस्लामिक कायदे कानून के खिलाफ कपड़े पहनने और मेकअप करने पर अरेस्ट नहीं किया जाएगा.

जी हां, तेहरान में पहले ज्यादा मेकअप करने, सिर पर ठीक से स्कार्फ न बांधने और नेलपॉलिश लगाने पर भी महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया जाता था. अब पुलिस का कहना है कि ऐसा नहीं होगा.

ब्रिगेडियर जनरल होसैन रहिमी ने कहा कि तेहरान में दशकों से इस्लामिक कायदे कानून लोगों पर थोपे गए हैं उन्हें इसके बारे में जागरुक नहीं किया गया. इन्हें न मानने वालों को कोड़ों की मार, जेल, फाइन आदि की सजा दी जाती थी जिनमें अब ढील दी गई है.

ईरान में एक महिला पुलिस कर्मी दूसरी महिला को सिर ठीक से ढंकने के हिदायत देती हुई.. एक न्यूज एजेंसी द्वारा खींची गई ये फोटो कुछ समय पहले काफी वायरल हुई थी.

ईरान में अब कई महिलाएं चादर (Chodar) नहीं पहनती हैं और जीन्स, सिर पर स्कार्फ, लंबे जैकेट, टाइट लैगिंग्स के रूप में खुद को ढ़कती हैं.

सिर्फ ढील.. कोई कानून नहीं..

यहां गौर करने वाली बात ये है कि इस मामले में लड़कियों के लिए सिर्फ ढील दी गई है. अगर कोई ऐसा करते पकड़ा जाएगा तो उसे इस्लामिक नियमों पर क्लास दी जाएगी. उन्हें इस बारे में समझाया जाएगा कि ऐसा न करें.. हां अगर कोई दोबारा इस तरह की हरकत करेगा तो उसे गिरफ्तार किया जाएगा.

दशकों से ईरानी महिलाएं सरकार द्वारा लगाए गए उस नियम का विरोध कर रही हैं जिसमें उन्हें सार्वजनिक जगहों पर सिर पर कपड़ा बांधने को कहा गया है. ये...

एक तरफ भारत में तीन तलाक को गैरकानूनी करार देने वाला बिल पास हो गया है. सऊदी अरब जैसा कट्टर इस्‍लामी मुल्‍क भी महिलाओं को लेकर उदार होता दिख रहा है. और दूसरी तरफ शिया बहुल इस्लामिक देश ईरान से भी महिलाओं के लिए अच्‍छी खबर आ रही है. ईरान की राजधानी तेहरान में अब महिलाओं को इस्लामिक कायदे कानून के खिलाफ कपड़े पहनने और मेकअप करने पर अरेस्ट नहीं किया जाएगा.

जी हां, तेहरान में पहले ज्यादा मेकअप करने, सिर पर ठीक से स्कार्फ न बांधने और नेलपॉलिश लगाने पर भी महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया जाता था. अब पुलिस का कहना है कि ऐसा नहीं होगा.

ब्रिगेडियर जनरल होसैन रहिमी ने कहा कि तेहरान में दशकों से इस्लामिक कायदे कानून लोगों पर थोपे गए हैं उन्हें इसके बारे में जागरुक नहीं किया गया. इन्हें न मानने वालों को कोड़ों की मार, जेल, फाइन आदि की सजा दी जाती थी जिनमें अब ढील दी गई है.

ईरान में एक महिला पुलिस कर्मी दूसरी महिला को सिर ठीक से ढंकने के हिदायत देती हुई.. एक न्यूज एजेंसी द्वारा खींची गई ये फोटो कुछ समय पहले काफी वायरल हुई थी.

ईरान में अब कई महिलाएं चादर (Chodar) नहीं पहनती हैं और जीन्स, सिर पर स्कार्फ, लंबे जैकेट, टाइट लैगिंग्स के रूप में खुद को ढ़कती हैं.

सिर्फ ढील.. कोई कानून नहीं..

यहां गौर करने वाली बात ये है कि इस मामले में लड़कियों के लिए सिर्फ ढील दी गई है. अगर कोई ऐसा करते पकड़ा जाएगा तो उसे इस्लामिक नियमों पर क्लास दी जाएगी. उन्हें इस बारे में समझाया जाएगा कि ऐसा न करें.. हां अगर कोई दोबारा इस तरह की हरकत करेगा तो उसे गिरफ्तार किया जाएगा.

दशकों से ईरानी महिलाएं सरकार द्वारा लगाए गए उस नियम का विरोध कर रही हैं जिसमें उन्हें सार्वजनिक जगहों पर सिर पर कपड़ा बांधने को कहा गया है. ये नियम 1979 में ईरानी क्रांति के बाद लगाया गया था.

इस तरह का प्रोटेस्ट इस वीडियो में देखा जा सकता है..

ये फैसला प्रेसिडेंट हसन रूहानी के कार्यकाल में एक नई पहल तो है, लेकिन ईरान की असली ड्रेस कोड वाली समस्या का हल नहीं है. ईरान में 2014 में पहली बार जर्नलिस्ट मसिह एलिनजेद ने बिना स्कार्फ वाली फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की थी. मसिह काफी सालों से ईरान से बहिष्कृत हैं और लंदन में रह रही हैं. इसके बाद कई महिलाओं ने इस सोशल मीडिया क्रांति में हिस्सा लिया और अब तक ये चल रही है.

मसिह ने अपनी एक पोस्ट में लिखा कि 2018 की शुरुआत हो रही है और इस दौर में भी सरकार को इस बात से कोई लेना देना नहीं होना चाहिए कि महिलाएं क्या पहन रही हैं.

पिछले साल ब्रिगेडियर जनरल रहिमी ने 7000 पुलिस वालों को सिर्फ इसलिए नौकरी पर रखा था ताकि वो लोगों को नैतिकता का पाठ पढ़ा सकें. ये पुलिस वाले गलत तरह से हिजाब पहनने वाली महिलाओं को, कार के अंदर हिजाब हटाने वाली महिलाओं को, गलत तरह से ड्राइव करने वालों को, सड़कों पर प्रदर्शन करने वालों को और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करने वालों को गिरफ्तार करने के लिए थे. पिछले हफ्ते ही नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाली पुलिस ने करीब 230 लोगों को शराब पीने और नाचने के लिए गिरफ्तार किया था.

शिया बहुल ईरान में ये पर सऊदी अरब के क्या हाल?

जहां शिया बहुल ईरान में महिलाओं को इस्लामिक नियमों का पाठ पढ़ाने की बात हो रही है वहीं, सुन्नी बहुल सऊदी अरब में भी महिलाओं को लेकर नियमों में बदलाव आ रहा है. महिलाओं को जून से ड्राइविंग करने और बाइक पर बैठने की इजाजत मिल जाएगी. साउदी में भी महिलाओं के लिए नियमों की बात करें तो काफी साउदी अरब में भी काफी समस्याएं हैं.

जो दिखा सकते हैं वो दिखाएंगे..

ईरान में महिलाओं का हर दिन मेकअप लगाना बाकी किसी अन्य देश से ज्यादा आम है. हालांकि, यहां अपनी खूबसूरती को दिखाना आम बात नहीं है, लेकिन फिर भी 38 मिलियन महिला आबादी वाला ये देश मिडिल ईस्ट में दूसरे नंबर पर आता है जहां मेकअप का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है. इसके अलावा, दुनिया का ये सातवां सबसे बड़े कॉस्मेटिक मार्केट वाला देश है. ईरान में महिलाएं अपना चेहरा दिखा सकती हैं और शायद इसीलिए वहां कॉस्मेटिक में पैसे खर्च करना अहम माना जाता है.

हिजाब नहीं तो कुछ नहीं..

ईरान की पूर्व सॉकर प्लेयर शिवा अमीनी को टीम में वापस जाने नहीं दिया जा रहा और उसे किसी तरह की नौकरी भी नहीं करने दी जा रही क्योंकि वो अपनी स्विट्जरलैंड ट्रिप पर हिजाब नहीं पहने हुए थीं और पुरुष खिलाड़ियों के साथ खेल रही थीं.

जो भी हो रूहानी सरकार ने ईरान में अपने वादे को निभाया नहीं है. 2013 में वो इस बात को मुद्दा बनाकर चुनाव जीते थे कि जीतने के बाद वो इस्लामिक नियमों में ढील देंगे. जो भी हो... तेहरान में सीधे अरेस्ट को रोककर ढील तो दी है.

ये भी पढ़ें-

बुर्का है या बवाल? हर देश में अलग है बुर्का पहनने का स्टाइल..

बेटी के हिजाब ना पहनने की इच्छा पर पिता के जवाब से दुनिया दंग है


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲