• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

महिला का एसिड अटैक करना कोई सशक्ति‍करण नहीं है

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 25 मई, 2017 07:05 PM
  • 25 मई, 2017 07:05 PM
offline
आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में एक महिला ने अपने एक्स बॉयफ्रेंड पर एसिड से हमला किया जिसने एक दिन पहले ही एक दूसरी महिला से शादी कर ली थी.

ऐसिड अटैक हमलों के इतिहास में अब एक नया बदलाव देखने मिल रहा है. अभी तक पीड़ित महिलाएं थीं, पर अब पुरुष भी पीड़ित हैं. यानी अब रोल बदल रहा है. महिलाएं एसिड अटैक की तरफ रुख करने लगी हैं.

आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में एक महिला ने अपने एक्स बॉयफ्रेंड पर एसिड से हमला किया जिसने एक दिन पहले ही एक दूसरी महिला से शादी कर ली थी. हिमा बिंदू और शेख मोहम्मद इलियास का पिछले 4 सालों से अफेयर था, लेकिन इलियास ने शादी कर ली तो बिंदू से बर्दाश्त नहीं हुआ. उसने इलियास को एक आखिरी बार मिलने के लिए कहा. शादी के एक दिन बाद जब इलियास उससे मिलने पहुंचा, बिंदू ने उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया. 23 साल के इलियास की उपचार के दौरान मौत हो गई.

शादी के अगले दिन ही मिली मौत

ये पहला मामला नहीं है जब किसी महिला ने ऐसा कुछ किया हो. इस साल की शुरुआत में ही बैंगलोर में एक महिला ने अपने एक्स बॉयफ्रेंड पर तेजाब फेंका था और उसके चेहरे पर चाकुओं से कई वार किए थे. दोनों ही मामलों के पीछे बदले की भावना थी, दोनों महिलाएं गुस्से से तिलमिलाई हुई थीं और उसी क्रोध में उन्होंने एसिट अटैक को अंजाम दिया.

ये वुमन इम्पॉवरमेंट नहीं -

महिलाओं के हाथों हुई इन घटनाओं ने वास्तव में समाज के सामने ऐसा उदाहरण रखा है जो किसी के भी गले नहीं उतर रहा. आशचर्य तो इस बात का है कि लोग इसे वुमन इम्पॉवरमेंट का नाम दे रहे हैं. निश्चित ही इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि महिलाएं अब खुद पर हो रहे अन्याय के खिलाफ सजग हैं, वो अब अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रही हैं. लेकिन खुद पर हुए अन्याय के लिए खुद ही जज बनकर मौत की सजा दे डालना तो वुमन इम्पॉवरमेंट नहीं. एसिड अटैक चाहे महिला पर हो या किसी पुरुष पर वो हमेशा अपराध ही होता है और अपराध का कोई जेंडर नहीं होता. और अगर महिला...

ऐसिड अटैक हमलों के इतिहास में अब एक नया बदलाव देखने मिल रहा है. अभी तक पीड़ित महिलाएं थीं, पर अब पुरुष भी पीड़ित हैं. यानी अब रोल बदल रहा है. महिलाएं एसिड अटैक की तरफ रुख करने लगी हैं.

आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में एक महिला ने अपने एक्स बॉयफ्रेंड पर एसिड से हमला किया जिसने एक दिन पहले ही एक दूसरी महिला से शादी कर ली थी. हिमा बिंदू और शेख मोहम्मद इलियास का पिछले 4 सालों से अफेयर था, लेकिन इलियास ने शादी कर ली तो बिंदू से बर्दाश्त नहीं हुआ. उसने इलियास को एक आखिरी बार मिलने के लिए कहा. शादी के एक दिन बाद जब इलियास उससे मिलने पहुंचा, बिंदू ने उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया. 23 साल के इलियास की उपचार के दौरान मौत हो गई.

शादी के अगले दिन ही मिली मौत

ये पहला मामला नहीं है जब किसी महिला ने ऐसा कुछ किया हो. इस साल की शुरुआत में ही बैंगलोर में एक महिला ने अपने एक्स बॉयफ्रेंड पर तेजाब फेंका था और उसके चेहरे पर चाकुओं से कई वार किए थे. दोनों ही मामलों के पीछे बदले की भावना थी, दोनों महिलाएं गुस्से से तिलमिलाई हुई थीं और उसी क्रोध में उन्होंने एसिट अटैक को अंजाम दिया.

ये वुमन इम्पॉवरमेंट नहीं -

महिलाओं के हाथों हुई इन घटनाओं ने वास्तव में समाज के सामने ऐसा उदाहरण रखा है जो किसी के भी गले नहीं उतर रहा. आशचर्य तो इस बात का है कि लोग इसे वुमन इम्पॉवरमेंट का नाम दे रहे हैं. निश्चित ही इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि महिलाएं अब खुद पर हो रहे अन्याय के खिलाफ सजग हैं, वो अब अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रही हैं. लेकिन खुद पर हुए अन्याय के लिए खुद ही जज बनकर मौत की सजा दे डालना तो वुमन इम्पॉवरमेंट नहीं. एसिड अटैक चाहे महिला पर हो या किसी पुरुष पर वो हमेशा अपराध ही होता है और अपराध का कोई जेंडर नहीं होता. और अगर महिला ब्रिगेड महिलाओं के इस कदम से खुश है तो फिर उन्हें सशक्तिकरण की परिभाषा फिर से समझने की जरूरत है.

बदला लेने के पीछे सोच-

बदला के लिए जुनून बेहद मजबूत होता है, लेकिन बदला लेने के पीछे तर्क बेहद अजीब, विवादित, संकीर्ण और खतरनाक होते हैं. अपने क्रोध, चोट या अपमान के लिए बदला एक विनाशकारी और हिंसक प्रतिक्रिया होता है. ये अपनी शर्म को गर्व में बदलने का महज एक गुमराह करने वाली कोशिश है.

एक महिला होकर खुद एक नवविवाहिता को अपने ही हाथों विधवा बनाकर बिंदू को शायद ही बदला लेने की खुशी नसीब हो.

ये भी पढ़ें-

एक विभत्‍स एसिड अटैक का समर्थन क्‍यों हो रहा है ?

सरकारी नौकरी दे सकते हैं, पर एसिड बैन नहीं कर सकते

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲