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पति से ज्यादा कमाने वाली महिलाएं होती हैं डिप्रेशन का शिकार

    • प्राप्ति एलिजाबेथ
    • Updated: 15 अगस्त, 2017 04:33 PM
  • 15 अगस्त, 2017 04:33 PM
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पत्नी ज्यादा कमाती हो तो घर में कलह की स्थिति हमेशा बनी रहती है. लेकिन अगर पति-पत्नी मिलकर काम करें तो मुश्किलों का हल भी निकलता है. फैसला आपको करना है.

क्या आपको भी ये गलतफहमी है कि आज की कामकाजी, स्वतंत्र महिलाओं को पितृसत्ता का सामना नहीं करना पड़ता है? अगर हां तो हम यहां आपके लिए एक खबर लाए हैं. अमेरिका के इलिनोइस यूनीवर्सिटी में की गई एक स्टडी के मुताबिक जो महिलाएं अपने पतियों की तुलना में अधिक कमाती हैं, उन्हें डिप्रेशन का ज्यादा खतरा होता है.

जी हां ये बिल्कुल सच है कि अपने पैरों की बेड़ियां तोड़ने वाली महिलाएं बीमारी को आमंत्रित कर रही हैं.

स्टडी में चेतावनी दी गई है कि जहां पत्नी अपने पति से अधिक कमाती है वहां दंपति के रिश्तों में मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ने और खटास आने की अधिक संभावना होती है. अमेरिकी शोधकर्ताओं ने कहा है कि समय के साथ महिलाओं के अपनी रूढ़िवादी भूमिकाओं के उलट काम करने की वजह से उनमें डिप्रेशन के लक्षण ज्यादा दिखाई देते हैं.

लेकिन दूसरी तरफ पुरुषों के मामले में ये स्थिति ठीक उलटी दिखती है. अगर घर में अकेला पुरूष कमाने वाला हो या परिवार चलाने के लिए वो पर्याप्त कमाई करता हो, तो उसके मानसिक स्वास्थ्य और साथ ही उनकी पत्नियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

सामंज्य सारी समस्या का समाधान है

रिसर्च टीम ने 1,463 पुरुषों और 1,769 महिलाओं का विश्लेषण किया. इनमें से अधिकांश लोग 1957 से 1965 के बीच पैदा हुए थे. सात बिंदुओ के आधार पर उनके मनोविज्ञानिक स्वभाव के आंकलन और डिप्रेशन के लक्षणों का मूल्यांकन किया गया. इसमें पता चला है कि जिन महिलाओं ने घर में रहकर परिवार की देखभाल करने का निर्णय लिया था वो बाहर जाकर काम करने वाले दिक्कतों से प्रभावित नहीं हुईं. हालांकि जिन पुरुषों ने घर में रहकर बच्चों की देखभाल करने का निर्णय लिया उनके मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट देखी गई.

हालांकि एक तरह से निराशाजनक इस अध्ययन में आशा की भी एक किरण दिखाई दी है....

क्या आपको भी ये गलतफहमी है कि आज की कामकाजी, स्वतंत्र महिलाओं को पितृसत्ता का सामना नहीं करना पड़ता है? अगर हां तो हम यहां आपके लिए एक खबर लाए हैं. अमेरिका के इलिनोइस यूनीवर्सिटी में की गई एक स्टडी के मुताबिक जो महिलाएं अपने पतियों की तुलना में अधिक कमाती हैं, उन्हें डिप्रेशन का ज्यादा खतरा होता है.

जी हां ये बिल्कुल सच है कि अपने पैरों की बेड़ियां तोड़ने वाली महिलाएं बीमारी को आमंत्रित कर रही हैं.

स्टडी में चेतावनी दी गई है कि जहां पत्नी अपने पति से अधिक कमाती है वहां दंपति के रिश्तों में मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ने और खटास आने की अधिक संभावना होती है. अमेरिकी शोधकर्ताओं ने कहा है कि समय के साथ महिलाओं के अपनी रूढ़िवादी भूमिकाओं के उलट काम करने की वजह से उनमें डिप्रेशन के लक्षण ज्यादा दिखाई देते हैं.

लेकिन दूसरी तरफ पुरुषों के मामले में ये स्थिति ठीक उलटी दिखती है. अगर घर में अकेला पुरूष कमाने वाला हो या परिवार चलाने के लिए वो पर्याप्त कमाई करता हो, तो उसके मानसिक स्वास्थ्य और साथ ही उनकी पत्नियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

सामंज्य सारी समस्या का समाधान है

रिसर्च टीम ने 1,463 पुरुषों और 1,769 महिलाओं का विश्लेषण किया. इनमें से अधिकांश लोग 1957 से 1965 के बीच पैदा हुए थे. सात बिंदुओ के आधार पर उनके मनोविज्ञानिक स्वभाव के आंकलन और डिप्रेशन के लक्षणों का मूल्यांकन किया गया. इसमें पता चला है कि जिन महिलाओं ने घर में रहकर परिवार की देखभाल करने का निर्णय लिया था वो बाहर जाकर काम करने वाले दिक्कतों से प्रभावित नहीं हुईं. हालांकि जिन पुरुषों ने घर में रहकर बच्चों की देखभाल करने का निर्णय लिया उनके मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट देखी गई.

हालांकि एक तरह से निराशाजनक इस अध्ययन में आशा की भी एक किरण दिखाई दी है. जिन महिलाओं अपने परिवार की आर्थिक जरुरतों को पूरा करने में अपनी भागीदारी निभाई है उन्होंने मानसिक रुप से खुद को ज्यादा मजबूत और खुश पाया.

यह कहने की जरुरत नहीं कि स्टडी के नकारात्मक प्रभाव में एक महत्वपूर्ण संदेश छुपा है. इस स्टडी के जरिए भले ही स्त्री और पुरुषों के रुढ़िवादी कार्यप्रणाली को दिखाया गया है. लेकिन फिर भी यह स्टडी इस बात को भी दिखाती है कि परिवार की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए दोनों ही लोगों को साथ मिलकर काम करने जरुरत होती है. और साथ मिलकर मुश्किलों का हल ढूंढने वालों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है.

(OddNaari से साभार)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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