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न्यू इंडिया के हसीं सपनों में, ऐसी खबरें चींटी के काटने से उपजी पीड़ा है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 15 अगस्त, 2017 09:23 PM
  • 15 अगस्त, 2017 09:23 PM
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इंडिया, धीमी रफ्तार में न्यू इंडिया के मार्ग पर चल रहा है मगर जब हम विकास की उन राहों में राजस्थान में हुए कांड के रूप में बड़े- बड़े अवरोधक देखते हैं तो महसूस होता है कि इन हालात में इंडिया का न्यू इंडिया बनना एक टेढ़ी खीर है.

आज 15 अगस्त है. वो दिन जब अंग्रेजों द्वारा पहनाई गयी गुलामी की जंजीरों में जकड़ी भारत माता को आजादी मिली थी. आज के दिन देश के प्रधानमंत्री ने लाल किले पर झंडा फहराया और अपने भाषण में न्यू इंडिया का ज़िक्र किया. न्यू इंडिया, एक ऐसा इंडिया जहां गरीबी के लिए कोई जगह न हो, जहां कोई बेरोजगार न हो, जहां लोगों को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिल सके, एक ऐसा इंडिया जहां लोग भय और अपराध मुक्त समाज में वास करें.

कह सकते हैं विकासशील से विकसित बनना ही न्यू इंडिया की ओर बढ़ना है. इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि आज हम जो भी कर रहे हैं वो न्यू इंडिया के दौर में इंडिया का इतिहास कहलाएगा. जी हां, आज का सच ही कल का इतिहास होगा और जो आज के सच हैं वो वाकई बड़े घिनौने हैं. ये इतने घिनौने हैं कि इनको देखकर कोई भी शर्म से पानी-पानी हो सकता है.

राजस्थान में जो हुआ वो बताता है कि इंडिया को न्यू इंडिया बनाने में वक्त लगेगा

न्यू इंडिया के मार्ग पर कदम से कदम बढ़ाते हुए कई ऐसी बातें हैं, जो हमारे क़दमों पर न चाहते हुए बेड़ियां डाल देते हैं. खबर है कि राजस्थान में एक महिला के साथ बस इसलिए हैवानियत हुई और उसे मौत के घाट उतार दिया क्योंकि लोगों को शक था कि महिला डायन है.

राजस्थान में टोना टोटका और इनसे सम्बंधित अंध-विश्वास कोई नई बात नहीं है. काफी लम्बे समय से यहां पर कई ऐसी बातें देखी गयी हैं जिन्होंने न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार किया है बल्कि लोगों को ये भी सोचने पर मजबूर किया है कि आजादी के 71 साल बाद भी हम अपने अंधविश्वास की बेड़ियों में जकड़ें हैं. एक बार फिर यहां एक महिला पर डायन होने का आरोप लगा और फिर लोगों द्वारा उसे पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया.

15 अगस्त के इस खुशनुमा दिन में आत्मा को हिला देने वाली ये खबर राजस्थान के अजमेर जिले के केकड़ी...

आज 15 अगस्त है. वो दिन जब अंग्रेजों द्वारा पहनाई गयी गुलामी की जंजीरों में जकड़ी भारत माता को आजादी मिली थी. आज के दिन देश के प्रधानमंत्री ने लाल किले पर झंडा फहराया और अपने भाषण में न्यू इंडिया का ज़िक्र किया. न्यू इंडिया, एक ऐसा इंडिया जहां गरीबी के लिए कोई जगह न हो, जहां कोई बेरोजगार न हो, जहां लोगों को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिल सके, एक ऐसा इंडिया जहां लोग भय और अपराध मुक्त समाज में वास करें.

कह सकते हैं विकासशील से विकसित बनना ही न्यू इंडिया की ओर बढ़ना है. इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि आज हम जो भी कर रहे हैं वो न्यू इंडिया के दौर में इंडिया का इतिहास कहलाएगा. जी हां, आज का सच ही कल का इतिहास होगा और जो आज के सच हैं वो वाकई बड़े घिनौने हैं. ये इतने घिनौने हैं कि इनको देखकर कोई भी शर्म से पानी-पानी हो सकता है.

राजस्थान में जो हुआ वो बताता है कि इंडिया को न्यू इंडिया बनाने में वक्त लगेगा

न्यू इंडिया के मार्ग पर कदम से कदम बढ़ाते हुए कई ऐसी बातें हैं, जो हमारे क़दमों पर न चाहते हुए बेड़ियां डाल देते हैं. खबर है कि राजस्थान में एक महिला के साथ बस इसलिए हैवानियत हुई और उसे मौत के घाट उतार दिया क्योंकि लोगों को शक था कि महिला डायन है.

राजस्थान में टोना टोटका और इनसे सम्बंधित अंध-विश्वास कोई नई बात नहीं है. काफी लम्बे समय से यहां पर कई ऐसी बातें देखी गयी हैं जिन्होंने न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार किया है बल्कि लोगों को ये भी सोचने पर मजबूर किया है कि आजादी के 71 साल बाद भी हम अपने अंधविश्वास की बेड़ियों में जकड़ें हैं. एक बार फिर यहां एक महिला पर डायन होने का आरोप लगा और फिर लोगों द्वारा उसे पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया.

15 अगस्त के इस खुशनुमा दिन में आत्मा को हिला देने वाली ये खबर राजस्थान के अजमेर जिले के केकड़ी की है. मृतका का नाम कलादेवी था.बताया जा रहा है कि कलादेवी को न सिर्फ लोगों ने जम के मारा बल्कि उसे मल मूत्र खिलाया और उसके शरीर को जलते हुए कोयले तक से दागा.

लोगों की प्रताड़ना से महिला मर चुकी है और प्रधानमंत्री के उस न्यू इंडिया पर सवालियां निशान लगा चुकी हैं जहां महिलाओं के सम्मान, न्याय और सुरक्षा पर बात हो रही है. चाहे राजस्थान के अजमेर का ये मामला हो या बीते दिन गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में शासन की लापरवाही के चलते, जापानी इन्सेफेलाइटिस से हुई 60 से ऊपर बच्चों की मौत. एक आम आदमी कैसे मान ले कि आने वाले वक्त में उसके बागों में बहार आएगी उसके अच्छे दिन आएंगे.

जिस देश में मूल बातों और अधिकारों को दरकिनार करते हुए राजनीति की बिसात, धर्म के चौपड़ पर बिछाई जाती हो. जहां गाय और उसके संरक्षण को लेकर सरे आम लोगों की हत्या की जा रही हो. जहां महज विचारधारा मेल न खाने के चलते लोग एक दूसरे के खून के प्यासे बन गए हैं वहां न्यू इंडिया का सामना सिर्फ और सिर्फ कोरी लफ्फाजी है. एक ऐसी लफ्फाजी, जो कहने-सुनने, बोलने-बताने में तो बहुत अच्छी है मगर जब बात जमीन पर आकर काम करने की होती है तो वो आज भी एक टेढ़ी खीर है.

लाल किले पर न्यू इंडिया पर बात करते पीएम मोदी

चाहे दक्षिण के केरल में मरने वाला संघ के कार्यकर्ता हों या फिर नई टेक्नोलॉजी न इस्तेमाल करने के चलते नौकरी से निकाले गए बैंगलोर जैसे शहर के सॉफ्टवेर इंजीनियर, कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार, हिंसा से लेकर एसिड अटैक और दहेज के नाम पर मरती महिलाओं तक ऐसे कई मुद्दे हैं जिनको देखकर मेरे लिए ये विश्वास कर पाना बेहद मुश्किल है कि मेरा इंडिया, न्यू इंडिया की तरफ बढ़ रहा है.

बहरहाल, भले ही मेरे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री न्यू इंडिया को लेकर अपना एक खास विजन रखते हों मगर एक नागरिक के तौर पर मैं केवल तभी इंडिया से न्यू इंडिया के सफर को सार्थक मानूंगा जब मुझे ये एहसास हो जाएगा कि मेरे देश के सभी नागरिक सुरक्षित हैं और उन्हें वो सारे अधिकार मिल रहे हैं जिनकी उन्हें जरूरत है.

मेरे लिए न्यू इंडिया तब है जब एक महिला को इसलिए न मौत के घाट उतार दिया जाये कि वो 'डायन' है, मेरे लिए न्यू इंडिया तब है जब विचारधारा मेल न खाने के बावजूद मेरे आस पास रह रहे लोग अपने को सुरक्षित महसूस करें, मेरे लिए न्यू इंडिया तब है जब मेरे देश के नागरिकों को अच्छी से अच्छी चिकित्सा सेवा, शिक्षा और रोजगार मिले. कुल मिला के मैं एक ऐसा न्यू इंडिया चाहता हूं जहां नेताओं के वादों की तरह नहीं मगर सच में भय और अपराध मुक्त समाज हो.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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