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शादी के बाद आराम औरत के नसीब में कहां !

    • सरवत फातिमा
    • Updated: 09 सितम्बर, 2017 11:49 AM
  • 09 सितम्बर, 2017 11:49 AM
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शादी के पहले चाहे लड़की जैसी भी हो, उसका रहन-सहन कैसा भी हो लेकिन शादी के बाद उसे उससे अपने ससुराल वालों के तरीके से रहने की उम्मीद की जाती है. जो थकाऊ और कभी-कभी पकाऊ भी होता है.

शादी जीवन का एक नया अध्याय होता है. हर कोई शादी के बाद जिंदगी की पूरी कहानी को नए सिरे से लिखता है. गढ़ता है. शादी के बाद लड़कों के ऊपर जहां एक स्त्री की जिम्मेदारी आती है तो दूसरी तरफ लड़कियों के लिए बहुत सारी बातें बदल जाती हैं. एक शादीशुदा महिला होना आसान नहीं होता. हर औरत शादी के बाद किसी की पत्नी, बहू, भाभी, चाची, मामी और इस तरह के न जाने कितने उम्मीदों के बोझ तले दब जाती है. जो थकाऊ और कभी-कभी पकाऊ भी होता है.

शादी के पहले चाहे लड़की जैसी भी हो, उसका रहन-सहन कैसा भी हो लेकिन शादी के बाद उसे उससे अपने ससुराल वालों के तरीके से रहने की उम्मीद की जाती है. एक तरफ जहां नए माहौल और परिवार में ढलना कुछ लड़कियों के लिए आसान होता है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लड़कियों के लिए ये पहाड़ चढ़ने जैसा मुश्किल काम साबित होता है.

औरतों का आलसी होना पाप नहीं है

उदाहरण के लिए, दिनभर ऑफिस में काम के बाद घर वापस लौटकर आप थोड़ी देर आराम करना चाहती हैं. लेकिन, दुर्भाग्य से आप ऐसा नहीं कर सकती. क्योंकि आपको घर पर कई जिम्मेदारियां हैं जिसे पूरा करना दिखाई दे रहा होता है. फिर चाहे वो खाना बनाने में सासु मां की मदद करना हो या फिर खुद ही अकेले पूरे परिवार के लिए खाना बनाने की जिम्मेदारी. इसे आपको ही निपटाना होता है. आप अपने बेडरुम में जाकर आराम करना चाहती हैं लेकिन आप ऐसा नहीं कर सकतीं क्योंकि परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर बात करना होता है. दिनभर ऑफिस में बीताने के बाद इतना कम समय मिल पाता है कि घरवालों से सुकून से बात नहीं कर पाती तो ये काम भी ऑफिस से आने के बाद ही निपटाना होगा.

औरत अगर घर में दो मिनट भी बैठी दिख जाए तो उसके लिए कई तरह की उपमाएं और विशेषणों का भंडार लगा दिया जाता है. कुछ यूनीवर्सल टैग जो ऐसी औरतों को दिए जाते हैं आइए उनके बारे में...

शादी जीवन का एक नया अध्याय होता है. हर कोई शादी के बाद जिंदगी की पूरी कहानी को नए सिरे से लिखता है. गढ़ता है. शादी के बाद लड़कों के ऊपर जहां एक स्त्री की जिम्मेदारी आती है तो दूसरी तरफ लड़कियों के लिए बहुत सारी बातें बदल जाती हैं. एक शादीशुदा महिला होना आसान नहीं होता. हर औरत शादी के बाद किसी की पत्नी, बहू, भाभी, चाची, मामी और इस तरह के न जाने कितने उम्मीदों के बोझ तले दब जाती है. जो थकाऊ और कभी-कभी पकाऊ भी होता है.

शादी के पहले चाहे लड़की जैसी भी हो, उसका रहन-सहन कैसा भी हो लेकिन शादी के बाद उसे उससे अपने ससुराल वालों के तरीके से रहने की उम्मीद की जाती है. एक तरफ जहां नए माहौल और परिवार में ढलना कुछ लड़कियों के लिए आसान होता है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लड़कियों के लिए ये पहाड़ चढ़ने जैसा मुश्किल काम साबित होता है.

औरतों का आलसी होना पाप नहीं है

उदाहरण के लिए, दिनभर ऑफिस में काम के बाद घर वापस लौटकर आप थोड़ी देर आराम करना चाहती हैं. लेकिन, दुर्भाग्य से आप ऐसा नहीं कर सकती. क्योंकि आपको घर पर कई जिम्मेदारियां हैं जिसे पूरा करना दिखाई दे रहा होता है. फिर चाहे वो खाना बनाने में सासु मां की मदद करना हो या फिर खुद ही अकेले पूरे परिवार के लिए खाना बनाने की जिम्मेदारी. इसे आपको ही निपटाना होता है. आप अपने बेडरुम में जाकर आराम करना चाहती हैं लेकिन आप ऐसा नहीं कर सकतीं क्योंकि परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर बात करना होता है. दिनभर ऑफिस में बीताने के बाद इतना कम समय मिल पाता है कि घरवालों से सुकून से बात नहीं कर पाती तो ये काम भी ऑफिस से आने के बाद ही निपटाना होगा.

औरत अगर घर में दो मिनट भी बैठी दिख जाए तो उसके लिए कई तरह की उपमाएं और विशेषणों का भंडार लगा दिया जाता है. कुछ यूनीवर्सल टैग जो ऐसी औरतों को दिए जाते हैं आइए उनके बारे में आज आपको बताएं-

वो बहुत आलसी औरत है और उसे सुधरने की जरुरत है-

जी नहीं ये हम कोई बढ़ा-चढ़ाकर बात नहीं बोल रहे. अगर आपके साथ ऐसा नहीं होता है तो आप उन कुछ चुनिंदा खुशकिस्मत औरतों में से हैं जिन्हें साथ देने और केयर वाला परिवार मिला है. लेकिन अधिकतर औरतें इतनी अच्छी किस्मत लिखाकर नहीं आतीं. घर और ऑफिस के बीच सामंजस्य बिठाने में वो थककर चूर हो जाती हैं.

और पता है इसका सबसे दुखद पहलू क्या है? ऐसी औरतों को अपने ससुराल वालों से न तो नए माहौल में ढलने के लिए समय मिलता है और न ही कोई हेल्प. और गलती से अगर वो कोई किताब पढ़कर या अपने ब्यूटी टिप्स को इस्तेमाल कर खुद के साथ थोड़ा समय बिताना चाहती है तब तो फिर कयामत ही आ जाती है. क्योंकि इसके बाद उसे एक बहुत ही आलसी और नकचढ़ी औरत का लेबल दे दिया जाता है. जो कम से कम शादी के बाद तो औरतों के लिए गुनाह से कम नहीं है.

विवाहित महिलाएं आलसी होना अफोर्ड नहीं कर सकती

वैसे तो आपको बता दें कि आलसी होना कोई क्राइम नहीं है. इसके अलावा घर में कुछ घंटे बिना काम के बेकार बैठने या कभी-कभी घर का कोई काम न करने से दुनिया भी खत्म नहीं हो जाती है. लेकिन आपको पता है कि दिक्कत क्या है?

दिक्कत ये है कि समाज औरतों से सुपरहीरो होने की अपेक्षा करता है. औरतें हर चीज मैनेज कर ले- ऑफिस और घर सब. साथ ही सारे काम भी एक ही साथ कर डाले. किसी शादीशुदा औरत के लिए ब्रेक या खुद के लिए समय जैसे शब्द लोगों की डिक्शनरी में होते ही नहीं हैं. लेकिन एक बात जो सारे लोग भूल जाते हैं वो ये कि औरतें भी इंसान होती हैं.

हमेशा काम के बोझ तले दबे रहने की घुटन से बाहर आने की चाह करना कोई गुनाह नहीं है. इसमें कोई बुराई नहीं कि कोई लड़की खाना बनाना नहीं चाहती, कपड़े धोना नहीं चाहती या घर की सफाई नहीं करना चाहती. ऐसा न करने से वो महिला नहीं रह जाती ये किसी गीता, कुराण में नहीं लिखा है.

महिलाओं का मजाक उड़ाना बंद होना चाहिए-

महिलाओं को कई तरह के संज्ञा, सर्वनाम से विभूषित करना बहुत आसान है. दरअसल किसी शादीशुदा महिला को सामान्य माने जाने वाले 'आलसी' शब्द से संबोधित करना भी उसका अपमान ही करना है. क्यों? क्योंकि जरुरी नहीं कि हर औरत घर के कामों में निपुण ही हो. या समाज उससे जिस तरह का व्यवहार करने की अपेक्षा करता हो वो वैसे ही रहे. और इसलिए घर के लोगों और समाज को औरतों की लेबलिंग करने में आसानी हो जाती है. वो औरतों को हर समय रोबोट की तरह काम नहीं करने के लिए शर्मिंदा करने का कोई मौका नहीं छोड़ते.

 

लेकिन अगर ऑफिस से आने के बाद पुरुष ये कहकर हाथ खड़ा कर सकते हैं कि वो थके हुए हैं अब घर के किसी काम में वो मदद नहीं कर सकते तो महिलाएं भी ऐसा कर सकती हैं. ऐसा करने का उनका भी अधिकार है. आलसी महसूस कोई पाप नहीं है.

(OddNaari से साभार)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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