• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

...तो बहुत बड़ा घपला है विकीपीडिया

    • आईचौक
    • Updated: 11 मार्च, 2016 07:17 PM
  • 11 मार्च, 2016 07:17 PM
offline
किसी भी विषय या व्यक्ति पर जानकारियों का सबसे बड़ा स्रोत विकीपीडिया, जरा सी असावधानी के कारण बड़ी गड़बड़ी का कारण भी बन सकता है. देखिए क्या क्या हो सकता है यदि सावधानी न रखी तो..

हंगामा बरपा हुआ है कि एक जीवित सांसद अंजू बाला को विकीपीडिया ने मृत घोषित कर दिया. इतना ही नहीं बल्कि उनके दो पति होने की भी जानकारी दी. महिला सांसद ने इस मामले को लोकसभा में उठाया और इस वेबसाइट के खिलाफ सरकार को कड़ी कार्रवाई करने की अपील की.

क्या था विकीपीडिया का कसूर

बीजेपी की सांसद अंजू बाला ने कहा कि विकीपीडिया ने उन्हें इंटरनेट की दुनिया में मृत घोषित कर दिया है, मृत्यु की तारीख 3 मार्च 2016 दिखाई है और मृत्यु का स्थान दिल्ली बताया है. इतना ही नहीं इस साइट में लिखा गया है कि उनके दो पति भी हैं. ऐसा करके विकीपीडिया ने उनका चरित्र हनन करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि जब एक सांसद के खिलाफ इस तरह की बातें लिखी जा सकती हैं तो एक आम महिला को बदनाम करना तो बहुत आसान है. हालांकि कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि इसकी जांच होगी और दोषी को सजा दी जाएगी.

 बीजेपी सांसद अंजू बाला

विकीपीडिया की विश्वसनीयता पर लगा हुआ है प्रश्नचिन्ह

विकीपीडिया वेब दुनिया पर उपलब्ध एक मुफ्त इन्साइक्लोपीडिया है. जिसमें हर चीज के बारे में जानकारी आसानी से मिल जाती है. लेकिन ये जानकारी कितनी विश्वसनीय है इस बात का उल्लेख नहीं होता.

'द स्कॉलरली पब्लिक रिलेशन्स जनरल' की एक रिसर्च के मुताबिक विकीपीडिया पर उपलब्ध 10 में से 6 लेख गलत होते हैं. अगर आंकड़ों को लेकर जानकारी चाहते हैं तो विकीपीडिया पर उपलब्ध आंकड़े भरोसा करने लायक नहीं होते. फिर भी अधिकतर लोग फैक्ट्स और फिगर्स के लिए विकीपीडिया का सहारा लेते हैं. रिसर्च में पाया गया कि-

- इसके 60% लेखों...

हंगामा बरपा हुआ है कि एक जीवित सांसद अंजू बाला को विकीपीडिया ने मृत घोषित कर दिया. इतना ही नहीं बल्कि उनके दो पति होने की भी जानकारी दी. महिला सांसद ने इस मामले को लोकसभा में उठाया और इस वेबसाइट के खिलाफ सरकार को कड़ी कार्रवाई करने की अपील की.

क्या था विकीपीडिया का कसूर

बीजेपी की सांसद अंजू बाला ने कहा कि विकीपीडिया ने उन्हें इंटरनेट की दुनिया में मृत घोषित कर दिया है, मृत्यु की तारीख 3 मार्च 2016 दिखाई है और मृत्यु का स्थान दिल्ली बताया है. इतना ही नहीं इस साइट में लिखा गया है कि उनके दो पति भी हैं. ऐसा करके विकीपीडिया ने उनका चरित्र हनन करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि जब एक सांसद के खिलाफ इस तरह की बातें लिखी जा सकती हैं तो एक आम महिला को बदनाम करना तो बहुत आसान है. हालांकि कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि इसकी जांच होगी और दोषी को सजा दी जाएगी.

 बीजेपी सांसद अंजू बाला

विकीपीडिया की विश्वसनीयता पर लगा हुआ है प्रश्नचिन्ह

विकीपीडिया वेब दुनिया पर उपलब्ध एक मुफ्त इन्साइक्लोपीडिया है. जिसमें हर चीज के बारे में जानकारी आसानी से मिल जाती है. लेकिन ये जानकारी कितनी विश्वसनीय है इस बात का उल्लेख नहीं होता.

'द स्कॉलरली पब्लिक रिलेशन्स जनरल' की एक रिसर्च के मुताबिक विकीपीडिया पर उपलब्ध 10 में से 6 लेख गलत होते हैं. अगर आंकड़ों को लेकर जानकारी चाहते हैं तो विकीपीडिया पर उपलब्ध आंकड़े भरोसा करने लायक नहीं होते. फिर भी अधिकतर लोग फैक्ट्स और फिगर्स के लिए विकीपीडिया का सहारा लेते हैं. रिसर्च में पाया गया कि-

- इसके 60% लेखों में तथ्यात्मक त्रुटियां पाई जाती हैं.

- 23% लोग मानते हैं कि इसमें सुधार करना नामुमकिन होता है.

- 35% लोग ही विकीपीडिया से जुडे रहते हैं.

- 21% लोगों को ही यहां एडिट करने के नियमों की सही जानकारी होती है.

- शिकायत करने वाले 24% लोगों को कोई जवाब दिया ही नहीं जाता.

- गलतियां सुधारने में 2-5 दिनों का समय लगता है.

विकीपीडिया की सबसे बड़ी खूबी ही उसकी सबसे बड़ी कमी है. पेज पर लोग खुद लेख को एडिट कर सकते हैं. इससे तथ्य में गलतियां होना स्वाभाविक हो जाता है. अगर किसी व्यक्ति के पास सही और नवीन जानकारी है तब तो अच्छा है, लेकिन अगर जानकारी गलत है तो उसे ठीक करने के लिए साइट खुद काफी सुस्त है. विकीपीडिया खुद त्रिुटियों को सुधारने के लिए कम से कम 2-5 दिन का समय लेने का दावा करता है. 

तो इतनी सारी खूबियों वाले विकीपीडिया पर भरोसा न ही किया जाए, उसी में समझदारी है. क्योंकि वहां जानकारियां जुटाने वाले, उसे बनाने वाले नहीं बल्कि आप और हम जैसे ही लोग हैं. विकीपीडिया सरकारी मोहर नहीं है, इसलिए इसकी जानकारी को इतनी गंभीरता से भी न लिया जाए.  

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲