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ओलंपियन को खेल रत्न तो पैरालंपियनों को क्यों नहीं?

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 17 सितम्बर, 2016 11:57 AM
  • 17 सितम्बर, 2016 11:57 AM
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इन खिलाड़ियों को खेल रत्न देकर न केवल उन खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया जा सकता है बल्कि विपरीत परिस्थितियों का सामना करके भी जिस जज्बे का प्रदर्शन इन खिलाड़ियों ने किया है वो देश के कई लोगों को भी प्रेरित कर सकता है

पूर्व ओलंपियन मिल्खा सिंह ने पैरालंपियनों को भी खेल रत्न अवार्ड देने की पैरवी करते हुए नई बहस छेड़ दी है, सिंह के अनुसार पैरालंपिक में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को भी खेल रत्न मिलना चाहिए जैसे की ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ होता है.

अभी तक के नियमों के अनुसार अगर कोई खिलाड़ी ओलंपिक में मेडल जीतता है तो वो खुद बखुद उस साल मिलने वाले राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड के लिए नामित हो जाता है जबकि अभी तक पैरालंपियन के लिए ऐसी कोई योजना नहीं है. रियो ओलिंपिक में मेडल जीतने वाली पीवी सिंधु और साक्षी मालिक को इस बार का राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड दिया जा चुका है.

ये भी पढ़ें- रियो पैरालंपिक में गोल्ड मेडल को उतना प्यार नहीं जितना ओलंपिक के रजत पदक को!

 लांग जंप में मरियप्पन थंगावेलू को मिला गोल्ड

अगर पैरालंपिक में भारत के प्रदर्शन को देखें तो भारत ने अभी तक 11 बार इसमें भाग लिया है, जिसमे अभी तक 4 गोल्ड 4 सिल्वर और 4 ब्रोंज के साथ कुल 12 मेडल जीते हैं. वहीं अगर रियो में जारी पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन की बात करें तो अभी तक खिलाड़ियों का प्रदर्शन काफी शानदार रहा है. पैरालंपिक में गए 19 सदस्यीय टीम ने अभी तक दो गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रोंज के साथ कुल 4 पदक जीते हैं, इसके साथ ही देवेंद्र झाझरिया भारत की तरफ से दो गोल्ड मेडल जीतने वाले एकमात्र खिलाड़ी भी बन गए हैं, झाझरिया ने 2004 के एथेंस ओलिंपिक में भी गोल्ड मेडल जीता था. 

पूर्व ओलंपियन मिल्खा सिंह ने पैरालंपियनों को भी खेल रत्न अवार्ड देने की पैरवी करते हुए नई बहस छेड़ दी है, सिंह के अनुसार पैरालंपिक में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को भी खेल रत्न मिलना चाहिए जैसे की ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ होता है.

अभी तक के नियमों के अनुसार अगर कोई खिलाड़ी ओलंपिक में मेडल जीतता है तो वो खुद बखुद उस साल मिलने वाले राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड के लिए नामित हो जाता है जबकि अभी तक पैरालंपियन के लिए ऐसी कोई योजना नहीं है. रियो ओलिंपिक में मेडल जीतने वाली पीवी सिंधु और साक्षी मालिक को इस बार का राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड दिया जा चुका है.

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अगर पैरालंपिक में भारत के प्रदर्शन को देखें तो भारत ने अभी तक 11 बार इसमें भाग लिया है, जिसमे अभी तक 4 गोल्ड 4 सिल्वर और 4 ब्रोंज के साथ कुल 12 मेडल जीते हैं. वहीं अगर रियो में जारी पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन की बात करें तो अभी तक खिलाड़ियों का प्रदर्शन काफी शानदार रहा है. पैरालंपिक में गए 19 सदस्यीय टीम ने अभी तक दो गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रोंज के साथ कुल 4 पदक जीते हैं, इसके साथ ही देवेंद्र झाझरिया भारत की तरफ से दो गोल्ड मेडल जीतने वाले एकमात्र खिलाड़ी भी बन गए हैं, झाझरिया ने 2004 के एथेंस ओलिंपिक में भी गोल्ड मेडल जीता था. 

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वहीं अगर ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन को देखें तो भारत ने अभी तक 30 ओलंपिक खेलों में 9 गोल्ड, 8 सिल्वर और 11 ब्रोंज के साथ कुल 28 मेडल जीते हैं. हाल ही रियो में संपन्न हुए ओलंपिक खेलों में 117 खिलाड़ियों के भारतीय दल ने एक सिल्वर और एक ब्रोंज के साथ दो ही मेडल जीते. जबकि व्यक्तिगत खेलों में गोल्ड केवल अभिनव बिंद्रा के नाम ही दर्ज है. 

अब सवाल यह की जब पैरालंपियन सीमित साधन संसाधन में भी बेहतर प्रदर्शन कर देश के लिए पदक जीत रहे हैं तो फिर क्यों न उन्हें भी वही सम्मान दिया जाए जो एक ओलंपिक विजेता खिलाड़ी को दिए जाते हैं. इन खिलाड़ियों को खेल रत्न देकर न केवल उन खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया जा सकता है बल्कि विपरीत परिस्थितियों का सामना करके भी जिस जज्बे का प्रदर्शन इन खिलाड़ियों ने किया है वो देश के कई लोगों को भी प्रेरित कर सकता है.

ये भी पढ़ें- ओलंपिक से भी बड़े पैरालंपिक का प्रसारण भारत में क्यों नहीं ?

हालांकि इस बार राज्य सरकारों ने इन खिलाड़ियों को भी पुरस्कार देने में थोड़ी बेहतरी दिखाई है, अब उम्मीद कीजिये सरकार खेल रत्नों को लेकर भी प्रावधानों में उचित बदलाव करे जिससे खिलाड़ियों को वो मान सम्मान मिल सके जिनके वो सही मायनों में हकदार हैं. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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