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दुनिया में इंडोनेशिया ही सूनामी का केंद्र क्यों है?

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 23 दिसम्बर, 2018 03:52 PM
  • 23 दिसम्बर, 2018 03:46 PM
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इंडोनेशिया में एक के बाद एक कई सारी आपदाएं आई हैं. ऐसे में लोगों के मन में सबसे पहला सवाल यही उठता है कि आखिर इंडोनेशिया में ही इतने भूकंप और सूनामी क्यों आते हैं?

चंद महीने पहले ही इंडोनेशिया में भूकंप और सूनामी से 1400 से भी अधिक लोगों की मौत हो गई थी. अभी उस दर्द का जख्म भरा भी नहीं था कि शनिवार देर रात एक बार फिर से इंडोनेशिया में भूकंप और सूनामी ने तबाही मचा दी है. अनुमान लगाया जा रहा है कि ये सब हुआ ज्वालामुखी फटने की वजह से, जिसके बाद समुद्र के नीचे भूस्खलन हो गया और समुद्र की ऊंची लहरों ने सूनामी के हालात पैदा कर दिए. हालांकि, आपदा एजेंसियां इस सूनामी और भूकंप की सटीक वजह का पता लगा रही हैं. अभी तक इसकी वजह से करीब 168 लोगों की मौत हो चुकी है और माना जा रहा है कि ये आंकड़ा आने वाले दिनों में और अधिक बढ़ सकता है. इतना ही नहीं, 745 लोग इस प्राकृतिक आपदा में जख्मी हुए हैं और दक्षिणी सुमात्रा के किनारे स्थित कई इमारतें भी तबाह हो गई हैं.

यह तबाही सुंडा स्ट्रैट (खाड़ी) में हुई है, जो इंडोनेशिया के सुमात्रा और जावा के द्वीप के बीच स्थित है. सबसे अधिक लोगों की मौत पंडेग्लांग, दक्षिणी लांपुंग और सेरांग इलाकों में हुई हैं. जिस ज्वालामुखी की वजह से ये सब होने का अनुमान लगाया जा रहा है, उसे क्रेकाटोआ ज्वालामुखी कहते हैं. यह पहली बार 1883 में अस्तित्व में आया था. जिस समय यह ज्वालामुखी फटा और सूनामी आई, उस समय एक नॉर्वे के पत्रकार ज्वालामुखी की तस्वीरें ले रहे थे, लेकिन तभी अचानक उठी लहरों को देख कर वह होटल की ओर भागे और अपने परिवार को जगाया. उनके देखते ही देखते सूनामी ने बहुत सारी इमारतों, गाड़ियों और लोगों को नुकसान पहुंचा दिया, लेकिन वह भागकर एक ऊंची जगह पर जा पहुंचे.

यह तबाही सुंडा स्ट्रैट (खाड़ी) में हुई है, जो इंडोनेशिया के सुमात्रा और जावा के द्वीप के बीच स्थित है.

आखिर इंडोनेशिया में इतनी आपदाएं आती क्यों है?

इंडोनेशिया में एक के बाद एक कई सारी आपदाएं आई हैं. ऐसे में लोगों...

चंद महीने पहले ही इंडोनेशिया में भूकंप और सूनामी से 1400 से भी अधिक लोगों की मौत हो गई थी. अभी उस दर्द का जख्म भरा भी नहीं था कि शनिवार देर रात एक बार फिर से इंडोनेशिया में भूकंप और सूनामी ने तबाही मचा दी है. अनुमान लगाया जा रहा है कि ये सब हुआ ज्वालामुखी फटने की वजह से, जिसके बाद समुद्र के नीचे भूस्खलन हो गया और समुद्र की ऊंची लहरों ने सूनामी के हालात पैदा कर दिए. हालांकि, आपदा एजेंसियां इस सूनामी और भूकंप की सटीक वजह का पता लगा रही हैं. अभी तक इसकी वजह से करीब 168 लोगों की मौत हो चुकी है और माना जा रहा है कि ये आंकड़ा आने वाले दिनों में और अधिक बढ़ सकता है. इतना ही नहीं, 745 लोग इस प्राकृतिक आपदा में जख्मी हुए हैं और दक्षिणी सुमात्रा के किनारे स्थित कई इमारतें भी तबाह हो गई हैं.

यह तबाही सुंडा स्ट्रैट (खाड़ी) में हुई है, जो इंडोनेशिया के सुमात्रा और जावा के द्वीप के बीच स्थित है. सबसे अधिक लोगों की मौत पंडेग्लांग, दक्षिणी लांपुंग और सेरांग इलाकों में हुई हैं. जिस ज्वालामुखी की वजह से ये सब होने का अनुमान लगाया जा रहा है, उसे क्रेकाटोआ ज्वालामुखी कहते हैं. यह पहली बार 1883 में अस्तित्व में आया था. जिस समय यह ज्वालामुखी फटा और सूनामी आई, उस समय एक नॉर्वे के पत्रकार ज्वालामुखी की तस्वीरें ले रहे थे, लेकिन तभी अचानक उठी लहरों को देख कर वह होटल की ओर भागे और अपने परिवार को जगाया. उनके देखते ही देखते सूनामी ने बहुत सारी इमारतों, गाड़ियों और लोगों को नुकसान पहुंचा दिया, लेकिन वह भागकर एक ऊंची जगह पर जा पहुंचे.

यह तबाही सुंडा स्ट्रैट (खाड़ी) में हुई है, जो इंडोनेशिया के सुमात्रा और जावा के द्वीप के बीच स्थित है.

आखिर इंडोनेशिया में इतनी आपदाएं आती क्यों है?

इंडोनेशिया में एक के बाद एक कई सारी आपदाएं आई हैं. ऐसे में लोगों के मन में सबसे पहला सवाल यही उठता है कि आखिर इंडोनेशिया में ही इतने भूकंप और सूनामी क्यों आते हैं? इंडोनेशिया दुनिया में सबसे ज्यादा प्राकृतिक आपदाओं वाला देश है. दरअसल, इसकी वजह है इंडोनेशिया का 'रिंग ऑफ फायर' पर होना. आपको बता दें कि 'रिंग ऑफ फायर' पर होने की वजह से इंडोनेशिया में अक्सर ही भूकंप आते रहते हैं. 'रिंग ऑफ फायर' प्रशांत महासागर की घाटी का एक मुख्य हिस्सा है, जो करीब 40,000 किलोमीटर का है. इस पर ज्वालामुखी फटते रहते हैं और उनकी वजह से भूकंप आते रहते हैं. भूकंप की वजह से ही समुद्र की लहरें अक्सर सूनामी का रूप ले लेती हैं.

यहां सबसे अधिक भूकंप आने की वजह है धरती के अंदर 'लिथोस्फेरिक प्लेट्स' का आपस में टकराना, जिसे 'प्लेट टेक्टोनिक्स' भी कहा जाता है. इंडोनेशिया रिंग ऑफ फायर के बिल्कुल बीचोबीच स्थिति है, जिसके चलते सबसे अधिक आपदाएं यहीं आती हैं और उनसे नुकसान भी काफी अधिक होता है. रिंग ऑफ फायर पर होना कितना खतरनाक है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस पर जितने ज्वालामुखी हैं, उनकी संख्या करीब 452 है. यह संख्या पूरी दुनिया के ज्वालामुखी का 75 फीसदी है. दुनियाभर के करीब 90 फीसदी भूकंप और करीब 81 फीसदी सबसे बड़े भूकंप रिंग ऑफ फायर पर और इसके आसपास स्थित इलाकों में ही आते हैं.

यूं तो रिंग ऑफ फायर पर इंडोनेशिया के अलावा जापान, फिलीपीन्स, चिली, मैक्सिको, अलास्का और न्यूजीलैंड जैसे देश भी स्थिति हैं, लेकिन तस्वीर देखकर ये साफ होता है कि इंडोनेशिया रिंग ऑफ फायर के बिल्कुल बीच में स्थित है. जावा द्वीप पर 22 एक्टिव ज्वालामुखी हैं और इस द्वीप पर 12 करोड़ लोग रहते हैं. पूरे इंडोनेशिया के ज्वालामुखियों की तुलना अगर रिंग ऑफ फायर पर स्थिति अन्य ज्वालामुखी से करें तो पता चलता है कि इंडोनेशिया में ही सबसे अधिक एक्टिव ज्वालामुखी हैं. और यही वजह है कि यहां सबसे अधिक भूकंप भी आते हैं. समुद्र होने की वजह से यह भूकंप ही सूनामी को न्योता देता है.

पूरे रिंग ऑफ फायर में सबसे अधिक एक्टिव ज्वालामुखी इंडोनेशिया में ही हैं, जिनकी वजह से भूकंप और सूनामी आते हैं.

जो ज्वालामुखी इंडोनेशिया में तबाही की वजह माना जा रहा है, उसका वीडियो इंटरनेट पर खूब वायरल हो रहा है.

जब ये सूनामी आई तो वहीं पास में एक म्यूजिक कॉन्सर्ट हो रहा था. सूनामी की लहरों ने कैसे एक पल में सब कुछ तबाह कर दिया, वो सब कैमरै में रिकॉर्ड हो गया है.

एक दिन पहले तक जहां इमारतें और होटल थे, सूनामी की वजह से हुई तबाही के बाद वहां हर तरफ सिर्फ मलबा बिखरा पड़ा है. कुछ लोग घायल हैं, तो कइयों की मौत हो चुकी है. अभी ये नहीं पता कि मलबे के नीचे कितने लोग दबे होंगे और उनमें से कोई जिंदा भी होगा या नहीं.

एक ट्विटर हैंडल पर कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए ये भी दावा किया गया है कि मरने वालों की संख्या 170 पहुंच चुकी है. हालांकि, अभी किसी आधिकारिक सोर्स ने इसकी पुष्टि नहीं की है.

ऐसा नहीं है कि इंडोनेशिया ने पहली बार कोई आपदा झेली हो. सितंबर में आए भूकंप और सूनामी से 1400 से भी अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इसी साल 5 अगस्त को इंडोनेशिया के लॉमबोक में 7.0 की तीव्रता का भूकंप आया था, जिसकी वजह से 460 से भी अधिक लोगों की मौत हो गई थी. सबसे भयावह स्थिति तो 2004 में थी, जब भूकंप के बाद हिंद महासागर में ऐसी सूनामी आई थी, जिसने करीब 2,26,000 लोगों की जान ले ली थी. मरने वालों में करीब सवा लाख लोग तो सिर्फ इंडोनेशिया के ही रहने वाले थे. अगर पुरानी आपदाओं से तुलना की जाए तो ये ताजा आपदा थोड़ी छोटी जरूर लगती है, लेकिन इसने भी एक भयानक तबाही मचाई है, जिसने जन-जीवन तहस-नहस कर दिया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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