• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

भारत में बरस रही है आग, आखिर कौन है इसका जिम्मेदार?

    • आईचौक
    • Updated: 21 मई, 2016 03:28 PM
  • 21 मई, 2016 03:28 PM
offline
भारत में जानलेवा गर्मी पड़ रही है, पिछले डेढ़ दशक के दौरान यहां पड़ने वाली गर्मी में बढ़ोतरी हुई, आखिर क्या है भारत में तापमान के बढ़ते चले जाने की वजह? जानिए.

भारत में आग बरस रही है और इसकी तपिश देश में छोड़िए विदेशों तक महसूस की जा रही है. गुरुवार यानी 19 मई को राजस्थान के फालोदी में तापमान 51 डिग्री तक जा पहुंचा जोकि भारत के इतिहास में अब तक का सबसे ज्यादा तापमान है. इससे पहले 1956 में राजस्थान के ही अलवर में अधिकतम तापमान 50.6 डिग्री तक पहुंचा था. लेकिन गुरुवार को फालदी में पारा इसे भी पार करते हुए 51 तक जा पहुंचा.

भारत में पड़ रही भीषण गर्मी की चर्चा देश नहीं विदेशी मीडिया में भी छाई हुई है और दुनिया भर की मीडिया ने भारत की भीषणा गर्मी पर खबरें प्रकाशित की हैं. न सिर्फ राजस्थान बल्कि भारत के ज्यादातर इलाकों में तेज गर्मी पड़ रही है. जिससे जनजीवन पर बुरा असर पड़ा है. ये जानलेवा गर्मी सैकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला चुकी है और आने वाले दिनों में ये संख्या और बढ़ने की आशंका है.

वैसे तो ग्लोबल वॉर्मिंग का असर अब पूरी दनिया पर देखा जा सकता है और वैश्विक तापमान में ही वृद्धि हुई है. लेकिन भारत में स्थिति खासकर पिछले एक दशक के दौरान तेजी से बिगड़ी है. आइए जानें आखिर क्या वजह है भारत में गर्मी की तपिश बढ़ते चले जाने की.

हर साल बढ़ रहा है देश का तापमानः

आंकड़ें इस बात की गवाही देते हैं कि देश में पिछले 15 वर्षों के दौरान औसत तापमान हर साल बढ़ता चला गया है. वर्ष 2015 में भारत का वार्षिक तापमान 1961-1990 के औसत से 0.67 डिग्री ज्यादा था, जोकि 1901 के बाद से अब तक का तीसरा सबसे ज्यादा गर्म साल रहा. ध्यान देने वाली बात ये है कि पिछली एक सदी के दौरान देश के अन्य 9 सबसे गर्म वर्षों में 2009, 2010, 2003, 2002, 2014, 1998, 2006 और 2007 हैं. खास बात ये है कि देश के सबसे ज्यादा गर्म वर्षों में 12 वर्ष पिछले 15 वर्षों (2000-2015) के दौरान ही रहे हैं. इससे आसानी से अंदाजा लग जाता है कि हर वर्ष तापमान बढ़ने की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. पिछले वर्ष जानलेवा गर्मी ने 2500 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था.

कम बारिश और सूखे ने बिगाड़ी...

भारत में आग बरस रही है और इसकी तपिश देश में छोड़िए विदेशों तक महसूस की जा रही है. गुरुवार यानी 19 मई को राजस्थान के फालोदी में तापमान 51 डिग्री तक जा पहुंचा जोकि भारत के इतिहास में अब तक का सबसे ज्यादा तापमान है. इससे पहले 1956 में राजस्थान के ही अलवर में अधिकतम तापमान 50.6 डिग्री तक पहुंचा था. लेकिन गुरुवार को फालदी में पारा इसे भी पार करते हुए 51 तक जा पहुंचा.

भारत में पड़ रही भीषण गर्मी की चर्चा देश नहीं विदेशी मीडिया में भी छाई हुई है और दुनिया भर की मीडिया ने भारत की भीषणा गर्मी पर खबरें प्रकाशित की हैं. न सिर्फ राजस्थान बल्कि भारत के ज्यादातर इलाकों में तेज गर्मी पड़ रही है. जिससे जनजीवन पर बुरा असर पड़ा है. ये जानलेवा गर्मी सैकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला चुकी है और आने वाले दिनों में ये संख्या और बढ़ने की आशंका है.

वैसे तो ग्लोबल वॉर्मिंग का असर अब पूरी दनिया पर देखा जा सकता है और वैश्विक तापमान में ही वृद्धि हुई है. लेकिन भारत में स्थिति खासकर पिछले एक दशक के दौरान तेजी से बिगड़ी है. आइए जानें आखिर क्या वजह है भारत में गर्मी की तपिश बढ़ते चले जाने की.

हर साल बढ़ रहा है देश का तापमानः

आंकड़ें इस बात की गवाही देते हैं कि देश में पिछले 15 वर्षों के दौरान औसत तापमान हर साल बढ़ता चला गया है. वर्ष 2015 में भारत का वार्षिक तापमान 1961-1990 के औसत से 0.67 डिग्री ज्यादा था, जोकि 1901 के बाद से अब तक का तीसरा सबसे ज्यादा गर्म साल रहा. ध्यान देने वाली बात ये है कि पिछली एक सदी के दौरान देश के अन्य 9 सबसे गर्म वर्षों में 2009, 2010, 2003, 2002, 2014, 1998, 2006 और 2007 हैं. खास बात ये है कि देश के सबसे ज्यादा गर्म वर्षों में 12 वर्ष पिछले 15 वर्षों (2000-2015) के दौरान ही रहे हैं. इससे आसानी से अंदाजा लग जाता है कि हर वर्ष तापमान बढ़ने की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. पिछले वर्ष जानलेवा गर्मी ने 2500 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था.

कम बारिश और सूखे ने बिगाड़ी स्थितिः

भारत में गर्मी बढ़ते चले जाने का सीधा संबंध कम बारिश से है. भारत में बारिश का बड़ा हिस्सा मानसूनी बारिश का होता है. वर्ष 2014 और 2015 के दौरान मानसूनी बारिश औसत से कम हुई. बारिश कम होने से ही औसत तापमान में बढ़ोतरी हो रही है. यह स्थिति साल-दर साल और बदतर होती जा रही है. बारिश कम होने से तापमान में होने वाली बढ़ोतरी से ही देश के कई हिस्सों में सूखे की स्थिति पैदा हुई है. इससे जलस्तर भी गिर रहा है और न सिर्फ पीने बल्कि खेती के लिए काम आने वाले सिंचाई के लिए भी पानी की उपलब्धता हर साल घटती जा रही है. 

19 मई 2016 को राजस्थान के फालोदी में का तापमान 51 डिग्री रहा, जोकि भारत का अब तक का सबसे गर्म दिन है

कम बारिश के लिए अल-नीनो है जिम्मेदार!

देश में कम बारिश के लिए अल-नीनो के बढ़ते प्रभाव को जिम्मेदार माना जाता है. प्रशांत महासागर में जल के औसत तापमान में बढ़ोतरी को अल-नीनो प्रभाव कहा जाता है. इसके प्रभाव से दुनिया भर में मौसम चक्र बदल जाता है और सूखे और बारिश जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है. पिछले वर्ष अल-नीनो के प्रभाव से ही दुनिया भर के मौसम चक्र में परिवर्तन देखे को मिला और भारत में इसकी वजह से मानसूनी बारिश में 15 फीसदी की कमी देखने को मिली.

इतना ही नहीं इसकी वजह से अमेरिका में बर्फीले तूफान आए, अफ्रीका में सूखा पड़ा, मैक्सिकों में अब तक का सबसे बड़ा तूफान आने जैसी प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिलीं. यानी अल-नीनों पूरी दुनिया के मौसम पर न सिर्फ प्रभाव डालता है बल्कि उसे उलट-पुलट कर रख देता है. इसके कारण ही भारत में पिछले कई वर्षों से बारिश में काफी कमी आई है और नतीजा तापमान में जोरदार बढ़ोतरी के रूप में सामने आ रहा है.

क्या ग्लोबल वॉर्मिंग है इसके लिए जिम्मेदार?

ऐसा नहीं है कि अल-नीनो का प्रभाव हाल के वर्षों में होने लगा है. यह घटना तेजी से होते औद्योगीकरण और उसके कारण होने वाले ग्लोबल वॉर्मिंग से पहले ही अल-नीनो होता रहा है. अब तक ऐसा माना जाता रहा है कि अल नीनो की घटना हर 10 वर्ष में दो साल बार होती है.

लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि अल-नीनो के लिए भले ही ग्लोबल वॉर्मिंग जिम्मेदार न हो लेकिन इसने अल-नीनो की अवधि बढ़ाने का काम जरूर किया है. जिसके कारण अब अल-नीनो का प्रभाव पहले के मुकाबले ज्यादा लंबे समय तक रहता है और दुनिया भर के मौसम चक्र में उथल-पुथल मची रहती है. इस प्रभाव के कारण ही भारत में मानसूनी बारिश में कमी आई है और न सिर्फ गर्मी बढ़ी है बल्कि सूखे की स्थिति में भटी बढ़ोतरी हुई है.

यानी कुल मिलाकर देखें तो बढ़ती गर्मी के लिए कहीं न कहीं इंसान खुद ही जिम्मेदार है. विकास की दौड़ में सरपट भागते इंसानों ने कार्बन उत्सर्जन, पेड़ों की कटाई, प्रकृति से खिलवाड़ करते हुए ग्लोबल तापमान में जो बढ़ोतरी की है उसका ही दुष्परिणाम अब हर साल बढ़ती हुई गर्मी के रूप में सामने आ रहा है.

इसलिए इंसानों ने अंधाधुंध विकास की रफ्तार पर लगाम नहीं लगाई तो आने वाले दिनों में उबलती गर्मी से उसे दुनिया का कोई एयर कंडिशन नहीं बचा पाएगा!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲