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देवी मां की पूजा करने वाले देश में पत्नियों से रेप क्यों?

    • श्रीमई पियू कुंडू
    • Updated: 21 सितम्बर, 2015 02:58 PM
  • 21 सितम्बर, 2015 02:58 PM
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अब से ठीक एक महीने बाद, पश्चिम बंगाल पूरे पांच दिनों तक मां दुर्गा की पूजा करेगा. दुकानें बंद हो जाएंगी. लोग नए और महंगे कपड़े पहनेंगे. लेकिन भूल जाएंगे कि महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं.

कोलकाता में हमारे घर की मेड मंगलादी की सबसे बड़ी बेटी शुकुली, अपने पांच महीने के बेटे के साथ हमारे पास कोलकाता आ रही है. कल उसके बेटे का 'मुखे भात' (पश्चिम बंगाल में बच्चों को चावल खिलाने का समारोह) हुआ. मंगलादी के बेटे ने बताया कि शुकुली की उसके पति और ससुराल वालों ने खाना पकाने और मेहमानों को खाना परोसने जैसी छोटी-छोटी बातों के लिए पिटाई की है.

मैंने तुरंत ही मंगलादी को बुलाया और पूछा कि यह जानते हुए भी कि उनका दामाद लोफर है, और अपने परिवार का समर्थन नहीं करता है, वह उसका विरोध क्यों नहीं करती. उसे धमकाती क्यों नहीं है? मुझे यह बात पता है कि वह शुकुली के मेहनत से कमाए पैसे छीन ले जाता है.

मंगलादी के बेटे ने मुझे बीच में टोकते हुए कहा कि शुकुली ने अपनी मां को उसके घरेलू मामलों में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दे रखा है. साथ ही उन्हें अपने 'जमाई' के प्रति कड़े शब्दों का प्रयोग करने का कोई अधिकार नहीं है. (पूर्वी भारत में दामाद को शाही सम्मान दिया जाया है. यहां तक कि उनके लिए 'जमाई षष्ठी' नाम से एक दिन मनाया जाता, जिसमें उन्हें ढेर सारे महंगे तोहफे दिए जाते हैं.)

मंगलादी को लगता है कि अपने दामाद का विरोध करने से उसकी बेटी के ससुराल वालों का गुस्सा भड़क जाएगा. अपना गुस्सा निकालने के लिए वे शुकुली को प्रताड़ित करेंगे क्योंकि उस लड़के से शादी करने का निर्णय उसका था इसलिए अब उसे ही इस तकलीफ को सहना पड़ेगा.

मैंने मंगलादी को सलाह दी कि वे परिवार के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दायर करें. प्रताड़ित महिलाओं का साथ देने के लिए कानून हैं.

मंगलादी खुद भी घरेलू हिंसा का शिकार रही हैं. उनका शराबी पति न सिर्फ उनके साथ रेप करता था बल्कि उन्हें मारता भी था. यहां तक कि एक बार उसने उनके प्राइवेट पार्ट में जलती हुए लकड़ी का टुकड़ा डाल दिया था. उस समय वह प्रेग्नेंट थीं और ब्लीडिंग के बाद मरते-मरते बची थीं. इसके बाद मंगलादी के पति ने उन्हें घर से निकाल दिया था और एक जवान औरत को घर ले आया था.

वह कहती हैं, ‘बहस...

कोलकाता में हमारे घर की मेड मंगलादी की सबसे बड़ी बेटी शुकुली, अपने पांच महीने के बेटे के साथ हमारे पास कोलकाता आ रही है. कल उसके बेटे का 'मुखे भात' (पश्चिम बंगाल में बच्चों को चावल खिलाने का समारोह) हुआ. मंगलादी के बेटे ने बताया कि शुकुली की उसके पति और ससुराल वालों ने खाना पकाने और मेहमानों को खाना परोसने जैसी छोटी-छोटी बातों के लिए पिटाई की है.

मैंने तुरंत ही मंगलादी को बुलाया और पूछा कि यह जानते हुए भी कि उनका दामाद लोफर है, और अपने परिवार का समर्थन नहीं करता है, वह उसका विरोध क्यों नहीं करती. उसे धमकाती क्यों नहीं है? मुझे यह बात पता है कि वह शुकुली के मेहनत से कमाए पैसे छीन ले जाता है.

मंगलादी के बेटे ने मुझे बीच में टोकते हुए कहा कि शुकुली ने अपनी मां को उसके घरेलू मामलों में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दे रखा है. साथ ही उन्हें अपने 'जमाई' के प्रति कड़े शब्दों का प्रयोग करने का कोई अधिकार नहीं है. (पूर्वी भारत में दामाद को शाही सम्मान दिया जाया है. यहां तक कि उनके लिए 'जमाई षष्ठी' नाम से एक दिन मनाया जाता, जिसमें उन्हें ढेर सारे महंगे तोहफे दिए जाते हैं.)

मंगलादी को लगता है कि अपने दामाद का विरोध करने से उसकी बेटी के ससुराल वालों का गुस्सा भड़क जाएगा. अपना गुस्सा निकालने के लिए वे शुकुली को प्रताड़ित करेंगे क्योंकि उस लड़के से शादी करने का निर्णय उसका था इसलिए अब उसे ही इस तकलीफ को सहना पड़ेगा.

मैंने मंगलादी को सलाह दी कि वे परिवार के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दायर करें. प्रताड़ित महिलाओं का साथ देने के लिए कानून हैं.

मंगलादी खुद भी घरेलू हिंसा का शिकार रही हैं. उनका शराबी पति न सिर्फ उनके साथ रेप करता था बल्कि उन्हें मारता भी था. यहां तक कि एक बार उसने उनके प्राइवेट पार्ट में जलती हुए लकड़ी का टुकड़ा डाल दिया था. उस समय वह प्रेग्नेंट थीं और ब्लीडिंग के बाद मरते-मरते बची थीं. इसके बाद मंगलादी के पति ने उन्हें घर से निकाल दिया था और एक जवान औरत को घर ले आया था.

वह कहती हैं, ‘बहस होने पर एक पति को कभी-कभी अपनी पत्नी पर हाथ उठाने का अधिकार है. लेकिन उसके पास कहीं जाने का नहीं है...’

सच्चाई से पूजा तक

अब से ठीक एक महीने बाद, पश्चिम बंगाल पूरे पांच दिनों तक मां दुर्गा की पूजा करेगा. दुकानें बंद हो जाएंगी, सारे ऑफिस बंद रहेंगे, ट्रैफिक के साथ-साथ पूरा शहर थम सा जाएगा. सबसे शानदार पंडाल शहर को जगमगा देंगे, लोग नए और महंगे कपड़े पहनेंगे, नए खुले रेस्तरां में पेट पूजा करेंगे, चंदननगर से आई लाइटों से शहर के कोने सजाए जाएंगे, लोग पूरी रात पंडाल घूमेंगे, स्टार्स पूजा पंडालों का उद्घाटन करेंगे, नए म्यूजिक एल्बम और फिल्में रिलीज होंगी, यह एक शानदार त्योहार होगा- दुख कि बात है कि यह बंगाल का आखिरी बचा हुए बिकने वाला विषय है. (जब तक कि आप टैगोर, सत्यजीत रे, हेमंत कुमार, नेताजी को न गिनें-हमारा सर्वोत्तम, हमारा अतीत.)

सबकुछ ठीक हो जाएगा?

हम भूल जाएंगे कि महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले 2009 के 89,546 से बढ़कर 2011 में 99,135 हो गए हैं. जिससे पता चलता है कि ऐसे मामलों में 10.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. डेटा के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में देश के 28 राज्यों के बीच सबसे ज्यादा घरेलू हिंसा के मामले सामने आए. राज्य में इन मामलों की संख्या 2009 के 16,112 से 22 फीसदी बढ़कर 2011 में 19,772 हो गई.

हम इसे नवरात्र के दौरान व्रत रखने और 'जय माता दी' का जयकारा लगाते हुए या शेरावाली मां के आगे प्रार्थना करते हुए और कई देवियों के चित्रों वाले पेंडेंटेंस पहनने में और लोन लेकर वैष्णो देवी की यात्रा करने में भूल जाएंगे. बाकी देश की तरह ही, बंगाल में हम अपनी देवियों को प्रसन्न करने के लिए जो पैसा खर्च करते है, उसे विडंबना के रूप में नहीं देखा जाएगा.

हम भूल जाएंगे कि हरदिन साधारण, गरीब औरत को उसकी शादी की लक्ष्मण रेखा के अंदर पीटा जाता है, धमकाया जाता है और उसका रेप किया जाता है.

उन्हें अपना पारंपरिक शका-पोला (लाल और सफेद चूड़ियां) को पहनना है, अपने माथे पर लाल सिंदूर का धब्बा लगाना, लांछित होने के डर से घर लौटने के लिए डरे रहना, बूढ़ी होने तक बच्चे पैदा करना और अपने जख्मों के निशान पड़ जाने देना है.

अफसोस, हर भारतीय औरत भारत में देवी नहीं है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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