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अमृतसर हादसा दुखद है, लेकिन इसमें ट्रेन की कोई गलती नहीं

    • आईचौक
    • Updated: 19 अक्टूबर, 2018 11:05 PM
  • 19 अक्टूबर, 2018 11:04 PM
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अमृतसर शहर से करीब तीन किमी दूर जोड़ा फाटक का एक रावण दहन कार्यक्रम मातम में बदल गया. रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रावण को जलता देख रहे लोग वहां से गुजर रही एक ट्रेन की चपेट में आ गए.

दशहरे पर शुभकामनाओं के आदान-प्रदान के बीच अमृतसर से दिल दहला देने वाली ऐसी खबर आई, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. अमृतसर शहर से करीब तीन किमी दूर जोड़ा फाटक का एक रावण दहन कार्यक्रम मातम में बदल गया. रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रावण को जलता देख रहे लोग वहां से गुजर रही एक ट्रेन की चपेट में आ गए.

हाहाकार मच गया. कोई कुछ समझ पाता तब तक ट्रेन 50 से ज्‍यादा लोगों की क्षत-विक्षत लाशें रेलवे ट्रैक पर बिखर गईं. जब ट्रेन की गड़गड़ाहट थमी तो लोगों की चीख ने आसमान गुंजा दिया. अपनों को खो चुके लोगों की चीत्‍कार किसी का भी कलेजा फाड़ देने वाली थी. लेकिन, प्रत्‍यक्षदर्शियों ने जैसा घटनाक्रम बताया, उसने कई बातों को स्‍पष्‍ट कर दिया.

1. रेलवे पटरी ट्रेन के चलने के लिए होती है: अमृतसर रेल हादसे के बाद गुस्‍सा हो रहे लोगों में एक बड़ी तादाद ट्रेन और रेलवे को कोसती हुई दिखाई दी. सवाल उठाया गया कि ट्रेन इतनी तेजी से क्‍यों आई? उसे हॉर्न क्‍यों नहीं बजाया? रेलवे ने ट्रेन को धीरे चलने के लिए क्‍यों नहीं कहा?इस हादसे में ट्रेन और रेलवे पर सवाल उठाने से पहले ये समझ लेना जरूरी है कि रेलवे ट्रैक ट्रेन को चलने के लिए होते हैं. लोगों के खड़े होने के लिए नहीं. हादसे का वीडियो बता रहा है कि लोग इत्‍मीनान से रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रावण दहन का आनंद ले रहे थे. रेल राज्‍यमंत्री मनोज सिन्‍हा ने यह बताया है कि ट्रेन ड्राइवर ने हॉर्न बजाया था, लेकिन चूंकि उसी दौरान वहां पटाखों की भी आवाज हो रही थी इसलिए संभवत: लोगों को वह सुनाई नहीं दी. लेकिन सवाल ये है कि रेलवे ट्रेक से बमुश्किल 200 फीट की दूरी पर रावण-दहन जैसा कार्यक्रम कराना ही अपने आप में हादसे को न्‍यौता देना था.

ट्रेन गुजर गई... पीछे छोड़ गई...

दशहरे पर शुभकामनाओं के आदान-प्रदान के बीच अमृतसर से दिल दहला देने वाली ऐसी खबर आई, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. अमृतसर शहर से करीब तीन किमी दूर जोड़ा फाटक का एक रावण दहन कार्यक्रम मातम में बदल गया. रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रावण को जलता देख रहे लोग वहां से गुजर रही एक ट्रेन की चपेट में आ गए.

हाहाकार मच गया. कोई कुछ समझ पाता तब तक ट्रेन 50 से ज्‍यादा लोगों की क्षत-विक्षत लाशें रेलवे ट्रैक पर बिखर गईं. जब ट्रेन की गड़गड़ाहट थमी तो लोगों की चीख ने आसमान गुंजा दिया. अपनों को खो चुके लोगों की चीत्‍कार किसी का भी कलेजा फाड़ देने वाली थी. लेकिन, प्रत्‍यक्षदर्शियों ने जैसा घटनाक्रम बताया, उसने कई बातों को स्‍पष्‍ट कर दिया.

1. रेलवे पटरी ट्रेन के चलने के लिए होती है: अमृतसर रेल हादसे के बाद गुस्‍सा हो रहे लोगों में एक बड़ी तादाद ट्रेन और रेलवे को कोसती हुई दिखाई दी. सवाल उठाया गया कि ट्रेन इतनी तेजी से क्‍यों आई? उसे हॉर्न क्‍यों नहीं बजाया? रेलवे ने ट्रेन को धीरे चलने के लिए क्‍यों नहीं कहा?इस हादसे में ट्रेन और रेलवे पर सवाल उठाने से पहले ये समझ लेना जरूरी है कि रेलवे ट्रैक ट्रेन को चलने के लिए होते हैं. लोगों के खड़े होने के लिए नहीं. हादसे का वीडियो बता रहा है कि लोग इत्‍मीनान से रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रावण दहन का आनंद ले रहे थे. रेल राज्‍यमंत्री मनोज सिन्‍हा ने यह बताया है कि ट्रेन ड्राइवर ने हॉर्न बजाया था, लेकिन चूंकि उसी दौरान वहां पटाखों की भी आवाज हो रही थी इसलिए संभवत: लोगों को वह सुनाई नहीं दी. लेकिन सवाल ये है कि रेलवे ट्रेक से बमुश्किल 200 फीट की दूरी पर रावण-दहन जैसा कार्यक्रम कराना ही अपने आप में हादसे को न्‍यौता देना था.

ट्रेन गुजर गई... पीछे छोड़ गई बदहवासी और मातम.

2. नवजोत कौर सिद्धू का वहां से चले जाना सही था: गुस्‍साए लोगों का ये भी कहना था कि रावण-दहन कार्यक्रम की मुख्‍य अतिथि नवजोत कौर सिद्धू, जो कि पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिद्धू की पत्‍नी हैं, हादसा होते ही मौके से भाग गईं. हालांकि, नवजोत कौर ने इससे इनकार किया है, लेकिन यदि ये सही भी है तो उनका वहां से चले जाना ही सही था. मौके पर लोगों में जितना गुस्‍सा था, उसके आगे कोई भी वीआईपी टिक नहीं पाता. हालांकि, अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया ने इस हादसे के लिए पूरी तरह नवजोत कौर सिद्धू और स्‍थानीय कांग्रेस पार्षद को जिम्‍मेदार बताया. मजीठिया ने स्‍थानीय लोगों को हवाला देते हुए कहा कि मंच से घोषणा की जा रही थी कि मिसेस सिद्धू को देखने के लिए लोग रेलवे लाइन पर खड़े हैं, तब भी प्रशासन ने कोई सावधानी नहीं बरती.हादसे वाली जगह जब प्रशासन पहुंचा, तो मृतकों के परिजनों की चीत्‍कार कलेजा हिला देने वाली थी.3. प्रशासन की नाकामी थी, जिसने इस कार्यक्रम को होने दिया और लोगों को ट्रैक पर जाने से नहीं रोका. पूरी तरह से इस हादसे की जिम्‍मेदारी स्‍थानीय प्रशासन के सिर पर ही मढ़ी जाना चाहिए. रेलवे ट्रैक के इतने नजदीक रावण-दहन कार्यक्रम करना अपने आप में गैर-कानूनी था. रेलवे ट्रैक के आसपास कोई बैरिकेडिंग नहीं की गई थी.

4. त्‍योहार के उल्‍लास में सावधानी को अनदेखा नहीं करना चाहिए: हादसे के वीडियो को देखकर पता चल रहा है कि लोग बड़े आराम से रेलवे की पटरी पर खड़े थे, ताकि रावण-दहन का नजारा साफ-साफ दिखाई दे सके. लोगों ने इस खतरे को नजरअंदाज किया कि इस पटरी पर कोई धड़धड़ाती हुई हुई ट्रेन उन्‍हें रौंद सकती है.

5. हादसे का हल क्‍या मुआवजा है? पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में मृतक के परिवार वालों को 5-5 लाख रु. मुआवजे का एलान किया. लेकिन, मौके पर मौजूद गुस्‍साए लोग सबसे पहले इस हादसे के दोषी तय करने की मांग कर रहे हैं. आखिर रेलवे ट्रैक के इतने रावण-दहन कार्यक्रम की अनुमति किसने दी. इतने लोगों की मौजूदगी को नियंत्रित करने के लिए पुलिस प्रशासन ने क्‍या इंतजाम किए.

नवजोत कौर सिद्धू भी यहीं कहती रहीं कि आखिर ट्रेन को इतना तेज चलाने की क्‍या जरूरत थी. आखिर इस दुर्भाग्‍यपूर्ण हादसे में हम बार-बार ये क्‍यों भूल जा रहे हैं रेलवे ट्रैक ट्रेन को गुजारने के लिए लगाया जाता है. दशहरा मैदान का‍ हिस्‍सा बनाने के लिए नहीं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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