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विराट-अनुष्का की बेटी का नाम 'वामिका' जितना खूबसूरत है, उतनी ही दिलचस्‍प है उसकी कहानी

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 01 फरवरी, 2021 09:14 PM
  • 01 फरवरी, 2021 08:38 PM
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तमाम आलोचनाओं को दरकिनार करके पैटरनिटी लीव पर गए विराट कोहली ने एक बड़ा मैसेज दिया था. अब वह अपनी बेटी 'वामिका' के नाम के जरिए जो संदेश देना चाहते हैं, उसे तो भगवान शिव ने खुद सृष्टि के आरंभ में ही दे दिया था. विराट-अनुष्का के विचार, एक सामाजिक आंदोलन की तरह हैं.

मशहूर कवि और नाटककार विलियम शेक्सपियर (William Shakespeare) ने एक बार कहा था, 'नाम में क्या रखा है?' गुलाब को यदि गुलाब न कहकर कोई दूसरा नाम देंगे तो क्या उसकी खुशबू गुलाब जैसी नहीं रहेगी? उनके कहने का मतलब ये था कि किसी व्यक्ति या वस्तु के नाम से ज्यादा उसके गुण मायने रखते हैं. लेकिन किसी बच्चे का गुण, उसके पैदा होने के तुरंत बाद तो पता चलता नहीं है, फिर हम नामकरण संस्कार क्यों करते हैं? किस आधार पर उसका नाम रख देते हैं? आप सोच रहे होंगे कि आज 'नाम' पर चर्चा क्यों हो रही है. दरअसल आज ही क्रिकेटर विराट कोहली और एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा ने अपनी बेटी के नाम का खुलासा किया है. उनकी बेटी का नाम वामिका (Vamika) है. लोगों ने जैसे ही ये नाम सुना, इसका मतलब (Vamika meaning in hindi) जानने के लिए आतुर हो उठे हैं.

विराट और अनुष्का की बेटी का नाम है वामिका. लोगों ने पहले तो ये अनुमान लगाया कि वामिका (Vamika) शब्द का पहला अक्षर 'V' विराट (Virat Kohali) के नाम से और लास्ट का 'KA' अनुष्का (Anushka Sharma) के नाम से लिया गया है. ज्यादातर सेलेब्स अपने बच्चों के नाम इसी पैटर्न पर रखते हैं. लेकिन इस बार लोगों का अनुमान गलत साबित हुआ. भले ही Vamika शब्द में 'V' और 'KA' हैं, लेकिन यह नाम 'मां दुर्गा' का पर्याय है. 'वामिका' नाम की उत्पत्ति 'वामा' से हुई है, जो भगवान शिव का दूसरा पहलू है. पंचम मुखी शिवलिंग में भगवान शिव का पांचवा मुख 'वामदेव' का होता है, जो उनके शांत और काव्यात्मक पक्ष को प्रस्तुत करता है.

ज्योतिषाचार्य पं. कुमोद चंद शर्मा के मुताबिक, वामिका नाम शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक है. यह एक प्रभावशाली नाम है, जो माता-पिता और खुद बच्ची के लिए भाग्यशाली है. बच्ची अपने पिता के नक्शेकदम पर चलेगी. 'वामिका' नाम आकर्षक है. यह सफलता और शांति को दर्शाता...

मशहूर कवि और नाटककार विलियम शेक्सपियर (William Shakespeare) ने एक बार कहा था, 'नाम में क्या रखा है?' गुलाब को यदि गुलाब न कहकर कोई दूसरा नाम देंगे तो क्या उसकी खुशबू गुलाब जैसी नहीं रहेगी? उनके कहने का मतलब ये था कि किसी व्यक्ति या वस्तु के नाम से ज्यादा उसके गुण मायने रखते हैं. लेकिन किसी बच्चे का गुण, उसके पैदा होने के तुरंत बाद तो पता चलता नहीं है, फिर हम नामकरण संस्कार क्यों करते हैं? किस आधार पर उसका नाम रख देते हैं? आप सोच रहे होंगे कि आज 'नाम' पर चर्चा क्यों हो रही है. दरअसल आज ही क्रिकेटर विराट कोहली और एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा ने अपनी बेटी के नाम का खुलासा किया है. उनकी बेटी का नाम वामिका (Vamika) है. लोगों ने जैसे ही ये नाम सुना, इसका मतलब (Vamika meaning in hindi) जानने के लिए आतुर हो उठे हैं.

विराट और अनुष्का की बेटी का नाम है वामिका. लोगों ने पहले तो ये अनुमान लगाया कि वामिका (Vamika) शब्द का पहला अक्षर 'V' विराट (Virat Kohali) के नाम से और लास्ट का 'KA' अनुष्का (Anushka Sharma) के नाम से लिया गया है. ज्यादातर सेलेब्स अपने बच्चों के नाम इसी पैटर्न पर रखते हैं. लेकिन इस बार लोगों का अनुमान गलत साबित हुआ. भले ही Vamika शब्द में 'V' और 'KA' हैं, लेकिन यह नाम 'मां दुर्गा' का पर्याय है. 'वामिका' नाम की उत्पत्ति 'वामा' से हुई है, जो भगवान शिव का दूसरा पहलू है. पंचम मुखी शिवलिंग में भगवान शिव का पांचवा मुख 'वामदेव' का होता है, जो उनके शांत और काव्यात्मक पक्ष को प्रस्तुत करता है.

ज्योतिषाचार्य पं. कुमोद चंद शर्मा के मुताबिक, वामिका नाम शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक है. यह एक प्रभावशाली नाम है, जो माता-पिता और खुद बच्ची के लिए भाग्यशाली है. बच्ची अपने पिता के नक्शेकदम पर चलेगी. 'वामिका' नाम आकर्षक है. यह सफलता और शांति को दर्शाता है. वह जहां भी जाएगी, समृद्धि और धन लाएगी. यह नाम बंगाली के साथ-साथ मलयाली संस्कृतियों में भी लोकप्रिय है. 'वामिका' देवी दुर्गा का दूसरा नाम है. भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप में शिव शरीर के दाईं ओर और पार्वती बाईं ओर बनती हैं. इसमें बाईं ओर स्थित देवी के रूप को ही वामिका कहा जाता है.

स्त्री-पुरुष के बीच समानता का मैसेज

भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप में आधा शरीर स्त्री का और आधा पुरुष का दिखता है. शिव का यह अवतार महिला और पुरुष दोनों की समानता का संदेश देता है. समाज, परिवार और जीवन में जितना महत्व पुरुष का है उतना ही स्त्री का भी है. एक दूसरे के बिना इनका जीवन अधूरा है, यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. भगवान शिव की पूजा सदियों से हो रही है, लेकिन यह बहुत कम लोग जानते हैं कि शिव ने यह रूप अपनी मर्जी से धारण किया था. वह इस रूप के जरिए लोगों का संदेश देना चाहते थे कि स्त्री और पुरुष समान हैं. हालांकि, समानता का संदेश समझने की बजाए लोग इसका धार्मिक वजूद ज्यादा समझते रहे.

शिव के अर्धनारीश्वर रूप की कहानी

शिव पुराण में इस बात का विस्तार से उल्लेख है कि भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर का रूप क्यों और किन परिस्थितियों में धारण किया था. बताया जाता है कि एक बार ब्रह्माजी ने देखा कि ब्रह्मांड के विकास की गति शिथिल पड़ गई है. पशु-पक्षी और मनुष्यों की संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है. इसके बाद ब्रह्माजी ने मैथुनी (प्रजननी) सृष्टि उत्पन्न करने का संकल्प किया. इसके लिए ब्रह्माजी शक्ति के साथ शिव को संतुष्ट करने के लिए तपस्या करने लगे. उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान शिव अर्धनारीश्वर का रूप धारण कर उनके पास आए और अपने शरीर से देवी शक्ति के अंश को अलग कर दिया.

सदियों पहले की बराबरी की बात

ब्रह्माजी ने देवी शक्ति की पूजा की, जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने अपनी भृकुटि के मध्य से अपने ही समान कांति वाली एक अन्य शक्ति की सृष्टि कर दी. उसी शक्ति ने हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लेकर महादेव से मिलन किया. इसके बाद सृष्टि का संचालन सुगम हो गया. सृष्टि निर्माण के लिए प्रेरित करने के साथ भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर स्वरुप के जरिए यह संदेश दिया कि स्त्री और पुरुष दोनों एक समान हैं. दोनों में किसी भी तरह का भेदभाव करना गलत है. सदियों पहले शिव द्वारा दिया गया ये संदेश, धार्मिक आस्था के बोझ तले दबा रह गया. आज भी समाज में महिला-पुरुष की बराबरी की बात बेमानी ही नजर आती है.

नाम के जरिए सामाजिक संदेश

भारतीय क्रिकेट टीम के कैप्टन विराट कोहली ने जब पैटरनिटी लीव की अर्जी डाली तो हर तरफ हंगामा मच गया. लोगों ने कहा कि ये देखो, क्रिकेट छोड़कर बच्चे की देखभाल करेंगे. कुछ लोगों ने कहा कि कोहली के लिए देश से बड़ा बीवी-बच्चे हैं, तभी तो मैच छोड़कर घर पर छुट्टी मनाने जा रहे हैं. इन तमाम आरोपों को दरकिनार करके विराट कोहली पैटरनिटी लीव पर चले गए. उन्होंने बीवी-बच्चों की जिम्मेदारी भी अपने काम की तरह महत्वपूर्ण समझी. इसी तरह अब वह अपनी बेटी के नाम के जरिए समाज में स्त्री-पुरुष समानता का बड़ा संदेश देना चाहते हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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