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आखिर पोप फ्रांसिस क्यों नहीं चाहते कि कोई उनकी अंगूठी चूमे

    • आईचौक
    • Updated: 27 मार्च, 2019 10:18 PM
  • 27 मार्च, 2019 10:18 PM
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पोप फ्रांसिस को सम्मान देने के लिए उनके हाथों और उनकी अंगूठी को चूम रहे थे. लेकिन पोप बार-बार हाथ हटा रहे थे. उनके इस व्यवहार की आलोचनाएं की जा रही हैं. इसे 'disturbing' और परंपरा का अपमान कहा जा रहा है.

हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति को सम्मान देने के लिए उनके पांव छुए जाते हैं. इस्लाम और ईसाई धर्म में ये सम्मान व्यक्ति के हाथों को चूमकर दिया जाता है. ये अपने-अपने धर्मों के रिवाज हैं जो सदियों से चले आ रहे हैं.

कैथोलिक धर्म में लोग पोप के हाथों और उनकी अंगूठी को चूमते हैं. लेकिन वेटिकन सिटी के कैथोलिक चर्च के पोप फ्रांसिस इन दिनों ऐसे ही एक विवाद में फंस गए हैं. उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसमें देखा जा सकता है कि जब लोग पोप की अंगूठी को चूमने की कोशिश कर रहे थे तो पोप अपना हाथ बार-बार हटा रहे थे.

हाल ही में पोप फ्रांसिस इटली के लोरेटो में एक कैथोलिक धर्मस्थल पर गए थे जहां लोग उन्हें सम्मान देने के लिए उनके हाथों और उनकी अंगूठी को चूम रहे थे. लेकिन पोप के बार-बार हाथ हटा लेने की आलोचनाएं की जा रही हैं. इसे 'disturbing' और परंपरा का अपमान कहा जा रहा है. लोगों ने तो यहां तक कहा कि 'फ्रांसिस अगर आप ईशू मसीह के प्रतिनिधि नहीं बनना चाहते तो यहां से जा सकते हैं.'

आखिर पोप क्यों नहीं चाहते कि कोई उनकी अंगूठी चूमे

पोप फ्रांसिस हाथ और अंगूठी चूमे जाने के पक्ष में नहीं है. वो असल में जॉन पॉल द्वितीय और बेनेडिक्ट XVI का अनुसरण कर रहे हैं. द्वितीय वेटिकन परिषद से पहले, अधिकांश देशों में ये प्रथा थी कि सम्मान प्रदर्शित करने और अभिवादन करने के लिए बिशप की अंगूठी को चूमा जाता था. लेकिन समय बदला, और हाथ चूमना पादरीवाद और शक्ति के रूप में देखा जाने लगा. पोप फ्रांसिस और पोप बेनेडिक्ट XVI दोनों ने ही इस प्रथा को हतोत्साहित करने की कोशिश की. और फ्रांसिस जब ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप थे, तब भी इसके विरेधी रहे. पोप बेनेडिक्ट XVI ने असल में पोप के हाथ को चूमने की परंपरा को खत्म कर दिया था, हालांकि किसी ने भी नए प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया.

हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति को सम्मान देने के लिए उनके पांव छुए जाते हैं. इस्लाम और ईसाई धर्म में ये सम्मान व्यक्ति के हाथों को चूमकर दिया जाता है. ये अपने-अपने धर्मों के रिवाज हैं जो सदियों से चले आ रहे हैं.

कैथोलिक धर्म में लोग पोप के हाथों और उनकी अंगूठी को चूमते हैं. लेकिन वेटिकन सिटी के कैथोलिक चर्च के पोप फ्रांसिस इन दिनों ऐसे ही एक विवाद में फंस गए हैं. उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसमें देखा जा सकता है कि जब लोग पोप की अंगूठी को चूमने की कोशिश कर रहे थे तो पोप अपना हाथ बार-बार हटा रहे थे.

हाल ही में पोप फ्रांसिस इटली के लोरेटो में एक कैथोलिक धर्मस्थल पर गए थे जहां लोग उन्हें सम्मान देने के लिए उनके हाथों और उनकी अंगूठी को चूम रहे थे. लेकिन पोप के बार-बार हाथ हटा लेने की आलोचनाएं की जा रही हैं. इसे 'disturbing' और परंपरा का अपमान कहा जा रहा है. लोगों ने तो यहां तक कहा कि 'फ्रांसिस अगर आप ईशू मसीह के प्रतिनिधि नहीं बनना चाहते तो यहां से जा सकते हैं.'

आखिर पोप क्यों नहीं चाहते कि कोई उनकी अंगूठी चूमे

पोप फ्रांसिस हाथ और अंगूठी चूमे जाने के पक्ष में नहीं है. वो असल में जॉन पॉल द्वितीय और बेनेडिक्ट XVI का अनुसरण कर रहे हैं. द्वितीय वेटिकन परिषद से पहले, अधिकांश देशों में ये प्रथा थी कि सम्मान प्रदर्शित करने और अभिवादन करने के लिए बिशप की अंगूठी को चूमा जाता था. लेकिन समय बदला, और हाथ चूमना पादरीवाद और शक्ति के रूप में देखा जाने लगा. पोप फ्रांसिस और पोप बेनेडिक्ट XVI दोनों ने ही इस प्रथा को हतोत्साहित करने की कोशिश की. और फ्रांसिस जब ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप थे, तब भी इसके विरेधी रहे. पोप बेनेडिक्ट XVI ने असल में पोप के हाथ को चूमने की परंपरा को खत्म कर दिया था, हालांकि किसी ने भी नए प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया.

पोप अंगूठी चूमे जाने की प्रथा के खिलाफ हैं

क्यों खास है पोप की अंगूठी

पोप की अंगूठी चांदी की है. दाहिने हाथ की तीसरी उंगली पर पहनी जाने वाली इस अंगूठी का विशिष्ट महत्व है. ये असल में पोप के स्वामित्व को दर्शाती है, इस अंगूठी को 'the fisherman’s ring' भी कहा जाता है.

बहुत समय पहले फिशरमैन रिंग पर बने खास निशान का इस्तेमाल महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सील करने के लिए किया जाता था. उस सील से ये सत्यापित होता था कि दस्तावेजों से छेड़छाड़ नहीं की गई है. लेकिन अब तकनीक के जमाने में मोम के साथ दस्तावेजों को सील करना लगभग खत्म हो चुका है. इस अंगूठी के मूल उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, पोप की मृत्यु के बाद इस अंगूठी को पारंपरिक रूप से नष्ट कर दिया जाता है. सभी लोगों की उपस्थिति में अंगूठी को एक हथौड़े से तोड़ दिया जाता है और नए पोप को एक नई अंगूठी पेश की जाती है.

पहले पोप अपनी अंगूठी से जरूरी दस्तावोजों को सील करते थेमध्ययुगीन काल में पूरे यूरोप में शाही दरबारों में इस तरह की परंपराएं बेहद आम थीं. ऐसी ही एक सामान्य प्रथा थी सम्मान के संकेत के रूप में राजा की अंगूठी को चूमना. यह पोप के हाथ और फिशरमैन अंगूठी को चूमने की प्रथा से ही मिलती जुलती है. सिर्फ पोप ही नहीं, बिशप को भी अंगूठियां मिलती हैं. पोप बेनेडिक्ट XVI हमेशा फिशरमैन रिंग पहना करते थे, लेकिन ये कोई नियम नहीं था. कई पोप अपनी पसंद के हिसाब से अंगूठी पहना करते थे.

पोप फ्रांसिस भले ही ये नहीं चाहते हों कि लोग उनकी अंगूठी चूमें लेकिन यह कहना गलत है कि उन्होंने उन लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया. वो बस इस प्रथा के खिलाफ हैं और उनके वीडियो में इसे देखा जा सकता है. यहां पोप पर उंगली उठाने वालों के लिए पोप की इजरायल यात्रा की याद दिलाना जरूरी है. पोप इजरायल की यात्रा पर होलोकॉस्ट मेमोरियल गए थे जहां पोप फ्रांसिस को होलोकॉस्ट में बचे लोगों से मिलकर उनसे हाथ मिलाना था. लेकिन तब पोप ने कुछ ऐसा किया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. पोप फ्रांसिस ने होलोकॉस्ट सरवाइवर्स के आगे झुककर उनके हाथों को चूमकर सबको चौंका दिया था.

पोप लोगों को इस तरह भी सम्मान देते हैं पोप को लेकर लोग भले ही आोचनाएं कर रहे हों, लेकिन उनके चेहरे की मुस्कान ये साफ बता रही है कि उनका मकसद लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था. वो हाथ मिलाने के पक्ष में थे, और सबसे मिला भी रहे थे, लेकिन जब किसी ने हाथ चूमने की कोशिश की तो उन्होंने अपने हाथ हटा लिए. ये उनकी पर्सनल चॉइस हो सकती है. लेकिन इसके लिए उनकी आलोचना करना उचित नहीं लगता.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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