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कहानी: प्रेम की मासूमियत को जीना है तो कभी बड़े मत होइये...

    • सर्वेश त्रिपाठी
    • Updated: 15 फरवरी, 2021 05:24 PM
  • 14 फरवरी, 2021 03:00 PM
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मुहब्बत एक बहुत ही खूबसूरत एहसास है जिसको भी होती है वो उसी में डूबा रहता है. लेकिन हर बार मुहब्बत कामयाब हो बिलकुल भी ज़रूरी नहीं. हमने ऐसे कई मामले देखे हैं जिनमें लोगों का ब्रेक अप हुआ. तो चाहे मुहब्बत में घिरे लोग हों या फिर वो जिनका ब्रेकअप हो चुका है, दोनों ही के पास ऐसे तमाम किस्से होते हैं जो बताते हैं कि मुहब्बत का एहसास भुलाए नहीं भूलता.

कई सालों बाद लड़की उसी शहर में थी जहां उसने अपनी जिंदगी का सबसे कीमती वक्त गुजारा था. साझे दोस्तों से पता चल गया कि लड़का अब भी उसी शहर में है. इससे पहले भी लड़की को उसकी याद आई थी या नहीं ये ठीक ठीक तो नहीं पता लेकिन पुराने शहर में आकर उसे यह ज़रूर लगा कि यादों का एक टुकड़ा अब भी किसी आवारा बादल की तरह उसके ज़हन में घूम रहा है. बिछड़ा प्यार भी पुराने चोट की तरह कभी कभी टीस दे ही देता है. साझे दोस्तों से लड़के का फोन नंबर भी मिल गया. बात करने में कोई डर तो नहीं था लेकिन लंबे अंतराल ने संकोच को ज़रूर प्रगाढ़ कर दिया. कई दिन की ऊहापोह में एक दिन यूं ही लड़की ने उस नंबर को डायल किया. दूसरी तरफ से एक भारी आवाज़ आई...' जी कौन?' लड़की का मन हुआ फोन काट दे. फिर भी उसके मुंह आदतन निकल गया 'मैं बोल रही हूं!' लड़के को कतई अंदाजा नहीं था कि फोन के दूसरी तरफ कौन है. लेकिन उस आवाज़ के अपनेपन को मानों वह पहचान सा रहा था. लड़के ने कहा...'मैं पहचान नहीं पा रहा'! लड़की अब थोड़ा आश्वस्त थी. हंसते हुए बोली ... अरे भूलक्कड़ कहीं के मैं बोल रही. गुड़ की चिक्की अब भी तुम्हारे शहर में मिलती है कि नहीं.' ये कहकर लड़की हंस पड़ी. लड़का भौचक था, उसे कतई अंदाजा न था कि लड़की से इस जीवन में उससे फिर बात होगी. सामान्य हालचाल के बाद लड़की ने कहा कि मिलोगे?

भले ही व्यक्ति का ब्रेक अप क्यों न हो जाए मगर उसकी यादों में मुहब्बत हसीं किस्से होते हैं

लेकिन वक्त की रोशनाई अब पहले की तरह चटख न थी. प्रेम का ज्वार जो पिछली जिंदगी में था अब उस पर जिम्मेदारियों की व्यस्तता की रेत चढ़ चुकी थी. उसी जगह पर जहां कॉलेज के टाइम अक्सर दोनों का आमना सामना होता था वहीं मुलाकात की बात तय हुई. मुलाकात की खुशी दोनों को थी लेकिन अब प्रेम की वह उष्णता गायब थी. फिर भी एकबारगी...

कई सालों बाद लड़की उसी शहर में थी जहां उसने अपनी जिंदगी का सबसे कीमती वक्त गुजारा था. साझे दोस्तों से पता चल गया कि लड़का अब भी उसी शहर में है. इससे पहले भी लड़की को उसकी याद आई थी या नहीं ये ठीक ठीक तो नहीं पता लेकिन पुराने शहर में आकर उसे यह ज़रूर लगा कि यादों का एक टुकड़ा अब भी किसी आवारा बादल की तरह उसके ज़हन में घूम रहा है. बिछड़ा प्यार भी पुराने चोट की तरह कभी कभी टीस दे ही देता है. साझे दोस्तों से लड़के का फोन नंबर भी मिल गया. बात करने में कोई डर तो नहीं था लेकिन लंबे अंतराल ने संकोच को ज़रूर प्रगाढ़ कर दिया. कई दिन की ऊहापोह में एक दिन यूं ही लड़की ने उस नंबर को डायल किया. दूसरी तरफ से एक भारी आवाज़ आई...' जी कौन?' लड़की का मन हुआ फोन काट दे. फिर भी उसके मुंह आदतन निकल गया 'मैं बोल रही हूं!' लड़के को कतई अंदाजा नहीं था कि फोन के दूसरी तरफ कौन है. लेकिन उस आवाज़ के अपनेपन को मानों वह पहचान सा रहा था. लड़के ने कहा...'मैं पहचान नहीं पा रहा'! लड़की अब थोड़ा आश्वस्त थी. हंसते हुए बोली ... अरे भूलक्कड़ कहीं के मैं बोल रही. गुड़ की चिक्की अब भी तुम्हारे शहर में मिलती है कि नहीं.' ये कहकर लड़की हंस पड़ी. लड़का भौचक था, उसे कतई अंदाजा न था कि लड़की से इस जीवन में उससे फिर बात होगी. सामान्य हालचाल के बाद लड़की ने कहा कि मिलोगे?

भले ही व्यक्ति का ब्रेक अप क्यों न हो जाए मगर उसकी यादों में मुहब्बत हसीं किस्से होते हैं

लेकिन वक्त की रोशनाई अब पहले की तरह चटख न थी. प्रेम का ज्वार जो पिछली जिंदगी में था अब उस पर जिम्मेदारियों की व्यस्तता की रेत चढ़ चुकी थी. उसी जगह पर जहां कॉलेज के टाइम अक्सर दोनों का आमना सामना होता था वहीं मुलाकात की बात तय हुई. मुलाकात की खुशी दोनों को थी लेकिन अब प्रेम की वह उष्णता गायब थी. फिर भी एकबारगी दोनों को सुरसुरी सी महसूस हुई. तय समय से पहले लड़का उस जगह पर पीपल के पेड़ नीचे जाकर लड़की का इंतजार कर रहा था.

एक लंबे अरसे बाद देखने का कौतूहल लड़के को थोड़ा अधीर कर रहा था. ऐसे मौकों पर आदत के मुताबिक लड़के ने अपनी जेब से सिगरेट निकाल कर सुलगा ली. पहले इस जगह बहुत ज्यादा भीड़ नहीं होती थी लेकिन अब ऑटो वगैरह के कारण यहां भी खासा भीड़ थी. अपनी कार की बोनट से टेक लगाकर लड़का सिगरेट की कश ले रहा था और फोन पर आए मैसेज पढ़कर समय काटने की कोशिश कर रहा था.

तभी सामने से आती लड़की दिखी. अपना चश्मा सही करते हुए लड़के ने पहचानने की कोशिश की. मन ही मे उसने खुद से कहा ...नहीं यह वो नहीं है. लड़के के ज़हन में लड़की की वही पुरानी आकृति थी. लड़की ने वाट्सएप पर अपनी फोटो भी नहीं लगाई थी जिससे लड़के को यह पता चलता कि अब वो कैसी दिखती है. ख़ैर उस लड़की ने अपना मुंह भी ढंक रखा था. लड़का सिगरेट का आखिरी कश खींच कर उसे बुझा चुका था. तभी लड़की का मैसेज उसके फोन पर फ़्लैश हुआ. स्माइली के साथ सिर्फ एक लाइन लिखी थी ...'तुम तो बड़े हो गए जी'!

लड़के ने पलट कर पीछे उस लड़की को देखा जो अभी उसके बगल से गुजरी थी. लड़की उसके ठीक पीछे कुछ कदमों की दूरी पर खड़ी थी. दोनों की आंखे बरसों के बाद के एकाकार हुई. दोनों अपनी अपनी जगह पर फ्रीज से हो गए. मौन का संवाद ही ऐसे पलों को और आत्मीय बनाता है. कुछ पल दोनों ने एक दूसरे को निहारा. दोनों की आंखें डबडबा आईं. फिर बिना किसी बातचीत के लड़की चली गई.

शायद इस बार दोनों हमेशा के लिए बिछड़ गए. वह मोहब्बत जो कभी आंखों के संवाद से शुरू हुई थी आज आंखों पर ही औपचारिक रूप से ख़त्म हो गई. मानों चंद आंसू जो उस रिश्ते का बकाया थे उसे ही उतारने के लिए ही दोनों आज फिर मिले थे. लड़का अपनी गाड़ी में बैठकर मैसेज का जवाब दिया- मैं नहीं, हम दोनों अब बड़े हो गए.

अलविदा दोस्त.'

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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